Author Topic: मध्य हिमालयी कुमाउनी , गढ़वाळी एवं नेपाली भाषाओं व्याकरण का तुलानाम्त्क अध्ययन  (Read 4912 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गढ़वाली शब्दकोष -भीष्म कुकरेती द्वारा
 
नेपाली कारक
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मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -13
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सम्पादन : भीष्म कुकरेती
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नेपाली कारक
Cases in Nepali
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कारक----------------------एकवचन ---------------------बहुवचन
कर्ता ------------------------ -------------------------------- हरु
कर्म -------------------------लाइ ----------------------------हरुलाई
करण ------------------------ल़े ------------------------------ हरुले
सम्प्रदान -------------------लाई ----------------------------हरुलाई
अपादान -------------------- बाट------------------------------ हरुबाट
संबंध ------------------------को -------------------------------हरुको
अधिकरण-------------------मा -------------------------------हरुमा
@ मध्य हिमालयी भाषा संरक्षण समिति

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गढ़वाली शब्दकोष -भीष्म कुकरेती द्वारा
August 23 at 5:29pm ·
कुमाउंनी भाषा में संधि
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मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -14
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सम्पादन : भीष्म कुकरेती
-
कुमाउंनी भाषा में संधि
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संधि दो ध्वनियों का जुड़ कर एक हो जाना है.
कुमाउंनी में दो तरह की संधियाँ पाई जाती हैं -
अ- स्वर संधि
ब- व्यंजन संधि
स्वर संधि के उदहारण
१- आन , इन, उन आदि का प्रयोग
च्याला = आन = च्यालान (आ+ आ = आ)
चेलि + इन = चेलिन (इ+ ई = ई )
गोरु = उन = गोरून (उ + ऊ = ऊ )
२- औट का प्रयोग
ओ + ओ = औ
तलौटो ( तलो + औ + ओ )
डलौटो ( डलो +औट +ओ )
व्यंजन संधि के उदाहरण
१- यदि पहले पद का ग् हो और दूसरा पद आदि ध्वनि ह् हो तो ग् और ह् = घ
आग् + हाल्नो = अघानो
२- लघु रूपता
अ- रुपिमिक अवस्था से प्रतिबंधित के पूर्णांक गणनात्मक संख्या वाचक रुपिमो के परस्पर जुड़ने पर -
तीन + बीस = तेईस
चार = बीस = चौबीस
ब- महाप्राण 'ठ' के पश्चात ह्रस्व ह आने से जोड़ शब्द में ह लोप हो जाता है
कांठा +हाल्नो = कांठान्नो
स- पहले पद का द्वित व्यंजन के दुसरे व्यंजन के आदि नजन के जोड़ में कभी कभी द्वी तत्व नही रह जाता है
अन्न +जल = अंजल
द- नासिक्य स्पर्श युक्त संख्या वाचक विशेषणों में विशेषण व्युत्पादक पर प्रत्यय अथवा स्वतंत्र रु से जुड़ने पर नासिक्य का लोप हो जाता है
तीन + बीस = तेईस
तीन + तीस =तैंतीस
ध- पूर्णांक गणनात्मक संख्या के साथ -गुण प्रत्यय जुड़ने से ध्वनि लोप है या कहीं ह्र्स्वी करण विद्यमान रहता है
१- तीन +गुनो= तिगिनो
चार + गुनो = चौगुनो
२- सात + गुनो =सतगुनो
आठ +गुनो = अठगुनो
न-- दो स्वतंत्र रूपिम समीप आंयें तो जुड़ने पर पहले के अन्त्य स्वर का लोप हो जाता है
गाड़ा+ ख्याता = गाड़ख्याता
गोरु + बकरा = गोरबकरा
ठुला + नाना = ठुल्नाना
प- यदि पहले पद का व्यंजनान्त और दुसरे पद का आदि व्यंजन समान हों तो तो एक का लोप हो जाता है
नाक = कटि =नकटि
नाक =कटो = नकटो
फ- ह्र्स्वीकरण और प्रतिस्पथान में लाघुरुप्ता हो जाती है
सात +ऊँ = सतूं
तेरा = ऊँ = तेरुं
भ- व्यंजन का अंत प्रतिपादक के उपरान्त यदि प्रत्यय आदी व्यंजन हो तो संयोग में प्रतिपादक व्यंजन ह्रस्व हो जाता है
कम + नि = कम्नि
म- ध्वनात्मक समानता -
रुपिमिक अवस्था से प्रतिबंधित सीमा में गणनात्मक संख्यावाचक प्रतिपादक जैसे चालीस, तीस पहले उन जुड़ने से परवर्ती व्यंजनध्वनि लोप हो जाती है
उन + चालीस-= उन्तालिस (उनचालीस)
गं - विस्तार
योगिक क्रिया में विस्तार हो
द्वि + सरो = दुसोरो
तीन + सरो = तिसोरो

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गढ़वाली शब्दकोष -भीष्म कुकरेती द्वारा
August 23 at 5:32pm ·
कुमाउंनी भाषा में संधि
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मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -14
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सम्पादन : भीष्म कुकरेती
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कुमाउंनी भाषा में संधि
-
संधि दो ध्वनियों का जुड़ कर एक हो जाना है.
कुमाउंनी में दो तरह की संधियाँ पाई जाती हैं -
अ- स्वर संधि
ब- व्यंजन संधि
स्वर संधि के उदहारण
१- आन , इन, उन आदि का प्रयोग
च्याला = आन = च्यालान (आ+ आ = आ)
चेलि + इन = चेलिन (इ+ ई = ई )
गोरु = उन = गोरून (उ + ऊ = ऊ )
२- औट का प्रयोग
ओ + ओ = औ
तलौटो ( तलो + औ + ओ )
डलौटो ( डलो +औट +ओ )
व्यंजन संधि के उदाहरण
१- यदि पहले पद का ग् हो और दूसरा पद आदि ध्वनि ह् हो तो ग् और ह् = घ
आग् + हाल्नो = अघानो
२- लघु रूपता
अ- रुपिमिक अवस्था से प्रतिबंधित के पूर्णांक गणनात्मक संख्या वाचक रुपिमो के परस्पर जुड़ने पर -
तीन + बीस = तेईस
चार = बीस = चौबीस
ब- महाप्राण 'ठ' के पश्चात ह्रस्व ह आने से जोड़ शब्द में ह लोप हो जाता है
कांठा +हाल्नो = कांठान्नो
स- पहले पद का द्वित व्यंजन के दुसरे व्यंजन के आदि नजन के जोड़ में कभी कभी द्वी तत्व नही रह जाता है
अन्न +जल = अंजल
द- नासिक्य स्पर्श युक्त संख्या वाचक विशेषणों में विशेषण व्युत्पादक पर प्रत्यय अथवा स्वतंत्र रु से जुड़ने पर नासिक्य का लोप हो जाता है
तीन + बीस = तेईस
तीन + तीस =तैंतीस
ध- पूर्णांक गणनात्मक संख्या के साथ -गुण प्रत्यय जुड़ने से ध्वनि लोप है या कहीं ह्र्स्वी करण विद्यमान रहता है
१- तीन +गुनो= तिगिनो
चार + गुनो = चौगुनो
२- सात + गुनो =सतगुनो
आठ +गुनो = अठगुनो
न-- दो स्वतंत्र रूपिम समीप आंयें तो जुड़ने पर पहले के अन्त्य स्वर का लोप हो जाता है
गाड़ा+ ख्याता = गाड़ख्याता
गोरु + बकरा = गोरबकरा
ठुला + नाना = ठुल्नाना
प- यदि पहले पद का व्यंजनान्त और दुसरे पद का आदि व्यंजन समान हों तो तो एक का लोप हो जाता है
नाक = कटि =नकटि
नाक =कटो = नकटो
फ- ह्र्स्वीकरण और प्रतिस्पथान में लाघुरुप्ता हो जाती है
सात +ऊँ = सतूं
तेरा = ऊँ = तेरुं
भ- व्यंजन का अंत प्रतिपादक के उपरान्त यदि प्रत्यय आदी व्यंजन हो तो संयोग में प्रतिपादक व्यंजन ह्रस्व हो जाता है
कम + नि = कम्नि
म- ध्वनात्मक समानता -
रुपिमिक अवस्था से प्रतिबंधित सीमा में गणनात्मक संख्यावाचक प्रतिपादक जैसे चालीस, तीस पहले उन जुड़ने से परवर्ती व्यंजनध्वनि लोप हो जाती है
उन + चालीस-= उन्तालिस (उनचालीस)
गं - विस्तार
योगिक क्रिया में विस्तार हो
द्वि + सरो = दुसोरो
तीन + सरो = तिसोरो
https://www.facebook.com/bhishmkukreti/?hc_ref=ARRVtJB-LoRlr3_3XM6o2HG_eUTl5C-jOpPCz8Gthx74R2NUKMgXukjPfj973HZhyjk&fref=nf

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गढ़वाली शब्दकोष -भीष्म कुकरेती द्वारा
August 23 at 5:38pm ·
गढ़वाली भाषा में संधि
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मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -15
सम्पादन : भीष्म कुकरेती
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गढ़वाली भाषा में संधि
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डा भवानी दत्त उप्रेती ने जहाँ कुमाऊंनी भाषा में दो प्रकार की संधियों के बारे में पुष्टि की वहीं अबोध बंधु बहुगुणा ने गढ़वा ळी में तीन प्रकार की संधियों के उदहारण सहित व्याखा की है
श्रीमती रजनी कुकरेती ने संधियों का विभागीकरण न कर केवल उदहारण दिए हैं.
बहुगुणा अनुसार की संधि इस प्रकार हैं
१- स्वर संधि
२- व्यंजन संधि
३- वि:सर्ग संधि
गढ़वाली में स्वर संधि
गढ़वाली भाषा के महानतम विद्वान् व लेखक अबोध बंधु बहुगुणा ने स्वर संधियों में किया
अ- दीर्घ स्वर संधि :
झट +आदि = झट्टदि
झट् + ट् = झट्ट
गंध + अक्षत = गंधाक्षत
ब- गुण स्वर संधि:
सुर +इंद्र = सुरेन्द्र
सुख + इच्छा = सुखेच्छा
बड़ो + उड़्यार = बड़ोड़्यार
स- वृद्धि स्वर संधि
जण + एक = जणेक, जणैक
तंत = उखद = तंतोखद
द- यण स्वर संधि
भैजी + आदि = भैज्यादि
बौजि + औरु = बौज्योरू
इ- अयादी चतुष्टय संधि
ने + अन = नयन
पो + इतर = पवितर
२- गढ़वाली में व्यंजन संधि
वाक् + ईस
दिक् + गज = दिग्गज
३- गढ़वाली में विस:र्ग संधि
दु: + कर्म = दुस्कर्म
अध्: + गति = अधोगति
शुरुवाती आधुनिक गढ़वाली के कवि चंद्रमोहन रतूड़ी की कविताओं में कुछ विशेष संधि युक्त शब्द भी मिलते हैं
पैर + टेक = पैर्टेक
बढ़दि + और = बढ़द्यौर
बुंदुन + यख + इंद्र= बुंदुन्यखेंद्र
मृग + और + अन्द्कार = मृगौरंधकार
आतुर - और + स्वास = आतुरोर्स्वास
गढ़वाली में संधि व परसर्ग विलोपन
गढ़वाली में संधि व परसर्ग विलोपन भी होता है और कई एक जैसे उच्चारण वाले शब्दों की रचना हो जाती है. श्रीमती रजनी कुकरेती ने निम्न उदहारण दिए हैं
लिखित रूप -------------------उच्चारण ----------------------------वास्तविक अर्थ
तक्खौ -------------------------तखौ ----------------------------------- तख़ च
तख़ औ -----------------------तखौ -------------------------------------तख़ औ
तखौ --------------------------तखौ -------------------------------------तख़ कु
तखै----------------------------तखै---------------------------------------तख कि
तख ऐ ------------------------तखै---------------------------------------- तख ऐ
तख आ ----------------------तखा ---------------------------------------- तख आ
तखाS -----------------------तखा ---------------------------------------तख का
स्यै --------------------------- स्यै ----------------------------------------स्या इ
स्वी ---------------------------स्वी ----------------------------------------स्यू इ
वै ------------------------------वै -------------------------------------------वा इ
वी ------------------------------वी ----------------------------------------- वु इ
त्वी -----------------------------त्वी-----------------------------------------तू इ
जखी --------------------------जखी --------------------------------------- जख इ
तखी --------------------------- तखी --------------------------------------तख इ
सीतै ----------------------------- सीतै---------------------------------------- सीता इ
मिनी ---------------------------मिनी ----------------------------------------मिं इ
तन्नि-----------------------------तन्नि ---------------------------------------तन इ
रामी ------------------------------रामी -----------------------------------------राम इ
रामि का अर्थ गाय/भैंस का भूतकाल का राम्भना भी होता है यथा या गौड़ी किलै रामि होली ?
संदर्भ:
१- अबोध बंधु बहुगुणा , १९६० , गढ़वाली व्याकरण की रूप रेखा, गढ़वाल साहित्य मंडल , दिल्ली

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गढ़वाली शब्दकोष -भीष्म कुकरेती द्वारा
August 23 at 6:15pm ·
कुमाउंनी में शब्द स्तर के समास
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मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -17
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सम्पादन : भीष्म कुकरेती
-
कुमाउंनी में शब्द स्तर के समास
Compound in Kumauni Language
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जब दो या दो से अधिक शब्दों के मध्य आपसी सम्बन्ध बताने वाले शब्दों अथवा प्रत्ययों के लोप हो जाय तो इस प्रकार निर्मित शब्दों को सामासिक शब्द कहा जाता है अथवा इस प्रकार के स्वतंत्र शब्द निर्माण को समास खा जाता है.
१- कुमाउंनी में शब्द स्तर के समास
शाग-पात
कमर-ज्योडि
बाल-गोपाल
बोट-डाळा
२- कुमाउंनी में सर्वनाम समास प्रक्रिया
ज्वे - क्वे
शब् -क्वे
3- कुमाउंनी में विशेषण समास प्रक्रिया
घर -घुग्गु
मन-मौजि
४- क्रिया
घुश-पैठ
चल-फिर
५-- क्रिया विशेषण
शैज-शैज
माठुमाठु
घडि -घडि (डि को छोटी डि पढ़ें)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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नेपाली में प्रत्यय उदहारण
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मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -30
Bhishma Kukreti
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नेपाली में प्रत्यय उदहारण
-
ना --- गार्दैना , खादैना (सभी क्रियाएं )
लाइ - हरुलाई
ल़े - हरुले
बाट- हरुबाट
को - हरुको
मा - हरुमा

इन
इस
यो
यौ
एन
एनौ
एनन
चाहि - ठुल़ोचाहि
होला - हाक्नुहोला
वार - आइतवार
आई- हंसाई
इलो- दुधिलो
आरि- भिखारि
एर- भुएर (हू + एर)
आड़ - दिपाड़
चा - क्याहचा
चा - बिराटचा

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गढवाली में प्रत्यय
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मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -29
Bhishma Kukreti
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गढवाली में प्रत्यय
अबोध बंधु बहुगुणा ने गढ़वाली भाषा में दो प्रकार के प्रत्ययों की विवेचना की है- १-कृत प्रत्यय और २- तद्धित प्रत्यय.
जब कि रजनी कुकरेती ने तीन प्रकार के प्रत्ययों की विवेचना की है- १-क्रिया प्रत्यय २- कृत प्रत्यय व ३-तद्धित प्रत्यय , . व्याकरणीय दृष्टि व सही प्रयोग की दृष्टि से रजनी की विवेचना तर्क संगत है
१- क्रिया प्रत्यय
धातु में जब प्रत्यय लगते हैं तो क्रिया बज जाय उसे क्रिया प्रत्यय खते हैं
आणु -- खाणु
आणि - कहानी
आन्दु -- खांदु
अन्दन - खान्दन
ऐगि - खैगि
एगेन - खैगेन
कृत प्रत्यय
जब शब्द कोई संज्ञा , विशेषण या क्रिया विशेषण बनाते है तो वे शब्द कृत प्रत्यय कहलाते हैं
वळु, वळा/ वळी --खाणवळु, खाणवळा, घटवळी
अन्दरू/अन्दरा - खन्दरु/खंदरा
आलु/ऐलु - झगडालू/झगडैलु /बिगडैलु
सार - मिलनसार
एकी- पकी
दिदां - देदिदां
तैं - जैकितैं
गिरि - पटवरिगिरि
कुछ शब्द भाववाचक संज्ञा बनाते है जैसे
चढ़न से चढ़े (ढ़ +ऐ)
मुतण से मुताड़
गाण से गवय्या
रुण से रुताडु
जग्वळण से जग्वाळ
, हुणमांग, बरज़ात आदि
तद्धित प्रत्यय
वळु - घौरवळु
अरु - म्यारु
गुणु -दुगुणु
अङ्गत - पंगत
या - दुघर्या
अणि - सलाणि
याण - सड़याण
दां - तेरिदां

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कुमाउंनी में प्रत्यय
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मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -28
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Bhishma Kukreti
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कुमाउंनी में प्रत्यय
१- संज्ञा संरचक प्रत्यय
अ- स्वदेशी
ब- विदेशी
क- स्वदेशी संज्ञा संरचक प्रत्यय
आद् + अ आद
हांण +आ = हाणा
श्यार + आ = श्यारा
चौथ = इ = चौथि
सफेद + इ = सफेदि
बीश = इ = बीशि
हंश + इ = हंशि
पौंच +इ = पौंचि
झाड + उ = झाडु
परि =उ = परु
बुर = ऐ = बुरै
ढूंढ़ + ऐ = ढुंढऐ
ठंड +ऐ = ठनडै
उखाल = ओ = उखालो
ताल = ओ = तालो
पार + ओ = पारो
गड़ +ओ = गड़ो
lekh + न +ओ = लेखनो
हिट + न + ओ= हिट्नो
पड़ + औ = पडौ
तल् + औ = तलौ
ढोल= क + इ = ढोलकि
ठंड + अक = ठंडक
ज - किसी रिश्ते का द्योतक - भतीजो/ भतिजि
ट- लिंग बोधक ---- रमटा
बच् + अत = बचत
लग् +अन= लगन
सुहाग = अन = सुहागन
कल् + आट =कल्लाट
नौर+ आट = नौराट
शल्ला + आड़ - इ = शल्याडि
बर + आत= बरात
कह + आन+_ इ = कहानि
लु + आर = ल्वार
घास + आर + इ = घस्यरि
घास + आर + ओ = घस्यारो
निरबट +आर + ओ = निब्टारो
भांग = आल = भंगाल
बोल + आव + आ = बुलाला
शौर = आश =शौराश
कश + इण = इ = कशिणि
लुट + इया =लुट्या
हल + इया= हलिया
बानर + इया = बनरिया
पील + इया =पीलिया
भितर + इया = भितरिया
टहल + उआ = टहलुआ
कट + उआ =कटुआ
कर + ऐठ + ओ =करेठो
बज+ एड़ = बजेड़
कम +एड़ = कमेड़
बद +एत = बड़ेत
कोठो +अर +इ = कोठरि
मिल +आप = मिलाप
भर+ आन + ओ =भरानो
दयोरा +आन = द्यौरान
साल + आन +आ = सालाना
घाणो +एल + घणेल
पंच + ऐत=पंचैत
चुकिलो +ऐन +इ =चुकिलैनि
रख + एल = रखैल
खो + आल +आ = ख्वाला
गौ +आ; +ओ = ग्वालो
बाटो +उल +इ = बाटुलि
दाम + ओड़ +इ दामडि
तिन + ओड + ओ =तिनोड़ो
हाथ = औड़ ओ =हथौड़ो
शिर +औण + ओ =शिरौणो
कट + औट + इ=कटौति
बिछ +ऑन + ओ = बिछौनो
आदिमि+ ऑल + इ = आद्म्यौलि
धींग + ऑल = इ = धिंगयौलि
भेट + ऑल + इ = भेटौलि
बड़ +अप्पन = बडप्पन
बन + आवट = बनावट
गरम + आहट = गरमाहट
शौ+कड़ +ओ = शैकड़ो
गो + ठ =गोठ
बस + ति =बस्ति
शाड़ +न +ओ =शाड़नो
शत +ल़ा = शल्ला
पिछ = वाड़ + ओ = पिछ्वाड़ो
खिल + वाड़ =खिलवाड़
ब- विदेशी प्रत्यय
बाग़ +इचा =बगिचा
जान + कार =जानकार
गम +खोर =गमखोर
इसी तरह के शब्दों में प्रत्यय हैं - कुल्लिगिरी , तबलची, हरामजादा आदि
स्वतंत्र प्रत्यय
छाप = खान +ओ = छापोखानो और इसी तरह - बीड़ीबाज, उमेदवार , रन्ग्शाज आदि
कुछ स्वदेसी प्रत्यय इस प्रकार हैं
बुड +काल = बुड्याकाल
मल + कोट =मलकोट
नान + तिन =नानतिन
चु+ दान+ इ =चुदानि
खोल + देलि =खोल्देलि
तैल + फाट =तैलफाट
माह + वार +इ = माहवारि
तलि+ शार +इ = तलिशारि
घर +वाल + इ =घर्वालि
घर +वाल +ओ =घरवालो
पी +हर = पीहर
हनों +हार = होनहार

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गढ़वाली शब्दकोष -भीष्म कुकरेती द्वारा
 
नेपाली में उपसर्ग
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मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -27
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Bhishma Kukreti
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नेपाली में उपसर्ग
बे ---------------------------बेकारी
निर्-------------------------निर्दोष
अन-------------------------अनपढ़
हर ---------------------------हरघडी
ल़ा ---------------------------लापरवाह
सर -------------------------सरजिमिन

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गढ़वाली शब्दकोष -भीष्म कुकरेती द्वारा
August 23 at 7:45pm ·
गढ़वाली में उपसर्ग
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मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -२६
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Bhishma Kukreti
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गढ़वाली में उपसर्ग
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उपसर्ग -------------------------------------शब्द
अ------------------------------------------ अजाण ,
अण----------------------------------------अणबुल्या , अणबिन्ग्या
अध् -----------------------------------------अध्पक्युं,
कु- -------------------------------------------कुसवोर्या
नि -------------------------------------------- निखाणी
चौ -------------------------------------------चौसिंग्या, चौमुख्या
बे -----------------------------------------बेबगत
दु ---------------------------------------- दुपाळी
दुर-----------------------------------------दुरमति
एक -------------------------------------एकहड्या
इक -------------------------------------इकसनी
क्या ----------------------------------क्याबुन्या -क्याकन्या
भौं -----------------------------------भौकुछ
धौ -----------------------------------धौकरी
फुंड /फंड ---------------------------फंडफूक/फुंफूक
पर-------------------------------------------परचेत
सु--------------------------------------------सुनिंद

 

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