उजड़े बसेरे को सवेरे का इंतजार
Oct 21, 08:56 pm
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पुष्कर सिंह रावत, उत्तरकाशी
उजड़े बसेरों को सवेरे का इंतजार है। अब इसी उम्मीद में दिन कट रहे हैं कि ये काली रात कब खत्म होगी। भगवान ने छत छीनी और अपने भी रहम नहीं दिखा रहे हैं। मानसून गुजरने के बाद मन भारी है। उघड़े जख्मों पर मरहम लगाने की सरकारी कवायद ऐसी है मानो जख्मों पर नमक छिड़का जा रहा हो। डुण्डा ब्लाक के गुनाल गांव के विनोद कुमार को ही ले लीजिए आशियाना मटियामेट होने के बाद से वह परिवार समेत जंगलात की चौकी में दिन बिता रहा है। तात्कालिक सहायता के रूप में मिले दो हजार रुपये कब के खत्म हो गए। अब छह बच्चों के भरे पूरे परिवार का पालन पोषण कैसे करे, उसे सुझायी नहीं दे रहा। भविष्य मुंह बाये खड़ा है। पटवारी जी नाम नोट कर चुके हैं, लेकिन मदद कब तक मिलेगी पता नहीं। अकेला विनोद ही नहीं, जिले के 700 बेघर यूं ही दिन काट रहे हैं।
आसमान से बरसे कहर के निशान उत्तरकाशी जिले में जहां-तहां बिखरे हैं। बेशक रास्तों की मरम्मत कर उन्हें यातायात के लिए खोल दिया गया हो, पर जिंदगी की गाड़ी अभी भी पटरी से उतरी हुई है। इमदाद की बाट जोह रहे परिवार 'सरकारी सुस्ती ' से आहत हैं। मदद पाने के लिए औपचारिकता पूरी करने में खासा समय जाया हो रहा है। पीड़ितों के मन को एक ही सवाल साल रहा है कि जिंदगी कब तक व्यवस्थित हो पाएगी। पुनर्वास के लिए एड़ियां रगड़ते-रगड़ते हफ्तों बीत चुके हैं। बावजूद इसके हाथ रीते ही हैं।
गुनाल गांव के हर्षमणी, भटवाड़ी के भूषण लाल, हबीब बट समेत आपदा से प्रभावित हजारों लोगों की यही दास्तां है। सरकार की ओर से बेघर हुए लोगों को घर बनाने के लिये पचास हजार रुपए की धनराशि अभी कुछ ही जगह पर मिल सकी है। अस्थायी व्यवस्था पर नजर डालें तो जंगलात चौकियां, पटवारी चौकियां व खाली पड़े अन्य सरकारी भवन प्रभावितों की शरणगाह बने हुए हैं।
कुल आपदा प्रभावित- 194494
बेघर परिवार - 700
जर्जर घर- 790
मृतक- 22
घायल- 21
पशु हानि- 112
डेढ़ करोड़ की राहत राशि बंटी
प्रभावितों को राहत पहुंचाने के लिये अब तक विभिन्न क्षेत्रों में कुल डेढ़ करोड़ की राहत राशि बांटी गई है। जबकि जिला प्रशासन द्वारा निजी संपत्तियों के नुकसान का कुल आंकलन 77 करोड़ रुपए से अधिक किया गया है। पटवारियों की रिपोर्ट के आधार पर किये जा रहे आंकलन में अनेक गांवों से शिकायतें भी सामने आ रही हैं।
'अभी राहत कार्य चल रहे हैं। सरकार की ओर से क्षतिग्रस्त भवनों के लिये राहत राशि कुछ बढ़ाई है। जहां तक पुनर्वास का सवाल है तो इसकी प्रक्रिया लंबी हो सकती है। शासन से इस संबंध में निर्देश मिलने पर ही स्थल चिह्नीकरण, अधिग्रहण या भूमि क्रय जैसे कार्य किये जा सकते हैं'
- डा.हेमलता ढौंडियाल, जिलाधिकारी, उत्तरकाशी।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6835650.html