गढवाली कोचिंग क्लास Part-1
जंगल को यहां डाण्डा कहते हैं ।
बर्तनों को भाण्डा कहते हैं।
छोटे बच्चों को नौना कहते हैं
बुजुर्गों को दाना कहते हैं।।
साथ को दगडा कहते हैं ।
लड़ने को झगडा कहते हैं।
मोटे को तगडा कहते हैं ।
भू-स्खलन को रगडा कहते हैं।।
छोटे भाई को यहा भुला कहते हैं ।
किचन को यहा चुला कहते है।
ब्रिज को यहा पुल कहते है ।
नहर को यहा कूल कहते है।।
पत्नी को यहा जनानि कहते है ।
बहू को दुलैणि कहते है।
ब्याई भैंस को लैणि कहते हैं ।
दूध दही को दुभैण कहते हैं।।
आदमी को यहा मैस कहते हैं ।
बफैलो को यहा भैस कहते है।
जीजा को यहा भिना कहते हैं।
अटौल को यहा किना कहते है।
सख्त को यहा जिना कहते है ।
गोबर को यहा पिना कहते हैं।।
चावल को यहा भात कहते हैं ।
सादी को बरात कहते हैं।
चौडे वर्तन को परात कहते हैं ।
पित्र तर्पण को शराद कहते है।।