Author Topic: Articles By Bhisma Kukreti - श्री भीष्म कुकरेती जी के लेख  (Read 717121 times)

Bhishma Kukreti

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  उत्तराखंड  म कूलटच  टोस्टर  का प्रचलन इतिहास

   उत्तराखंड परिपेक्षम रसोई यंत्र/उपकरण  इतिहास - भाग - ३
   आलेख : भीष्म कुकरेती 
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 इलेक्ट्रिक टोस्टर को अन्वेषण १८९३ म स्कॉटलैंड म  ऐलन मैक मास्टर्स न  िकलिप्स नामसे करी।  क्रॉम्पटन न ये उपकरण को विपणन कार।  यु िकलिप्स टोस्टर एक छ्वाड़ ी पकान्द  छौ तो हथन दूसर छवाड़  पलटाण  पड़दो  छौ। 
वस्तु पेटेंट करणो अनुसार  २६ मई १९ २४ कुण  अमेरिकी  चार्ल्स चैम्पियन न सैंड विच टोस्टर की खोज करी। 
 वास्तवम सन  १९६०  बिटेन  ही टोस्टर्स की खपत बढ़ या व्यापरिक उत्पादन म वृद्धि ह्वे।
 भारत म बिन बिजली टोस्टर कब शुरू ह्वे  क इतिहास नि  मिल्दो ना ही इलेक्ट्रिक टोस्टर को निर्माण कु  बि।  इन  लगद टिन या क्रोमियम लग्युं  धातु  क सैंडविच व pop अप  टोस्टर दिल्ली का निर्माता या क्रौम्पटन , बजाज , उषा जन ब्रैंड  ही रै ले होला या भौत देर बाद फिलिप्स।  यी टोस्टर बड़ा ही खुरदरा व भैर बिटेन  गरम  ह्वे  जांद छा अर  हथ  फुकेणो  डौर  रौंद  छौ। संभवतया इलेक्ट्रिक टोस्टर भारत म १९८० या कुछ वर्ष पैल   लगभग ही ह्वे  होलु। 
 केनस्टार न  ही कूल टच टोस्टर (सैंडविच अर पॉप अप टोस्टर  जौंक  बॉडी  बिंडी गरम  नि  हूंदी ) का परिचय  भारत से कराई (उन तै  समय मिलटन बी यूरोलाइन का नाम से आयी पर बंद बी ह्वे  गे ) . अक्टूबर १९९६ म केनस्टार न मुम्बई म भौत सा रसोई उपकरण बाजार म उतारी छा।  यूं  माडे कूल टच सैंडविच व   कूल टच पॉप अप  टोस्टर  व विफल मेकर बि  छौ। 
उत्तराखंड म केनस्टारन लगभग १९९ ७  अंत म  ही टोस्टर को वितरण शुरू कौर ।   
तो इतिहास हिसाबन  उत्तराखंड इ  ना भारत म कूल टच टोस्टर व विफल मेकर को परिचय केनस्टार न ही कार १९९६ म।  पैल  पैल   देहरादून , हरिद्वार या नैनीताल म ही। 

Copyright@ Bhishma  Kukreti
भोळ  दुसर उपकरणौ विषय म, History  Kitchen Utensils in Uttarakhand; History of   A utensil in Uttarakhand, उत्तराखंड में   रसोई उपकरण  का इतिहास ,  उत्तराखंड में कूल टच टोस्टर का इतिहास ,
History of cool Touch toasters in Uttarakhand


Bhishma Kukreti

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  उत्तराखंडी  आयुर्वैदिक जौ /ग्यूं  सत्तु  अर उसयां  कद्दू क नास्ता

उत्तराखंड के  पारपम्परिक भोजन व्यंजन विधि /पाक विधि/ पाक कला  श्रृंखला -२
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संकलन - भीष्म कुकरेती
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 उत्तराखंडम लगभग सबि   पारम्परिक  भोजन आयुर्वेद प्रभावित या आयुर्वेद नियमों पालन कर्ता हूंदन . बरसात व सर्दियों म फागुण  तलक  म गढ़वाळम एक मुख्य नक्वळ (नाश्ता , breakfast ) हूंद  थौ - उसयां कद्दू क गीदो  अर जौ या ग्यूं  या मुंगरी सत्तू क स्वास्थ्यवर्धक आयुर्वैदिक अल्पाहार।
समान
आधा कद्दू /खीरा /खिरबुज -
सत्तू - मनिखों संख्या अनुसार
  आयुर्वैदिक जौ /ग्यूं  सत्तु  अर उसयां  कद्दू क नास्ता  पाक विधि
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कद्दू २ X  ४ आकर म काटि  उस्याओ।
ठंड  हूण द्यावो।
फिर  सत्तू तै  उसयां  कद्दू गीदो मथि    धारो  अर  सत्तू व कद्दू गीदो  खाओ।
या कद्दू गीद  निकाळो। . गीदम सत्तू मिलाओ , शक़्कर  व मलाई मिलाओ अर खाओ।
या कद्दू गीद अर  सत्तू म शहद मिलैक खाओ। 
उत्तरी भारत म छंवां  तो सर्दियों म दगड़म  कच्ची  हल्दी  वळ  गरम दूध  प्यावो । 


Copyright @ Bhishma Kukreti 
कद्दू व सत्तू का आयुर्वैदिक नाश्ता , उत्तरखंड की  पारम्परिक भोजन  पका कला , recipe for Traditional Cuisine of   Uttarakhand  , गढ़वाल की पारम्परिक पाक कला, कुमाऊं की पारम्परिक भोजन  पाक कला निरंतर


Bhishma Kukreti

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करोनाकाल में  चिंता -दुश्चिंता, हटा कर

  तनाव रहित रहने के सरलतम तरीके

करोना कालम दुश्चिंता  डोर करिक   , तनाव रहित रौणो सरलतम तरीके
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सल्ला - भीष्म कुकरेती
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 करोना  काल हमर पीढ़ी कुण एक बिलकुल नया किस्माक बीमारी  समय च जैक  अनुभव हम मादे  (सरकार बि ) कैतै नी।  जब क्या ह्वालो प्रश्न क उत्तर नि  मिल्दो अर एक हैंक  से मिलण हानिकारक हो तो भौत सा लोक तनावग्रस्त ह्वे सकदन।  तो आज आवश्यकता च ए कुकाल म तनाव रहित कनो  रये  जाय।  कुछ तरीका छन जो आज बि कारगार छन -
अ - रोज सुबेर बिजदा  ही  अर  सीण  से एक स्खन पैल ब्वालो - भलो होलु ,  भलो होलु  , भलो होलु।
 दिन म  हर ४८ मिनट  बाद  याद कारो अफि तीन दै   जोर से ब्वालों - मनुष्य सौ वर्ष तक ज़िंदा रौंदू , मनुष्य सौ वर्ष तक ज़िंदा रौंदु ,  मनुष्य सौ वर्ष तक ज़िंदा रौंदु 
१-  रोज बिन बिसर्यां  शारीरिक व्यायाम , योग हभयास व प्राणायम आवश्यक च। शारीरिक व्यायाम से एंडोर्फिन हारमोन पैदा करदन /रिलीज करदन।  यु एंडोर्फिन मनिख तै दृढ निश्चयी व तनाव रहित करदो।  तो अपण प्रकृति अनुसार  रोज शारीरिक व्यायाम योग व प्राणायाम बिन  बिसर्यां  आवश्यक च। 
२- जु  तुम रोज एकी कार्य करदा तो नकारात्मक खबरों , नकारात्मक मित्रों सलाह से दूर ह्वे  जावो।
३-  फोन से जथगा  अधिक लोगों से सम्पर्क ह्वे साको संपर्क कारो किन्तु हर समय सकारात्मक छ्वीं लगण  चयेंद। वेबनारों म भाग ल्यावो अर अपण टिप्पणी द्यावो। 
४-  सुखदायी आराम ल्यावो - आराम का वास्ता अल्कोहल या चाय कॉफी आदि ठीक नी  च अपितु तनाव वर्धक ही छन।
५-  स्वास्थ्यकारी भोजन कारो - जख तक हो मांशाहार , तेल , अति मिठो से बचो। 
६-  स्वच्छ वातावरण म रावो।
७- अफ़ु  तै अभिव्यक्त कारो।  मित्रों दगड़  वेबनार कारो आदि , सोशल मीडिया म सकारात्मक रूप से अधिक से अधिक  अभिव्यक्त कारा।
८- सोशल मीडिया म राजनैतिक प्रतिब्ब्द्धता छोड़ द्यावो (जब तक  करोना  काल समाप्त नि  हूंद )   
९- राजनैतिक प्रतिबद्धता बिलकुल छोड़ द्यावो। राजनीतिज्ञों से कुछ बि  आशा या निराशा नि  कारो।
१० अधिक से अधिक लोगोुं  सहायता कारो।  फोन से सहायता कारो सहायता तै प्रथम कार्य म शामिल कर द्यावो।   
११ - किताब , पढ़ो  , दगड्यों  दगड़  किताब बड़ा म चर्चा कारो।  अधिक सूणो कम सुणाओ
१२  'भगवान च ' पर विश्वास कारो। भय तै भगवान का साथ जोड़ो भैरव = भय + रब ( याने भगवान ) जब भी भय प्रवेश करे तो   भैरब तै याद कारो।




Bhishma Kukreti

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करोना  काल में कुछ  अति लाभदायी हॉबी /शौक
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सल्ला - भीष्म कुकरेती
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 हमम  ईं महामारी  का बारा म क्वी  अनुभव नी  तो हमतै  कथगा  इ  नई नई समस्याओं से  सामना करण पड़नों  च।  कुछका समाधान हमम , समाजम या सरकारम  च कुछ का संसारम समाधान नी  च तो हम मादे  भौत सा लोग अनावश्यक तनाव अनुभव करण  मिसे जांदा।  ए समय म अनावश्यक तनाव से दूर करणों एक महत्वपूर्ण उपाय च अपण  हॉबी /शौक पर अधिक ालम्बी हूण।
 तनाव से दूर हूण याने अपण  रचनाधर्मिता से लगाव। 
ये बगत  कुछ शौक /हॉबी बड़ी कामयाब शौक छन जो प्रत्येक मनिख तै अपनाण  चयेंद -
बागवानी - बागवानी जख  जगा कम च उख  बि  ह्वे  सकद।  अच्काल गार्डनिंग म कुछ नया नया प्रयोग बि हूणा  छन तो ऊं  तै अपणाओ।
पुस्तक वाचन - नई नई पुस्तक पढ़ो विशेषकर जु  विषय तुम नि  जाणदा। 
ड्रवाइंग , स्केचिंग , पेंटिंग करण सीखो - यदि तुमम यु शौक च तो वृद्धि कारी निथर यु समय भौत बढ़िया च सिखणो।
 सोशल वर्क करणो  नई विधि सीखो - अब जब भैर जाण  कठिन च तो सामजिक कार्य करणों नया तकनीक सीखो अर  वै  हिसाब से कार्य कारो। 
लिखण  सीखो - यदि तुम लिखण  सिखण  चाणा  छा तो सीखो अर  अपण  लेख सोशल मीडिया म पोस्ट कारो।
 लेखकों तै नया विषय खुज्याण  चयेंद।
रसोइ  पकाण  सीखो नया प्रयोग करण  सीखो - ये समय म नया नया रेसिपी पकाण  सीखो।
 रसोई फोटोग्राफी सीखो
भाषण दीणों अभ्यास कारो मोबिलम
  मथ्या हॉबी आप तै व्यस्त राखलि अर  तुम सदा कुण  तनाव हीन  ह्वे  जैल्या।
Copyright@ Bhishma Kukreti

करोना  काल में कुछ  अति लाभदायी हॉबी /शौक , करोना काल में नई हौबी लेना , शौक , हौबी श्रृंखला


Bhishma Kukreti

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  भोजन संबंधी चुटकला
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संकलन - भीष्म कुकरेती

एक दिन सुबेर म्यार बंगाली  दगड़्या   आयी अर खड़ा खड़ी बोलि गे , " आज म्यार ड्यार भोजन च  मय  घरवळि  साढ़े ग्यारा बजि अवश्य ऐन।
मीन बोलि - ठीक च बंधु।
हम द्वी झण  ठीक साढ़े ग्यारा बजि बंगाली दगड़्या दयार पौंचा।
उख सब मृदंग , ढोलक म कुछ  गाणा बजाण चलणु  छौ। 
ठीक ढाई बजे दगड़्यान धै सि लगाई ," आजक   भोजन समाप्त  हुआ । कोल  फिर भोजन है।कल भी है।  सब आ जाना।
 कुछ नि  ह्वे घरवळिन  भजन का गुस्सा म रातक भोजन  बि  नि पकाई। 
XXX
कजे अपण कज्याण से -  ह्यां ! ब्यौ  से पैल त भौत  बर्त धरदी छे।  अब ना।
कज्याण - भौत ना सिर्फ सोळा सोमबार।
कजे - त  अब क्या ह्वे ? अब किलै नि धरदी ?
कज्याण -  फिर तुमसे ब्यौ ह्वे  अर  म्यार बर्तों  पर से ही भर्वस उठि गे। 
XX
एक सर्वेक्षण की रपट -
खाणा खांद  अपण हथम  मोबाइल हो त खाणम एक घंटा  तीन मिनट लगद।
अर  वी फोन दुसराक  हथम  ह्वावो  त  पांच मिनट ग्यारा सेकंड।
XXX
प्रश्न - जिंदगीम सबसे अधिक प्रेसर कब हूंद ?
 उत्तर -जब एक  गोलगप्पा  मुखम हो ,
दुसर  गोलगप्पा प्लेट म ह्वावो
अर  गोलगप्पा वळ  तिसर  गोलगप्पा लेकि तुम तै दिखणु  ह्वावो।
XXX
कोटद्वारम नैथानी वेडिंग प्वाइंटम  घरातीन  न्यूतेर भोजन  पार्टीम एक अनजान व्यक्ति से पूछ - आप तै न्यूते  गे  छौ क्या ?
पौण रोष म " न्यूत (निमंत्रण ) नि  दे  त  मेरी गलती च क्या ?
XXX
देहरादून एक ब्यौ माँ बच्चा न
छतीस गोलगप्पा 
द्वी प्लेट बटर पनीर
तीन प्लेट  मटर  पुलाव
बारा आइस क्रीम घूळी  घर आयी अर बुलण लग गे -
मान पुटुकम भरी डा हूणो च।
तेकुण  कथगा  दै बोली बल बन ठनी  नि  जाया कर त्वे पर जल्दी नजर लग जांद।
XX
किचन म सबसे कामक बर्तन बस्तु क्या हूंद ?
 हॉट प्लेट (गरम करणो  उपकरण )
XX
प्रेमिक मंहगा होटल म मंहगा पिजा खांद -खांद  रोमांटिक मूडम बोलि -
 - इन कुछ बोल कि म्यार  दिल जोर से धड़कण  मिसे जाव।
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प्रेमी - मीम बिल भरणो  एक ढेला बि  नी  च। 

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मि  तैं  गर्व चा तुम तैं  हंसाणो।  गढ़वळि पढ़णो बान मीन चोरी क चुटकला परोसिन। 
Copyright @ अनुवाद कुण @ भीष्म कुकरेती २०२१
Garhwali jokes, गढवाली म भोजन संबंधी जोक्स , गढवाली म खाणा संबंधी चुटकला

Bhishma Kukreti

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        मंडुवे की बर्फी रेसिपी 

 आयुर्वैदिक मंडुआ सुखड़ी , मंडुआ बर्फी /मंडुआ / गुड़ पापड़ी पाक विधि
Recipee for Ayurvedic Ragi /finger Millet Barfi /Gud papri/ Mandua Sukhdi

उत्तराखंड के   आयुर्वेदीय  पारपम्परिक भोजन व्यंजन विधि /पाक विधि/ पाक कला  श्रृंखला  भाग - ७
Recipe of Ayurvedic Traditional Food of Garhwal, Kumaon (Uttarakhand)part- 7
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संकलन - भीष्म कुकरेती
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 मंडुए की बर्फी या मंडुए की सुखड़ी  बहुत कम बनाया जाता है।  किन्तु भाभर क्षेत्र में   मंडुए की बर्फी या मंडुए की सुखड़ी पकाने का रिवाज कम ही सही रिवाज है। 
 समान -
मंडुआ आटा /क्वादो चून : ग्यूं  आटु :: २ : १
घी - २ कप  चून दगड़  १ कप घी
 गुड़ -  २ कप चूनो  कुण  ३/४ कप -अलग से  उबळदो  चासनी
बादाम कतरी
१ चमच - इलाइची  चूरण
आयुर्वैदिक  मंडुआ बर्फी पकाणो    पाक विधि -
नॉन स्टिक कड़ैउन्द  चून , ग्यूं  आटो  घी म कम आंचम भूनो।
जब चूनो अर  आटु म गंध आण मिसे जाव तो गुड़ै  गरम  चासनी डाळो, इलाइची चूरण डाळ  द्यावो  अर  खैंडो जब तक बाड़ी जन तक ह्वे जाव तो उतार द्यावो।
अब  मिठ बाड़ी  तै थाळी म फैलाई द्यावो , दबा द्यावो अर  बादाम कतरी  बि डाळ दया.
अब   ठंड  हूण  पर कड़कड़  हूण  से पैल  इ  बाड़ी तै चक्कून बर्फी जन  काट द्यावो।
क्वादो  बर्फी तैयार।   
  क्वादो  बर्फी, मंडुआ बर्फी , रागी सुखड़ी    खावो अर . खलावो
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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2021
उत्तरखंड की   आयुर्वैदिक पारम्परिक भोजन  पका कला , Recipe for Ayurvedic  Traditional Cuisine of   Uttarakhand  , गढ़वाल की आयुर्वेदिक   पारम्परिक पाक कला, कुमाऊं की  आयुर्वेदीय पारम्परिक भोजन  पाक कला निरंतर , उत्तराखंड में मंडुआ मिठाई , मंडुआ बर्फी ,   उत्तराखंड में  कोदा   सुखड़ी


Bhishma Kukreti

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खाणा खाण / भोजन  करणो  कुछ  सभ्याचार सलीका  /शिष्टाचार
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भीष्म कुकरेती
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 भोजन करद  डैन हम तै कुछ सास्वत नियमों पालन करण  इ  चयेंद। कुछ सावधानी इन छन -
१- मुख बंद करि भोजन चबाण चयेंद। कर्च  ख़र्च या  च्यप च्यप  समिण  वळ  तै बुरु लगल।  पाणी   घ्यळ्च - घ्यळ्च  कौरि  नि पीण।  सपोड़ी  भोजन नि करण।
२-  खांद  दैं  पौणु  समिण  जोर से  नाक नि  फुंजण , पदण , छिंकण  ठीक नी.  आँख पोछि  सीधा नि  खाण नाक पुटुक  अंगुळि  नि  घुसाण। रुमाल को प्रयोग ठीक से करण  कि  हैंक तै घीण  नि लग।
३-  खांद  दै  मोबाइल मेज म नि  धरण  ना ही खीसाऊंद  बि  ना। फोन आवाज बंद राखो। 
४-  मेमानों समिण  नंग काटिक  ही खाणा परोसण।
५-  उपकरण ठीक से पकड़ण  चयेंद।
६-  मेज म क्वीण (कोहनी ) नि  टिकाण। 
७-  एक एक कौरि  भोजन तोड़ो या खावो।
८- कोशिश कारो कम हंसो अर  हँसावो।
९-  घराती तै  दिखण  चयेंद - भोजन दीणो  मेज निकट हो तो भलो। 
१०- पौण  तै अफिक  भोजन दीणो  मेज से भोजन नि  गडण  चयेंद। मंगण  चयेंद।
११- उछिंड  नि  आवो को पूरो ख़याल रखण  चयेंद , भोजन घूटी  ही पाणी पीण  चयेंद। 
१२ - भोजन खांद  दै  आनंद नामक रस सब जगा बगण  चयेंद।  मतलब आनंद से खावो तनाव म ना। 
१३- खांद  दैं  हाथ नि  मिलाण  चयेंद।
. १४-   पौण  तै  पैल उठण  द्यावो।
१५-   दुसराक  भोजन जुठ  नी   कारो ना   इ   जुठ खलावो।   
सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती २०२१
 पौड़ी गढ़वाल में भोजन करने की रीति ,    टिहरी गढ़वाल में  भोजन जीमने का सलीका ,  चमोली गढ़वाल में भोजन करने का शिष्टाचार ;  रुद्रप्रयाग  गढ़वाल में खाने की तमीज , तहजीब ;  उत्तरकाशी में भोजन करने की रीति। देहरादून गढ़वाल में भोजन जीमने का सभ्याचार । 


Bhishma Kukreti

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  चुलमंडी या  चूनो पळ्यो    पकाने   की पाक विधि

   पारम्परिक उत्तराखंडी आयुर्वेदिक  रागी आटाे , मंडुवे के आटे  का पळ्यो (चुलमंडी )  पकाणो  ब्यूंत
 पारम्परिक उत्तराखंडी आयुर्वेदिक  रागी आटाे , मंडुवे के आटे  का पळ्यो (चुलमंडी )   पकाने   की पाक विधि
  Traditional Utarakhandi Recipe for Cooking  Ayuvedic Ragi  or  Finger Milet floor  - curd/buttermilk Curry (chulmandi ) 
उत्तराखंड के   आयुर्वेदीय  पारपम्परिक भोजन व्यंजन विधि /पाक विधि/ पाक कला  श्रृंखला  भाग - ९
Recipe of Ayurvedic Traditional Food of Garhwal, Kumaon (Uttarakhand)part- 9
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संकलन - भीष्म कुकरेती
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 इन लगद  कि  चूनो  (मंडुवे का  आटा )  क पळ्यो / चुलमण्डी खाणो रिवाज  कौटिल्य समय से ही छौ। 

 मंडुवे के आटो   से पळ्यो /  बिन मसाले बिन छौंकौ  कढ़ी पकाणो   पाक विधि (Recipe ) -
 समान -
 लघु  खट्टे तासीर  की छाछ /छांच  - एक लीटर
मंडुवे का आटा /चून - एक कटोरी
 ल्यासण , मर्चों  , मुर्या क  पिस्युं लूण
विधि -
 एक पतीला म चून (मंडुआ कु  आटो ) तै  छांछ म छोळ  द्यावो।  खूब छोळन आवश्यक च कि  गुरम्वळ /पकिक डुबक नि  रावन।
 अब कढ़ाई म छांच  चुलम  गरम  करणो  धरी  दीण , अब ये छांचम छोळ्यूं  चून  डाळ  दीण।  थड़काओ , हर समय कड़छी से चुलमण्डी  तै हलांद  जावो कि गुरम्वळ /गांठ  नि बणन। 
 जब स्वाद अनुसार गाढ़ापन  मिल जावो अर  चून -छांच  पक जाओ तो  पळ्यो की कढ़ाई चुल  से उतार द्यावो। 
 मंडुआ क /चूनो का पळ्यो/ चुलमण्डी  तै थाळीम परोसो। 
जै  तैं  लुण्या   चुलमण्डी खाण  हो तो  चुलमण्डी  म पिस्युं  लूण  मिलाओ अर  सपोड़ो।
 जै  तै मिठ  मंडुआ क /चूनो का पळ्यो/ चुलमण्डी खाण  हो वो चिन्नी  मिलैक खै  सकदन। 
 जु  चुलमण्डी  तै झुळ्ळी  पकाण  ह्वावो  त  चुलम  इ  लूण , मसाला , डाळ दीण  चयेंद।  मंडुआ आटो / चूनो   झुळ्ळी पकाणम हल्दी नि डळे  जांद , 
Copyright @ Bhishma Kukreti , 2021
उत्तरखंड की   आयुर्वैदिक पारम्परिक भोजन  पका कला , Recipe for Ayurvedic  Traditional Cuisine of   Uttarakhand  , गढ़वाल की आयुर्वेदिक   पारम्परिक पाक कला, कुमाऊं की  आयुर्वेदीय पारम्परिक भोजन  पाक कला निरंतर , पारम्परिक उत्तराखंडी आयुर्वेदिक  रागी आटाे , मंडुवे के आटे  का पळ्यो (चुलमंडी )   पकाने   की पाक विधि;   Traditional Utarakhandi Recipe for Cooking  Ayuvedic Ragi  or  Finger Milet floor  - curd/buttermilk Curry (chulmandi ) 

Bhishma Kukreti

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भोजन ऐसा  परोसो कि मुंह पानी से भर जाय


खाणा इन  परोसो /सौंरो कि देखि   मुखम  लाळ चूं  जा ! 
भोजन परोसणो   सलीका या ब्यूंत
सलीके  से भोजन परोसने के गुर
Tips for serving food to the guests

  सल्ला - भीष्म कुकरेती
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खाणा सौरंण  या परोसण  आदि  जुग   बिटेन  महत्वपूर्ण च।  महाभारत काल म बि  भोजन परोसण /सौंरण  महवतपूर्ण छौ  जाँकि  हिंट  विदुर नीति मच। 
  प्रत्येक क्षेत्रम खाणा  सौंरण /परोसणो  ढंग बदलदा  रौंदन।  आज तो भोजन परोसण  कला व विज्ञानं कु  अधिक महत्व ह्वे  गे।  भोजन पकाण महत्वपूर्ण च किन्तु भोजन परोसण  बि उथगा  इ कामक च।   होटलों म भोजन अधिक स्वादि इलै  लगद  किलैकि होटलों म भोजन परोसण म भौत ध्यान दिए जांद।
भौत सा समय इन आंदन  जब गर्म मेमान आंदन तो खाना परोसण म ध्यान दीण  आवश्यक च। 
 टेब्लिंग अर  भोजन परोसणम कला इ  ना मनुष्य मनोविज्ञानक बि  सयाता लिए जांद।   सही  परोस्यूं /सौंर्यूं  भोजन  से निम्न बथ  हूंदन -
१- खाणा  खाण  वळा  भूख भोजन देखि कम हूंदी या बढ़ द  च।
२- परिवारौ   छवि भोजन पाक शैली से अधिक  खाणा  सौंरण  या भोजन परोसण  से हूंद।
३ - सही रीति से भोजन परोसण  से भोजन खौत  कम हूंद या नि  हूंद।
४- भोजन की सजावट /परोसण  याने मूड वृद्धि का साधन।
भोजन सौंरणो  /परोसणो  सलीका - याद राखो -
१-   भोजन टेबल - भोजन धरण /सौंरण  से पािल मेज साफ़ करि दीण अर  मेजम  पाणि , लिम्बु टुकड़ा धरण  नि  बिसरण।  लूण , अचार, सलाद  अर काळी मिर्च बि  धर  दीण  चयेंद।
२- खाणो भांड - खाणो  भांड कु  चुनाव तुमर छवि अर  भोजन अनुसार ही हो।  प्लेट या थाळी  न त  बड़ी हो अर  ना ही ननि हो।  भांड बेदाग़ अर  साफ़ हूण चएंदन। तैयार भोजन धरणो  प्रबंध पर ध्यान हो। सही कटलरी इंतजाम करण  जरूरी च। अर  भोजनानुसार टेबल म धर  दीण।   
रोटी , पूरी फूल प्लेटम , सब्जी दाळ  गैरो भांड म , इनि  रायता बि कटोरी या गहरी प्लेटम। 
३- भोजन की सजावट - प्रत्येक भोजन की सजौट /garnishing  कलात्मक हूण  चयेंद।  भलो सजौट  से खाण म आनंद आंद  अर  भोजन घटना यादगार बण  जांद। 
४-  खाणा दीण - पौण इ ना घरक सदस्य तै बि  एकि दैं  बिंडी  मात्रा म भोजन नि परोसण  अर इथगा कम बि  ना कि बार बार खंदेर  तै भोजन मंगण  पोड़। 
५- टिस्यू पेपर , नेपकिन - नेपकिन भोजन से पैल  सब खन्देर तै दे द्यावो।  टिस्यू पेपर प्लेट क बगल म धौर द्यावो। 
 ६-  मेजवान /host  तै मेजक शीर्ष /सिर  स्थल म हूण  चयेंद। 
७- भोजन  जन पूरी , पकोड़ी  आदि पर हाथ नि  लगाण  चयेंद। 
८- मिठु  भोजन समाप्ति बाद ही परोसण  चयेंद  अर  जुठ  बर्तन उठै दीण  चयेंद।
९- भोजन करद  दैं  अनावश्यक चर्चा/ तनाव  वृद्धिकारक   से बचण  .
१०- हथ धूणम  जब बि  व्यवस्था हो वे हिसाब से सावधानी पूर्वक। 

पारम्परिक उत्तराखंडी भोजन परोसने की  आधुनिक   विधि , पारम्परिक गढवाली भोजन परोसने की   आधुनिक विधि , पारम्परिक कुमाउंनी भोजन परोसने की   आधुनिक विधि


Bhishma Kukreti

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   पारम्परिक  आयुर्वेदिक मूळा के सुक्से (निर्जलीकृत ) की सब्जी /साग

 पारम्परिक उत्तराखंड का आयुर्वेदिक मूळा के सुक्सा /निर्जलीकृत मूळा /मूली  कु   साग
Recipe of Ayurvedic food by cooking Dehydrated radish a Traditional food of Uttarakhand 

उत्तराखंड के   आयुर्वेदीय  पारपम्परिक भोजन व्यंजन विधि /पाक विधि/ पाक कला  श्रृंखला  भाग - १०
Recipe of Ayurvedic Traditional Food of Garhwal, Kumaon (Uttarakhand)part- 10
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संकलन - भीष्म कुकरेती
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उत्तराखंड म   ऋतू बगत साग भूज्यूं  सुक्सा डळण  एक प्राचीन परम्परा च बल।  भौत सा सब्ज्यूं सुक्सा डळे  जांद उखमा  मूळा , मूली प्रमुख च। 
मूळा सुक्सा भुज्जी /साग पकाणो  पाक विधि -
समान -
मूळा सुक्सा
मसाला -
कड़ु  तेल
जख्या /जीरो
धणिया चूरो
मर्च चूरो
हल्दी चूरो
ल्यासण - पेस्ट या पिस्युं /कट्युुं
आदो -  पेस्ट या पिस्युं /कट्युुं 
लूण
धणिया पत्ता
 तरीदार मूळा /मूली सुक्सा पकाणो कुण -
भिगायुं  चौंळु/ झंग्वरौ   पेस्ट / भिग्यां  चौंळ/झंग्वर  पिस्यां 

 विधि -
 १- आधा -एक घंटा तक  मूळा /मूली  सुक्सा  तै  गरम पाणि म भिगायी रखण।
२- भिग्यां  सुक्सा तै थींच दीण।
३- अब  चुलुम चढयिं कड़ै  उन्द  तेल गरम  करो।  फिर जीरो या जख्या छौंको।
४- अब  भिग्युं  -थिंच्युं  सुक्सा भुटण
५- कुछ समय उपरान्त मैणु मसाला, लूण  कम पाणि  दगड़  डाळि  ८ -१२ मिनट तक कम पाणिम  पकाण   
६- पक जा त धणिया पत्तों से गार्निश कर भीम धर  दीण , गरम गरम या सळैक रुटि  दगड़  खाण।
 जु तरीदार मूळा /मूली  सुक्सा   पकाण  ह्वावो -
सुक्सा भुटणो उपरान्त चौंळ /झंग्वरौ पेस्ट कु  दगड मसाला सहित भुटण।  लूण  डाळि ,  पाणि दगड़  पकाण।  पाणि उथगा इ डळण जथग दड़बड़  साग  चयेणु  हो।
जब  दड़बड़ो  सुक्सा  पक जावो तो धणिया डाळि  उतार  दीण। 
अथवा
चौंळ /झंग्वरौ पेस्ट की जगा बड़ी  बि  सुक्सा दगड़म  पकाये जांद।
  भिगायुं   थिंच्युं  सुक्सा अर    भिगायिं  बड़ी एक संग भुटण अर  तब मसाला भूटी  साग पकाण।
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