Uttarakhand Updates > Anti Corruption Board Of Uttarakhand - उत्तराखण्ड में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ आम आदमी की मुहिम

Corrupt Methods/Tricks Being Followed - भ्रष्टाचार करने के भ्रष्ट तरीके

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kundan singh kulyal:
"महात्मा गाँधी राष्टीय रोजगार गारंटी योजना" का नाम तो सायद सब जानते ही होंगे, कुछ महीने पहले की बात हैं मैं अपने गाँव गया था, गाँव मैं घूमने निकला तो एक जगह देखा जिला पंचायत सदस्य का आदमी पैसे बाँट रहा था,लोगों के चेहरे मैं बहुत खुसी दिख रही थी, मैंने जब लोगों से पूछा की आज किस कम के पैसे बट रहे हैं तो लोग बोले कुछ दिन इनके पास काम किया था नहर साफ किया था,तो उसके पैसे मिल रहे हैं, लोगों मैं खुसी इसलिए थी की इस योजना मैं १०० रूपया रोज मिलता हैं और वो दे रहा था १२५ रूपया वो आदमी पैसे बाँट के चला गया, मैंने जब लोगों से गहराई से पूछताछ किया तो उन लोगों का कहना था की सबसे ज्यादा रेट इन्होने ही दिया, प्रधान ने ११० रूपया रोज दिया छेत्र पंचायत सदस्य ने ११५ रूपया रोज सबसे फायदे मैं हम लोग रहे हमने अपना कार्ड इसलिए इनको ही दिया| ये बात मेरे समझ  मैं नहीं आ रही थी की जब सरकार से १०० रूपया रोज मिलता हैं तो ये लोग उससे ज्यादा क्यों दे यहे हैं,जब फिर मैंने लोगों से पूछा की पुरे १०० दिन की हाजरी का पैसा मिला ना तब सचाई मालूम हुई, २० दिन से ज्यादा किसी की भी हाजरी नहीं थी लोगोने ये भी बताया की जिन्होंने १ दिन भी काम नहीं किया उनको एक कार्ड का १००० रूपया मिलता हैं किसी ने तो ये तक बताया की जो लोग गाँव मैं नहीं रहते बहार नौकरी करते हैं उनके नाम मैं भी कार्ड  हैं किसी किसी के पास तो 5 ya 6 कार्ड हैं जब मैंने लोगों से  बोला की आप लोगोने कभी किसी adhikari को इसकी शिकायत नहीं की तो लोगों का bolna था hamko iska pata ही नहीं था  jin लोगों को मालूम था भी unka कहना था की हम लोग क्यों इनसे dusmani mol lain शिकायत karke kuch hone wala तो hai नहीं upper से neeche तक सब mile रहते हैं hamara गाँव मैं rahna भी muskil ho jayega ......

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

This is really a very serious matter.

विनोद सिंह गढ़िया:
कुल्याल जी मैं तो सोच रहा था कि सिर्फ मेरे ही गाँव में इस प्रकार की धांधली हो रही है। "महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना" में धांधली तो सायद समस्त उत्तराखंड में है .........?
जैसा कि कुल्याल जी ने कहा कि यहाँ उन लोगों के भी जॉब कार्ड बने हैं जो इस समय गाँव में अभी हैं ही नहीं । यह बात १०० प्रतिशत सत्य है।   इसी प्रकार की धांधली मेरे गाँव में भी हो  रही है, क्या पता अन्य गांवों में भी हो रहा हो ?
--- Quote from: kundan singh kulyal on July 29, 2011, 06:15:26 AM ---
"महात्मा गाँधी राष्टीय रोजगार गारंटी योजना" का नाम तो सायद सब जानते ही होंगे, कुछ महीने पहले की बात हैं मैं अपने गाँव गया था, गाँव मैं घूमने निकला तो एक जगह देखा जिला पंचायत सदस्य का आदमी पैसे बाँट रहा था,लोगों के चेहरे मैं बहुत खुसी दिख रही थी, मैंने जब लोगों से पूछा की आज किस कम के पैसे बट रहे हैं तो लोग बोले कुछ दिन इनके पास काम किया था नहर साफ किया था,तो उसके पैसे मिल रहे हैं, लोगों मैं खुसी इसलिए थी की इस योजना मैं १०० रूपया रोज मिलता हैं और वो दे रहा था १२५ रूपया वो आदमी पैसे बाँट के चला गया, मैंने जब लोगों से गहराई से पूछताछ किया तो उन लोगों का कहना था की सबसे ज्यादा रेट इन्होने ही दिया, प्रधान ने ११० रूपया रोज दिया छेत्र पंचायत सदस्य ने ११५ रूपया रोज सबसे फायदे मैं हम लोग रहे हमने अपना कार्ड इसलिए इनको ही दिया| ये बात मेरे समझ  मैं नहीं आ रही थी की जब सरकार से १०० रूपया रोज मिलता हैं तो ये लोग उससे ज्यादा क्यों दे यहे हैं,जब फिर मैंने लोगों से पूछा की पुरे १०० दिन की हाजरी का पैसा मिला ना तब सचाई मालूम हुई, २० दिन से ज्यादा किसी की भी हाजरी नहीं थी लोगोने ये भी बताया की जिन्होंने १ दिन भी काम नहीं किया उनको एक कार्ड का १००० रूपया मिलता हैं किसी ने तो ये तक बताया की जो लोग गाँव मैं नहीं रहते बहार नौकरी करते हैं उनके नाम मैं भी कार्ड  हैं किसी किसी के पास तो 5 ya 6 कार्ड हैं जब मैंने लोगों से  बोला की आप लोगोने कभी किसी adhikari को इसकी शिकायत नहीं की तो लोगों का bolna था hamko iska pata ही नहीं था  jin लोगों को मालूम था भी unka कहना था की हम लोग क्यों इनसे dusmani mol lain शिकायत karke kuch hone wala तो hai नहीं upper से neeche तक सब mile रहते हैं hamara गाँव मैं rahna भी muskil ho jayega ......

--- End quote ---

विनोद सिंह गढ़िया:
उत्तराखंड में मनरेगा में हो रही धांधली की  जानकारी इस समाचार से भी ले  सकते हैं :
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पोस्टमास्टर- पोस्टमैन खा गए मनरेगा की मलाई

पौड़ी गढ़वाल : मनरेगा का असल महत्व पौड़ी जिले में नजर आता है। यहां पोस्टमास्टर और पोस्टमैन भी मनरेगा की मजदूरी कर रहे हैं। इन कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारियों ने मजदूरी के लिए विभाग से अवकाश तक नहीं लिया। मजदूरी के दिन की हाजिरी रजिस्टर में दर्ज है। हैरत यह है कि दो साल तक किसी का ध्यान इस ओर नहीं गया। जबकि नियमानुसार जॉब कार्ड ग्राम पंचायत अधिकारी बनाता है और खंड विकास अधिकारी की संस्तुति पर धनराशि जारी की जाती है। बताया जाता है कि मामला पौड़ी जिले में पोखड़ा ब्लाक के तिलखोली गांव का है। इसी गांव के डाकघर में तैनात हैं पोस्टमास्टर भरत सिंह व पोस्टमैन गजेन्द्रपाल सिंह। मामले में पता चला है कि पोस्टमास्टर भरत सिंह का जाब कार्ड संख्या 3505014043000013 व पोस्टमैन गजेन्द्र पाल सिंह का योजना से संबंधित जॉब कार्ड संख्या 3505014043000080 है। 17 अगस्त 2009 से 22 अगस्त 2009 में मस्टरोल संख्या 014662 में दोनों ने छह-छह दिन मनरेगा में कार्य किया। भुगतान उन्हें छह-छह सौ दिया गया। आगे इन्हीं तारीख में उनकी हाजिरी दूसरे मस्टररोल संख्या 014657 में भी दर्ज की गई और यहां भी उन्हें छह-छह सौ रुपए का भुगतान किया गया। विभागीय सूत्रों की मानें तो 17 से 22 अगस्त तक दो कार्यो पर प्रधान द्वारा हाजिरी दर्ज कर उन्हें भुगतान किया गया। इसके बाद एक से 6 मई 2010 तक पोस्टमैन साहब की मस्टररोल संख्या 014632 में चार दिन की हाजिरी दर्शा कर ग्राम प्रधान सल्ड मुन्नी देवी ने भुगतान किया। 24-30 अगस्त 2009 में मस्टररोल संख्या 014663 में पोस्टमास्टर व पोस्टमैन ने खाल निर्माण में मजदूरी की। उन्हें छह-छह सौ रुपए का भुगतान किया गया है। आखिरकार दूसरी ओर यह हुआ कि 8 से 12 दिसंबर, मस्टरौल संख्या 014673 में छह-छह दिन, 15 से 20 दिसंबर तक मस्टररौल संख्या 014665 में छह-छह दिन, 22-27 दिसंबर 2009 में दो-दो दिन, 12-15 अगस्त 2009 में छह-छह दिन पोस्टमास्टर व पोस्टमैन साहब मनरेगा में कार्य करते रहे।

http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=14&edition=2011-08-03&pageno=9#id=111717818572008824_14_2011-08-03

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
धन्य हो ... यहाँ भी नहीं chhoda..


--- Quote from: विनोद गड़िया on August 03, 2011, 05:41:46 AM ---उत्तराखंड में मनरेगा में हो रही धांधली की  जानकारी इस समाचार से भी ले  सकते हैं :
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पोस्टमास्टर- पोस्टमैन खा गए मनरेगा की मलाई

पौड़ी गढ़वाल : मनरेगा का असल महत्व पौड़ी जिले में नजर आता है। यहां पोस्टमास्टर और पोस्टमैन भी मनरेगा की मजदूरी कर रहे हैं। इन कर्तव्यनिष्ठ कर्मचारियों ने मजदूरी के लिए विभाग से अवकाश तक नहीं लिया। मजदूरी के दिन की हाजिरी रजिस्टर में दर्ज है। हैरत यह है कि दो साल तक किसी का ध्यान इस ओर नहीं गया। जबकि नियमानुसार जॉब कार्ड ग्राम पंचायत अधिकारी बनाता है और खंड विकास अधिकारी की संस्तुति पर धनराशि जारी की जाती है। बताया जाता है कि मामला पौड़ी जिले में पोखड़ा ब्लाक के तिलखोली गांव का है। इसी गांव के डाकघर में तैनात हैं पोस्टमास्टर भरत सिंह व पोस्टमैन गजेन्द्रपाल सिंह। मामले में पता चला है कि पोस्टमास्टर भरत सिंह का जाब कार्ड संख्या 3505014043000013 व पोस्टमैन गजेन्द्र पाल सिंह का योजना से संबंधित जॉब कार्ड संख्या 3505014043000080 है। 17 अगस्त 2009 से 22 अगस्त 2009 में मस्टरोल संख्या 014662 में दोनों ने छह-छह दिन मनरेगा में कार्य किया। भुगतान उन्हें छह-छह सौ दिया गया। आगे इन्हीं तारीख में उनकी हाजिरी दूसरे मस्टररोल संख्या 014657 में भी दर्ज की गई और यहां भी उन्हें छह-छह सौ रुपए का भुगतान किया गया। विभागीय सूत्रों की मानें तो 17 से 22 अगस्त तक दो कार्यो पर प्रधान द्वारा हाजिरी दर्ज कर उन्हें भुगतान किया गया। इसके बाद एक से 6 मई 2010 तक पोस्टमैन साहब की मस्टररोल संख्या 014632 में चार दिन की हाजिरी दर्शा कर ग्राम प्रधान सल्ड मुन्नी देवी ने भुगतान किया। 24-30 अगस्त 2009 में मस्टररोल संख्या 014663 में पोस्टमास्टर व पोस्टमैन ने खाल निर्माण में मजदूरी की। उन्हें छह-छह सौ रुपए का भुगतान किया गया है। आखिरकार दूसरी ओर यह हुआ कि 8 से 12 दिसंबर, मस्टरौल संख्या 014673 में छह-छह दिन, 15 से 20 दिसंबर तक मस्टररौल संख्या 014665 में छह-छह दिन, 22-27 दिसंबर 2009 में दो-दो दिन, 12-15 अगस्त 2009 में छह-छह दिन पोस्टमास्टर व पोस्टमैन साहब मनरेगा में कार्य करते रहे।

http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=14&edition=2011-08-03&pageno=9#id=111717818572008824_14_2011-08-03

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