दोस्तो,
कल गणतन्त्र दिवस की पूर्व सन्ध्या पर देहरादून के नगर निगम सभागार में कवि सम्मेलन/मुशायरे में देश व प्रदेश के प्रमुख कवियों/शायरों ने अपनी रचनाऎं प्रस्तुत की जैसे अतुल शर्मा जी, बल्ली सिंह चीमा, मदन मोहन डुकलान, डा० नीता कुकरेती, श्री उदय किरोला जी और श्री हेमन्त बिष्ट जी जो संचालक की भुमिका में भी थे। देश के कवियों में सुर्यकान्त पाण्डेय जी, डा० सीता सागर और प्रो० अशोक चक्रधर, श्री जिया नहटोरी, मोहतरमा नुसरत मेहंदी आदि ने रचनाऎं प्रस्तुत की।
कार्यक्रम के अंत में शेरदा ने अपनी रचनाऎं प्रस्तुत जी तो उनको लाइव देखने का मौका मिला, शायद मैंने शेरदा को बीस से भी ज्यादा वर्षों बाद देखा तो बड़ा अच्छा लगा। उन्होने अपनी मुर्दे की बात नाम की कविता सुनायी, और कुछ कविता की लाईने पढ़ कर सुनायी। कुछ लाइने जो याद है वो इस प्रकार थी:-
जां बात और हात चलनी,
उकैं कौनी, ग्राम सभा।
जां बात और लात चलनी,
उकैं कौनी, विधान सभा।
जां एक बुलां, सब सुणनी,
उकैं कौनी, शोक सभा।
जां सब बुलानी, क्वै नी सुणन,
उकैं कौनी, लोक सभा।
मेरा कैमरा मेरे पास न होने के कारण मै रिकार्डिन्ग नही कर सका नही तो सदस्यों की सेवा में प्रस्तुत करता। मुझे आशा है कि शायद हमारे वरिष्ठ सदस्य श्री पंकज महर जी ने जरुर इस बारे में अधिक जानकारी एकत्र की होगी।