प्रिय मेहता जी,
मैं विरासत का बारा मा क्या बोलि सकदौं.....आपन सवाल करि त मेरा "कवि मन की कसक" ये प्रकार सी छ.
विरासत नहीं करती,
किसी का तिरस्कार,
करते हैं हम सभी उसका,
जो हैं जिम्मेदार.
कैसे भूलें,
जब विरासत संस्था ने,
किया था,
उत्तराखण्ड स्वर सम्राट,
श्री नरेंदर सिंह नेगी जी का,
घोर अपमान,
व्यथित हुए थे हम भी,
चोटिल हुआ था,
सबका आत्मसम्मान.
"मेरे कवि मन की कसक"
"जिग्यांसू"