''थैंक यू वैरी मच भ्रष्टाचार'' |
आम हो गया ख़ास
ख़ास हो गया आम
अन्ना की एक आवाज़ पर
वक्त का पहिया जाम |
देश भक्ति में सब रंगे
झगड़ा, फ़साद ना दंगे
जहाँ तक पहुचे नज़र
बस तिरंगे ही तिरंगे |
हाथ बांधे, खड़े हैं बेबस
बारिश, धूप और उमस
सिर चढ़ कर बोल रहा
हौसला, हिम्मत और साहस |
भारत माँ के डटे हैं लाल
अन्ना की बन रहे हैं ढाल
थामे हुए हैं कमान को
बेदी, भूषण, और केजरीवाल |
जब उमड़ के आया जन सैलाब
तब मिल गया मुंहतोड़ जवाब
हर बहाना हुआ बेअसर,
अँधेरे को चीर कर
आएगी अब नई सहर |
टूटेगा, मनमोहन का मौन
सिब्बल का बल
रोकेगा, भ्रष्टाचार के रथ को
सवा करोड़ अन्नाओं का दल |
जब, मैं भी अन्ना, तू भी अन्ना
ये भी अन्ना, वो भी अन्ना
तब, निश्चित है साथियों
जन लोकपाल का बनना |
ये हौसला, जूनून, ये जज़्बा
भर गया गली, कूचा, और कस्बा
भ्रष्टाचार मुक्त वतन की चाहत
जिन आँखों पर बंधी है पट्टी
उनके लिए विदेशी ताकत |
ओ ! जादू की छड़ी ढूँढने वालों !
गद्दी के लालों !
घोटालों के मतवालों !
बेईमानों के रखवालों !
एक भूखे पेट के साथ
यूँ ही नहीं हैं लाखों हाथ
जब - जब गुज़रा सिर से पानी
राजा ने भी खाई मात |
यूँ ही भरा रहे दिलों में प्यार
हमारी एकता रहे बरकरार
इसीलिये सब मिलकर गाओ
''थैंक यू वैरी मच भ्रष्टाचार'' |
प्रस्तुतकर्ता शेफाली पाण्डे पर १२:३० अपराह्न