Author Topic: मध्य हिमालयी कुमाउनी,गढ़वाळी एवं नेपाली भाषाओं व्याकरण का तुलानाम्त्क अध्ययन  (Read 16655 times)

Bhishma Kukreti

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Grammar of Kumauni language
Grammar of Garhwali Language
Grammar of Languages of Uttarakhand
Grammar of Nepali Language
Grammar of Mid Himalayan Languages

                                             मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -30


Comparative Comparative Study of Grammar of Kumauni, Garhwali Grammar and Nepali Grammar ,Grammar of Mid Himalayan Languages-Part-30

                                              सम्पादन : भीष्म कुकरेती


                             Edited by Bhishm Kukreti
 
                                                     
                                                          नेपाली में प्रत्यय उदहारण


ना --- गार्दैना , खादैना  (सभी क्रियाएं )

लाइ - हरुलाई

ल़े - हरुले

बाट- हरुबाट

को - हरुको

मा - हरुमा



इन

इस

यो

यौ

एन

एनौ

एनन

चाहि - ठुल़ोचाहि

होला - हाक्नुहोला

वार - आइतवार 

आई- हंसाई

इलो- दुधिलो

आरि- भिखारि

एर- भुएर (हू + एर)

आड़ - दिपाड़ 

चा - क्याहचा

चा - बिराटचा 


 



 



 


सन्दर्भ :

- अबोध बंधु बहुगुणा , १९६० , गढ़वाली व्याकरण की रूप रेखा, गढ़वाल साहित्य मंडल , दिल्ली ( Structure of Garhwali Grammar)
२- बाल कृष्ण बाल , स्ट्रक्चर ऑफ़ नेपाली ग्रैमर , मदन पुरूस्कार, पुस्तकालय , नेपाल (Structure of Nepali Grammar)
 
३- डा. भवानी दत्त उप्रेती , १९७६, कुमाउंनी भाषा अध्ययन, कुमाउंनी समिति, इलाहाबाद (Study of Kumauni Language Grammar)

४- रजनी कुकरेती, २०१०, गढ़वाली भाषा का व्याकरण, विनसर पब्लिशिंग कं. देहरादून ( Grammar of Garhwali Language)
 
५- कन्हयालाल डंड़रियाल , गढ़वाली शब्दकोश, २०११-२०१२ , शैलवाणी साप्ताहिक, कोटद्वार, में लम्बी लेखमाला (Garhwali- Hindi Dcitionary)

६- अरविन्द पुरोहित , बीना बेंजवाल , २००७, गढ़वाली -हिंदी शब्दकोश , विनसर प्रकाशन, देहरादून (Garhwali hindi Dictionary )
 
७- श्री एम्'एस. मेहता (मेरा पहाड़ ) से बातचीत

८- श्रीमती हीरा देवी नयाल (पालूड़ी, बेलधार , अल्मोड़ा) , मुंबई से कुमाउंनी शब्दों के बारे में बातचीत
 
९- श्रीमती शकुंतला देवी , अछ्ब, पन्द्र-बीस क्षेत्र, , नेपाल, नेपाली भाषा सम्बन्धित पूछताछ

१० - भूपति ढकाल , १९८७ , नेपाली व्याकरण को संक्षिप्त दिग्दर्शन , रत्न पुस्तक , भण्डार, नेपाल (Briefs on Nepali Grammar)
 
११- कृष्ण प्रसाद पराजुली , १९८४, राम्रो रचना , मीठो नेपाली, सहयोगी प्रेस, नेपाल (Nepali Grammar)

१२- चन्द्र मोहन रतूड़ी , गढ़वाली कवितावली ( सं. तारा दत्त गैरोला, प्र. विश्वम्बर दत्त चंदोला) , १९३४, १९८९
 


Comparative Study of Kumauni Grammar , Garhwali Grammar and Nepali Grammar (Grammar of , Mid Himalayan Languages ) to be continued ........

. @ मध्य हिमालयी भाषा संरक्षण समिति

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                                मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -31

Comparative Comparative Study of Grammar of Kumauni, Garhwali Grammar and Nepali Grammar ,Grammar of Mid Himalayan Languages-Part-31


                                                                  सम्पादन : भीष्म कुकरेती

                                     Edited by Bhishm Kukreti

 
 

                                                                        कुमाउंनी में क्रिया रूप    भाग -१                        

                                        Verbs in Kumauni Language Part - 1

 

१- मूल क्रियाएं :

रूप गठन अनुसार दो प्रकार की क्रियाएं होती हैं

१अ -- एकक्षरात्म्क  - अ/अक/क/कक/ गठनयुक्त होती हैं  औ, उठ, जा, पड़ , सो, हिट आदि

१ब- द्वयक्षरात्मक - अक, क युक्त होती हैं जैसे -अखर, पशक, खरोड़, कटोर

२- क्रियाओं का काल  पर निर्भरता  --- क्रियाएं काल पर निर्भर करती हैं

                                            २क- वर्तमान निश्चयार्थ

 वर्तमान निश्चयार्थ लिंग, पुरुष व वचन अनुसार रूप साधक प्रत्यय से जुड़ते हैं

 

-----------------------------------एकवचन -----------------------------बहुवचन ------------------

--------------------पुल्लिंग -------------स्त्रीलिंग------- ----------------पुल्लिंग --------------------स्त्रीलिंग

उत्तम पुरुष --------उ (छूं, जांछु) --------उ (छुं, जान्छु )------------ऊ (छूं , जानूं , कर्नूं )-------ऊं (छूं , जानूं , कर्नूं  )   

मध्यम पुरुष ------ऐ (छै , जांछै )-------ई(छै,जान्छे , जान्छी )-----आ(छौ, जांछा )----------आ/इऔ (छौ, जांछा ,जान्छियौ )

अन्यपुरुष --------अ (छ, जान्छ  )-------इ(जांछि ) ----------------अन्/आन(छन,जांनान)-----अन,इन (छन , जांछिन    )

 

                                                   २ ख- भूत  निश्चयार्थ

कुमाउनी में उत्तम पुरुष में लिंग भेद नही मिलता है     


-----------------------------------एकवचन -----------------------------बहुवचन ----------------------------

--------------------पुल्लिंग ----------------स्त्रीलिंग------- ----------------पुल्लिंग --------------------स्त्रीलिंग

 उत्तम पुरुष------ऊं (छ्यूं , गयूं  )------ऊं  (छ्यूं , गयूं )----------------ऊ (जयां , गयां )  ---------- ऊ (जयां , गयां )

मध्यम पुरुष ----ऐ (छे, आछे ) ----------ई (आछी )-----------------------आ (आछै ) ------------------इऔ (आछी )

अन्य पुरुष -----अ, ओ, (आछ, आथ्यौ )--अ, इ, ऐ, (आछि, )-----------आ, आन (छया, आयन, )------इन, अन, ऐन(गैन, ऐन्छिन)

कहीं कहीं थ' भी भूतकाल में मिलता है विशेषत: नेपाल हद्द पर

 

                                            २ ग - भविष्य  निश्चयार्थ   

 
-------------------------------एकवचन --------------------------------------------------बहुवचन -------------------

--------------------पुल्लिंग ----------------स्त्रीलिंग------- ----------------पुल्लिंग --------------------स्त्रीलिंग
 
 उत्तम पुरुष ----ओ (हून्लो ,कर्लो) - -------ओ (हून्लो ,कर्लो)-----------आ ( हून्ला, कर्ला)----------आ ( हून्ला, कर्ला)

मध्यम पुरुष ---- ऐ (होलै,जालै) ----------ई (होली, कर्ली )-------------आ (होला, जाला, )---------आ, इऔ, (जाला, आलियौ )
 
अन्य पुरुष ------ओ (जालो) --------------इ (जालि) ---------------------(जाला) ---------------------इन (होलिन,जालिन )

 

 

सन्दर्भ :

- अबोध बंधु बहुगुणा , १९६० , गढ़वाली व्याकरण की रूप रेखा, गढ़वाल साहित्य मंडल , दिल्ली ( Structure of Garhwali Grammar)
२- बाल कृष्ण बाल , स्ट्रक्चर ऑफ़ नेपाली ग्रैमर , मदन पुरूस्कार, पुस्तकालय , नेपाल (Structure of Nepali Grammar)

३- डा. भवानी दत्त उप्रेती , १९७६, कुमाउंनी भाषा अध्ययन, कुमाउंनी समिति, इलाहाबाद (Study of Kumauni Language Grammar)

४- रजनी कुकरेती, २०१०, गढ़वाली भाषा का व्याकरण, विनसर पब्लिशिंग कं. देहरादून ( Grammar of Garhwali Language)

५- कन्हयालाल डंड़रियाल , गढ़वाली शब्दकोश, २०११-२०१२ , शैलवाणी साप्ताहिक, कोटद्वार, में लम्बी लेखमाला (Garhwali- Hindi Dcitionary)

६- अरविन्द पुरोहित , बीना बेंजवाल , २००७, गढ़वाली -हिंदी शब्दकोश , विनसर प्रकाशन, देहरादून (Garhwali hindi Dictionary )

७- श्री एम्'एस. मेहता (मेरा पहाड़ ) से बातचीत

८- श्रीमती हीरा देवी नयाल (पालूड़ी, बेलधार , अल्मोड़ा) , मुंबई से कुमाउंनी शब्दों के बारे में बातचीत

९- श्रीमती शकुंतला देवी , अछ्ब, पन्द्र-बीस क्षेत्र, , नेपाल, नेपाली भाषा सम्बन्धित पूछताछ

१० - भूपति ढकाल , १९८७ , नेपाली व्याकरण को संक्षिप्त दिग्दर्शन , रत्न पुस्तक , भण्डार, नेपाल (Briefs on Nepali Grammar)

११- कृष्ण प्रसाद पराजुली , १९८४, राम्रो रचना , मीठो नेपाली, सहयोगी प्रेस, नेपाल (Nepali Grammar)

१२- चन्द्र मोहन रतूड़ी , गढ़वाली कवितावली ( सं. तारा दत्त गैरोला, प्र. विश्वम्बर दत्त चंदोला) , १९३४, १९८९

 

Comparative Study of Kumauni Grammar , Garhwali Grammar and Nepali Grammar (Grammar of , Mid Himalayan Languages ) to be continued ........

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                              मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -32



Comparative Comparative Study of Grammar of Kumauni, Garhwali Grammar and Nepali Grammar ,Grammar of Mid Himalayan Languages-Part-31

                                         सम्पादन : भीष्म कुकरेती


                             Edited by Bhishm Kukreti
 

                                                  कुमाउंनी में क्रिया रूप भाग -2      

                                                             Verbs in Kumauni Language Part - 2



                                          वर्तमान  आज्ञार्थक  क्रियाएं

इस वर्ग के प्रत्यय केवल मध्यम पुरुष में ही मिलते हैं और लिंग भेद नहीं मिलता. केवल ल़ा व वचन भेद मिलता है


-------------------------------------एक वचन -------------------------बहुवचन

-------------------------------जा, कर --------------------------------जा, करअ


                                     भविष्य आज्ञार्थक क्रियाएं

इस वर्ग में भी केवल मध्यम पुरुष में प्रत्यय लगता है और लिंग भेद नही मिलता

-------------------------------------एक वचन -------------------------बहुवचन

प्रत्यय -------------------------------ऐ -----------------------------------या

---------------------------------आए, जाए, करे ------------------------आया, कर्या , जाया



सन्दर्भ :

- अबोध बंधु बहुगुणा , १९६० , गढ़वाली व्याकरण की रूप रेखा, गढ़वाल साहित्य मंडल , दिल्ली ( Structure of Garhwali Grammar)
२- बाल कृष्ण बाल , स्ट्रक्चर ऑफ़ नेपाली ग्रैमर , मदन पुरूस्कार, पुस्तकालय , नेपाल (Structure of Nepali Grammar)

३- डा. भवानी दत्त उप्रेती , १९७६, कुमाउंनी भाषा अध्ययन, कुमाउंनी समिति, इलाहाबाद (Study of Kumauni Language Grammar)

४- रजनी कुकरेती, २०१०, गढ़वाली भाषा का व्याकरण, विनसर पब्लिशिंग कं. देहरादून ( Grammar of Garhwali Language)

५- कन्हयालाल डंड़रियाल , गढ़वाली शब्दकोश, २०११-२०१२ , शैलवाणी साप्ताहिक, कोटद्वार, में लम्बी लेखमाला (Garhwali- Hindi Dcitionary)

६- अरविन्द पुरोहित , बीना बेंजवाल , २००७, गढ़वाली -हिंदी शब्दकोश , विनसर प्रकाशन, देहरादून (Garhwali hindi Dictionary )

७- श्री एम्'एस. मेहता (मेरा पहाड़ ) से बातचीत

८- श्रीमती हीरा देवी नयाल (पालूड़ी, बेलधार , अल्मोड़ा) , मुंबई से कुमाउंनी शब्दों के बारे में बातचीत

९- श्रीमती शकुंतला देवी , अछ्ब, पन्द्र-बीस क्षेत्र, , नेपाल, नेपाली भाषा सम्बन्धित पूछताछ

१० - भूपति ढकाल , १९८७ , नेपाली व्याकरण को संक्षिप्त दिग्दर्शन , रत्न पुस्तक , भण्डार, नेपाल (Briefs on Nepali Grammar)

११- कृष्ण प्रसाद पराजुली , १९८४, राम्रो रचना , मीठो नेपाली, सहयोगी प्रेस, नेपाल (Nepali Grammar)

१२- चन्द्र मोहन रतूड़ी , गढ़वाली कवितावली ( सं. तारा दत्त गैरोला, प्र. विश्वम्बर दत्त चंदोला) , १९३४, १९८९

 

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                                     मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -33


Comparative Comparative Study of Grammar of Kumauni, Garhwali Grammar and Nepali Grammar ,Grammar of Mid Himalayan Languages-Part-33

                                                                      सम्पादन : भीष्म कुकरेती

                                     Edited by Bhishm Kukreti


                                                कुमाउंनी में क्रिया रूप भाग -3     
                                               

                                           Verbs in Kumauni Language Part - 3


                                                  कुमाउंनी में भूतकाल सम्भाव्नार्थ क्रियाएं

 इस वर्ग में दो प्रत्यय पाए जाते हैं न  और अन्य लिंग-वचनानुसार


---------------------------------एकवचन ---------------------------------------------बहुवचन ------------------

--------------------पुल्लिंग -------------स्त्रीलिंग------- ----------------पुल्लिंग --------------------स्त्रीलिंग

उत्तम पुरुष -----ऊं (जानूं )---------------ऊं (जानूं )----------------------औ (जानौ )-------------------- औ (जानौ )

माध्यम पुरुष ----ऐ, (जानै)--------------ई (जानी)------------------------आ (जाना )-------------------इयौ ( खानियौ )

अन्य पुरुष --------ओ (जानो)------------इ (जानि)------------------------आ (जाना) --------------------आ, इन (जानि , करनिन)   


                                                  कुमाउनी में वर्तमान प्रेरणार्थक क्रिया


इसमें मध्यम पुरुष में वचन भेदानुसार प्रत्यय जुड़ते हैं

पुल्लिंग /स्त्रीलिंग --------------------एकवचन -------------------------------------बहुवचन

---------------------------------------औ (हिटऔ,करौ  ) -------------------------आ ( हिटा , करा)


                                 कुमाउंनी में अभिप्राय द्योतनार्थ  क्रियाएं

कुमाउनी में अभिप्राय द्योतनार्थ क्रियाएं में केवल उत्तम व अन्य पुरुष के द्योत्कों पर प्रत्यय में मिलते हैं

पुल्लिंग/स्त्रीलिंग -------------------------एकवचन -----------------------बहुवचन

उत्तम पुरुष ---------------------------ऊं (जाऊं , हिटूं )-----------------नऊं (जानूं , हिटनूँ ०

अन्य पुरुष -----------------------------औ (जवौ , हिटौ )--------------ऊंन (जऊँन, हिटूंन  )


 


सन्दर्भ :

- अबोध बंधु बहुगुणा , १९६० , गढ़वाली व्याकरण की रूप रेखा, गढ़वाल साहित्य मंडल , दिल्ली ( Structure of Garhwali Grammar)
२- बाल कृष्ण बाल , स्ट्रक्चर ऑफ़ नेपाली ग्रैमर , मदन पुरूस्कार, पुस्तकालय , नेपाल (Structure of Nepali Grammar)

३- डा. भवानी दत्त उप्रेती , १९७६, कुमाउंनी भाषा अध्ययन, कुमाउंनी समिति, इलाहाबाद (Study of Kumauni Language Grammar)

४- रजनी कुकरेती, २०१०, गढ़वाली भाषा का व्याकरण, विनसर पब्लिशिंग कं. देहरादून ( Grammar of Garhwali Language)

५- कन्हयालाल डंड़रियाल , गढ़वाली शब्दकोश, २०११-२०१२ , शैलवाणी साप्ताहिक, कोटद्वार, में लम्बी लेखमाला (Garhwali- Hindi Dcitionary)

६- अरविन्द पुरोहित , बीना बेंजवाल , २००७, गढ़वाली -हिंदी शब्दकोश , विनसर प्रकाशन, देहरादून (Garhwali hindi Dictionary )

७- श्री एम्'एस. मेहता (मेरा पहाड़ ) से बातचीत

८- श्रीमती हीरा देवी नयाल (पालूड़ी, बेलधार , अल्मोड़ा) , मुंबई से कुमाउंनी शब्दों के बारे में बातचीत

९- श्रीमती शकुंतला देवी , अछ्ब, पन्द्र-बीस क्षेत्र, , नेपाल, नेपाली भाषा सम्बन्धित पूछताछ

१० - भूपति ढकाल , १९८७ , नेपाली व्याकरण को संक्षिप्त दिग्दर्शन , रत्न पुस्तक , भण्डार, नेपाल (Briefs on Nepali Grammar)

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                मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -34

Comparative Comparative Study of Grammar of Kumauni, Garhwali Grammar and Nepali Grammar ,Grammar of Mid Himalayan Languages-Part-34


                  सम्पादन : भीष्म कुकरेती


           Edited by Bhishm Kukreti
 

                                   कुमाउंनी में क्रिया रूप भाग -4     


                                 Verbs in Kumauni Language Part - 4
                       

                                         कुमाउंनी में क्रिया के क्रिदंतीय  रूप

 विभिन्न कालों में कुमाउंनी में क्रिया कृदंत रूप भिन्न भीं होते हैं

 

धातु  - हो

कृदंत भेद -------------------------------प्रत्यय ------------------------उदहारण

कर्त्रि वाचक संज्ञा ---------------------एर -----------------------------हुनेर

वर्तमान कालिक कृदंत ----------------ए------------------------- -----हुन्ने

भूतकालिक कृदंत ----------------------ओ ---------------------------भयो /भौ

पूर्वकालिक कृदंत ----------------------ए/बेर  -----------------------------ह्व़े/ह्व़े बेर

तात्कालिक कृदंत ---------------------ऐ ---------------------------------(हुनै ) --------होते ही

पूर्ण क्रिया द्योत्तक कृदंत -----------इना ------------------------------होईना

अपूर्ण क्रिया द्योत्तक कृदंत ---------ऐ ---------------------------------हुनै -----------होते हुए

 

                                कुमाउंनी में   संदिग्ध भूतकाल

संदिग्ध भूतकाल दो प्रत्ययों का संयोग होता है , दोनों लिंगों में समान होता है और संयुक्त क्रियाओं में लिंग नर्धारण प्रथम क्रिया करती है

धौ- हो

प्रत्यय ---------------------------उदहारण

न+ओ----------------------------हुनो (होती होगी/होता होगा )

-----------------------------------खानि हुनो

ऊन -----------------------------खाना हनून

----------------------------------खानि हनून

 

                        कुमाउंनी में असम्बन्ध क्रिया रूप

कुछ क्रियाओं में विभिन्न कलों में क्रिया रूप अम्सब्न्ध मिलते हैं

पुरुष ---------------वर्तमानं ------------------भविष्य ---------------भूय काल

उत्तम ------------जान्छु ---------------------जून्लो----------------गयुं/गोयुं

मद्ध्य्म -----------जांछै ---------------------जालै -----------------ग्योछे   

अन्य ---------------जान्छ -------------------जालो ----------------ग्योछ

 

                         कुमाउंनी में निरन्तरार्थ  क्रिया रूप

 कुमाउंनी में निरन्तरार्थ में अनेक प्रत्यय पाए जाते हैं

मर, मरी , न्न, ण

                            कुमाउंनी में वर्तमान निरन्तरार्थ क्रिया रूप 

धातु जा

----------------------पुल्लिंग -----------------------स्त्रीलिंग -------------------

--------एकवचन -----------बहुवचन -------------एकवचन -------------बहुवचन

१- जान्मछर्य ---------------जान्मर्यान-----------जान्मछर्य-------------जान्मछर्न 

२- जान्मर्योछ ----------------जान्मरयान --------जान्मरैछ-------------- जान्मरैछन

३- जान्मर्योछ---------------- जान्मरयान----------जान्मरैछ------------जान्मरैछन

४-जान्नौछ --------------------जान्न्यान -----------जान्नैछ ------------- जान्नैछ

५- जाणौछ----------------------जाणइ  --------------जाणै------------------  जाणैछन

                              कुमाउंनी में अपूर्ण भूत क्रिया/ भूत निरन्तरार्थ

धातु- जा

  ---------------------पुल्लिंग -----------------------स्त्रीलिंग -------------------
 --------एकवचन -----------बहुवचन -------------एकवचन -------------बहुवचन

 1- जान्मर्छयो --------------जान्मर्छया-----------जान्मर्छि------------------ जान्मर्छिन 

२- जान्मरेछ्या ---------------जान्मरेछ्या---------जान्म्रैछि---------------- जान्म्रैछिन   

३- जान्मरेछयो---------------- जान्मरेछ्या--------जान्म्रैछि---------------- जान्म्रैछिन   

४- जन्नेछयो ----------------जाणेछ्या ----------जान्नैछि-------------------- जान्नैछिन   

५- जाणेछियो------------------- जाणेछ्या ----------जाणैछि -------------------जाणैछिन

                   कुमाउंनी भविष्य निश्चयार्थ प्रत्यय के योग से बनी क्रियाएं


धातु- जा

---------------------पुल्लिंग -----------------------स्त्रीलिंग -------------------
--------एकवचन -----------बहुवचन -------------एकवचन -------------बहुवचन 

१- जान्मरौलो----------------जान्मरौला------------जान्मरौलि----------  जान्मरौलिन

२-जान्मरौलो----------------जान्मरौला------------जान्मरौलि---------- जान्मरौलिन

३--जान्नौलो ------------------जान्नौला------------- जान्नौलि------------ जान्नौलिन

४- जाणौलो--------------------  जाणौला-------------   जाणौलि-----------जाणौलिन 

इन सभी में आशय एक ही है

 

                 कुमाउंनी में क्रिया साधक प्रत्यय तालिका

 

                कुमाउंनी में वर्तमान काल क्रिया साधक प्रत्यय तालिका

पुरुष  ---------------- एकवचन --------------------------------बहुवचन -------------

--------------पुल्लिंग----------------स्त्रीलिंग ----------------पुल्लिंग --------------स्त्रीलिंग

उत्तम ------ -उ ------------------ -उ ------------------ -ऊं-------------------- - ऊं

मद्ध्य्म ------ -ऐ -----------------ई -------------------- -आ ---------------------- आ, इऔ

अन्य ----------- - अ --------------इ --------------------अं, आन, -----------------अन-इन   

                    कुमाउंनी में भूतकाल क्रिया साधक प्रत्यय तालिका

 
पुरुष ---------------- एकवचन --------------------------------बहुवचन -------------

--------------पुल्लिंग----------------स्त्रीलिंग ----------------पुल्लिंग --------------स्त्रीलिंग

 उत्तम -----ऊं ------------------------ऊं ----------------आँ-----------------------आँ

मध्यम ------ए, ऐ, -------------------ई, ऐ, -------------आ , -------------------आ, इऔ

अन्य ---------ओ , -------------------अ, इ , ------------आ, आँ, --------------इन, अन , न

 

              कुमाउंनी में भविष्य काल  क्रिया साधक प्रत्यय तालिका

 
पुरुष ---------------- एकवचन --------------------------------बहुवचन -------------

 --------------पुल्लिंग----------------स्त्रीलिंग ----------------पुल्लिंग --------------स्त्रीलिंग

 उत्तम --------ओ --------------------ओ -----------------------आ, -----------------आ

मध्यम --------ऐ, --------------------ई, ------------------------आ, ---------------आ, इऔ

अन्य -----------ओ ------------------इ --------------------------आ -----------------इन

भूतकाल में कुछ स्थानों में अन्त्य प्रत्यय में य मिलता है -छयो, गयो

       

                           कुमाउंनी में वर्तमान काल में काल द्योतक रूप तत्व 'छ'

कुमाउंनी में वर्तमान काल में काल द्योतक रूप तत्व 'छ' है जिसका एक रूप -न भी है जो

वर्तमान काल उत्तम पुरुष और अन्य पुरुष दोनों लिंगों व दोनों वचनों में आता है

जान्छु - जानूं

जान्छ -जानान

स्थान भेद के कारण कहीं न ण के रूप में प्रयुक्त होता   है 

अन्य प्रत्यय -----

उ --- एकवचन उत्तम पुरुष सूचक व दोनों लिंगों में मिलता है - जान्छु. बहुवचन में  में ऊं - जानूं

ऐ---मध्यम पुरुष, एकवचन पुल्लिंग द्योतक -- जांछै

ई--- मध्यम पुरुष , एकवचन व स्त्रीलिंग द्योतक

आ--- मध्यम पुरुष बहुवचन पुल्लिंग द्योतक , स्त्रीलिंग में इऔ भी जाछियौ

अ--- अन्यपुरुष, एकवचन, पुल्लिंग द्योतक --जान्छ

इ--- अन्यपुरुष, एकवचन, स्त्रीलिंग द्योतक --- जान्छि
 
आन/अन ---  अन्यपुरुष , भुचन, पुल्लिंग द्योतक -- जानान

इन --अन्यपुरुष बहुवचन, स्त्रीलिंग द्योतक

                    भूतकाल में काल  द्योतक प्रत्यय 

भूतकाल द्योतक प्रमुख तत्व छ' है जो '  पुरुष/लिंग व वचन के हिसाब से बदलता रहता है

ऊं- उत्तम पुरुष , एकवचन तथा दोनों लिंगो में रहता है ---आयूँ

आं --  उत्तम पुरुष वहुवचन दोनों लिंगों में मिलता है --आयां

ऐ- मध्यम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग --आछै ९य ए -- आछे )

ई ---मध्यम पुरुष, एक वचन, स्त्रीलिंग -- आछी

आ--- मध्यम पुरुष, एकवचन, दनो लिंग -----आछा  (कभी कभी आएं या इऔ )

ओ-- अन्यपुरुष एकवचन, पुल्लिंग द्योतक -- ग्यो

अ--- अन्य पुरुष, एकवचन , पुरुष व स्त्रीलिंग में --- आछ (ध्वनि में बदलाव होता है)

इ- अन्य पुरुष, एकवचन, स्त्रीलिंग --आछि . एक रूप  ऐ भी है ---गए

आन -----अन्य पुरुष बहुवचन पुल्लिंग ----आयान . एक रूप आ भी है --आया

इन ----अन्य पुरुष वहुवचन, स्त्रीलिंग ----- गैछिन. कभी कभी अन एक रूप है ---ऐछन
 
 

                  कुमाउंनी में     भविष्य काल   में काल द्योतक प्रत्यय     

 भविष्य काल में काल द्योतक प्रत्यय 'ल' है   

'ल' के साथ पुरुष लिंग-वचन द्योतक प्रत्यय जुड़ते हैं

उत्तम पुरुष में लिंग भेद नही है

ओ --- उत्तम पुरुष, एक वचन  दोनों लिंगों में  ल के बाद आ जुड़ता है --- जूँलो 

आ-- उत्तम पुरुष एक वचन बहुवचन दोनों लिंग में ओ जुड़ता है --जूंला

ऐ---- मध्यम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग --- जालै   
 
ई---- मध्यम पुरुष, एकवचन, स्त्रीलिंग --- जाली

आ--- मध्यम पुरुष, बहुवचन, दोनों  लिंग -- जाला . कभी कभी मध्यम पुरुष, बहुवचन, स्त्रीलिंग में इऔ लगता है ---जालियौ

ओ---- अन्यपुरुष, एकवचन, पुल्लिंग --जालो

आ- अन्यपुरुष, बहुवचन, पुल्लिंग  ---जाला

इ--- अन्य पुरुष, एकवचन, स्त्रीलिंग , ---जालि

इन -- अन्यपुरुष, बहुवचन, स्त्रीलिंग ---जालिन 

             कुमाउंनी में अनुनासिक क्रियाएं

जान्छु /जांछै /जान्छि / जूंला

किन्तु कुछ क्रियाओं में यह नही मिलता है - ग्योछै , जालै   

                            'छ' का क्रियाओं में  महत्वपूर्ण स्थान

भविष्यकाल को छोड़ दोनों काल में 'छ' का महत्वपूर्ण स्थान है . 'छ' प्रमुख व सहायक क्रियाओं के रूप

में प्रयोग होता है.

 

 -------------------------एक वचन ---------------------------------------बहुवचन -------------

काल-------- पुरुष -----पुल्लिंग ------------स्त्रीलिंग ------------------पुल्लिंग ------------------स्त्रीलिंग

वर्तमान ----उत्तम -----छूं--------------------छूं ------------------------छूं  --------------------छूं

वर्तमान ----मध्यम ----छै ------------------छै -------------------------छौ ----------------------छौ

वर्तमान -----अन्य ------छ ------------------छ-------------------------छन ----------------------छन

भूत --------उत्तम -----छ्यूं ---------------छ्यूं ------------------------छ्याँ --------------------छ्याँ

भूत --------मध्यम ----- छे ---------------छी--------------------------छ्या/छिया--------------- छ्या/छिया

भूत --------अन्य -------छयो -----------छि ---------------------------छ्या -----------------------छिन


 
 


सन्दर्भ :
 
- अबोध बंधु बहुगुणा , १९६० , गढ़वाली व्याकरण की रूप रेखा, गढ़वाल साहित्य मंडल , दिल्ली ( Structure of Garhwali Grammar)
 २- बाल कृष्ण बाल , स्ट्रक्चर ऑफ़ नेपाली ग्रैमर , मदन पुरूस्कार, पुस्तकालय , नेपाल (Structure of Nepali Grammar)

३- डा. भवानी दत्त उप्रेती , १९७६, कुमाउंनी भाषा अध्ययन, कुमाउंनी समिति, इलाहाबाद (Study of Kumauni Language Grammar)

४- रजनी कुकरेती, २०१०, गढ़वाली भाषा का व्याकरण, विनसर पब्लिशिंग कं. देहरादून ( Grammar of Garhwali Language)

५- कन्हयालाल डंड़रियाल , गढ़वाली शब्दकोश, २०११-२०१२ , शैलवाणी साप्ताहिक, कोटद्वार, में लम्बी लेखमाला (Garhwali- Hindi Dcitionary)

६- अरविन्द पुरोहित , बीना बेंजवाल , २००७, गढ़वाली -हिंदी शब्दकोश , विनसर प्रकाशन, देहरादून (Garhwali hindi Dictionary )

७- श्री एम्'एस. मेहता (मेरा पहाड़ ) से बातचीत

८- श्रीमती हीरा देवी नयाल (पालूड़ी, बेलधार , अल्मोड़ा) , मुंबई से कुमाउंनी शब्दों के बारे में बातचीत

९- श्रीमती शकुंतला देवी , अछ्ब, पन्द्र-बीस क्षेत्र, , नेपाल, नेपाली भाषा सम्बन्धित पूछताछ

१० - भूपति ढकाल , १९८७ , नेपाली व्याकरण को संक्षिप्त दिग्दर्शन , रत्न पुस्तक , भण्डार, नेपाल (Briefs on Nepali Grammar)

११- कृष्ण प्रसाद पराजुली , १९८४, राम्रो रचना , मीठो नेपाली, सहयोगी प्रेस, नेपाल (Nepali Grammar)

१२- चन्द्र मोहन रतूड़ी , गढ़वाली कवितावली ( सं. तारा दत्त गैरोला, प्र. विश्वम्बर दत्त चंदोला) , १९३४, १९८९

 

Comparative Study of Kumauni Grammar , Garhwali Grammar and Nepali Grammar (Grammar of , Mid Himalayan Languages ) to be continued ........

. @ मध्य हिमालयी भाषा संरक्षण समिति

Bhishma Kukreti

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 मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -35



Comparative Comparative Study of Grammar of Kumauni, Garhwali Grammar and Nepali Grammar ,Grammar of Mid Himalayan Languages-Part-35




                                                  सम्पादन : भीष्म कुकरेती

                              Edited by Bhishm Kukreti

 

                                                        गढ़वाली में क्रिया विधान - भाग -१

                                   Verb Uses in  Garhwali Language - Part -1

  अबोध बंधु बहुगुणा ने गढ़वाली क्रिया विधान का  बहुत ही संक्षिप्त रूप में  विवेचन किया और वहीं रजनी कुकरेती ने क्रिया विधान का विस्तार पूर्वक विवेचना की है

गढ़वाली की क्रियाएं

१- नामिक क्रियाएं

२-समस्त क्रियाएं

३-व्युत्पन्न क्रियाएं

४- मूल अथवा साधारण क्रियाएं

५-सयुंक्त क्रियाएं

                                                     नामिक क्रियायों के उदहारण

अधिकतर देखा गया है कि गढवाली में संज्ञा, सर्वनाम व विशेषणों की धातुओं पर आण , औणो, अण, एण , औण, याण   प्रत्यय लगाणे से नामिक क्रिया बनायी जाती हैं 

मूल  ----------------- प्रत्यय --------------------------------------क्रिया

संज्ञा------------------------अण , आण एण, याण, औणो

रंग  ---------------------------------------- --------------रंगण, रंगाण, रंगेण,रंग्याण , रंगौणो,

सर्वनाम

अपणु --------------------औ ण -------------------------------------------- अपणौण 

विशेषण -------------------अण , आण एण, याण, औणो, यौण   

नेडू/न्याड़  --------------------------औण/आण -----------------------------निडौण  /निडाण

बौळ-----------------------------------एण /याण ------------------------------बौळेण, बौळयाण   

पुरू ------------------------------------यौण/ याण------------------------------पुर्याण, पुर्यौण   

                                     समस्त क्रियाएं

१- योगित क्रियाएं

उठण -बैठण , चलण - फिरण

२- ध्वनि अनुसरणात्मक क्रियाये

अधिकतर प्रत्यय औण व आण हैं

ध्वनि -------------------प्रत्यय -------------क्रिया

फड़ -फड़ --------------- आण ---------------फड़फड़ाण

भिण- भिण-------------आण /औ ण --------भिणभिणाण / भिणभिणौण

                    व्युत्पन्न क्रियाएं

 

मूल क्रिया----------------------प्रथम प्रेरणार्थक---------------------द्वितीय प्रेरणार्थक 

(सकर्मक व अकर्मक)

रुण /रोण -------------------------रुलाण/रुलौण----------------------रुलवाण/रुवाण.रुलवौण   लौ ण

दीण /देण------------------------- दिलाण/दिलौण--------------------दिलवौण   

 

                           गढ़वाली में   सकर्मक मूल  क्रियाएं

मन्न (क्या रै ग्ज्या तैं अपण भै किलै नि मणदु ?,

समजण/समझण  ( चल ! मी तैं जादा इ लाटो समजदी हैं?)   

                           गढ़वाली में  अकर्मक मूल  क्रियाएं

भाई न अब  सीण/सेण  च

ढिबर भगणा छन

                    गढवाली में   संयुक्त क्रियाएं

                         

                अ   बाध्यताबोधक संयुक्त क्रिया

धातु -पोड़ (पड़ना )

१- कृदंत स्वरुप

                       वर्तमान काल कर्मवाच्य

------------------------------एकवचन ---------------------------बहुवचन -------------------------

पुरुष ----------------पुल्लिंग /स्त्रीलिंग ---------------------------पुल्लिंग/स्त्रीलिंग

उत्तम ------------- पोड़दो-------------------------------------------- पोड़दो

मध्यम ------------पोड़दें --------------------------------------------पोड़दों

अन्य ---------------पोड़दु/ दि--------------------------------------पोड़दिन/दन 

                     वर्तमान काल कर्त्री वाच्य



------------------------------एकवचन ---------------------------बहुवचन ------------------

पुरुष -----------पुल्लिंग------------स्त्रीलिंग ---------------पुल्लिंग-------------स्त्रीलिंग

सभी पुरुषों  में . ----------पोड़दु/ पोड़दि/पोड़दन और सभी लिंगों में


--------------------------भूतकालिक कल्पना कर्मवाच्य


१- कृदंत होने पर  सभी पुरुषों के  एकवचन में 'पोड़दु'

 २-सभी पुरुषों के  बहुवचन में 'पोड़दा'   


              भूतकालिक कल्पना कर्त्री वाच्य

सभी पुरुषों के एकवचन व बहुवचन में प्रयोग  --पोड़दु/पोड़दि/पोड़दा 

                     भूतकाल कर्मवाच्य

पुरुष --------एकवचन---------------बहुवचन

उत्तम--------पोड्योञ---------------पोड़याँ     

मध्यम -----------पोडें ----------------पोडयाञ     

अन्य पुरुष------- पोडि-------------- पोडेन

( ड को ड़ पढ़े )

                    भूतकाल कर्त्री वाच्य

भूतकाल कर्त्री वाच्य में सभी पुरुषों के एकवचन व बहुवचन में  ' पोडि/ पोडेंन' प्रयोग होता है

                     भविष्य काल - कर्मवाच्य

भविष्य काल - कर्मवाच्य  के  एकवचन वाले उत्तम पुरुष व अन्य पुरुष में --पोड़लु ' प्रयोग होता है

भविष्य काल - कर्मवाच्य के एकवचन वाले मध्यम पु. में 'पोड़लि' प्रयोग होता है

 भविष्य काल - कर्मवाच्य क एसभी पुरुषों , सभी वचनों में 'पोड़ला' प्रयोग होता है


                      भविष्य काल कर्त्री वाच्य

 भविष्य काल कर्त्री वाच्य के सभी पुरुषों, सभी लिंगों व सभी वचनों में पोड़लु /पोड़लि /पोड़ला का प्रयोग होता है


                  भविष्यकाल कल्पना क्रम वाच्य (कृदंत की उपस्थिति)

पुरुष -------------- एकवचन------------------ बहुवचन

उत्तम ---------------पोडौञ ---------------------पोडां   

मध्यम ----------------पोडे--------------------- पोडां   

अन्य -----------------पोडु ----------------------पोड़ोन

 

              भविष्यकाल कल्पना कर्त्री  वाच्य (कृदंत की उपस्थिति)

सभी पुरुषों के सभी लिंगों व वचनों में पोडु  /पोड़ोन का प्रयोग होता है


 

सन्दर्भ :

- अबोध बंधु बहुगुणा , १९६० , गढ़वाली व्याकरण की रूप रेखा, गढ़वाल साहित्य मंडल , दिल्ली ( Structure of Garhwali Grammar)
२- बाल कृष्ण बाल , स्ट्रक्चर ऑफ़ नेपाली ग्रैमर , मदन पुरूस्कार, पुस्तकालय , नेपाल (Structure of Nepali Grammar)

३- डा. भवानी दत्त उप्रेती , १९७६, कुमाउंनी भाषा अध्ययन, कुमाउंनी समिति, इलाहाबाद (Study of Kumauni Language Grammar)

४- रजनी कुकरेती, २०१०, गढ़वाली भाषा का व्याकरण, विनसर पब्लिशिंग कं. देहरादून ( Grammar of Garhwali Language)

५- कन्हयालाल डंड़रियाल , गढ़वाली शब्दकोश, २०११-२०१२ , शैलवाणी साप्ताहिक, कोटद्वार, में लम्बी लेखमाला (Garhwali- Hindi Dcitionary)

६- अरविन्द पुरोहित , बीना बेंजवाल , २००७, गढ़वाली -हिंदी शब्दकोश , विनसर प्रकाशन, देहरादून (Garhwali hindi Dictionary )

७- श्री एम्'एस. मेहता (मेरा पहाड़ ) से बातचीत

८- श्रीमती हीरा देवी नयाल (पालूड़ी, बेलधार , अल्मोड़ा) , मुंबई से कुमाउंनी शब्दों के बारे में बातचीत

९- श्रीमती शकुंतला देवी , अछ्ब, पन्द्र-बीस क्षेत्र, , नेपाल, नेपाली भाषा सम्बन्धित पूछताछ

१० - भूपति ढकाल , १९८७ , नेपाली व्याकरण को संक्षिप्त दिग्दर्शन , रत्न पुस्तक , भण्डार, नेपाल (Briefs on Nepali Grammar)

११- कृष्ण प्रसाद पराजुली , १९८४, राम्रो रचना , मीठो नेपाली, सहयोगी प्रेस, नेपाल (Nepali Grammar)

१२- चन्द्र मोहन रतूड़ी , गढ़वाली कवितावली ( सं. तारा दत्त गैरोला, प्र. विश्वम्बर दत्त चंदोला) , १९३४, १९८९

 

Comparative Study of Kumauni Grammar , Garhwali Grammar and Nepali Grammar (Grammar of , Mid Himalayan Languages ) to be continued ........

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          मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -36


Comparative Comparative Study of Grammar of Kumauni, Garhwali Grammar and Nepali Grammar ,Grammar of Mid Himalayan Languages-Part-36


                                          सम्पादन : भीष्म कुकरेती

                        Edited by Bhishm Kukreti

                                                   गढ़वाली में क्रिया विधान - भाग -2
                                          Verbs of Garhwali Language - Part -2 



                                           नित्यबोधक संयुक्त क्रियाएं
धातु - रौण

                    रंजन क्रिया रौण का संयोग

                    वर्तमानकाल  कर्त्री वाच्य 

 पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन ------------

अन्य  ----------रौंदु /रौंदि----------------------रंदन /रंदिन   

मध्यम ----------रंदे ----------------------------रंदां 

उत्तम -----------रंदों----------------------------रंदां   

      भूतकालिक़ कल्पना  कृदंत होने पर

 पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन ------------

अन्य- ----------रौंदु /रौंदि--------------------------रौंदा/ रौंदि

मध्यम ----------रौंदि ------------------------------रौंदा

उत्तम -------------रौंदु-----------------------------रौंदा 

                       भूतकाल नित्यबोधक संयुक्त क्रिया विधान

पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन

अन्य ---------------रै -----------------------------रैन

मध्यम------------रयें---------------------------रयाँ 

उत्तम -----------रौऊँ/रयों ---------------------रयाँ



                      भविष्य काल

 

पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन

अन्य ----------- रालु  /रलु/रलि/रालि--------------राला  /रला

मध्यम ----------रैलि--------------------------------रैल्या

उत्तम ------------रौलु--------------------------------रौला

               भविष्य काल भावी कल्पना

  पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन

अन्य------------- राउ -------------------------------रवोन/रावन 

मध्यम -----------रयें -------------------------------रवां

उत्तम ------------रवों -----------------------------रवां

          आज्ञा/इच्छार्थक संयुक्त क्रिया विधान

 पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन

अन्य-------------------राउ ------------------------रओन 

मध्यम ----------------रौ --------------------------रा

उत्तम--------------रवौं----------------------------रवां 



 उपरोक्त सभी विवेचना श्रीमती रजनी कुकरेती अनुसार है अत:  सर्वाधिकार भी श्रीमती रजनी कुकरेती का है   




सन्दर्भ :

- अबोध बंधु बहुगुणा , १९६० , गढ़वाली व्याकरण की रूप रेखा, गढ़वाल साहित्य मंडल , दिल्ली ( Structure of Garhwali Grammar)
२- बाल कृष्ण बाल , स्ट्रक्चर ऑफ़ नेपाली ग्रैमर , मदन पुरूस्कार, पुस्तकालय , नेपाल (Structure of Nepali Grammar)

३- डा. भवानी दत्त उप्रेती , १९७६, कुमाउंनी भाषा अध्ययन, कुमाउंनी समिति, इलाहाबाद (Study of Kumauni Language Grammar)

४- रजनी कुकरेती, २०१०, गढ़वाली भाषा का व्याकरण, विनसर पब्लिशिंग कं. देहरादून ( Grammar of Garhwali Language)

५- कन्हयालाल डंड़रियाल , गढ़वाली शब्दकोश, २०११-२०१२ , शैलवाणी साप्ताहिक, कोटद्वार, में लम्बी लेखमाला (Garhwali- Hindi Dcitionary)

६- अरविन्द पुरोहित , बीना बेंजवाल , २००७, गढ़वाली -हिंदी शब्दकोश , विनसर प्रकाशन, देहरादून (Garhwali hindi Dictionary )

७- श्री एम्'एस. मेहता (मेरा पहाड़ ) से बातचीत

८- श्रीमती हीरा देवी नयाल (पालूड़ी, बेलधार , अल्मोड़ा) , मुंबई से कुमाउंनी शब्दों के बारे में बातचीत

९- श्रीमती शकुंतला देवी , अछ्ब, पन्द्र-बीस क्षेत्र, , नेपाल, नेपाली भाषा सम्बन्धित पूछताछ

१० - भूपति ढकाल , १९८७ , नेपाली व्याकरण को संक्षिप्त दिग्दर्शन , रत्न पुस्तक , भण्डार, नेपाल (Briefs on Nepali Grammar)

११- कृष्ण प्रसाद पराजुली , १९८४, राम्रो रचना , मीठो नेपाली, सहयोगी प्रेस, नेपाल (Nepali Grammar)

१२- चन्द्र मोहन रतूड़ी , गढ़वाली कवितावली ( सं. तारा दत्त गैरोला, प्र. विश्वम्बर दत्त चंदोला) , १९३४, १९८९

 

Comparative Study of Kumauni Grammar , Garhwali Grammar and Nepali Grammar (Grammar of , Mid Himalayan Languages ) to be continued ........

. @ मध्य हिमालयी भाषा संरक्षण समिति

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                                मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -37



Comparative Comparative Study of Grammar of Kumauni, Garhwali Grammar and Nepali Grammar ,Grammar of Mid Himalayan Languages-Part-37




                                                                               सम्पादन : भीष्म कुकरेती


                                                 Edited by Bhishm Kukreti


                                                                      गढ़वाली में क्रिया विधान - भाग -3

                                                           Verbs of Garhwali Language - Part -3 

                                                अनुमातिबोधक संयुक्त क्रियाएं

                                                        कृदंत रूप में

धातु - खाण

                                          वर्तमान काल

पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन ------------

अन्य --------------खांदु ---------------------------खांदन /खांदिन

मध्यम-------------खांदें -------------------------खांदौं 

उत्तम -------------खांदौं --------------------खांदां


                   भूतकालिक कल्पना


पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन ------------

अन्य----------------खांदु /खांदि------------------खांदा, खांदी     

मध्यम--------------खांदि  ----------------------खांदा
उत्तम --------------खांदु -----------------------खांदा

                      भूतकाल


पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन ------------

अन्य ------------------खै --------------------------खैन

मध्यम ---------------खै ----------------------------खैन

उत्तम-----------------खै -----------------------------खै 

                         भविष्य काल 


पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन ------------

अन्य -----------------खालु---------------------------खाला 

मध्यम-----------------खैलु  -------------------------खैल्या   

उत्तम-------------------खौलु------------------------खौला   

                आज्ञांर्थक  /इच्छार्थक


पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन

अन्य------------------खा --------------------------खावो 

मध्यम ----------------खा --------------------------खावा

उत्तम -----------------खौं -----------------------खौंवां


                      भावी कल्पना (क्रिदन्त में)



आज्ञांर्थक /इच्छार्थक

पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन

अन्य------------------खा --------------------------खावो

मध्यम ----------------खा --------------------------खावा

उत्तम -----------------खौं -----------------------खौंवां 


सन्दर्भ

१- अबंधु बहुगुणा , १९६० , गढ़वाली व्याकरण की रूप रेखा, गढ़वाल साहित्य मंडल , दिल्ली ( Structure of Garhwali Grammar)



२- बाल कृष्ण बाल , स्ट्रक्चर ऑफ़ नेपाली ग्रैमर , मदन पुरूस्कार, पुस्तकालय , नेपाल (Structure of Nepali Grammar)

३- डा. भवानी दत्त उप्रेती , १९७६, कुमाउंनी भाषा अध्ययन, कुमाउंनी समिति, इलाहाबाद (Study of Kumauni Language Grammar)

४- रजनी कुकरेती, २०१०, गढ़वाली भाषा का व्याकरण, विनसर पब्लिशिंग कं. देहरादून ( Grammar of Garhwali Language)

५- कन्हयालाल डंड़रियाल , गढ़वाली शब्दकोश, २०११-२०१२ , शैलवाणी साप्ताहिक, कोटद्वार, में लम्बी लेखमाला (Garhwali- Hindi Dcitionary)

६- अरविन्द पुरोहित , बीना बेंजवाल , २००७, गढ़वाली -हिंदी शब्दकोश , विनसर प्रकाशन, देहरादून (Garhwali hindi Dictionary )

७- श्री एम्'एस. मेहता (मेरा पहाड़ ) से बातचीत

८- श्रीमती हीरा देवी नयाल (पालूड़ी, बेलधार , अल्मोड़ा) , मुंबई से कुमाउंनी शब्दों के बारे में बातचीत

९- श्रीमती शकुंतला देवी , अछ्ब, पन्द्र-बीस क्षेत्र, , नेपाल, नेपाली भाषा सम्बन्धित पूछताछ

१० - भूपति ढकाल , १९८७ , नेपाली व्याकरण को संक्षिप्त दिग्दर्शन , रत्न पुस्तक , भण्डार, नेपाल (Briefs on Nepali Grammar)

११- कृष्ण प्रसाद पराजुली , १९८४, राम्रो रचना , मीठो नेपाली, सहयोगी प्रेस, नेपाल (Nepali Grammar)

१२- चन्द्र मोहन रतूड़ी , गढ़वाली कवितावली ( सं. तारा दत्त गैरोला, प्र. विश्वम्बर दत्त चंदोला) , १९३४, १९८९

 

Comparative Study of Kumauni Grammar , Garhwali Grammar and Nepali Grammar (Grammar of , Mid Himalayan Languages ) to be continued ........

. @ मध्य हिमालयी भाषा संरक्षण समिति

Bhishma Kukreti

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                            मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -38



Comparative Comparative Study of Grammar of Kumauni, Garhwali Grammar and Nepali Grammar ,Grammar of Mid Himalayan Languages-Part-38


                                   सम्पादन : भीष्म कुकरेती

                       Edited by Bhishm Kukreti

 

                                          गढ़वाली में क्रिया विधान - भाग -4
                                            Verbs of Garhwali Language - Part -4

 

                               परामर्श सूचक संयुक्त क्रिया

धातु - ल़ेण 

                       वर्तमान काल
पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन ------------
 
अन्य --------------लेन्दु ----------------------------लेन्दन/लेंदिन

मध्यम-------------लेन्दें-----------------------------लेंदां 

उत्तम ------------लेंदौं -------------------------------लेंदां

                      भूतकाल जब कृदंत हो


पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन ------------

अन्य -------------- लेन्दु ---------------------------लेंदा

मध्यम-------------   लेँदि    ------------------------- लेंदा

उत्तम -------------   लेन्दु  --------------------लेंदा

                        भूतकाल


पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन ------------

अन्य -------------- आलि/यालि-------------------आलेन/येलेन 

मध्यम------------- येलें/आलेँ ---------------------ऐल्या/येल्याँ 

उत्तम ------------- -आल्यों /येल्यों -------------------ऐल्या/येल्याँ 

                        भविष्य काल


पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन ------------

अन्य --------------  लेलि/लेलु/ल्यालु /ल्यालि  -----------लेला/ल्याला

मध्यम-------------  लेलि    ---------------------लेल्या

उत्तम -------------   ल्योलु  ------------------- ल्योला

                 अनुमातिबोधक


पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन ------------

अन्य -------------- ल़े/ल्यो ------------------ लेँन/ल्योन   

मध्यम------------- लि  ---------------------ल्या /ल्यावा   

उत्तम ------------- -ल्यो  -------------------ल्यां

                    भावी कल्पना जहाँ कृदंत हो

 
पुरुष ----------------एकवचन --------------------बहुवचन ------------

अन्य -------------- ल्यो------------------------ल्योन

मध्यम-------------लेँ--------------------------ल्यां

उत्तम ------------- ल्यो ------------------------ल्यां   

नोट- सलाणी में कहीं कहीं भेद है



सन्दर्भ

१- अबंधु बहुगुणा , १९६० , गढ़वाली व्याकरण की रूप रेखा, गढ़वाल साहित्य मंडल , दिल्ली ( Structure of Garhwali Grammar)



२- बाल कृष्ण बाल , स्ट्रक्चर ऑफ़ नेपाली ग्रैमर , मदन पुरूस्कार, पुस्तकालय , नेपाल (Structure of Nepali Grammar)

३- डा. भवानी दत्त उप्रेती , १९७६, कुमाउंनी भाषा अध्ययन, कुमाउंनी समिति, इलाहाबाद (Study of Kumauni Language Grammar)

४- रजनी कुकरेती, २०१०, गढ़वाली भाषा का व्याकरण, विनसर पब्लिशिंग कं. देहरादून ( Grammar of Garhwali Language)

५- कन्हयालाल डंड़रियाल , गढ़वाली शब्दकोश, २०११-२०१२ , शैलवाणी साप्ताहिक, कोटद्वार, में लम्बी लेखमाला (Garhwali- Hindi Dcitionary)

६- अरविन्द पुरोहित , बीना बेंजवाल , २००७, गढ़वाली -हिंदी शब्दकोश , विनसर प्रकाशन, देहरादून (Garhwali hindi Dictionary )

७- श्री एम्'एस. मेहता (मेरा पहाड़ ) से बातचीत

८- श्रीमती हीरा देवी नयाल (पालूड़ी, बेलधार , अल्मोड़ा) , मुंबई से कुमाउंनी शब्दों के बारे में बातचीत

९- श्रीमती शकुंतला देवी , अछ्ब, पन्द्र-बीस क्षेत्र, , नेपाल, नेपाली भाषा सम्बन्धित पूछताछ

१० - भूपति ढकाल , १९८७ , नेपाली व्याकरण को संक्षिप्त दिग्दर्शन , रत्न पुस्तक , भण्डार, नेपाल (Briefs on Nepali Grammar)

११- कृष्ण प्रसाद पराजुली , १९८४, राम्रो रचना , मीठो नेपाली, सहयोगी प्रेस, नेपाल (Nepali Grammar)

१२- चन्द्र मोहन रतूड़ी , गढ़वाली कवितावली ( सं. तारा दत्त गैरोला, प्र. विश्वम्बर दत्त चंदोला) , १९३४, १९८९

 

Comparative Study of Kumauni Grammar , Garhwali Grammar and Nepali Grammar (Grammar of , Mid Himalayan Languages ) to be continued ........

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Bhishma Kukreti

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                     मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -39



Comparative Comparative Study of Grammar of Kumauni, Garhwali Grammar and Nepali Grammar ,Grammar of Mid Himalayan Languages-Part-39


                                                  सम्पादन : भीष्म कुकरेती


                              Edited by Bhishm Kukreti
 


                                           गढ़वाली में क्रिया विधान - भाग -5
                                  Verbs of Garhwali Language - Part 5
 
                               

                                              सामर्थ्य सूचक संयुक क्रियाएं

                              वर्तमान काल

धातु -सकण

पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन

अन्य------------------ सकदु /सकदि--------------सकदन /सकदिन 

मध्यम ------------- सकदें -------------------------सकदां

उत्तम  --------------सकदौं -------------------------सकदां

                             भूतकालिक कल्पना


पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन

अन्य----------------सकदु'सकदि  -------------------------सकदा

मध्यम -------------सकिद ---------------------------------सकदा

उत्तम --------------सकदु ---------------------------------सकदा

                    भूतकाल


पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन

अन्य----------------सकि------------------------------सकेन 

मध्यम -------------सकें--------------------------------सक्याँ   
 
उत्तम --------------स्क्यों ------------------------------सक्यां

 

                             भविष्यकाल


पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन

अन्य---------------- सकलु/सकलि ------------------सकला   

मध्यम -------------सकलि---------------------------सकल्या   
 
उत्तम --------------सकलु-----------------------------सकला 

                         भावी कल्पना


पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन

अन्य---------------- सकु-----------------------------सकोन 
 
मध्यम -------------सकें --------------------------सकां

उत्तम --------------सकों -------------------------सकां

                                गढ़वाली में क्रिया विधान - भाग -6
                             Verbs of Garhwali Language - Part ६
 
                       प्रयासार्थक संयुक्त क्रियाएं 

धातु - पाण या पौण

                               वर्तमान काल कर्त्री वाच्य

पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य----------------पांदु  -----------------------पांदन/पांदिन 

मध्यम -------------पंदे-----------------------------पांदा   
 
उत्तम --------------पंदौं ---------------------------पांदा

                   भूतकालिक कल्पना


पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य----------------पौंदु/पौंदि   -------------------------------पौंदा

मध्यम -------------पौंदि  ---------------------------------पांदा

उत्तम --------------पांदु  ----------------------------------पांदा

                              भूतकाल


पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य----------------पै -------------------------------पैन

मध्यम -------------पै -------------------------------पैन

उत्तम --------------पै -------------------------------पैन

 

                भविष्य काल

 

 
पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य----------------पौलु----------------------------पौला

मध्यम -------------पैलि ---------------------------पैल्या

उत्तम --------------पौलु ---------------------------पौला

गढ़वाली में क्रिया विधान - भाग -7
Verbs of Garhwali Language - Part 7

                                 शापार्थक क्रियाएं                           
 

 


पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य---------------- पाऊ ------------------------पाओन 

मध्यम -------------पै ----------------------------पयान

उत्तम --------------पौं --------------------------पवां

                        स्वाभाव सूचक क्रियाएं

धातु - कर्न

                    वर्तमान काल


पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य----------------करदु /करदि(र आधी ) --------------रदन 
 
मध्यम -------------करदें ------------------------------करदौं 

उत्तम --------------करदौं ----------------------------करदौं

                  भूतकालिक कल्पना


पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य----------------कर्दु ---------------------------कर्दा

मध्यम -------------कर्दि----------------------------कर्दा 
 
उत्तम --------------कर्दु -----------------------------कर्दा

                     भूतकाल


पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य----------------कै -----------------------------कैन

मध्यम -------------कै ------------------------------कैन

उत्तम --------------कैन -----------------------------कैन

                     भविष्य काल


पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य----------------  कर्लु/कर्लि--------------------कर्ला/कर्लि   
 
मध्यम -------------कर्लि -------------------------कर्ल्या

उत्तम --------------कर्लु -------------------------कर्ला

               आज्ञा या इच्छार्थक


पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य---------------- कौरु---------------------------करोन 

मध्यम -------------कौर --------------------------कौरा

उत्तम --------------करौं   --------------------------करां

              भावी कल्पना

   
पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य----------------कौरु ----------------------------करोन

मध्यम -------------कौर --------------------------कौरा

उत्तम --------------करों --------------------------करां

 गढ़वाली में क्रिया विधान - भाग -8
Verbs of Garhwali Language - Part 8
 
                 आरम्भ बोधक क्रिया विधान

धातु- जाण 

                        वर्तमान काल


पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य----------------जांदु-------------------------जन्दन /जंदिन   

मध्यम -------------जंदें---------------------------- जंदां   

उत्तम --------------जन्दों --------------------------जंदां

                  भूतकालिक कल्पना (कृदंत में)



पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य----------------  जांदु /जांदि----------------------जांदा /जांदि   

मध्यम ------------- जांदि  ------------------------------जांदा

उत्तम --------------जांदु -------------------------------जांदा

                         भूतकाल


पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य---------------- गै/गि-------------------------गैन/गेन   

मध्यम -------------गयें /-------------------------गयां/ग्याँ   

उत्तम --------------गायों /ग्यों -------------------गयां/ग्याँ 

                भविष्य काल


पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य----------------जालु  -------------------------------जाला

मध्यम ------------- जैलि -----------------------------जैल्या

उत्तम --------------जौलु--------------------------------जौला 

                   भावी कल्पना


पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य---------------- जावु-----------------------------जावोन 

मध्यम -------------जयें ------------------------------जवाँ

उत्तम --------------जवों-------------------------------जवाँ 

                 आज्ञार्थक

 
पुरुष -------------------एक वचन -------------------बहुवचन


अन्य----------------जावु ----------------------------जावोन

मध्यम -------------जा -----------------------------जावा

उत्तम --------------जवौं----------------------------जवां   

 चूँकि अबोध बंधु बहुगुणा ने इस तरह का कोई उदाहरण  नही दिया  अत: रजनी कुकरेती के उदहारण ही मान्य हैं

क्षेत्रीय बोली भेद अवश्यम्भावी है

सन्दर्भ


१- अबंधु बहुगुणा , १९६० , गढ़वाली व्याकरण की रूप रेखा, गढ़वाल साहित्य मंडल , दिल्ली ( Structure of Garhwali Grammar)
 


२- बाल कृष्ण बाल , स्ट्रक्चर ऑफ़ नेपाली ग्रैमर , मदन पुरूस्कार, पुस्तकालय , नेपाल (Structure of Nepali Grammar)

३- डा. भवानी दत्त उप्रेती , १९७६, कुमाउंनी भाषा अध्ययन, कुमाउंनी समिति, इलाहाबाद (Study of Kumauni Language Grammar)
 
४- रजनी कुकरेती, २०१०, गढ़वाली भाषा का व्याकरण, विनसर पब्लिशिंग कं. देहरादून ( Grammar of Garhwali Language)

५- कन्हयालाल डंड़रियाल , गढ़वाली शब्दकोश, २०११-२०१२ , शैलवाणी साप्ताहिक, कोटद्वार, में लम्बी लेखमाला (Garhwali- Hindi Dcitionary)
 
६- अरविन्द पुरोहित , बीना बेंजवाल , २००७, गढ़वाली -हिंदी शब्दकोश , विनसर प्रकाशन, देहरादून (Garhwali hindi Dictionary )

७- श्री एम्'एस. मेहता (मेरा पहाड़ ) से बातचीत
 
८- श्रीमती हीरा देवी नयाल (पालूड़ी, बेलधार , अल्मोड़ा) , मुंबई से कुमाउंनी शब्दों के बारे में बातचीत

९- श्रीमती शकुंतला देवी , अछ्ब, पन्द्र-बीस क्षेत्र, , नेपाल, नेपाली भाषा सम्बन्धित पूछताछ
 
१० - भूपति ढकाल , १९८७ , नेपाली व्याकरण को संक्षिप्त दिग्दर्शन , रत्न पुस्तक , भण्डार, नेपाल (Briefs on Nepali Grammar)

११- कृष्ण प्रसाद पराजुली , १९८४, राम्रो रचना , मीठो नेपाली, सहयोगी प्रेस, नेपाल (Nepali Grammar)
 
१२- चन्द्र मोहन रतूड़ी , गढ़वाली कवितावली ( सं. तारा दत्त गैरोला, प्र. विश्वम्बर दत्त चंदोला) , १९३४, १९८९

 

Comparative Study of Kumauni Grammar , Garhwali Grammar and Nepali Grammar (Grammar of , Mid Himalayan Languages ) to be continued ........
 
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