मोहन उप्रेती जी पर श्री दिवान सिंह बजेली जी ने बहुत सुन्दर किताब लिखी है. यह किताब National School of Drama में उपलब्ध है.
मोहन उप्रेती जी निसंदेह उत्तराखण्डी संगीत के युगपुरुष थे. युवा मोहन उप्रेती कम्यूनिज्म से प्रेरित थे और कुमाऊं के संगीत से ज्यादा प्रभावित नहीं थे. उनकी जिन्दगी में एक महत्वपूर्ण मोड तब आया जब वो महान कम्यूनिस्ट नेता पी.सी. जोशी के साथ अल्मोडा जनपद के दूरस्थ इलाकों के पैदल भ्रंमण पर निकले थे. उस दौरान उन्हें लोकसंगीत के महान नायक मोहन सिंह रीठागाडी को सुनने का मौका मिला.
इस घटना ने मोहन उप्रेती जी को कुमाऊंनी लोक संगीत से इस प्रकार जोडा कि मोहन दा ने इसे पूरी दुनिया में मशहूर कर दिया.