Author Topic: Harela Tyar By Mera Pahad- हरेला त्यार का आयोजन  (Read 11664 times)

पंकज सिंह महर

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साथियो,
आप सभी को मालूम है कि आगामी १७ जुलाई को हमारे उत्तराखण्ड का एक लोक त्यौहार है-हरेला। हरेला का त्यार उत्तराखण्ड की संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के रुप में मनाया जाता है। हमारे पुरखों ने वृक्षारोपण के महत्व को जाना और आने वाली विरासत इसे सहेजे, इस हेतु इसे एक त्यौहार का रुप देकर भविष्य़ के लिये अक्षुण्ण कर दिया। इसी अवसर पर क्रियेटिव उत्तराखण्ड-मेरा पहाड़ इस अवसर पर दिल्ली में एक छोटा सा आयोजन और विचार गोष्ठी कर इस त्यार में जनसहभागिता को जोड़ने का प्रयास कर रहा है।

आप सभी इस कार्यक्रम में सादर आमंत्रित हैं, कार्यक्रम का विवरण निम्न है-

दिनांक- 17 जुलाई, 2011
समय- 04:00 बजे, अपराह्न।
कार्यक्रम स्थल- गढ़वाल भवन, पंचकुईंया रोड, नई दिल्ली।

कार्यक्रम विवरण
१- हरेला त्यार (प्रतीकात्मक आयोजन)- 04:00 बजे।
२- सामूहिक वृक्षारोपण- 04:15 बजे।
3- "उत्तराखण्ड की संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण का महत्व" विषय पर विचार गोष्ठी| - 04:30 बजे।

पंकज सिंह महर

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कार्यक्रम की अधिक जानकारी के लिये आप निम्न दूरभाष नम्बरों पर सम्पर्क कर सकते हैं-

१- श्री चारु तिवारी- 09717368053
२- श्री अनुभव उपाध्याय- 09810077696
३- श्री एम०एस० मेहता- 09910532720
४- श्री दयाल पाण्डे - 09968534993

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Sabhi MeraPahad sadasyon se anurodh hai ki woh adhik se adhik sankhya main pahunch kar is karyakram ko safal banae.

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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First of all, i must congrulate Merapahd Team for selecting theme of the Programme. This is one of the areas where attention is required to plant maximum tree to save our environment.

I am sure maximum people participate in this programme and take oath to plant the trees.

All the best. i will surely attend the programme.


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हमारी टीम ने एक अच्छा विषय चुना है, जिस पर बहस हो और उसके बाद धरातल पर काम हो सके ! उत्तराखंड में विशेषकर जिस प्रकार भूसखंलन में वृद्धि हुयी है कही ना कही इसके पीछे पेड़ो का कटना भी है !

हमारी संस्कृति इनती rich है की इस पर्यावरण को बचाने के लिए भी हमारे यहाँ त्यौहार है!  आप सभी लोगो से आह्वान है आप जरुर इस प्रोग्राम में आये और शपथ ले ही हम अपने पर्यावरण को बचाए !


विनोद सिंह गढ़िया

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हरेला त्यार का आयोजन - 'मेरा पहाड़' का उत्तराखंड की संस्कृति एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए एक सराहनीय कदम ।

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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हरेला एक वृक्षारोपण के तौर पर भी मनाया जाता है बचपन मैं हम हरेले के दिन सुबह सुबह पाहिले व्रिक्षरोपन के लिए जाते थे उसके बाद आकर हरेला सर मैं रखते थे फिर जाकर पूरी हलवा खीर आदि का आननद लेते थे आज जब पर्यावरण को लेकर पूरी दुनियां चिंतित है तो इस तयोर की प्रासंगिता और भी बढ जाती है क्रियेटिव उत्तराखंड म्योर पहाड़ हमेशा ही अपनी विरासत को आगे ले जाने मैं विस्वास रखता है आइये हम सब हरेले के दिन पेड़ लगाकर पर्यावरण बचाने मैं सहयोग करैं.

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Deforestation is on peak in Uttarakhand. Many reasons are behind. There are jungle Mafias very active in different part of Uttarakhand. The second reason is increasing population & rehabilitation are also there.

Before losing the important time, we should consciously think about the importance of trees and plant maximum trees wherever possible. The moot point is to educate people specially in rural areas.

This effort by Merapahd Team is really appreciable and works need to be done at ground level also.



dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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उत्तराखंड की संस्कृति का हमेसा ही विज्ञानिक महत्व भी रहा है जब आज विश्व के वैज्ञानिक पर्यावरण को लेकर चिंतित हैं और एक पर्यवारानिक संतुलन की बात कह रहे हैं वही हमारे पूर्वजों ने सैकड़ों साल पाहिले ही यह सन्देश ही नहीं "हरेले " के रूप में वृक्षारोपण का त्यौहार बना दिया है जिसका महत्व आज के परिपेक्ष में और भी बढ गया है जब चारुं ओर से पर्यावरण को खतरा आन पड़ा है, दोस्तों १७ जुलाई साम ४ बजे गडवाल भवन पहुचकर "उत्तराखंड की संस्कृति का पर्यावरण संरक्षण में महत्व " विषय पर विचार गोष्टी हेतु सहभागी बनें 

पंकज सिंह महर

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आप सभी के सहयोग से यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। कुछ अपडेट्स


कार्यक्रम के अन्त में वृक्षारोपण करते हमारे सदस्यगण

 

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