Author Topic: Terms used in Uttarakhandi language-उत्तराखण्डी टर्म :D  (Read 6027 times)

राजेश जोशी/rajesh.joshee

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महर जी,
आपके इस टर्म पर मुझे स्कूल की याद आ गयी, एक हमारे  प्रवक्ता थे श्री वी०सी० जोशी जी वह कहते थे कि पानी की उप्लब्धता का बोध पहाड़ी में पानी बोलने से ही हो जाता है
जैसे किसी ने बोला "पानि" तो पानी प्रचुर मात्रा में उप्लब्ध है
अगर बोला "पानी" तो पानी है पर उतना नही
अगर बोला "पाऽऽऽऽऽऽणी" तो कम है और दूर है।
अगर बोला "पाऽऽऽऽऽऽण" तो पानी बहुत कम और दूर है।


एक और मजेदार टर्म है, टर्म क्या कह लीजिये कि शब्दों द्वारा उसकी ग्रेविटी को बोध कराने वाली चीज है। इसमें होता यह है कि जब भी कोई शब्द बोला जायेगा तो उस शब्द की सार्थकता उसके उच्चारण से बता दी जायेगी।
जैसे किसी ने बाघ देखा और बाघ खतरनाक था, तो उसे ऐसे बताया जायेगा।
बब्बा हो....बाघ त महाराज भौत ही खतरऽऽऽऽऽऽऽनाक ठैरा हो।
देहरादून को बहुति दूऽऽऽऽऽर हुआ, गैरसैंण सब जगह से नजदीक हुआ भल।
अंधेरा है तो बहुत ही अन्धेऽऽऽऽऽऽरा था हो।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dhau Lali
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In gone days, women used to quote this word. This is word related to nostalgia. 

हुक्का बू

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हैंऽऽऽऽ ला- सम्बोधन ठैरा ईजू, किसी को सम्बोधित करना हआ तो श्रीमान/श्रीमती न कहकर प्यार से कह देने वाले ठैरे हैंऽऽऽऽऽऽला मोहन घर बटी कि ल्याछे ला?
हाई इसमें एक और आ गया "ला" और "ली" पुरुषो के लिये ला और महिलाओं के लिये ली लगाया जाता है। जैसे कां बटी ऊनेछे ला? कां बटी ऊनेछे ली?

ह्वै ग्यो- उपहास कारक, मैने बाघ का पुछौड़ पजड़ के रिटा दिया, रिप्लाई ह्वै ग्यो ला....!

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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ओ इजा .... एक टर्म है जो डरने पर अपनेआप आ जाता है, जैसे साप को देखते ही मुह से निकल जाता है ओ इजा चटके है छि   

पंकज सिंह महर

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ओ इजा .... एक टर्म है जो डरने पर अपनेआप आ जाता है, जैसे साप को देखते ही मुह से निकल जाता है ओ इजा चटके है छि

 ;D  ;D  ;D मजे की बात तो यह ठैरी की शादी के बाद सबकुछ स्याणि ही हो जाने के बाद भी ’अओ स्याणि’ नहीं निकल पाता। ओ ईजा ही निकलता है.......... ;) ;) ;)

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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हत्तमारी भी एक टर्म है जो नुक्सान हो जाने के बाद अपसोच जताने के लिए बोला जाता है हत्तमारी एक गिलास दूध ढ़ोय है

Lalit Mohan Pandey

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बाब हो मेरी  :   बाब हो मेरी आफत आ गै हिटना मै. (बहुत मुस्किल होना किसी चीज का)
भौsssति - Means बहुत अधिक,   खाsssल्ली - ऐसे ही बेकार मै (बिना सोचे समझे) :  भौsssति दूर ठेरा हो वो, ऐसे थोड़ी न पंहुचा जाने वाला हुआ, खाsssल्ली कह देने वाले हुए तुम भी.   

हेम पन्त

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एक और शब्द है - "ने हारि"

इसका प्रयोग ’अरे नहीं’ वाले अर्थों में होता है. यह शब्द आप डीडीहाट, बागेश्वर, गंगोलीहाट, बेरीनाग के इलाके के लोगों के मुख से ही सुन पायेंगे.

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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"होई कौ"  बात के समर्थन मैं बोला जाता है जैसे सबन कै पेड़ लागुन चैन  होई कौ , जंगलों मैं आह नि लागुन चैन होई कौ

हेम पन्त

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हरेsss हर - किसी वस्तु / मनुष्य की याद आने पर अथवा दुख की अवस्था में प्रयोग होता है.

हरेss हर कस भला दीन थ्या उंन!!

 

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