Author Topic: UTTARAKHANDI LANGUAGE TERMINOLOGY WITH DEFINITION- हमरी बोली  (Read 11829 times)

Risky Pathak

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Kweeda: Ye shabd bhi kweed se bna hai.

Jiski Aankhe Bluish Hoti hai, un aakho ko kweeda aankhe khte hai..


कुवीड
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पहाडो में जब गर्मी के दिनों में एक अजीब का धुधली परत आ जाती है जिसे एक पहाड़ की दूसरी पहाड़ की चोटी अच्छी दंग से नहीं दिखाई देती है!  इस स्थानीय भाषा में कहते है कुवीड ! दानो मा कुवीड फगी गे ! यानी पहाडो में कुवीड आ गयी है ! इसका कारण तेज गर्मी और जंगलो में लगने वाली आग ही होती है !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Batuli Lagana
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There is belief amongst the people whenever any start hiccupping, people presume that somebody his missing that person. In Uttarakhand specially kumoan area, this hiccupping up is called as “Batuli”. There is mentioned “Batilu” in the folk songs also. Like

-   Tak Taka Tak Kamala Batuli Lagayee
             Pardesh Muluk pai ghar bulayee

-   Ghut-2 Batuli Suwa, Lagi Hicura.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मस्चुन्गाई

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हमारे वरिष्ठ सदस्य श्री डी एन बडोला जी का यह article पढिये
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मस्चुन्गाई  ( वर पक्ष का दूत, वधू के द्वार )

पर्वतीय अंचल मैं जब वर वधू की शादी रचाई जाती है तो अनेक रश्में निभाई जाती है  मोबाइल व इन्टरनेट के युग मैं आज भी वधू के बाकायदा  आगमन की सूचना देने हेतु मस्चुन्गाई, मन्ग्च्बाई या मस्चोई को वधू पक्ष के घर भेजा जाता है.  मस्चुन्गाई कंधे मैं मॉस की दाल (उरद की दाल ) व चावल की थैली तथा  हाथों मैं दही की ठेकी लेकर वधू पक्ष के घर जाता है.(कुछ लोग मास व चावल नहीं ले जाते हैं) उसे ससम्मान पिठ्याँ लगा व दक्षिणा देकर पठाया जाता है  दही की ठेकी पीले वस्त्र मैं लपेटकर व कच्ची हल्दी तथा एक मुट्ठा हरी साग (सब्जी) व दूब  के साथ भेजी जाती है. वधू पक्ष के लोग इस लगुनी शगुनी ठेकी का इन्तजार करते हैं तथा कौतुक वस पूछते है की मस्चुन्गाई दही की ठेकी लेकर आया कि नहीं मस्चुन्गाई दही की ठेकी को वर पक्ष द्वारा निर्मित मंडप मैं रख देता है.  इस प्रथा का मुख्य उद्देश्य वधू पक्ष को बरात के आगमन तथा बारातियों की संख्या आदि की सूचना देना होता है.  वधू पक्ष मस्चुन्गाई का स्वागत शंख  घंट बजाकर करता है तथा उसको जलपान एवं टीका पिठ्या लगाकर तथा समुचित दक्षिणा देकर सम्मानित करता है.
मस्चुन्गाई से सूचना प्राप्त होते ही वधू पक्ष मैं चहल पहल शुरू हो जाती है तथा वधू के माता पिता दुल्हे व बरात के स्वागत एवं धूलि  अर्घ के लिये  तैयार हो जाते हैं.

मस्चुन्गाई

  पुराने जमाने मैं जब यातायात अवं टेलीफोन आदि के साधन नहीं थे मस्चुन्गाई एक दिन पहले ही वधू पक्ष के घर जाकर वधू पक्ष को वर पक्ष द्वारा  तैयारी, बारातियों की संख्या व बरात आने का समय आदि की पूर्ण जानकारी दिया करता था तथा दूसरे दिन बरात आने से पूर्व  कुछ दूर पहले बरात मैं शामिल होकर वधू पक्ष की तयारियोँ की पूर्व  सूचना एक भेदुवे (सी आइ डी) की तरह देता था.

वर पक्ष के दूत को मस्चुन्गाई क्यों कहा जाता है ? इसका  कारण यह हो सकता है की वर पक्ष एक थैली मैं मॉस की दाल व चावल भी भेजता है. पहले थैली मैं मॉस की दाल रखी जाती है, फिर र्थैली मैं एक गाँठ मारी जाती है . इस गाँठ के बाद थैली मैं चावल भर दिया जाता है. फ़िर इसे गाँठ पाड़कर  बंद कर दिया जाता है.  इस थैली को कंधे मैं सहूलियत से रख व हाथ मैं दही की ठेकी लेकर मस्चुन्गाई वधू पक्ष के घर जाता है. थैली  मैं मॉस व चावल रखे जाने के कारण ही  इसे मॉस चावल का अपभ्रन्स मस्चुन्गाई कहा जाता है.मस्चुन्गाई  हेतु एक से ज्यादा लोग भी जा सकते हैं  कुछ लोग इसे मंग्चुनई भी कहते हैं.  उनका कहना है की जो लोग लड़की मांगने तथा चुनने जाते हैं साधारणतया वही लोग मंग्चुनई बनाये जाते हैं
 इस प्रकार मस्चुन्गाई प्रथा आज भी बदस्तूर जारी है.  (D.N.Barola)[/b][/size][/color]

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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NAUV - YAANI WELL (KUWA)
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The natual water resources in uttarakhand are called Nauv (well).

DHAAR
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A public place from where people fill the water in peachers.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ऐपण
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ऐपण के विलुप्त होती कला है ! लोक अपने घर के दरवाजे पर लाल एव सफ़ेद रंग से एक विशेष प्रकार की कला से सजाते है जिसे ऐपण कहते है !

अधिक जानकारी के लिए देखिये यह लिंक :
 
http://www.merapahad.com/forum/culture-of-uttarakhand/uttarakhandi-cultural-riddle/

Rajen

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NAUV - YAANI WELL (KUWA)
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The natual water resources in uttarakhand are called Nauv (well).

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जाव किसे कहते है ?
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पहले के समय में पहाड़ में ज्यादे छते पाथर के होते थे जिनके बीच में रोशनी आने के लिए एक होल (छेद) बनाया जाता था जिससे घर के अन्दर रोशनी आती थी ! जिसे जाव कहते है ! यह ventilation का भी काम आता है !

pandey

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mai ghar mai jaav...k raste kitne din andar gaya hoon.. When I was a child..!!!!!!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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भुमुक फूटना या छो फूटना
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यह शब्द हमने पहाड़ मे वरसात के दिनों खासकर सुना है ! वरसात के दिनों बहुत आधिक बरसात होने के कारण जमीन के अन्दर से कई जगहों पर अपने आप बहुत पानी आने लगता है जिसे सथानीय भाषा मे छो फूटना
कहते है और बाद जिसे वरसात ऋतू चली जाती यह पानी भी धीरे -२ बंद हो जाता है !

हेम पन्त

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पैंचा लेना- अर्थात थोङे समय के लिये कोई सामग्री उधार लेना.

पुराने समय में पहाड़ों में दूर-दूर तक बाजार-दुकानें उपलब्ध नही थे. चीनी-चायपत्ती, तेल, नमक, मसाला जैसी चीजें पड़ोसी से "पैंचा" मांगकर काम चला लिया जाता था. बाजार से सामान आ जाने पर पड़ोसी का ’पैंचा तार’ दिया जाता था. अर्थात समान या थोङा अधिक मात्रा में सामान वापस दे दिया जाता था.

 

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