Author Topic: Terms used in Uttarakhandi language-उत्तराखण्डी टर्म :D  (Read 6026 times)

पंकज सिंह महर

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साथियो,
आधुनिकता के इस दौर में अंग्रेजी जहां अनिवार्यता बन रही है। लेकिन इसी के साथ-साथ अपनी बोली-अपनी भाषा के प्रति भी मोह बढ रहा है। आज हम लोग अपनी सामान्य बोलचाल (हिन्दी) के दौरान अंग्रेजी के टर्म का उपयोग करते हैं, शायद इससे हम अपने आप को ज्यादा सुघड़ और एडवांस  ;D  दिखाने का प्रयास करते हैं।  :o  हम अक्सर यह भी कोशिश करते रहते हैं कि पहाड़ी टर्म ना निकले  ??? , कहीं किसी को एहसास न हो कि हम पहाड़ी हैं। लेकिन ये छोटे-छोटे टर्म हमारी शर्म न होकर हमारी पहचान होते हैं।
यहां पर हम ऐसे ही पहाड़ी टर्म आपस में बाटेंगे और गर्व के साथ अपने लोगों के बीच सामान्य बोलचाल में प्रयोग करेंगे।

पंकज सिंह महर

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इस टापिक का ख्याल ऐसे आया एक बार मैं अहमदाबाद गया था, जाड़ों के दिनों में सुबह तीन बजे मेरी ट्रेन अमदाबाद पहुंची, जिसे मुझे लेने आना था उसकी गाड़ी पंक्चर हो गई और उसने बताया कि आधा घंटा लगेगा। मैं अकेला प्लेटफार्म पर विचर रहा था तो एक सज्जन किसी से फोन पर बतिया रहे थे कि ऐसा हुआ बल। बस मैने बल पकड़ लिया और समझ लिया कि ये आदमी पहाड़ी है। मैने उनसे बातचीत की तो पता चला वे रुद्रप्रयाग के हैं। फिर तो ऐसी छनी की आज भी हम लोग अच्छे मित्र हैं और महीने में एक बार हमारी बातचीत होती है।

इसलिये हमारी बोली के ये छोटे-छोटे टर्म (short Terms) ऐसे समय में हमारी बहुत सहायता कर सकते हैं। इसलिये आइये जानें इनके बारे में भल  :D

पंकज सिंह महर

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ठैरा- यह एक ऐसा टर्म है, जिसे अधिकांशतः सामान्य बातचीत में प्रयोग किया जाता है। जैसे उत्तराखण्ड के विकास को लेकर चर्चा हो रही हो, तो कहा जायेगा। ऐसा ही ठैरा, कौन करेगा विकास

हो - हो का भी प्रयोग बहुतायत होता है, जैसे ऐसा ही हुआ हो

महाराज- किसी को भी सम्बोधित करते समय कहा जाता है, आजकल कहां हो महाराज

बल या भल यह सबसे प्रचलित शब्द है, इसका मतलब तो यह हुआ कि ऐसा किसी ने कहा, उसे मालूम ही नहीं कि किसने कहा, जैसे कहीं पर गाड़ी गिरी तो बताया जायेगा कि कल गाड़ी गिरी हो भल वहां

पंकज सिंह महर

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करके यह भी बहुत प्रयुक्त होता है, जैसे आज राम सिंह कहीं जा रहा था, मैने पूछा कि कहां जा रहा है तो बता रहा था कि दिल्ली जा रहा हूं करके|

पंकज सिंह महर

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धैं -  देखते हैं फिर, चुनौती के लिये प्रयुक्त होता है, जैसे किसी ने कहा "मैं हाथ से पत्थर तोड़ सकता हूं" तो चुनौती के लिये कहा जायेगा, धै, तोड़ फिर
पै
- नहीं कर सकोगे, मजाक बनाने के लिये, जैसे किसी ने कहा "मैं हाथ से पत्थर तोड़ सकता हूं" तो उसे यह बताने के लिये कि तुम नहीं कर सकते तो कहा जायेगा, पैं, कर हाली त्युल

दऽऽऽअ - विस्मय कारक शब्द भी है, उपहास कारक भी है|
 
दिगौ ऽऽऽला पुराने दिनों को या किसी को याद करने के लिये प्रयुक्त होता है, दिगौऽऽऽऽला काफल, हिसालू

पंकज सिंह महर

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हाऽऽई- आश्चर्य के लिये प्रयुक्त होता है, जैसे उर्वादत्त ने तो इस बार इण्टर टाप किया बल हो, तो उत्तर आयेगा हाऽऽई, उर्वादत्त ले?

अं- इसे शायद लिखा नहीं जा सकेगा, किसी की बात पर हां कहने के लिये प्रयुक्त होता हैं, एक अलग उच्चारण के साथ अं

हेम पन्त

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पट्ट - अत्यल्प मात्रा में.
प्रयोग - यार तुझे पट्ट अक्कल नही है.

कथप - कहीं बहुत दूर
प्रयोग - आज हम साथ हैं कल तू कथप दूssर चला जायेगा.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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  कसप :
 
  मैंने यह शब्द कई बार लोगो को आम बोल चाल की भाषा में इस्तेमाल करते हुए   देखा है!
 
  कसप का मतलब होता है : कौन जानता है, और सीधे शब्दों में -  मुझे इसका मतलब   पता नहीं है!
 


पंकज सिंह महर

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क्याऽऽप- कुछ अनोखा सा, दीवान सिंह भी क्याऽऽप आदमी ठैरा यार।
 
अणकस- अजीब , दीवान दा, तुमने भी अणकस बात कह दी हो।
 
मतलब-  ये मतलब भी सामान्य बोलचाल में कई बार बेमतलब ही प्रयुक्त होता है।  :o

पंकज सिंह महर

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एक और मजेदार टर्म है, टर्म क्या कह लीजिये कि शब्दों द्वारा उसकी ग्रेविटी को बोध कराने वाली चीज है। इसमें होता यह है कि जब भी कोई शब्द बोला जायेगा तो उस शब्द की सार्थकता उसके उच्चारण से बता दी जायेगी।
जैसे किसी ने बाघ देखा और बाघ खतरनाक था, तो उसे ऐसे बताया जायेगा।
बब्बा हो....बाघ त महाराज भौत ही खतरऽऽऽऽऽऽऽनाक ठैरा हो।
देहरादून को बहुति दूऽऽऽऽऽर हुआ, गैरसैंण सब जगह से नजदीक हुआ भल।
अंधेरा है तो बहुत ही अन्धेऽऽऽऽऽऽरा था हो।

 

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