Uttarakhand Updates > Anti Corruption Board Of Uttarakhand - उत्तराखण्ड में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ आम आदमी की मुहिम

Appeal for Justice from the Villagers of Gularbhoj Udham Singh Nagar

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msbisht:
  ये कैसा न्याय

मा0 राहूल गांधी जी हम उत्तराखण्ड राज्य के उधम सिह नगर जिले के छोटे से गाँव  गूलरभोज के  निवासी हैं जो लगभग 60 वर्षो पूर्व मा0  इन्द्रिरा  गांधी द्वारा बसाया  गया  था  यहाँ  पर 80 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती हैं।तथा यहाँ आय का प्रमुख साधन मजदूरी है। यहाँ पर दो  पाटियों  में विवाद हुआ तथा विवाद के कारण यह भूमि वन  विभाग की निकली हैं।
 
उस समय मा0 इन्दिरा गांधी जी द्वारा कोई कानूनी पटृटा नही दिया  गया था  इस कारण  वर्तमान समय में गरीब जनता को उनके घरों से बेदखल किया जा रहा हैं। यहाँ की जनता इतनी गरीब हैं कि एक बार घर विहीन हो जाने पर दोबारा बनाने में असमर्थ हैं।  यहाँ  पर इन्दिरा  आवास  योजना के अन्तर्गत  घर  बनाये  गये है । यहाँ  पर पुलिस  चौकी,  सरकारी अस्पताल,   जनजाति बालिका छात्रावास,  सोसाइटी,  गांधी आश्रम,  प्राथमिक  विघयालय  तथा  मान्यता प्राप्त हाईस्कूल आदि हैं। अगर अतिक्रमण  हटाया  गया  तो बच्चों का  भष्विय  खराब होगा तथा नागरिक जीवन पुनः  60 साल पिछड़ जायेगा अतिक्रमण हटाने की अन्तिम तिथि  15/06/2010 निर्धारित की गयी हैं।
                  मा0 राहुल गांधी जी गरीब जनता इस मुसीबत के समय में आपका साथ चाहती हैं। इस समय लोगों  की मदद के लिए कोई भी सामने नही आ रहा हैं।  इस लिए समस्त जनता का आपसे हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन हैं कि आप हमारी मदद कीजिए गरीब जनता को आपसे बहुत आशा हैं।
 
विनतीकर्ता
1- मोहन सिंह बिष्ट (9927685743)
2- आकाश कुमार   (9756472261)
3- राजेश बाल्मीकी  (8057764337)
    एंव गूलरभोज की समस्त जनता         दिनांक 17/05/2010
                           धन्यवाद

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 
 
This is really unfortunate to see that Villagers from Gularbhoj District Udham Singh Nagar have to such days.
 
Govt must intervne in this case.   
 
 
 बड़ी दुःख की बात है, इंदिरा गांधी के बसाये गाव को आज इस प्रकार का संकट देखना पड़ रहा है !

हेम पन्त:
सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात यह है कि इन लोगों को मीडिया से भी अपेक्षित समर्थन नहीं मिल रहा है क्योंकि मीडिया के पास इस तरह के जनपक्षीय मुद्दों को उठाने के लिये या तो फुर्सत नहीं है या फिर विज्ञापनों के लालच में वो सरकार की खिलाफत नहीं करना चाहते.

Anubhav / अनुभव उपाध्याय:
Yeh sach main bahut dukh ki baat hai ki agar Jungle ka atikraman 60 saal pahle kiya gaya to Sarkar ne tab koi action kyun nahi liya? Aur agar aaj paryavaran ke lihaaj se woh gaaon hatana bhi pad raha hai to wahan ke naagrikon ko kya vaikalpik vyavastha di jaa rahi hai?

पंकज सिंह महर:
यह प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद सामने आया है। तराई में ८० के दशक में बसावट शुरु हुई और लोगों को कब्जे के आधार पर भूमि दे दी गई, लेकिन यह प्रशासन का भी दायित्व था कि इन स्थानों पर बसे लोगों की भूमि को नियमित करे। लेकिन ऐसा नहीं किया गया, न्यायपालिका ने तो अपना कार्य ही किया है, दस्तावेजों के आधार पर जो न्यायसंगत था, वह किया गया। लेकिन हमारी सरकार को अब तो कम से कम इन परिवारों की भूमि को नियमित करने के प्रयास करने चाहिये। मानवीय आधार पर तीन दशक से इस भूमि पर काबिज लोगों के साथ न्याय करने का असली दायित्व अब उत्तराखण्ड सरकार का है।

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