Author Topic: Currupt System in Uttarakhand - ये कैसा भ्रष्टाचार है उत्तराखण्ड में?  (Read 47181 times)

lpsemwal

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An amount of Rs. 4.98 lacs recovered by Director ICDS/Secretary Women Empowerment without giving any notice/details why it recovered?

A contracted employee created the situation when refused to pay bribe.


हेम पन्त

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Sir,
What is this complete issue. Can u please tell us in details about this?

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An amount of Rs. 4.98 lacs recovered by Director ICDS/Secretary Women Empowerment without giving any notice/details why it recovered?

A contracted employee created the situation when refused to pay bribe.



lpsemwal

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Dear श्री पन्त जी,
धन्यवाद ये परियोजना उत्तराखंड के महिला सशक्तिकरण बिभाग द्वारा १९९५ में स्वीकृत की गई जिसमे कुल १२.५६ लाख का बाया होना था.
परियोजना कार्यालय में पहली किस्त का चेकुए कटा गया जिसे लेकर एक महिल्स कर्मचारी हमारे पास आई और रिश्वत के बदले चेकुए देने की बात करके chali गई.  jab sachib se shikayat की गई to ulyta hamse kam band karne ko kaha गया.

Es prakar bad में rakam ghatakar hame bhugtan kiya गया  और हमारे kam की janch karai गई janch में paya गया की Rs. 7.५६ में se hamne Rs. 8.41 kharch kar दिए फिर भी रस. ४.९८ की बसूली जबरदस्ती की गई. ये है शोर्ट कहै.

पूरी कहानी के लिए में आपसे मिलाना चाहता हूँ या आपके इ-मेल पर पुरे दोचुमेंट्स भेज दूंगा.



Devbhoomi,Uttarakhand

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                              डाकघर कर्मियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज
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घनसाली (उत्तरकाशी)। पट्टी ग्याहरगांव के ग्राम पंचायत ढुंग की एक विधवा महिला ने पोस्ट आफिस कर्मचारियों के फर्जी तरीके से पेंशन हड़पने के मामले में थाना घनसाली में मुकदमा दर्ज किया है।

थाने में दी गई तहरीर के मुताबिक ग्राम ढुंग की रोशनी देवी पत्नी स्व. दीवान सिंह कैंतुरा पिछले चार सालों से विधवा पेंशन ले रही थी, लेकिन जब 22 अगस्त 2007 को वह बजियाल गांव पोस्ट आफिस में पेंशन लेने गई तो वहां उसके खाते से एक साल की पेंशन चार हजार आठ सौ रूपये निकाले गए थे। वह भी फर्जी तरीके से अंगूठा लगाकर। महिला के ससुर जोत सिंह कैंतुरा ने बताया कि पेंशन धारी इंटर पास है और वह हमेशा अपने हस्ताक्षर करती है। जब वह इस बाबत कर्मियों से पूछती तो कर्मचारी उन्हें लम्बे समय से टरकाते रहे, और उसके बाद वर्ष 2008 से 2010 तक की पेंशन भी मिलती रही। एक साल पेंशन न मिलने पर इस बाबत जब महिला के ससुर ने नरेन्द्रनगर स्थित समाज कल्याण कार्यालय में पता किया तो पता चला कि उसकी पेंशन निरंतर पोस्ट आफिस में आती रही। जब महिला को इसका पता चला तो उसने पोस्टआफिस के कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवा दिया। पुलिस के मुताबिक मामले में जांच की जा रही है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6551530.html
 

इन हराम जादों को तो जूतों से मरना कहिये,जो कि इस तरह कि हरकतें गरीबों के साथ करते हैं !


सत्यदेव सिंह नेगी

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दो माह भी नहीं झेल पाया चार करोड़ का डामरीकरण   
घनसाली (उत्तरकाशी)। विकास कार्यो में पारदर्शिता व गुणवत्ता में कितना ध्यान रखा जा रहा इसका जीता-जागता उदाहरण है टिहरी-घनसाली मोटर मार्ग। निर्माण खंड नई टिहरी ने गडोलिया से पिलखी तक दो माह पूर्व साढ़े चार करोड़ खर्च कर डामरीकरण किया था, पर वह दो माह में ही उखड़ गया। आलम यह है कि मार्ग पर जगह-जगह भारी गड्ढे बने हैं।
निर्माण खंड नई टिहरी ने दो माह पूर्व गडोलिया से पिलखी दस किमी तक चार करोड़ 50 लाख रुपये का डामरीकरण के लिए उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के माध्यम से करवाया था। डामरीकरण के नाम पर इतनी भारी-भरकम धनराशि खर्च किए जाने के बावजूद भी मानकों को ताक पर रखा गया और दो माह में ही डामरीकरण उखड़ गया। इससे यह सड़क खस्ताहल स्थिति में है। स्थानीय लोगों के अलावा यात्रियों को जगह-जगह बने गड्ढों पर सफर करना पड़ रहा है। क्षेपं सदस्य डा.कार्तिकानंद, पूर्व ग्राम प्रधान दिनेश कंसवाल, का कहना है कि निर्माण खंड नई टिहरी ने मोटर मार्ग के सुधारीकरण पर करोड़ों खर्च किए, लेकिन सड़क ठीक होने के बजाए सड़क और भी बदहाल हो गई है। उन्होंने कहा कि सड़क पर बने गड्ढे दुर्घटनाओं को निमंत्रण दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में विभाग को भी अवगत कराया, लेकिन विभाग इस ओर मौन साधे हुए है। ग्रामीणों ने किए गए कार्य की तकनीकी जांच किए जाने के साथ ही विभागीय अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इस बारे में अधिशासी अभियंता निर्माण खंड नई टिहरी प्रवीण कुमार का कहना है कि बारिश से कारण पहाड़ी से पत्थरों के गिरने के कारण कई जगहों पर डामर उखड़ गया है। बरसात सीजन समाप्त होते ही सड़क पर मरम्मत का कार्य शुरू किया जाएगा।

सत्यदेव सिंह नेगी

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  दो शिष्य गुरु चार, सरकारी महिमा अपरंपार            Sep 01, 12:35 pm               पौड़ी गढ़वाल [विनोद पोखरियाल]। एक स्कूल, चार शिक्षक, दो छात्र और खर्च साढ़े दस लाख रुपये सालाना। ये है उत्तराखंड केएक स्कूल की तस्वीर। यह कोई पब्लिक स्कूल नहीं, पौड़ी जिले के कोट ब्लाक स्थित एक गाव का सरकारी जूनियर हाईस्कूल है। यहा सरकार चार शिक्षकों के वेतन पर प्रतिमाह 88 हजार रुपये खर्च कर रही है। यह स्थिति एक-दो नहीं पूरे चार साल से है। यदि इन दोनों बच्चों को प्रतिष्ठित दून स्कूल में पढ़ाया जाए तो भी इस पर सालाना मात्र सात लाख रुपये ही खर्च होंगे यानी साढ़े तीन लाख रुपये की बचत और बच्चों के सुनहरे भविष्य की गारंटी अलग से। यह ऐसे राज्य का हाल है, जहा 1688 प्राथमिक विद्यालय एकमात्र शिक्षक के भरोसे हैं, जबकि शिक्षक न होने पर 84 स्कूल बंद कर दिए गए हैं।
उत्तराखंड की यह तस्वीर हैरत में नहीं डालती। पहाड़ में ऐसे दृश्य आम हैं। कहीं एक ही अध्यापक पर 60 बच्चों का बोझ है तो कही शिक्षकों के अभाव में स्कूलों पर ताले लगे हैं। कुछ सौभाग्यशाली विद्यालय ऐसे भी हैं जहा तीन-चार शिक्षक एक-दो बच्चों को शिक्षित करने में तन्मयता से जुटे हैं। यानी मानकों को ताक पर रख कहीं घी घना, कही मुट्ठी भर चना और कहीं वह भी मना की तर्ज पर काम किया जा रहा है। पौड़ी जिले के कोट ब्लाक स्थित सिल्सू गाव के जूनियर हाईस्कूल की किस्मत से दूसरे स्कूलों के बच्चे अवश्य ही रश्क करते होंगे। पिछले चार साल से दो बच्चों को चार अध्यापक शिक्षा दे रहे हैं। इनमें से एक कक्षा तीन व दूसरा कक्षा चार का छात्र है। गाव के अधिकतर बच्चे शहर या दूसरे स्कूलों में शिक्षा पा रहे हैं। अब इसके आस पड़ोस के स्कूलों पर नजर डालते हैं।
इसी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय रजाखेत में 22 बच्चों पर एक अध्यापक और जूनियर हाईस्कूल गेंड में 15 पर तीन अध्यापक तैनात हैं। ग्राम पंचायत गेंड के प्रधान रोशन बिष्ट का कहना है कि वह कई बार शिक्षा विभाग के अफसरों को स्थिति से अवगत करा चुके हैं। बावजूद इसके हालात जस के तस हैं। ब्लॉक कल्जीखाल में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। प्राथमिक विद्यालय डिकमोलीधार में 34 बच्चों पर एक शिक्षक की तैनाती है। प्राइमरी स्कूल ठंगरधार में 10 बच्चों पर दो अध्यापक तैनात हैं। प्राथमिक विद्यालय दयूंसी में 24 बच्चों पर एक अध्यापक तैनात है। दूसरी ओर अधिकारी स्थिति स्वीकारने को तैयार नहीं हैं।
अपर जिला शिक्षा अधिकारी एसपी सेमवाल इससे इनकार करते हुए कहते हैं कि यदि ऐसा है तो स्कूल बंद कर दिया जाएगा और जहा पर कम अध्यापक हैं, वहा शिक्षकों की तैनाती की जाएगी। उन्होंने बताया कि सितंबर में इस संबंध में बैठक आयोजित की जा रही है और उसमें फैसले लिए जाएंगे। ऐसा क्यों हुआ इसे लेकर अपर जिला शिक्षा अधिकारी इस पर चुप्पी साध लेते हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Unfortuantely,  we have to see such news.

God save us !

  दो शिष्य गुरु चार, सरकारी महिमा अपरंपार            Sep 01, 12:35 pm               पौड़ी गढ़वाल [विनोद पोखरियाल]। एक स्कूल, चार शिक्षक, दो छात्र और खर्च साढ़े दस लाख रुपये सालाना। ये है उत्तराखंड केएक स्कूल की तस्वीर। यह कोई पब्लिक स्कूल नहीं, पौड़ी जिले के कोट ब्लाक स्थित एक गाव का सरकारी जूनियर हाईस्कूल है। यहा सरकार चार शिक्षकों के वेतन पर प्रतिमाह 88 हजार रुपये खर्च कर रही है। यह स्थिति एक-दो नहीं पूरे चार साल से है। यदि इन दोनों बच्चों को प्रतिष्ठित दून स्कूल में पढ़ाया जाए तो भी इस पर सालाना मात्र सात लाख रुपये ही खर्च होंगे यानी साढ़े तीन लाख रुपये की बचत और बच्चों के सुनहरे भविष्य की गारंटी अलग से। यह ऐसे राज्य का हाल है, जहा 1688 प्राथमिक विद्यालय एकमात्र शिक्षक के भरोसे हैं, जबकि शिक्षक न होने पर 84 स्कूल बंद कर दिए गए हैं।
उत्तराखंड की यह तस्वीर हैरत में नहीं डालती। पहाड़ में ऐसे दृश्य आम हैं। कहीं एक ही अध्यापक पर 60 बच्चों का बोझ है तो कही शिक्षकों के अभाव में स्कूलों पर ताले लगे हैं। कुछ सौभाग्यशाली विद्यालय ऐसे भी हैं जहा तीन-चार शिक्षक एक-दो बच्चों को शिक्षित करने में तन्मयता से जुटे हैं। यानी मानकों को ताक पर रख कहीं घी घना, कही मुट्ठी भर चना और कहीं वह भी मना की तर्ज पर काम किया जा रहा है। पौड़ी जिले के कोट ब्लाक स्थित सिल्सू गाव के जूनियर हाईस्कूल की किस्मत से दूसरे स्कूलों के बच्चे अवश्य ही रश्क करते होंगे। पिछले चार साल से दो बच्चों को चार अध्यापक शिक्षा दे रहे हैं। इनमें से एक कक्षा तीन व दूसरा कक्षा चार का छात्र है। गाव के अधिकतर बच्चे शहर या दूसरे स्कूलों में शिक्षा पा रहे हैं। अब इसके आस पड़ोस के स्कूलों पर नजर डालते हैं।
इसी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय रजाखेत में 22 बच्चों पर एक अध्यापक और जूनियर हाईस्कूल गेंड में 15 पर तीन अध्यापक तैनात हैं। ग्राम पंचायत गेंड के प्रधान रोशन बिष्ट का कहना है कि वह कई बार शिक्षा विभाग के अफसरों को स्थिति से अवगत करा चुके हैं। बावजूद इसके हालात जस के तस हैं। ब्लॉक कल्जीखाल में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। प्राथमिक विद्यालय डिकमोलीधार में 34 बच्चों पर एक शिक्षक की तैनाती है। प्राइमरी स्कूल ठंगरधार में 10 बच्चों पर दो अध्यापक तैनात हैं। प्राथमिक विद्यालय दयूंसी में 24 बच्चों पर एक अध्यापक तैनात है। दूसरी ओर अधिकारी स्थिति स्वीकारने को तैयार नहीं हैं।
अपर जिला शिक्षा अधिकारी एसपी सेमवाल इससे इनकार करते हुए कहते हैं कि यदि ऐसा है तो स्कूल बंद कर दिया जाएगा और जहा पर कम अध्यापक हैं, वहा शिक्षकों की तैनाती की जाएगी। उन्होंने बताया कि सितंबर में इस संबंध में बैठक आयोजित की जा रही है और उसमें फैसले लिए जाएंगे। ऐसा क्यों हुआ इसे लेकर अपर जिला शिक्षा अधिकारी इस पर चुप्पी साध लेते हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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रिश्वत लेते पकड़ा सहायक अभियंता

अल्मोड़ा: विजिलेंस टीम ने उत्तर प्रदेश जल निगम निर्माण शाखा रुद्रपुर के सहायक अभियंता को 30 हजार रुपये घूस लेते रंगेहाथ पकड़ लिया। ग्वालदम के थराली क्षेत्र के ठेकेदार विजयपाल सिंह ने 27 अगस्त को विजिलेंस के सेक्टर आफीसर आरपी शर्मा के कार्यालय में जल निगम निर्माण शाखा के सहायक अभियंता आरपी श्रीवास्तव पर घूस लेने का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। ठेकेदार का कहना था कि उत्तर प्रदेश जल निगम के सहायक अभियंता ने निर्माण कार्य के फाइनल पेमेंट के भुगतान के एवज में 30 हजार रुपये की मांग की है। सेक्टर आफीसर ने शिकायत की जांच की तो तथ्य सही पाए गए। उन्होंने विभागीय औपचारिकताएं पूरी करने के बाद राजपत्रित अधिकारी होने के कारण इस मामले में शासन से स्वीकृति प्राप्त की। सेक्टर आफीसर आरपी शर्मा ने बताया कि निर्धारित योजना के अनुसार ठेकेदार को सहायक अभियंता आरपी श्रीवास्तव के थपलिया स्थित आवास पर ठेकेदार को 30 हजार रुपए लेकर भेजा गया। जैसे ही ठेकेदार ने रुपये सहायक अभियंता को दिये तो विजिलेंस टीम ने उसे दबोच लिया। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।

Source : Dainik Jagran

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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छात्र के खाते से गायब हो रही छात्रवृत्ति


पुरोला (उत्तरकाशी)। अनुसूचित जाति के एक छात्र की छात्रवृति खाते से निकालने का मामला प्रकाश में आया है। बुधवार को छात्र की मां ढ़काड़ा निवासी सुनीता देवी ने इसकी शिकायत उप जिलाधिकारी पुरोला जयभारत सिंह से की।

शिकायती पत्र में महिला ने कहा है कि उसका पुत्र पंकज कक्षा तीन में विजय पब्लिक स्कूल पुरोला में पढ़ता है तथा उसे 6 सौ रुपये छात्रवृत्ति मिलती है जिसे हर वर्ष विद्यालय प्रशासन उसके पोस्ट आफिस में खोले गये खाता न 0713593 में डाल देता है, किन्तु विगत दो वर्ष से उसके खाते से छात्रवृत्ति जमा होते ही निकाल ली जाती है। पत्र में कहा गया है कि इस वर्ष भी 08 मार्च को विद्यालय के द्वारा उसके खाते में छात्रवृत्ति के 600 रुपये जमा कराए गए। जब वह 31 अगस्त को पुस्तकें खरीदने के लिए पोस्ट आफिस से पंकज के खाते से पैसे निकालने गयी तब पोस्ट मास्टर ने बताया कि खाते में मात्र 50 रुपये बचे हैं। सुनीता देवी का कहना है कि वर्ष 2009 में भी इसी प्रकार उक्त खाते से छात्रवृति का पैसा निकाल लिया गया। उधर विद्यालय के प्रधानाचार्य भावानी प्रसाद बिजल्वाण का कहना है कि 08 मार्च को पंकज के पोस्ट आफिस में खोले गये खाते में छात्रवृति के 600 रुपये जमा कराए गए हैं। पोस्ट मास्टर राजेश कुमार का कहना है कि खाते से छात्रवृति किसने निकाली इसकी कोई जानकारी उन्हें नहीं है तथा उक्त मामले की जांच की जायेगी।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6694528.html

 

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