Uttarakhand > Utttarakhand Language & Literature - उत्तराखण्ड की भाषायें एवं साहित्य
VOCABULARY OF KUMAONI-GARHWALI WORDS-कुमाऊंनी-गढ़वाली शब्द भण्डार
Bhishma Kukreti:
गढ़वाली में मानव स्वभाव बोधक शब्दावली
नीचे गढ़वाली में मानव स्वभाव की शब्दावली दी गई है। यह समाज विज्ञानियों के लिए शोध का विषय है कि 125 शब्दों में 110 शब्द नकारात्मक भाव के हैं।
-------रामकांत बेंजवाल व बीन बेंजवाल ---
अकड़ु (घमंडी)
अजाक (नासमझ)
अड़ौर (हठी, निडर)
अणमणो (उदासीन, बेचैन)
अदलटो (मंदबुद्धि)
अरंच (असंतोषी)
असति (जो सहिष्णु न हो)
असूर (निर्दयी, कठोर)
आतुरु (आतुर, उतावला)
आलकसि (आलसी)
उछ्यादि (उपद्रवी)
उतड़िंग (बिगड़ा हुआ)
उतौळ (अधीर)
उरफुर्या (शौकीन मिजाज)
उरंड (अनाड़ी)
उळकु (ओछा)
कंजड़ (कृपण, कंजूस)
किनखोड़ी (कंजूस)
किसाण (श्रमशील)
कुड़बक्या (अशुभ वाणी बोलने वाला)
कुनेथ्या (बुरी नीयत वाला)
कुमत्यो (दुर्बुद्धि वाला)
कुसग्वरि (जिसको काम करने का सलीका न हो)
कौब्यौर (मजाकिया)
क्वांसु (नाजुक)
खंकळ (गैर जिम्मेदार)
खचरोड़्या (बात-बात पर अड़चन पैदा करने वाला)
खड़खड़ो (स्पष्टवादी)
खरु (सच्चा, ईमानदार)
खिलपत (प्रसन्न)
खौंकार (खूंखार)
खेद्दि (ईर्ष्यालु)
गमगमो (धैर्यवान)
गळक्या (गप्पें हाँकने वाला)
गर्रि (अभिमानी)
गरगरु (रुष्ट)
निगुरो (निर्दयी, कठोर हृदय)
गळसट्या (डींगें हाँकने वाला)
गुणत्याळो (गुणवान, कृतज्ञ)
गुसाड़ (गुस्सैल)
गूड़ि (अंतर्मुखी)
गौड़िया (स्त्रियोचित प्रकृति वाला)
घरगुदड़्या (अकर्मण्य होकर घर में ही पड़ा रहने वाला)
घुन्ना (मन की बात किसी से न कहने वाला)
घुस्यड़ (बार-बार गुस्सा करने वाला)
घुस्याट्या (बार-बार धीमी आवाज में गुस्सा करने वाला)
चंट (चतुर)
चंडाळ (चंडाल)
चकड़ैत (अपने हित के लिए चालाकी करने वाला)
चकन्दर (दुश्चरित्र)
चटपट्याळो (फुर्तीला)
चटोर्या (जिह्वालोलुप)
चड़्यूं (उद्दंड)
चड़गट्यूं (बदमिजाज़)
चिढ़ंग्या (शीघ्र नाराज होने वाला)
चिरड़्या (तनिक-सी बात पर नाराज होने वाला)
छरक्या (बातूनी, गप्प हाँकने वाला)
छीतु (मुँहफट)
छुंयाळ (चुगलखोर, बातूनी)
छुदर (क्षुद्र, बुरा व्यक्ति)
जक्खड़ (मंदबुद्धि, अनाड़ी)
जट्ट (मोटी बुद्धि वाला)
जरजरकार (रूखा, क्रोधित)
जुगाड़ि (कार्य संपादन में दक्ष)
जुल्मी (जुल्म करने वाला)
झंजटि (झगड़ालु)
जिद्यारु (जिद्दी)
जुमजुम्या (बात को स्पष्ट न बताने वाला)
जुळक्या (चंचल, अस्थिर व्यक्ति)
झगड़ैल (झगड़ालू)
झक्कि (सनकी)
झल्या (सनकी)
टंडी (बहानेबाज, दिखावा करने वाला)
टिप्वड़्यूं (घमंडी, अकड़ैल)
ठंगठंगो (स्पष्टवादी, ईमानदार)
ठग्वा (ठगने वाला)
ठुसक्या/छुसक्या (चुगली करने वाला)
डरख्वा (डरपोक, भीरु)
ढंट (बदमाश)
ढीट (दुस्साहसी)
तितड़िंग (शरारती)
तैलु (तेज स्वभाव वाला)
थड़बड़ो (नाराज)
दयावन्त (दयालु, उदार)
दियाळ (दानी)
दुत्ती (बेहया, बेशर्म)
धत्ती (जिद्दी)
नखर्याळु (नखरे करने वाला)
निकाजु (अकर्मण्य)
निझर्को (निडर)
निठूर (निष्ठुर, निर्मम, कठोर)
निद्यो (अनुदार, कृपण)
निमाणो (सीधा-सादा)
परजामा (अन्यमनस्क)
परपंची (कपटी)
पिरेमी (प्रेमी)
फरजण्ट (चतुर, कार्यकुशल)
फसक्या (बढ़ा-चढ़ाकर बात करने वाला)
फेतना (मुँहफट)
बांठु (वाचाल)
बौरंगी (खुशमिजाज)
बौळ्या (सनकी)
मजाक्या (परिहास प्रिय)
मयाळु (अपनापन दिखाने वाला)
मसकर्या (मजाकिया)
मायादार (प्रेमपूरित)
रंगमतु (मतवाला)
रंगळ्या (गप्प हाँकने वाला)
रगठग (मक्कार)
रणसूर (योद्धा)
रिसाड़ (ईर्ष्यालु, डाह करने वाला)
रुंदाड़ (बात-बात पर रोने वाला)
लमडाळ (कामचोर)
लाटो (भोला-भाला, गूँगा)
लिच्चड़ (बेशर्म)
लुच्चो (बदमाश, चरित्रहीन)
सक्यावान (शक्तिशाली)
सनक्या (सनकी)
सरमाळु (शर्मीले स्वभाव का)
सळक्या (गप्प हाँकने वाला)
सीलु (सुस्त)
(साभार- हिंदी-गढ़वाली-अंग्रेजी शब्दकोश - रमाकान्त बेंजवाल एवं बीना बेंजवाल)
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
गढ़वाली में जल से सम्बन्धित शब्दावली
कुंड/ढंडी- (मिट्टी से बना पानी का तालाब)
कुंवा/नौलो- (कुआँ)
कूल- (गूल)
खाळ- (प्राकृतिक रूप से बना पशुओं के लिए पानी पीने का तालाब)
चौंर- (पशुओं को पानी पीने के लिए बनाया गया कृत्रिम तालाब।
छुबडळा- (छोटा गड्ढा जिसमें पानी एकत्रित हुआ हो)
गंगाळ- नदी (गंगा तथा उसकी शाखाओं के लिए प्रयुक्त)
गदेरा/गदना- (पहाड़ी नाला)
गाड- (नदी)
चोबडळा- (ज़मीन से रिसते पानी से बने छोटे-छोटे गड्ढे)
छोया- (बरसाती पानी का स्रोत)
छौड़ो /छिंचड़ो- (झरना, पानी की तीव्र मोटी धार)
डिग्गी- (पानी के कृत्रिम स्रोत से बनाया गया बड़ा टैंक)
तलौ/ढबोटु- (तालाब)
नवाळो- (पानी का कुंड जिसमें नीचे से पानी आता है)
नैर- (नहर)
पंद्यारो- (पनघट)
पनाळ- (गूल से घराट चलाने के लिए लगा लकड़ी आदि का बना वाहक)
पणधारि- (पानी की धार जो बारिश में मकान से टपकती है)
प्वौंण- (हिमालय के उच्च स्थलों में लगी हल्की वर्षा)
बत्वाणी- (वर्षा की बौछार)
बौलु- (कच्ची गूल में पानी का बहाव)
मंगरा- (पानी का प्राकृतिक स्रोत, पनघट)
रौ/औत- (भंवर, नदी में वह स्थान जहाँ पानी गोल- गोल घूमे)
हौज- (सिंचाई के लिए बनाया गया पानी का बड़ा टैंक)
(साभार- हिंदी-गढ़वाली-अंग्रेज़ी शब्दकोश - रमाकान्त बेंजवाल एवं बीना बेंजवाल)
Bhishma Kukreti:
गढ़वाली में पत्थर से सम्बन्धित शब्दावली
-
Ramkant Benjwal and beena benjwal
उरख्याळो/वखळो- (ओखल)
-
ऐरण- (पत्थर का बड़ा-सा टुकड़ा जिस पर लोहार काम करता है)
ओड्यार/वड्यार- (गुफा)
ओडो/वोडो- (खेतों के बीच में गाड़ा गया विभाजक पत्थर)
कोंडाळी- (पत्थर का बना कटोरानुमा पात्र)
खरड़- (मसाले या दवाई पीसने का पात्र)
गबलु /गाब- (पत्थर के मकानों के निर्माण में दीवार के बीच भरा जाने वाला गारा)
गारा- (बारीक पत्थर)
घट- (घराट)
घय्या- (पत्थर का छोटा टुकड़ा 'गुत्थी' खेलते समय निशाना साधने के काम आता है)
घुत्तु- (पत्थर को काटकर बनाई गई बड़ी ओखली)
चौंतरो/चौंथरो- (छोटा-सा गोल या समतल पत्थर जो प्रायः चंदन घिसने के काम आता है)
चौंरि- (चबूतरा, पत्थरों की चिनाई करके बनाया गया बैठने का स्थान)
छाजा- (मकान का छज्जा)
छापला- (पतले पत्थर जो बारीक चिनाई के काम आते हैं)
जंदरी- (हाथ से घुमाई जाने वाली अनाज पीसने की चक्की)
जाड़- (बडा पत्थर)
डंग्याण- (पथरीला स्थान)
डांग- (बडा पत्थर)
ढंगार- (सीधा खड़ा पथरीला पहाड़)
ढुंगो- (पत्थर)
ढुंग्याण- (पत्थरों वाला स्थान)
दांदा- (खलिहान के चारों ओर लगे खड़े पत्थर)
पठाळ/छपाल- (आंगन में बिछे बड़े टाइलनुमा पत्थर)
पणकट्टा- (पत्थरों की छत पर दो पत्थरों के जोड़ पर रखा गया पतला लंबा पत्थर जो जोड़ पर से पानी को अंदर आने से रोकता है)
पळेंथरो/पळ्योण्या- (जिस पत्थर पर दराँती की धार तेज की जाती है)
फल्सो- (पत्थरों का बना गेट जिसके छेदों में लकड़ी फंसाई जाती है)
मुंडकिला- (भैंस बांधने के लिए प्रयुक्त आंगन में गढ़े पत्थर)
ल्वेड़ी - (सिल पर जिस पत्थर से मसाला आदि पीसा जाता है)
संगाड़- (पत्थर की चौखट)
सिलोटो- (सिलबट्टा, सिल, मसाला आदि पीसने का पत्थर)
हुळतरा- (चिनाई में जोड़ मारने वाले बड़े पत्थर)
(साभार- हिंदी-गढ़वाली-अंग्रेजी शब्दकोश - रमाकान्त बेंजवाल एवं बीना बेंजवाल)
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
गढ़वाली में संख्यावाची शब्द
अधैळ- (आधा भाग)
ढैपुरु- (मकान के ऊपरी मंजिल के ऊपर ढाई भाग पर बना स्थान)
त्याढ़- (एक तिहाई)
पैल्वाण/पैलपैण- (पहली बार बच्चा देने वाला पशु)
यकानि- (एक आने का सिक्का)
यकहड़्या- (तवे में एक ही ओर पकाई गई रोटी)
इकनाड़्या- (एक डगर वाला)
इकसौंडाळ- (एक समान)
इकतिर्या- (एक तरफ को, एक ओर को)
इखारो- (इकहरा)
एकमुखी- (एक मुख वाला)
यकहत्या- (एक ऐसी चीज जो एक ही व्यक्ति से संचालित हो)
यकसासि- (एक सांस आना)
यखुट्या- (एक पांव वाला)
इखरौंण- (ओखल में धान एक बार कूटना)
दुरौंण- (ओखल में धान दूसरी बार कूटना)
यकुळा- (दिन में एक बार, आधा दिन)
दुकुळा- (दोनों समय)
दुखंडो- (दो खण्ड वाला मकान)
दुघर्या- (पूर्व पति का घर छोड़कर दूसरे पति के घर रहने वाली स्त्री)
दुफंग्याळो/दुफांग्या- (दो शाखाओं वाला)
दुगड्डा- (दो गाडों के मिलने वाला स्थान)
दुणगोड- (दूसरी बार की गुड़ाई)
दुण्यौंण- (अनाज बोने से पहले दूसरी बार खेत जोतना)
दुतरफु- (दोनों तरफ)
दुधड़ो- (दो भागों में बंटा हुआ)
दुनाळ्या- (दो नाल वाली)
दुबाटो- (दोराहा)
दुपाया- (दो पैरों वाला)
दुपाळ्या- (दो तरफ वाला)
दुफाड़- (दो टुकडों में बंटा)
दुबाळो- (नदी का वह स्थान जहां पर धारा दो भागों में बंट जाए और बीच में छोटा-सा टापू बन जाए)
दुमाग- (दो मार्ग)
दुरंगि- (दो रंग की)
दुलय्या- (एक बार काटने के बाद दुबारा बढ़ी हुई घास)
दुसांद- (सरहद, दो गांवों की सीमा का मिलन स्थान)
दुहत्या- (दोनो हाथों से)
दुसारण/द्वी पैणा- (दूसरी बार बच्चा देने वाला पशु)
दोण- (दो 'डलोणे' का एक मात्रक, द्रोण)
द्वग्गा- (दो एक साथ जुड़े हुए)
द्वारो- (दुहरा)
तिकोण्या- (तीन कोने वाला)
तिपुरो- (तीन मंजिला मकान)
तिमाण्याँ- (सोने के तीन मनकों वाला गले का आभूषण)
तिमुंड्या- (तीन सिर वाला)
तिरपुंड- (तीन आड़ी रेखाओं का तिलक)
तिरसूळ- (त्रिशूल)
तिलड़्या- (तीन लड़ियों वाला)
तिसराण/तिपैंणा- (तीसरी बार बच्चा देने वाला पशु)
त्याऽरु- (तिहरा)
चवन्नी- (चार आने)
चौदिसि- (चार दिशाएँ)
चौखंबा- (चार शिखरों वाला पर्वत)
चौखुंट- (चारों किनारे)
चौखुंटू- (चौकोर जिसके चारों किनारे बराबर हों)
चौथ- (चतुर्थी तिथि)
चौथो- (हर चौथे दिन आने वाला बुखार)
चौपल- (जिसके चारों फलक ठीक आयताकार या वर्गाकार हों)
चौपायो- (चार पैरों वाला)
चौपुर्तु- (चार तह वाला, चौहरा)
चौबाट्टा- (चौराहा)
चौमास- (वर्षा ऋतु के चार माह)
चौमुख्या- (चार मुख वाला)
चौसिंग्या- (चार सींगों वाला)
चौसेरो- (चार सेर का पात्र, पाथो)
चौहड़्या- (चारों ओर से)
पंच- (पंचायत के पांच सदस्य)
पंचगब- (पंचगव्य, दूध, दही, घी, गौमूत्र एवं शहद का अभिमंत्रित मिश्रण)
पंचदेव- (पांच देव, शिव, गणेश, विष्णु, सूर्य, दुर्गा)
पंचप्रयाग- (पांच प्रयाग- विष्णु प्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग)
पंचकेदार- (पांच केदार, केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, कल्पनाथ, मद्महेश्वर)
पंचबदरी- पांच बदरी, बदरीनाथ, आदिबदरी,
योगध्यान बदरी, भविष्यबदरी, वृद्धबदरी)
पंचपथरी- (पांच पत्थरों का एक खेल)
पंचपात्र- (पांच पात्र)
पंचमि- (पंचमी तिथि)
पंचकुंड- (पांच कुंड)
पंचगै- (पांच गांवों का समूह)
पंचाळु/पंचौळो- (प्रसूता स्त्री का प्रसव के बाद पांचवा दिन)
पंचैत- (पंचायत)
छट- (बच्चे के जन्म का छठे दिन का पूजन)
सतनाजो- (सात अनाजों का मिश्रण)
सत्वांसो- (वह बच्चा जो सातवें महीने में ही पैदा हो जाए)
सप्ताह- (सात दिन तक चलने वाली भागवत की कथा)
सत्वाळा- (प्रसूता का सातवां दिन)
अठान्नि- (आठ आने)
अठ्वाड़- (चैत्र मास की आठवीं तिथि, आठ दिनों का अनुष्ठान जिसके अंत में आठ बलियाँ दी जाती हैं)
अठ्वांसो- (समय से पूर्व आठवें मास में उत्पन्न होने वाला बच्चा)
नवग्रह- (नौ ग्रह, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु एवं केतु)
नवरातरा- (नवरात्र)
नौघर्या- (नौ खण्डों का बना पूजा का पात्र)
नौछमी- (नौ लीलाओं वाला)
नौमी- (नवमी, नवमी तिथि)
नौलड़़्या- (नौ लड़ियों वाला हार)
नौसेरु- (नौ शिराओं वाला)
नौलो- (नवें दिन की जाने वाली पूजा)
नौसुर्या- (नौ सुरों वाला)
इकास/यगास- (एकादशी तिथि)
यकासु- (ग्यारहवीं, मृतक की ग्यारहवें दिन की जाने वाली क्रिया)
बारमस्या- (बारह महीनों लगने वाले फल)
बारामासा- (बारह महीनों)
तिरिसु- (मृतक का तीसवें दिन किया जाने वाला श्राद्ध)
बावनी- (संवत 1852 का दुर्भिक्ष)
चौरासि- (चारों ओर विपत्ति आना, चौरासी योनियों के दुख एक साथ आना)
(साभार- हिंदी गढ़वाली अंग्रेज़ी शब्दकोश - रमाकान्त बेंजवाल एवं बीना बेंजवाल, संरक्षण आधार- अरविंद पुरोहित)
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
गढ़वाली में संख्यावाची शब्द
अधैळ- (आधा भाग)
ढैपुरु- (मकान के ऊपरी मंजिल के ऊपर ढाई भाग पर बना स्थान)
त्याढ़- (एक तिहाई)
पैल्वाण/पैलपैण- (पहली बार बच्चा देने वाला पशु)
यकानि- (एक आने का सिक्का)
यकहड़्या- (तवे में एक ही ओर पकाई गई रोटी)
इकनाड़्या- (एक डगर वाला)
इकसौंडाळ- (एक समान)
इकतिर्या- (एक तरफ को, एक ओर को)
इखारो- (इकहरा)
एकमुखी- (एक मुख वाला)
यकहत्या- (एक ऐसी चीज जो एक ही व्यक्ति से संचालित हो)
यकसासि- (एक सांस आना)
यखुट्या- (एक पांव वाला)
इखरौंण- (ओखल में धान एक बार कूटना)
दुरौंण- (ओखल में धान दूसरी बार कूटना)
यकुळा- (दिन में एक बार, आधा दिन)
दुकुळा- (दोनों समय)
दुखंडो- (दो खण्ड वाला मकान)
दुघर्या- (पूर्व पति का घर छोड़कर दूसरे पति के घर रहने वाली स्त्री)
दुफंग्याळो/दुफांग्या- (दो शाखाओं वाला)
दुगड्डा- (दो गाडों के मिलने वाला स्थान)
दुणगोड- (दूसरी बार की गुड़ाई)
दुण्यौंण- (अनाज बोने से पहले दूसरी बार खेत जोतना)
दुतरफु- (दोनों तरफ)
दुधड़ो- (दो भागों में बंटा हुआ)
दुनाळ्या- (दो नाल वाली)
दुबाटो- (दोराहा)
दुपाया- (दो पैरों वाला)
दुपाळ्या- (दो तरफ वाला)
दुफाड़- (दो टुकडों में बंटा)
दुबाळो- (नदी का वह स्थान जहां पर धारा दो भागों में बंट जाए और बीच में छोटा-सा टापू बन जाए)
दुमाग- (दो मार्ग)
दुरंगि- (दो रंग की)
दुलय्या- (एक बार काटने के बाद दुबारा बढ़ी हुई घास)
दुसांद- (सरहद, दो गांवों की सीमा का मिलन स्थान)
दुहत्या- (दोनो हाथों से)
दुसारण/द्वी पैणा- (दूसरी बार बच्चा देने वाला पशु)
दोण- (दो 'डलोणे' का एक मात्रक, द्रोण)
द्वग्गा- (दो एक साथ जुड़े हुए)
द्वारो- (दुहरा)
तिकोण्या- (तीन कोने वाला)
तिपुरो- (तीन मंजिला मकान)
तिमाण्याँ- (सोने के तीन मनकों वाला गले का आभूषण)
तिमुंड्या- (तीन सिर वाला)
तिरपुंड- (तीन आड़ी रेखाओं का तिलक)
तिरसूळ- (त्रिशूल)
तिलड़्या- (तीन लड़ियों वाला)
तिसराण/तिपैंणा- (तीसरी बार बच्चा देने वाला पशु)
त्याऽरु- (तिहरा)
चवन्नी- (चार आने)
चौदिसि- (चार दिशाएँ)
चौखंबा- (चार शिखरों वाला पर्वत)
चौखुंट- (चारों किनारे)
चौखुंटू- (चौकोर जिसके चारों किनारे बराबर हों)
चौथ- (चतुर्थी तिथि)
चौथो- (हर चौथे दिन आने वाला बुखार)
चौपल- (जिसके चारों फलक ठीक आयताकार या वर्गाकार हों)
चौपायो- (चार पैरों वाला)
चौपुर्तु- (चार तह वाला, चौहरा)
चौबाट्टा- (चौराहा)
चौमास- (वर्षा ऋतु के चार माह)
चौमुख्या- (चार मुख वाला)
चौसिंग्या- (चार सींगों वाला)
चौसेरो- (चार सेर का पात्र, पाथो)
चौहड़्या- (चारों ओर से)
पंच- (पंचायत के पांच सदस्य)
पंचगब- (पंचगव्य, दूध, दही, घी, गौमूत्र एवं शहद का अभिमंत्रित मिश्रण)
पंचदेव- (पांच देव, शिव, गणेश, विष्णु, सूर्य, दुर्गा)
पंचप्रयाग- (पांच प्रयाग- विष्णु प्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग)
पंचकेदार- (पांच केदार, केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, कल्पनाथ, मद्महेश्वर)
पंचबदरी- पांच बदरी, बदरीनाथ, आदिबदरी,
योगध्यान बदरी, भविष्यबदरी, वृद्धबदरी)
पंचपथरी- (पांच पत्थरों का एक खेल)
पंचपात्र- (पांच पात्र)
पंचमि- (पंचमी तिथि)
पंचकुंड- (पांच कुंड)
पंचगै- (पांच गांवों का समूह)
पंचाळु/पंचौळो- (प्रसूता स्त्री का प्रसव के बाद पांचवा दिन)
पंचैत- (पंचायत)
छट- (बच्चे के जन्म का छठे दिन का पूजन)
सतनाजो- (सात अनाजों का मिश्रण)
सत्वांसो- (वह बच्चा जो सातवें महीने में ही पैदा हो जाए)
सप्ताह- (सात दिन तक चलने वाली भागवत की कथा)
सत्वाळा- (प्रसूता का सातवां दिन)
अठान्नि- (आठ आने)
अठ्वाड़- (चैत्र मास की आठवीं तिथि, आठ दिनों का अनुष्ठान जिसके अंत में आठ बलियाँ दी जाती हैं)
अठ्वांसो- (समय से पूर्व आठवें मास में उत्पन्न होने वाला बच्चा)
नवग्रह- (नौ ग्रह, सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु एवं केतु)
नवरातरा- (नवरात्र)
नौघर्या- (नौ खण्डों का बना पूजा का पात्र)
नौछमी- (नौ लीलाओं वाला)
नौमी- (नवमी, नवमी तिथि)
नौलड़़्या- (नौ लड़ियों वाला हार)
नौसेरु- (नौ शिराओं वाला)
नौलो- (नवें दिन की जाने वाली पूजा)
नौसुर्या- (नौ सुरों वाला)
इकास/यगास- (एकादशी तिथि)
यकासु- (ग्यारहवीं, मृतक की ग्यारहवें दिन की जाने वाली क्रिया)
बारमस्या- (बारह महीनों लगने वाले फल)
बारामासा- (बारह महीनों)
तिरिसु- (मृतक का तीसवें दिन किया जाने वाला श्राद्ध)
बावनी- (संवत 1852 का दुर्भिक्ष)
चौरासि- (चारों ओर विपत्ति आना, चौरासी योनियों के दुख एक साथ आना)
(साभार- हिंदी गढ़वाली अंग्रेज़ी शब्दकोश - रमाकान्त बेंजवाल एवं बीना बेंजवाल, संरक्षण आधार- अरविंद पुरोहित)
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