Author Topic: Currupt System in Uttarakhand - ये कैसा भ्रष्टाचार है उत्तराखण्ड में?  (Read 47166 times)

krantiveer

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Don't be surprise to know corruption  level in Uttarakhand ,only name change but the all the Uttarpradesh  [U.P.] system and their  workers still in our state Department .Actually the formation of Uttarakhand based on corruption  do you forget Police recruitment scandal ?thousand of outsider guys from from UP enter in UK police by Bribe ,i have seen how old UP police man who still work in our state they teach new recruits  how to take bribe from Bus and trucks.
so culture is handover from tham to us .not only this they miss behaved and take bribe from simple Pahari village peoples.

SO ITS NOT A OUR DREAM UTTARAKHAND BECAUSE WHEN ITS FORMED THEY DIDNT TAKE ANY ADVISE FROM LOCAL UTTARAKHANDI/ANDOLANKARI  .
OUR FIRST CHIEF MINISTER IS WHO?--- NON PAHARI
OUR FIRST D.G.P. WHO ? --- NON PAHARI
Actualy  formation of Uttarakhand is a deal with politician and Mafias to give tham a safe and open ground ,and a deal with UP ,Panjab,Haryana ,Delhi ,to make Uttarakhand their  UPNIVASH [COLONY].
SO I DONT THINK ITS MY UTTARAKHAND FOR WHOM I FIGHT ,WE NEED ONE MORE STATE MOVEMENT.
JAI BADRI VISHAL

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Yet another Corruption by Congress Govt in Uttarakhand.

उत्तराखंड में 100 करोड़ का घोटला, पुल बना नहीं सरकार ने कर दी पेमेंट

देश में घोटालों का रिकॉर्ड बना चुकी कांग्रेस के नाम एक और घोटाला सामने आया है. उत्तराखंड में टिहरी बांध की झील के ऊपर पुल के निर्माण में सौ करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का पता चला है. खास बात यह है कि देश के इस सबसे बड़े सस्‍पेंशन पुल का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हुआ है, जबकि पुल बनाने वाली ठेकेदार कंपनी को 120 करोड़ रुपये की लगभग पूरी लागत का भुगतान कर दिया गया है.

गौरतलब है कि टिहरी से प्रतापनगर की 4-5 किलोमीटर की दूरी पुल के डूब क्षेत्र में आ जाने के बाद बढकर करीब 70 किलोमीटर हो गई थी. जिसके बाद टिहरी बांध परियोजना पुर्नवास निदेशालय ने 440 मीटर लंबे डोबराचांटी पुल की परियोजना तैयार की. पुल की लागत 129.43 करोड़ रुपये प्रस्तावित थी. जिसका ठेका चंडीगढ़ की मै.वीके गुप्ता एंड एसोसिएट्स को दिया गया. लेकिन 2010 में निविदाएं आमंत्रित किए जाने के बाद से अब तक पुल के दोनों छोर पर केवल पिलर ही बन पाये हैं. जबकि ठेकेदार कंपनी को 120 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.

आरटीआई से हुआ खुलासा
उत्तराखंड सरकार के इस गड़बड़झाले का खुलासा राजेश्वर नाम के एक व्यक्ति द्वारा दायर आरटीआई के जरिए हुआ है. इस पुल के न होने से टिहरी से प्रतापनगर और आसपास के दर्जनों गांवों को भारी परेशानी का सामना करना करना पड़ रहा है. आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार इस पुल के लिए कुल लागत का 50 फीसदी केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाना था, जबकि बाकी 50 फीसदी राज्य सरकार द्वारा खर्च होना था. योजना के लिए कुल 128.53 करोड़ की राशि टिहरी बांध परियोजना पुर्नवास निदेशालय को दी गई थी. वहीं, 2010 में निविदा स्‍वीकृत होने के बाद से इस साल अप्रैल तक निर्माता ठेकेदार ने 124.44 करोड़ रुपये खर्च कर दिये, जिसमें से उन्‍हें 120.80 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.

अधिकारियों ने जमकर की विदेश यात्राएं
पुल भले ही नहीं बना हो, लेकिन इस पुल के लिए तकनीकी सहायता के नाम पर अधिकारियों ने 10 से ज्‍यादा बार विदेश यात्राएं की हैं. यही नहीं, इस पुल की तकनीक के लिए आईआईटी खड़गपुर से अनुबंध भी किया गया था. जानकार बताते हैं कि यह पुल आम झूला पुल से काफी अलग है, लेकिन सरकार इसे केवल एक इंजीनियर के भरोसे बना रही है, जबकि इसके लिए अंतरराष्‍ट्रीय निविदाएं मंगाई जानी चाहिए थी.

अवैध रूप से लगाया स्‍टोन क्रेशर
पुल के निर्माण में भ्रष्‍टाचार का आलम यह है कि यहां रेत बजरी तैयार करने के लिए कंपनी द्वारा अवैध ढंग से स्‍टोन क्रेशर भी लगा लिया गया. इस क्रेशर से पुल के निर्माण के लिए नाममात्र मैटेरियल तैयार किया जाता और बाकी अवैध रूप से खुले बाजार में बेचा जा रहा था. जानकारी मांगने पर अधिकारियों ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि अवैध संचालन के कारण क्रेशर सीज कर लिया गया.

अब सरकार ने किया जांच का वादा
राष्‍ट्रमंडल खेल से लेकर कोयला घोटाले का दंश झेल रही कांग्रेस सरकार इस नए घोटाले से सकते में हैं. राज्‍य की कांग्रेस सरकार जो अब तक इस पूरे मामले में आंखे मूंदी बैठी थी, आरटीआई से खुलासे के बाद हरकत में आई है. उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मिनिस्‍टर मंत्री प्रसाद नैथानी ने मामले में सरकार द्वारा जांच करवाने की बात कही है.


और भी... http://aajtak.intoday.in/story/100-crore-rupee-bridge-scam-in-uttarakhand-1-750176.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर है मेजर

उत्तराखंड में ऐसा पहली बार हुआ है जब सेना का कोई मेजर ड्यूटी के दौरान भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन कर रहा है.

शनिवार शाम को तबीयत खराब होने के कारण उन्हें देहरादून सैन्य अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है.

तीर्थनगरी के आईडीपीएल स्थित शिवालिक परियोजना मुख्यालय के गेट के बाहर भारतीय सेना के मेजर सचिन खंडगले बीआरओ में भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठ गए हैं.उनकी तैनाती आपदा के दौरान उत्तराखंड के धारचूला बीआरओ की विंग हीरक परियोजना (एसटीएफ) में कमान अधिकारी के रूप में की गई है. मेजर डा. सचिन ने बताया कि बीआरओ में भ्रष्टाचार चरम पर है.

बीआरओ में तैनाती के दौरान उन्हें कैंटीन का सामान बाजार में बेचने का मामला पकड़ा था. उनके पास इसका सबूत है. इतना ही नहीं नेपाल सीमा पर धारचूला में बीआरओ अपनी गाड़ियों का डीजल और सरकारी सीमेंट बाजार में बेच रहा है. उन्होंने इसकी लिखित शिकायत विभाग के डीडीजी विजिलेंस दिल्ली से की तो जांच करने की बजाय उन्हें 28 जनवरी 2014 को उत्तराखंड के शिवालिक परियोजना में अटैच कर दिया गया.

यहां पर उन्हें किसी प्रकार का काम नहीं सौंपा गया है. बीआरओ में भ्रष्टाचार उजागर करने पर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है. मेजर रैंक होने के बावजूद उनको शिवालिक परियोजना में सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं. उनको विवश होगर अनशन करना पड़ रहा है.

उन्होंने कहा कि जब तक उनकी बात नहीं सुनी जाती उनका अनशन जारी रहेगा. मेजर के अनशन करने से बीआरओ की शिवालिक विंग परियोजना में हड़कंप मच गया है. उनके अनशन की सूचना आलाधिकारियों को दे दी गई है. जान को खतरा बताया : मेजर डा.सचिन ने बीआरओ में भ्रष्टाचार को उजागर करने के बाद खुद की जान को खतरा बताया है.

उन्होंने कहा कि गत शुक्रवार को राजकीय महाविद्यालय के पास साइकिल चलते वक्त उन्हें चक्कर आ गया. स्थानीय लोग उनको शिवालिक परियोजना मुख्यालय तक लाए. मेजर ने कहा कि उनका ठीक से उपचार नहीं किया गया. उन्होंने शिवालिक परियोजना के अधिकारियों से कहा कि उनको रायवाला के आर्मी अस्पताल में भर्ती करा दिया जाए लेकिन उनको देहरादून रेफर कर दिया गया. उनकी एम्बुलेंस के पीछे एक अन्य गाड़ी को भेजा गया. उन्होंने आशंका जताई कि कुछ लोग दुर्घटना कराकर उन्हें मारना चाहते हैं.

भ्रष्टाचार का खुलासा करने के बाद कुछ लोग उनकी जान के पीछे पड़ गए हैं. उन्होंने कहा कि सुरक्षा को देखते हुए उन्हें आर्मी में भेज दिया जाए.

देश से बढ़कर नहीं नौकरी

सेना में रहते हुए सार्वजनिक रूप से विभाग के खिलाफ अनशन करने पर कोर्ट मार्शल की कार्रवाई की आशंका पर मेजर सचिन खंडगले ने कहा कि नौकरी देशभक्ति से बढ़कर नहीं है. सेना में देश सेवा सिखाई जाती है.

सेना में रहते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने का उनका तरीका गलत हो सकता है मगर जब उनकी बात को न सुना जा रहा हो तो उनके पास अनशन के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा.

आपदा के दौरान दरांती से कराया प्रसव

सेना में तैनात मेजर सचिन पेशे से चिकित्सक हैं. उत्तराखंड आपदा के दौरान धारचूला में सारे मार्ग बंद हो गए थे. एक महिला प्रसव पीड़ा से परेशान थी. उनके पास चिकित्सा किट नहीं थी. इसके बाद उन्होंने एक एनजीओ के द्वारा तैनात नर्सिग कर्मचारी के साथ घास कटाने वाली दरांती से प्रसव कराया. इसके लिए स्थानीय लोगों ने उनका आभार भी व्यक्त !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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यह युवक 14 साल में बन गया पोस्टमैन

चकराता तहसील अंतर्गत लोहारी गांव स्थित डाकघर में फर्जीवाड़ा कर नौकरी हासिल करने का मामला प्रकाश में आया है।

फर्जी दस्तावेज के बल पर हासिल की नौकरी
इतना ही नहीं फर्जी दस्तावेज के बल पर एक व्यक्ति ने महज 14 साल की उम्र में ही नौकरी हासिल कर ली। मामले का खुलासा सूचना के अधिकार से हुआ। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत एसडीएम के साथ ही पोस्ट मास्टर जनरल से की है।

शिकायती पत्र में कहा कि वर्ष 1991 में लोहारी डाकघर में बतौर पोस्टमैन गांव के ही कुंदन सिंह पुत्र जगत सिंह की तैनाती हुई। बतौर पोस्टमैन ज्वाइनिंग देते वक्त कुंदन की सरकारी अभिलेखों के अनुसार आयु 14 साल बैठती है।

कुंदन ने प्राथमिक पाठशाला लोहारी से पांचवीं कक्षा उत्तीर्ण की है। स्कूल में उसकी जन्मतिथि 20 मई 1977 दर्ज है। मात्र 14 साल की आयु में 1991 में कुंदन ने पोस्टमैन के पद पर ज्वाइन किया।

पेंशनधारकों के हकों पर भी डाका
जिससे साफ है कि कुंदन सिंह ने फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्रों का उपयोग कर नौकरी हासिल की है। आरोप लगाया कि पोस्टमैन कुंदन पेंशनधारकों के हकों पर भी डाका डाल रहा है।

आरोप लगाया कि वह विकलांग, विधवा और वृद्धा पेंशन का गबन किया जा रहा है। मृतकों तक की पेंशन खुद ले रहा है। एसडीएम अशोक कुमार पांडेय ने कहा कि मामले की जांच कर संबंधित विभाग को भेजी जाएगी।

शिकायत करने वालों में श्याम सिंह राणा, रमेश सिंह चौहान, धूम सिंह चौहान शामिल रहे।

http://www.dehradun.amarujala.com/news/city-hulchul-dun/become-postman-by-forgery/

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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चन्द्रशेखर करगेती
3 hrs · Edited ·

बल ‪#‎हरदा‬,

क्या सच में कुम्भ में कोई घोटाला हुआ था, अगर हुआ भी था तो क्या सारा का सारा कुम्भ घोटाला अकेले तत्कालीन मुख्यमंत्री निशंक ही कर गये थे, कुम्भ मेले में तत्समय तैनात अधिकारीयों की घोटाला करने में कोई भूमिका नहीं थी ?

जैसा कि आजकल कांग्रेस पार्टी के नेताओं द्वारा प्रचारित किया जा रहा है कि पिछले कुम्भ में भारी घोटला हुआ था, अगर मान भी लिया जाय कि कुम्भ में कोई घोटाला हुआ था, तो उस समय कुम्भ मेले में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात अधिकारीयों के खिलाफ अब तक क्या कार्यवाही हुई ?

क्या कुम्भ घोटाले में,
‪#‎आनंद‬ वर्धन (वर्तमान सचिव, सिंचाई एंव लघु सिंचाई)
‪#‎हरि‬ चंद्र सेमवाल (वर्तमान डीएम हरिद्वार)
‪#‎Chandra‬ Shekhar Bhatt (vartman DM Paudi)
‪#‎विष्णु‬ सिंह धानिक (वर्तमान निदेशक, समाज कल्याण निदेशालय)
की कोई भूमिका नहीं थी ?

ये राजनीति भी बड़ी कुत्ती चीज हैं, जिन अधिकारीयों की भारी भरकम घोटालों को अंजाम देने में सीधे-सीधे भूमिका होती हैं, उन पर ना जनता अंगुली उठाती हैं ना नेता ! आखिर विभागीय मंत्री भी तो इन्ही अफसरों के माध्यम से ही तो घोटालों को अंजाम देते होंगे ना, सरकार किसी भी दल की हो इन अधिकारीयों के खैरख्वाह सभी सरकारों में मौजूद होते हैं ! इनका किसी भी दल की सरकार में कुछ नहीं बिगड़ता ये उन्हें भी देते हैं और इन्हें भी !

इन अधिकारियों के बही खाते में दोनों दलों के नेताओं के नाम दर्ज होते हैं, क्योंकि खाने में दोनों ही दलों के नेता माहिर जो हुए, इन अधिकारीयों ने सबको माल खिलाया होता है, यही कारण है कि उत्तराखण्ड में चौदह साल के इतिहास में किसी भी एक अधिकारी एंव नेता की गर्दन घोटालों को लेकर नहीं नपी है, बचाव के सारे रास्ते और मोहरे पहले से ही फिट होते है !

वैसे भी भ्रष्ट अधिकारियों के लिए क्या कुम्भ होना और क्या नही, वे तो अपने लिए हर जगह कुम्भ बना लेते हैं, बस पदस्थापन की जगह पर भारी भरकम बजट होना चाहिए, ये चुकते कहीं पर भी नहीं हैं.......

हम भी देखते हैं 2017 से पहले आप कितनों की गर्दन नापते हो, अभी तक तो आपके खाते में उपलब्धि के नाम पर "ठन-ठन गोपाल" हैं, जनता भी ठगी हुई हैं, आपके नाम के साथ वह यही महसूस कर रही है....

"ऊँची दूकान फीके पकवान"

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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How to stop corruption is a big issue.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Lokaayukt must be appointed in Uttarakhand control the corruption.

 

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