दिनांक १७ जुलाई, २०११ को पूर्व निर्धारित कार्यक्रमानुसार क्रियेटिव उत्तराखण्ड-मेरा पहाड़ द्वारा "हरेला त्यार" का सफल आयोजन दिल्ली के गढ़वाल भवन में किया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम सभी सदस्यों ने एक-दूसरे को हरेला लगाया और शुभकामनायें दीं। एक पारिवारिक आयोजन के रुप में यह त्यौहार ठेठ पहाड़ी गवईं अन्दाज में मनाया गया। हरेला लगाने के पश्चात सभी उपस्थित सदस्य एक वृत्ताकार घेरे में बैठे और "उत्तराखण्ड की संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण का महत्व" विषय पर गोष्ठी का अयोजन किया गया। इसे गोष्ठी का माईक और मंच वाला रुप न देते हुये पहाड़ी पंचायत का रुप दिया गया। गोष्ठी में सर्वश्री चारु तिवारी, कमल कर्नाटक, महिपाल सिंह मेहता, लोकगायक चन्द्र सिंह राही, प्रताप सिंह शाही, यमुना बचाओ आन्दोलन के स्वामी लालबाबा, रणजीत राणा, उमेश पन्त, कवि चन्द्रमणि चन्दन, परमानन्द पपनै, मनीष मेहता, विनोद गढ़िया एवं अन्य लोगों ने भाग लिया। जिसमें वक्ताओं ने पर्यावरण संरक्षण के लिये उत्तराखण्ड के पूर्वजों की सोच, व्यवहारिकता और वैज्ञानिकता को सराहा और कहा कि उनकी सोच आज और भी प्रासंगिक हो गई है। हमारे पुरखों ने जहां इस हेतु एक त्यौहार ही समर्पित किया तो आज जरुरत उस धरोहर को सहेजने की है।
इसके बाद सभी ने सामूहिक वृक्षारोपण किया और अपनी समृद्ध संस्कृति की धरोहरों को महानगरों में भी मनाने की पहल का स्वागत किया। कई वक्ताओं ने इसे दुर्गा पूजा और छठ पर्व की भांति व्यापक रुप पर मनाने की भी बात की। सभा के अन्त में क्रियेटिव उत्तराखण्ड- मेरा पहाड़ के संयोजक श्री दयाल पाण्डे ने सभी उपस्थित महानुभावों का धन्यवाद ज्ञापित किया।