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Utttarakhand Language & Literature - उत्तराखण्ड की भाषायें एवं साहित्य
(Moderators:
Dinesh Bijalwan
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Saket Bahuguna
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Articles & Poem on Uttarakhand By Brijendra Negi-ब्रिजेन्द्र नेगी की कविताये
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Topic: Articles & Poem on Uttarakhand By Brijendra Negi-ब्रिजेन्द्र नेगी की कविताये (Read 43711 times)
Brijendra Negi
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Re: Articles & Poem on Uttarakhand By Brijendra Negi-ब्रिजेन्द्र नेगी की कविताये
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Reply #10 on:
August 31, 2012, 02:00:51 AM »
प्रवासी
(1)
मि प्रवासी सबसे खास
ल्हेकै अयूँ नै-नै आश
सबसे पैलि नौकरी पाई
द्वी उबर्यू की कोठि बणायी
शैर से दूर एक कूणा ग्याई
सड़क, न नाली न पाणि पाई
बिन्सरी बग्त जब बिजिली आई
सियूँ नौनु भी झसके ग्याई।
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720
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Re: Articles & Poem on Uttarakhand By Brijendra Negi-ब्रिजेन्द्र नेगी की कविताये
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Reply #11 on:
August 31, 2012, 02:40:04 AM »
नेगी जी बहुत बढ़िया आपने कविताओं के माध्यम से उत्तराखंड राज्य आन्दोलन का अच्छा व्याख्यान किया है ! जारी रखियेगा!
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Brijendra Negi
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Re: Articles & Poem on Uttarakhand By Brijendra Negi-ब्रिजेन्द्र नेगी की कविताये
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Reply #12 on:
September 03, 2012, 01:08:00 AM »
प्रवासी
(2)
रूप्या कमौण खुण प्रवासी ह्वाई
ठाट-बाट कु सुपन्या सजाई
प्रवासी जीवन मा सब कुछ मिटाई
आन-बान-शान-मान-मर्यादा गंवाई
भण्डा मुज्याण म भी शर्म नि काई
फिर्भि पलड़ो झुका नि पाई
अफु थई अप्रवासी से घरू कैर नि पाई।
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Brijendra Negi
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Re: Articles & Poem on Uttarakhand By Brijendra Negi-ब्रिजेन्द्र नेगी की कविताये
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Reply #13 on:
September 04, 2012, 01:06:19 AM »
प्रवासी
(3)
पलायन कैकी
स्यकुन्दका रंग-ढंग देखी
ह्वेग्या वे थई रकर्याट
बोली छोड़ी की
संस्कृति भूलिकी
जब
हर्च ग्या पछ्याण
तब खुज्याणु
अपण बोली की अप्ण्यास
कखि संस्था बणानु
कखि सभा
कभी सम्मेलन कर्द
कभी उत्तराखंड संध्या
पर आखिर कब तक....
जब तक च वेकि सांस
किलैकि
वेकि अगनै जो पीड़ी बणयी
वींथई अपण पछयाण
नि बथयीं।
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Brijendra Negi
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Re: Articles & Poem on Uttarakhand By Brijendra Negi-ब्रिजेन्द्र नेगी की कविताये
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Reply #14 on:
September 05, 2012, 01:56:35 AM »
उत्तराखंड मा महिलाओं की स्थिति
(1)
समर्पण
मैला-कुच्यल्या, फ्ट्या खुरदरा हाथ
मट्यण , म्वल्याना, खरश्यना गात
खुचिली माँ सिर्फ आंशू अर पीड़ा
खैरी ही जीवन कु एक मात्र रस्ता
जरा ईकी निष्टा त देखा।
गुढ्यार माँ बंध्या लैंदा-बैला गोर
द्वि पूली घास कु अट्क्द धार-धार
सासु की गाली अर पतरोल कु डौरल
जम्मा नि दयख्दी भ्याल-पाखा
जरा ईकी हिम्मत त देखा।
पुंगडी-पटल्यु की धाण-धंदा
नौना-बालों की अलग घिम्साण
द्वि बक्ता कि चुल्हा कि हलंकार
निकज्जू आदिम कि हालत खस्ता
फिर भी इंकू समर्पण त देखा।
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Brijendra Negi
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Re: Articles & Poem on Uttarakhand By Brijendra Negi-ब्रिजेन्द्र नेगी की कविताये
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Reply #15 on:
September 06, 2012, 02:22:25 AM »
(2)
समझदार
म्यारु आदिम
अप्णि ब्वे से
लुका-छुपा कै
मीखुण जब-कभि
खट्टी-मिट्ठी ल्यान्द
तब सासु मेरी
भारी-भारी सुणान्द
पर भै दीदि
तु कन छै भग्यान
न सासु न स्वसुर
निर्झरक
खुदी छै पधान
हाँ.......भुली
म्यारु आदिम
भारी समझदार
इस्कोलकु मास्टर
सब तै कर्द खबरदार
सर्या दिन बल
बच्चों तै भली शिक्षा दीन्द
अर अफु रोज
इस्कोली बटी
दारू पेकी लटकेंद आन्द
मीखुण ब्यखुंदा
ऊटपटांग बथा
अर
गिच्चा कि बास ल्यान्द
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Brijendra Negi
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Re: Articles & Poem on Uttarakhand By Brijendra Negi-ब्रिजेन्द्र नेगी की कविताये
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Reply #16 on:
September 10, 2012, 02:42:49 AM »
(3)
चिट्ठी
प्रिय प्राणनाथ सादर प्रणाम
जबाब दियाँ ठीक-ठाक छौ तुम
चिट्ठी लिखणा क्वी खाश बात नी चा
उन भि मीमा बक्त कमी चा
चिंता नि कर्या बिलकुल भि तुम
राजी-खुशी ठीक-ठाक छौ हम।
घार मा सब कुछ राजी-खुशि चा
बीन्दा बियायीं बछड़ी हुईं चा
लैन्दा कु ख़ूब सुख हुयूं चा
पर एक दूण् झुंगरु पैन्छु ल्हियूँ चा
चिंता नि कर्या बिलकुल भि तुम
राजी-खुशी ठीक-ठाक छौ हम।
बच्चों कि ड्रेस चिरे गीं अब
चाय-चिन्नी खतम हुईं सब
ध्वतुडु भि म्यारु चिरे ग्या कब
ग्यड़िकि मार-मारि कि चलाणु छौ अब
चिंता नि कर्या बिलकुल भि तुम
राजी-खुशी ठीक-ठाक छौ हम।
धुरप्वालि कि बोलि टुटण वली चा
बरखा मा सर्या मकान चूणु चा
उबरा का क्वारा द्यूंकल खायली
मन्ज्युलकु पाल भंया प्वर्णु चा
चिंता नि कर्या बिलकुल भि तुम
राजी-खुशी ठीक-ठाक छौ हम।
बुबाजि थए तुम्हरि खांसी हुईं चा
ब्याली बटी वूंकु तमखु खतम चा
ब्ये तुमरी आँखा नि द्यख्णी चा
हथ पखड़-पखड़ी सीढ़ी उगड़नी चा
चिंता नि कर्या बिलकुल भि तुम
राजी-खुशी ठीक-ठाक छौ हम।
हल्यल हैल नि लगा अब
पोरु साल का पैसा नि द्या जब
पुंगाड़ी-पटली बांझी प्वड़ि छी
कुटला ल खैन्डी गैथ बुत्या छी
चिंता नि कर्या बिलकुल भि तुम
राजी-खुशी ठीक-ठाक छौ हम।
ब्यालि मेरी दथुड़ी-चादरी लूटे ग्ये
किलैकी बूणा कि मिलाक नि ग्ये
बिजली कि लैन कैदिन कट ग्ये
पाणि वला भैजी तकरार कैर ग्ये
चिंता नि कर्या बिलकुल भि तुम
राजी-खुशी ठीक-ठाक छौ हम।
क्वथली-कुन्ना सब खाली होणी
भितर नी अब जम्मा अन्न-पाणि
चिट्ठी कर्दू मि अब बंद
आंख्यू मा भ्वरी भारी-भारि निंद
चिंता नि कर्या बिलकुल भि तुम
राजी-खुशी ठीक-ठाक छौ हम।
ध्यान रख्या कमली कु अप्णि
पैल तारीख च उन्नी भी आणी
झट कैर दियाँ मन्याडर तुम
रास्ता जग्वल्ना पोस्टमैन कु हम
चिंता नि कर्या बिलकुल भि तुम
राजी-खुशी ठीक-ठाक छौ हम।
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Brijendra Negi
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Re: Articles & Poem on Uttarakhand By Brijendra Negi-ब्रिजेन्द्र नेगी की कविताये
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Reply #17 on:
September 11, 2012, 03:39:50 AM »
(4)
जै जवान जै किसान
आदिम फौज मा
घरवली पुगड्यू मा
द्विया छि तैनात
जै जवान, जै किसान।
एककि बन्दूक ल
देश सुरक्षित रैन्द
हैंककि कुटिलि-दथुड़ी ल
दुनिया कि पुटिगी भ्वरेंन्द
जै जवान, जै किसान ।
एक चा सीमा कु प्रहरी
दुस्रा की चा निष्ठा गैरी
एक घार-गुठ्यार कि नौकरानी
दुश्रु भी कर्द वख बटमैनी
जै जवान, जै किसान।
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Brijendra Negi
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Re: Articles & Poem on Uttarakhand By Brijendra Negi-ब्रिजेन्द्र नेगी की कविताये
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Reply #18 on:
September 12, 2012, 01:54:16 AM »
(५)
सुपन्या बुणदी नीच
रोज
बिन्सरी मै बांध दीन्द
टिकबंधा टाईट कै
अर रुमुक प्वर्ण तक
कस्णि रैन्द बार-बार
दिन भर खान्द खैरि
कुटंबदरी खुण
पर थकदी नीच
राति खप्द आदिम अर
दुध्याल नौन्याल खुण
पर उनीन्दी नी च
सुपन्या द्यखण कु भी बक्त नी च
इलै
सुपन्या बुणदि नी च
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Brijendra Negi
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Re: Articles & Poem on Uttarakhand By Brijendra Negi-ब्रिजेन्द्र नेगी की कविताये
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Reply #19 on:
September 13, 2012, 01:41:30 AM »
(६)
जन्म दिन
नौनकु जन्म दिन पर
बरख पुजाणी, कथा कराणी
रंगत्याणी, तंगत्याणी, खुशि मनाणी
म्यारु नौनु एक साल हौर बडु ह्वे ग्याई
नौनी से जादा समझदार ह्वे ग्याई
अर नौनु ‘यू ट्यूब’, ‘फेस बुक’ पर
वे साल कखी हर्चायाई।
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