Author Topic: शेर दा अनपढ -उत्तराखंड के प्रसिद्ध कवि-SHER DA ANPAD-FAMOUS POET OF UTTARAKHAND  (Read 91704 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Ati Sundar.. Ek Line me Bahut mithas hai Sher Da ka.


कौसानी में एक कवि सम्मेलन के दौरान अपनी कविता सुनाते हुए शेर दा अनपढ..
 
को छै तू?

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

Sher Da in a Kavi Sammelan in Kausauni. At different mood.





एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0


फोटो साभार- श्री दीपक पोखरियाल, फेसबुक

Rajen

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,345
  • Karma: +26/-0
श्री शेर सिंह बिष्ट उर्फ़ 'शेरदा अनपढ़' की सारी रचनाएँ बहुत ही उच्च कोटि की हैं लेकिन एक मोती है जो हर एक को बहुत ही भाता है (सदा बहार नगमा) :

ओ परुवा बौज्यू चप्पल क्या ल्याछा यासा,
फट फट नि हनी, चप्पल क्या ल्याछा यासा
ओ परुली ईजा मैं कसो करूँ मैं कसो
धन तेरो मिजाता मैं खोर फोडूं की कसो......
 
 

हेम पन्त

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 4,326
  • Karma: +44/-1
मैं शेरदा को पिछले दिनों हल्द्वानी में मिला था.. मैं भी उनकी तरह ही "गिरदा" को देखने अस्पताल गया था.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

शेरा दा का यह बहुत ही प्रसिद्ध कविता

चौमास क ब्याव
==========

भादव भिन निझूत कनई, साइ पौणिक चाव
इन्द्रानी नौली हलानी, हौल के अडाव!
डाना काना काखिन हसणी, चौमास क ब्याव

छलके हैलो अगास ले आपुन खवर क भान
धुर जगल खकोई गयी, पगोयी गयी डान
गाव गाव तलक डूबी गयी, खेत स्यार सिमार!
नटु गध्यारा दगे बमकाण फैगे गाड़!!
गोठक पिरूल चवीने दाज्युक सुरयाव!!
डाना काना काखिन हसणी, चौमास क ब्याव


बौडी भूल रुपौल गैनई हंसी खेली दिनमान
दबाब लागी बेर त्वाप मरनायी बादव बेमान !!
हाव बजे मुरूली सीवे दे कान क मुरकुली !
गिज भितेर गिज ताणनयी रुपली दुगुरली !
कोणिक बलाड नाचनई  इचाव निसाव!!
मडुवा हाडनहु  दिनौ झुडर मुन्याव !!

संण संण संण सौंण तड तड तड तड़ात!
द्न्यारे बंधार पूछने घरकी कुशल बाद !!
ओ दीदी ओ आम कुनै जोड़ने जौ हाथ !
ज्यू जाग पैलाग हैर सार दिन पूरी रात !!
दूध जस पानी बगनी कराड़ी महाव !
खोई पटाडन नाचनई  चुपताव खाव !!

भुज तुमाडी, तैड राडा खुसखुसाट
चु उगाव  तिल थमनायी भडरि बुबू हाथ !!
चमेली फूल, छपेली गैनई गुल्डोरी चाचरी!
रंगली देवरों दगे नाचने हाँजरी !
घौत भट्ट मॉस, रेस हालनई अडाव
नाई माण, टुपार फारु मरनायी उछाव!!
डाना काना काखिन हसणी, चौमास क ब्याव

गदू चिचन, लौकी तोरई, ठासी रेई ठ्दार!
पातो हौ आन, काथ कुनाई रात में ककाड!!
प्याड जा नाशपाती है रई महव जानी म्याव!
बेडू, आडू, घिगाडू,ओ इजा! जाणी मिसिरी गवाव!!
खुंडी ओहरी ब्येरे  बिगौत फराव !
डाना काना काखिन हसणी, चौमास क ब्याव

रंगली डाना टाक पैरनई, धोती लगुनयी धार !
मखमली पिछौडी ओडनई तलि मलि द्वि सार !!
सौणि धरतिल बने हाली नौणी जै गात !
बौयल जा दिन देखनई ब्योली जै रात !!
छ्वे नैयक पाणी फुटना हियक जौ उमाव
छाती मे कुरकाती लागूना सुवक दी रुमाव !!
डाना काना काखिन हसणी, चौमास क ब्याव
 




 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22