Author Topic: Currupt System in Uttarakhand - ये कैसा भ्रष्टाचार है उत्तराखण्ड में?  (Read 47144 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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स्वतंत्रता सेनानी की जमीन पर बनी सड़क
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सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा बिना अनुमति के क्षेत्र के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 102 वर्षीय राम गिरि बाबा की जमीन में मोटर मार्ग तो बना दिया, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को अभी तक कोई मुआवजा नहीं दिया। जिससे व्यथित स्वतंत्रता सेनानी ने मुख्यमंत्री को पत्र भेज अविलंब मुआवजे की मांग की है। अपने पत्र में राम गिरि ने लिखा कि उनके पास मोरनौला-देवीधूरा मोटर मार्ग में बेडड़ूला के समीप बेसकीमती खेती योग्य भूमि थी, जिससे वह और उनका परिवार दरिया-गुजर करता था। विगत 15 अगस्त की अतिवृष्टि में बेड़चूला मोटर मार्ग ध्वस्त होने से पीडब्ल्यूडी ने बिना उनसे अनुमति लिए उनकी जमीन पर जेसीबी से मोटर मार्ग बना दिया। जिसकी न तो उनसे इत्तला ली और न ही मुआवजा दिया। जिससे उनका परिवार भूमिहीन हो गया वयोवृद्ध राम गिरि द्वारा तुरंत मुआवजा न मिलने पर डीएम कार्यालय में अनशन की धमकी दी है।

इधर सात वर्ष पूर्व मंडी समिति द्वारा बनी करोड़ों की लागत की रोड रखरखाव के अभाव में बदहाल स्थिति में है। इन रोडों में न तो डामरीकरण ही किया न ही सुरक्षा दीवार बनायी। परिणामस्वरूप आज तक यह वाहन चलने लायक नहीं बन पाए। काश्तकारों के बेसकीमती खेतों के कटने के बावजूद उन्हें मुआवजा भी नहीं मिल पाया। इधर इन मोटर मार्गो की बदहाली से ग्रामीणों में रोष है। ग्रामीणों ने इन मार्गो को लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित कर इनकी मरम्मत की मांग की है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_8528757.html

Rajen

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दवा नियंत्रक के लॉकर में दो करोड़ रूपये मिले
देहरादून, एजेंसीFirst Published:16-11-11 01:28 AM (दैनिक हिंदुस्तान)
 
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उत्तराखंड सतर्कता विभाग को राज्य के दवा नियंत्रक के लॉकर में दो करोड़ रुपये से अधिक की राशि मिली है। एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी।

दवा नियंत्रक को हाल ही में एक फर्मा कंपनी से रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

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आस्था की आड़ में काला कारोबार======================================


जाका, अल्मोड़ा: इसे पैसों की भूख कहें या सरकार को चूना लगाने की फितरत। मुनाफाखोरी के फेर में लीसे के सौदागरों ने हैड़ाखान बाबा सिद्ध मंदिर आश्रम को ही काले कारोबार का अड्डा बना डाला। सूत्रों की मानें तो यह सब इतने शातिराना अंदाज में हुआ कि श्रमिकों को भी अंधेरे में रख आश्रम में ही लीसा स्टॉक करने को कहा गया। खास बात है कि दिसंबर मध्य में मंदिर व आश्रम में बड़ा धार्मिक कार्यक्रम होना है। इस कृत्य से आस्था के केंद्र की छवि पर भी चोट लगी है।
दरअसल, हैड़ाखान बाबा सिद्ध मंदिर व आश्रम के संस्थापक मौनी बाबा हैं। इस धार्मिक स्थल में देश ही नहीं विदेशी नागरिकों की अगाध आस्था है। मगर सल्ला गांव में तो मुनाफे के फेर में आस्था के इस केंद्र की छवि को ताक पर रख वहां अवैध लीसा गोदाम बना दिया गया। विभागीय अधिकारियों के अनुसार संबंधित वन्य क्षेत्र में जितना भी लीसा निकाला जाता है, उसे सीधे डिपो में पहुंचाया जाता है। यदि ऐसा संभव न हो तो टिन मौके पर ही गिनती कर इसकी रिपोर्ट संबंधित वन रक्षक को दी जाती है। यहां से विभाग के वनाधिकारियों को निकाले गए लीसा टिनों की संख्या व अन्य स्थिति से अवगत कराया जाता है। हैरान वनाधिकारियों ने भी मामले को बेहद गंभीर करार देते हुए लीसा स्टॉक को अब तक का सबसे बड़ा चोरी का मामला बताया। दूसरी ओर लीसा स्टॉक जब्त होने के बाद मजदूरों को अपनी मजदूरी मारे जाने का डर सताने लगा है।



http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_8561995.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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A under construction Bridge collapsed in Srinagar Garhwal. 8 killed.
« Reply #124 on: March 25, 2012, 11:37:43 PM »

A Bridge Collapsed in Srinagar Garhwal, killing 8 labourer.


"जिस जगह पर इस पुल का निर्माण किया जा रहा है, वह खतरे से कम नहीं और यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन उस रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए उस समय केंद्र में मंत्री रहे भुवन चंद खण्डूडी ने पुल का निर्माण शुरू करवा दिया था और उस समय उसकी लागत 16 करोड़ रूपये रखी गई थी। "

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मिलावटखोर कंपनी, डीलर को सजा अपमिश्रित सरसों का तेल बेचने का था
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रुद्रप्रयाग। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट(सीजेएम) अनिरुद्ध भट्ट ने खाद्य तेल में मिलावटखोरी के आरोप में निर्माता कंपनी और होससेल डीलर को छह-छह माह कैद और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। स्थानीय विक्रेता को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है। मामले में फैसला 20 साल में आया।


जिला सहायक अभियोजन अधिकारी सुदर्शन चौधरी ने बताया कि 13 नवंबर 1991 में खाद्य निरीक्षक एनएस रावत ने खड़पतियाखाल में सलोप सिंह की दुकान से राहुल ब्रांड के सरसों के तेल के नमूने लिए। इन नमूनों को राजकीय जन विश्लेषक लखनऊ को विश्लेषण हेतु भेजा। रिपोर्ट के अनुसार सरसों के तेल में हानिकारक आरजीमोन तेल पाया गया।

सीएमओ की अनुमति के बाद खाद्य निरीक्षक ने सलोप सिंह और तेल की सप्लाई करने वाले मैसर्स विश्वंभर दास रामऔतार कोटद्वार के विरुद्ध खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम (पीएफए) के तहत कार्यवाही की। पूर्व में तत्कालीन पीठासीन अधिकारी ने इस मामले में उत्पाद कंपनी जेएन ऑयल मिल्स हापुड़ को भी अभियुक्त बनाकर तलब किया।


न्यायालय में बचाव पक्ष ने दलील दी कि आरजीमोन सरसों के खेत में स्वत: पैदा होता है। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है। इस पर सीजेएम ने असहमति जताते हुए कहा कि आरजीमोन तेल से ड्रॉप्सी बीमारी होती है। न्यायालय ने विक्रेता सलोप सिंह को दोषमुक्त कर दिया। जबकि होलसेल डीलर अवधेश कुमार और निर्माता कंपनी के प्रबंधक प्रदीप कुमार (पहले कोई अन्य प्रबंधक था) को दोषी मानते हुए सजा सुनाई।


Source Dainik Jagran

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Gau mata ko bhi nahin chhodate hai Reaad this


गौ तस्करी रोकने को मुखर हुए हिंदूवादी संगठन
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टनकपुर : क्षेत्र में गौ तस्करी की बढ़ रही घटनाओं से हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ता भड़क उठे हैं। बुधवार को कार्यकर्ताओं ने पुलिस उपाधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर गौ तस्करी पर शीघ्र अंकुश लगाते हुये 48 घंटे के भीतर तस्करों को गिरफ्तार करने की मांग की है। उन्होंने कार्रवाई न होने पर व्यापक जन आंदोलन करने की चेतावनी दी है।

हिंदू जागरण मंच के प्रदेश महामंत्री नवीन बिष्ट की अगुवाई में कार्यकर्ताओं ने सीओ पीएस पांगती को ज्ञापन सौंप क्षेत्र में बढ़ रही गौ तस्करी की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाने की मांग की। ज्ञापन में कहा गया है कि टनकपुर-बनबसा में पिछले दो माह में लगभग सौ से अधिक गायों की चोरी की घटनाएं हुई है।


कार्यकर्ताओं ने पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस पीड़ितों की रिपोर्ट दर्ज करवाने के बजाय उन्हें डांट फटकारती है। अभी तक एक भी मामले में पुलिस गौ तस्करों को गिरफ्तार करने में सफल नहीं हो पाई है। जिससे हिंदूवादी संगठनों में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है।

गौ तस्करी पर अंकुश लगाने की मांग को लेकर ज्ञापन देने वालों में भाजपा मंडल महामंत्री राजू भंडारी, नरेश सकारी, सौरभ, मुकेश साहू, कमल पंत आदि शामिल थे।


Dainik Jagran

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झोलाछाप निकाल रहे दम
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नीम हकीम, खतरा ए जान, पुरानी कहावत है,


 लेकिन उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में लोगों को इससे कोई सरोकार नहीं, लेकिन बीमारी को मामूली समझ झोलाछाप डाक्टर से दवा लेना मंहगा पड़ सकता है। राज्य के गंाव और शहरों में झोलाछाप डाक्टरों की भरमार है। ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी स्वास्थ्य सेवा कमजोर होने के कारण इनका दबदबा है। वहीं, स्वास्थ्य महकमे की कार्यशैली के कारण भी इनकी भरमार है।

हाल ही में स्वास्थ्य विभाग की डेंटल क्लीनिकों पर की गई कार्रवाई में कोटद्वार के चार क्लीनिकों ताला डाला गया। इस कार्रवाई के बाद झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई के आसार बने है। पहले चरण में स्वास्थ्य महकमा पाबौ ब्लॉक में 18 झोलाछाप डॉक्टरों की जांच कर रहा है। विभाग ऐसे क्लीनिकों की जांच कर रहा है, जो उत्तराखड मेडिकल काउंसिल से मान्यता प्राप्त नहीं है।


जिला अस्पताल के डॉक्टरों की मानें तो अधिकत्तर झोलाछाप डाक्टर हर मर्ज के लिए लाइफ सेंविग ड्रग जिन्हें कॉर्टिको स्टेरायड भी कहते हैं, का प्रयोग करते हैं। इससे मरीजों को लंबी बीमारी का दंश झेलना पड़ता है।

सांस के मरीजो को निश्चित मात्रा में कॉर्टिको स्टेरायड दी जाती है, इसकी ज्यादा मात्रा मरीज पर भारी पड़ सकती है। अधिकांश मरीज झोलाछाप डाक्टरों से इलाज करवाने के बाद बुरी स्थितियों में अस्पताल पंहुचते हैं।
कॉर्टिको स्टेरायड के खतरे
-इसकी अधिक मात्रा से कई गंभीर साइड इफैक्ट हो सकते हैं
-पेट में अल्सर हो सकता है, हड्डियां कमजोर हो जाती हैं
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_9494771.html


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उत्तरकाशी में एक राजस्व पटवारी पर आपदा पीडितो ने धोखाधडी का आरोप लगाया है। दरअसल 2010 में आई आपदा में पुरोला के हुडोली गांव में मकान क्षतिग्रस्त हुए थे। मुआवजे के बंटवारे के लिए राजस्व पटवारी को जांच सौपी गई ।

 लेकिन पटवारी ने कुछ पीडितों को कहा की आप लोगों का मकान आपदा में नही आते है। जिसके बाद आपदा पीडितो ने अपने हक के लिए तहसील के चक्कर लगाने शुरू किए थक हारने के बाद जब पीडितों ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी तो पता लगा की पटवारी ने अपने रिश्तेदारो को आपदा का मुआवजा दिला दिया है। जबकि लोगों का आरोप है कि जिन्हे मुआवजा दिया गया है उन लोगों के मकान पक्के बने हुए हैं।

 मामले की गम्भीरता को देखते हुए एसडीएम से जांच कराई गई ..जांच रिपोर्ट के मुताबिक पटवारी, तहसीलदार, और कानूनगों की मिली भगत से ये खेल खेला गया था। अब पीडितों को गुमराह करने वालों से जवाब मांगा गया है। जवाब मिलने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्यवाई की जाएगी।

 

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