Author Topic: Poem by Lalit Paliwal Merapahad Community Member  (Read 2068 times)

lalit.pilakhwal

  • Newbie
  • *
  • Posts: 19
  • Karma: +4/-0
Poem by Lalit Paliwal Merapahad Community Member
« on: November 29, 2011, 11:03:27 AM »
नमस्कार मित्रों !
पलायन के दर्द सहती इक सुन्दर कविता आप लोगों के सामने पेश कर रहा हूँ ! जो हमारे मित्र श्री - जगमोहन

"इन दरकती दीवारों से,
तेरी नन्ही हँसी रिसने लगी है !
कोने की जिस चक्की में पिसते थे गेंहूँ,
आज उसमे मिट्टी पिसने लगी है !!
कभी उन उजियारों से फुर्सत मिले तो आना,
और खुद अपनी आँखों से देख जाना !
जो तेरी बचपन की यादें मेरे पास रखी है,
उन यादों को साथ अपने ले जाना !!"

सतत जारी है..........
रचना- जगमोहन नेगी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Re: Poem by Lalit Paliwal Merapahad Community Member
« Reply #1 on: November 30, 2011, 08:19:42 AM »

बहुत सुंदर लिखा है ललित भाई आपने.. !पलायन उत्तराखंड एक बहुत बड़ी समस्या है! वास्तव में उत्तराखंड राज्य का निर्माण pahad के तेज विकास एव पलायन रोकने के लिए ही हुवा था लेकिन वह अभी तक साकार नहीं हुवा!

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22