Author Topic: Terms used in Uttarakhandi language-उत्तराखण्डी टर्म :D  (Read 6042 times)

हेम पन्त

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कठ्याड़ - कुमाऊंनी भाषा का एक विशिष्ट शब्द है. इसके सापेक्ष हिन्दी शब्द बता पाना सम्भव नहीं है. सामन्यतया ऐसी वस्तु के लिये प्रयोग किया जाता है जो बेकाम की हो.

प्रयोग - आज पता नहीं मेरे मोबाइल को क्या हो गया, ’कठ्याड़’ सही ढंग से काम ही नहीं कर रहा है.

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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कुछ बच्चो को डराने वाले शब्द -
भाम - गिराने से बचाने के लए प्रयोग होता जय जैसे भीड़ लै न जा भाम है जाली
हूह  - यह जलने से बचाने के लिए प्रोग होता है लाल कोयला देखकर हूह हूह

हेम पन्त

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जलने वाली चीज से बच्चों को डराने के लिये "झी" शब्द का भी प्रयोग किया जाता है. 

वहाँ मत जाना  हाँ, उधर ’झी’ हैं.

पंकज सिंह महर

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धौ होना-  इच्छा भर जाना, धौ हो गई काम करके?
 
होश्को- नकल करना, कापी करना, उक होस्को नि कर, उ डबलन वालो छु।
 
मान्तर- लेकिन, किन्तु, परन्तु, गाड़ी तो ठीक लाया मान्तर रंग चटख है।
 
फाम- होश, हवाश  कुछ फाम है कि नहीं रात हो गयी और तू सोया ही है।
 
भैम- भ्रम, मेरे को ना भैम हो रहा है, वो ढेपू-टाक देगा या नहीं करके।

पंकज सिंह महर

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पित्त, पित्ती - यह भी एक टर्म है जो उकता जाने (Fed up) के लिये प्रयुक्त होता है। जैसे ये काम कर-करके पित्ती गया हूँ, अब सोच रहा हूं कुछ नया किया जाय।

इसे देख-देख कर पित्त आ गई है मुझे।

पंकज सिंह महर

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जहां हिन्दी जैसी समृद्ध भाषा में भी महक के लिये दो ही शब्द हैं, खुशबू और बदबू, वहीं कुमाऊंनी में इसको और डिफाइन किया गया है।

कीड़ैन- बाल या खाल आदे जलने की बदबू
हन्तरैण- कपड़ा जलने की बदबू
भड़ैन- किसी वस्तु के जलने की बदबू
श्येतैन- सीलन के कारण आने वाली बदबू
चुरैन- पेशाब की बदबू
गुवैन- मानव मल की बदबू
खोखेंण- मिर्च जलने की बदबू
इसी प्रकार से स्वाद को अलग-अलग डिफाइन किया है
 
हल्दैन-हल्दी की अधिकता का स्वाद
टमाटरैन-टमाटर की अधिकता का स्वाद
बसैन-बासी होने का स्वाद
भुटैण- ज्यादा भुने होने का स्वाद
 

 

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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इसी तरह जहा हिंदी मई पत्थर है और अंग्रेजी में stone , लेकिन पहाड़ी में देखिये-
ख्यर - छोटे छोटे पत्थर
ल्वाड  - थोडा बड़ा पत्थर
गंल्वाद  - कुछ और बड़ा पत्थर
डासि    - मजबूत पत्थर
दुंग    - माकन बनाने वाला पत्थर
दाव     - पत्थर वाली जमीन

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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बल - सुनी हुई बात को कहना,  जैसे - महेंद्र सिंह धोनी ली ब्या कर है बल,

विनोद सिंह गढ़िया

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Famous Uttarakhandi Language term.

 

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