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Articles By Bhisma Kukreti - श्री भीष्म कुकरेती जी के लेख
Bhishma Kukreti:
संदीपा मुखर्जी दत्ता : लेखिका की कुकबुक हंसांद बि च
भारतीय महिलाऊं द्वारा कुकबुक प्रकाशन श्रृंखला
ब्लॉगर्स जु कुकबुक लेखिका बणिन
भारतम म पाक शास्त्र ग्रंथ रचना इतिहास भाग -३३
Cookbooks Publications in India series - 33
भारतम स्वतंत्रता उपरान्त कुक बुक प्रकाशन को ब्यौरा भाग - १८
Cookbooks after Independent India - 18
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संकलन -भीष्म कुकरेती
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संदीपा मुखर्जी दत्ता अमेरिका निवासी च। वींक ब्लॉग ' बॉन्ग मॉम , सन २००६ से जनमदी ही प्रसिद्ध ह्वे गे छे। बॉन्ग मोम , बंगाली भोजन रेसिपी क जमघट च। संदीपा दत्ता मुखर्जी क ब्लॉग क रेसिपीज , कथा , कथ्य इथगा प्रसिद्ध ह्वेन कि अमेरिकी प्रकाशक हार्पर अर रॉ न वीं से सम्पर्क कार अर बॉन्ग मोम पुस्तक छाप ज्वा पुस्तक म संस्कृति च , कथा छन अर मजाक मसखरी बि। पुस्तक म रेसिपी ही ना बंगाली भोजनुं विषय बिंडी च।
संदीपा मुखर्जी वास्तव म इलेक्ट्रिकल इंजीनियर च अर संदीपा तैं भोजन म पैल क्वी रुचि नि छे। ब्यौ बाद जब संदीपा क बेटी ह्वे त घरम रौण पोड़ भोजन पकाण पोड़ तो भोजन पकाणम रूचि जाग अर यी बि पता चल बल अंग्रेजी म बंगाली भोजन रेसिपी बुक नि छन तो ब्लौग बणाई अर बंगाली भोजन का बारा म लिखण शुरू कार।
संदीपा मुखर्जी दत्ता की जीवन कथा बड़ी प्रेरक च बल मनुष्य म परिवर्तन आंदि रौंद।
सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती
भारत में पाक शास्त्र / cookbooks ग्रंथ इतिहास; ब्रिटिश राज में भारत में पाक शास्त्र / cookbooks ग्रंथ इतिहास; ग्रंथ इतिहास; श्रृंखला जारी रहेगी , Cookbooks in British Period in India ; भारत म ब्रिटिश युग म पाक शास्त्र ग्रंथ प्रकाशन, भारत म स्वतन्त्रता बाद कुक बुक्स प्रकाशन , भारतीय महिलाऊं द्वारा कुकबुक प्रकाशन श्रृंखला जारी , भारतीय महिलाओं द्वारा प्रसिद्ध कुकबुक प्रकाशन , प्रसिद्ध महिला सेफ , भारत में महिलाओं का कुकबुक प्रकाशन में योगदान , स्वतंत्रता पश्चात महिलाओं द्वारा कुकबुक प्रकाशन , ब्लॉगर्स जु कुकबुक लेखिका बणिन
Bhishma Kukreti:
गढ़वाली कुमाउँनी भाषा में भोजन पाक विधि (रेसिपी ) विधा विकसित हो रही है
(लघु इतिहास ५ - ९ – २०२१ )
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विमर्श - भीष्म कुकरेती
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साहित्यिक वृति वाले रेसिपी या भोजन पाक कला विधा को साहित्य की गणत में नहीं गिनते हैं जबकि यह साहित्य कई विधाओं से अधिक पढ़ा जाता है विशेषकर नेट में कथा आदि विधाओं से अधिक खोजा वा पढ़ा जाता है। मोबाइल में इंटरनेट जुड़ने व इंटरनेट सरलता से उपलब्ध होने के कारण आम घरेलू महिलाओं व अन्य व्यक्तियों द्वारा रेसिपी पढ़ने व यूट्यूब में देखने का प्रचलन बढ़ गया है। लोक डाउन के पश्चात रेसिपी सर्च करने भोजन रसीपी यूट्यूब को देखने की संख्या में कई गुना वृद्धि हुयी और अब बहुसंख्यक आम व्यक्ति का इंटरनेट में रेसिपी पढ़ने व यूट्यूब देखने की आदत ही हो गयी है। अर्थात भजन रेसिपी इंटरनेट में एक शक्तिशाली व प्रभावशाली साहित्य है जिसे इंटरनेट में अच्छी संख्या में सर्च किया /खोजा जाता है। भोजन एक संवेदनशील वास्तु होने के कारण सभी भोजन पाक विधि के प्रति आकर्षित होते हैं।
क्षेत्रीय भाषाओं की पठनीयता दृष्टि से भी इंटरनेट में रेसिपी /पाक कला विधि विधा बहुत महत्वपूर्ण है। गढ़वाली -कुमाउँनी -भोटिया आदि क्षेत्रीय भाषाओं हेतु भोजन पाक विधि रेसिपी विधा है। व्यक्ति क्षेत्रीय भाषा में कथा , कविता पढ़े या न पढ़े किन्तु भोजन रेसिपी पढ़ या यूट्यूब देख ही लेता है। अर्थात भोजन पाक कला साहित्य अन्य गद्य साहित्य से अधिक पढ़ा जाता है।
-गढ़वाली में भोजन पाक विधि /रेसिपी साहित्य की शुरुवात भीष्म कुकरेती द्वारा -
ऑफलाइन में गढ़वाली में भोजन पाक विधि।/रेसिपी का कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता है। इंटरनेट में गढ़वाली में रेसिपी लिखने व इसे प्रचारित करने कीकथा बड़ी दिलचस्प है। मैंने एक श्रृंखला शुरू की थी 'आवा गढ़वाली सीखा'। इंटरनेट ग्रुप्स (पौड़ी गढ़वाल , कुमाऊं गढ़वाल , यंग उत्तराखंड आदि ) की इस श्रृंखला में मैंने कुछ भोजन व एक दो भोजन की रेसिपी /पाक विधि गढ़वाली में भेजी तो लंदन अमेरिका , ऑस्ट्रेलिया के प्रवासियों की मांग आयी कि गढ़वाली भोजन की रेसिपी हिंदी में भेजें। इसका साफ़ अर्थ था कि प्रवासी भोजन के प्रति संवेदनशील हैं व जानना चाहते हैं। मैनी उत्तर दिया कि हिंदी में तो लाखों ने रेसिपी पोस्ट की है और गढ़वाली में एक ही ने। धीरे धीरे वे पाठक गढ़वाली पढ़ने लगे व इन पाठकों से प्रश्न भी आने लगे अर्थात अब ये पाठ रूचि से गढ़वाली में रेसिपी पढ़ रहे हैं।
इस तरह मैंने लगभग १०० के करीब लेख गढ़वाली में पोस्ट कीं जो गढ़वाली भोजन व रेसिपी से संबंधित थीं।
फेसबुक में गढ़वाली -कुमाउँनी में रेसिपी साहित्य की शुरुवात
फेसबुक में मेरी प्रार्थना पर मित्र बाल कृष्ण ध्यानी ने एक ग्रुप बना या उत्तराखंड रसोई जिसे बाद में उत्तराखंड रसोई विज्ञान में बदल दिया गया। उद्देश्य था उत्तराखंड व्यंजनों को प्रधानता व रसोई विज्ञान विषय/होम साइंस या किचन साइंस ।
ग्रुप में फ़ूड फोटो व फ़ूड सजावट पर चर्चा करवाई। सदस्यों की रूचि बढ़ती गयी। फिर मैंने गढ़वाली में साहित्य पोस्ट करनी शुरू क्र दी। कई सदस्यों ने रूचि दिखाई। महिला सदस्य अपने पकाये भोजन की सुंदर सजावट लिए फोटो पोस्ट करने लगे। मैंने कुछ महिला सदस्यों को उकसाया कि क्यों न रेसिपी गढ़वाली में हो सहारनपुर से सरोज शर्मा व देहरादून से उषा बिजल्वाण ने अगल्यार ली व दोनों ने अपने पकाये भोजन की फोटो ही नहीं अपितु गढ़वाली में रेसिपी भी भेजना शुरू कर दिया। हिंदी व गढ़वाली साहित्यकार जैसे प्रेमलता सजवाण , बिमला रावत , विनीता मैठाणी , अंजना कंडवाल भी इस क्षेत्र में उत्तर आयीं, अनिता ढौंढियाल आदि व विशेश्वर सिल्सवाल , गिरीश ढौंडियाल , प्रदीप बडोनी आदि भी शामिल हो गए। कारवाँ अब आगे बढ़ रहा है।
निम्न साहित्यकारों का योगदान स्मरणीय है -
सरोज शर्मा - सरोज शर्मा ने अब तक ४५ आम व गढ़वाली भोजन रेसिपी फोटो के साथ पोस्ट कीं
व ५० भिन्न भीं क्षेत्रों की चटनी रेसिपी पोस्ट की। आंकड़ों के हिसाब से गढ़वाली भाषा में रेसिपी में सरोज शर्मा का योगदान सर्वाधिक है।
उषा बिजल्वाण - उषा बिजल्वाण ने
आम रेसिपी - २० से अधिक रेसिपी खुद की पकाया भोजन फोटो सहित
भारत में भिन्न भीं पकोड़ा रेसिपी - १५ रेसिपी
विदेशी भोजन रेसिपी - ६
अनिता नैथानी ढौंडियाल - २१ रेसिपी
अंजना कंडवाल - १ रेसिपी
अंजना हिंदवाण कुकरेती -२
गिरीश ढौंडियाल - ९ रेसिपी
बिमला रावत - ४ रेसिपी
किसन सिंह - १ रेसिपी
माया बहुगुणा - १ रेसिपी
मया रावत - १ रेसिपी
प्रदीप बडोनी ने अंग्रेजी में कई पोस्ट कीं हैं
प्रदीप बडोनी ने गढ़वाली में ९ रेसिपी पोस्ट की हैं।
प्रेमलता सजवाण - १ रेसिपी
विनीता मैठाणी - १ रेसिपी
विश्वेश्वर सिल्सवाल - १ रेसिपी
विवेका नंद जखमोला - १ रेसिपी
जितेंद्र राय - १ रेसिपी
इसके अतिरिक्त भोजन सजावट , भोजन फोटोग्राफी पर भीष्म कुकरेती के ५- लगभग लेख पोस्ट हुए हैं। इसी श्रृंखला में कुकबुक्स पर भी २० लगभग लेख भीष्म कुकरेती ने पोस्ट की हैं।
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कुमाउँनी भोजन पाक विधि रेसिपी की शुरुवात सुमिता प्रवीण द्वारा
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जहां तक मेरा रिकॉर्ड का प्रश्न है इंटरनेट में सबसे पहले सुमिता परवीन ने कुमाऊं में रेसिपी पोस्ट की हैं। हिंदी की प्रसिद्ध कवित्री सुमिता परवीन को सदा स्मरण किया जाएगा।
अब तक सुमित्रा प्रवीण के १५ कुमाउँनी रेसिपी लेख सामने आये हैं।
रोज कांडा नाम से २ रेसिपी कुमाउंनी में पोस्ट हुयी हैं।
कुमाउँनी -गढ़वाली भाषा की दृष्टि से इंटरनेट पर भोजन पाक विधि /रेसिपी विधा विकसित होना व इतने लिख्वारों के उतरना एक अच्छा संकेत है कि यह विधा तीब्रता से विकसित होगी।
Bhishma Kukreti:
मौनिका गोवर्धन : एक प्रसिद्ध महिला कुकबुक लेखिका
भारतीय महिलाऊं द्वारा कुकबुक प्रकाशन श्रृंखला
ब्लॉगर्स जु कुकबुक लेखिका बणिन
भारतम म पाक शास्त्र ग्रंथ रचना इतिहास भाग -३४
Cookbooks Publications in India series - 34
भारतम स्वतंत्रता उपरान्त कुक बुक प्रकाशन को ब्यौरा भाग - १९
Cookbooks after Independent India - 19
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संकलन -भीष्म कुकरेती
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मौनिका गोवर्धन कु बचपन दादर , मुंबई म बीत अर अब मोनिका गोवर्धन यूनाइटेड किंगडम म रौंदी। मोनिका तै भारत यात्रा करणम भौत आनंद आंद । मोनिका गोवर्धन एक सेफ व लेखिका च।
मौनिका गोवर्धन की द्वी कुकबुक छप गेन।
१- - इंडियन किचन पुस्तक
इंडियन किचन पुस्तक म चार मुख्य खंड छन -
अ -हंगरी -जब आप भूखा होवन त सरलतम अवयवों से भोजन पाक विधि छन ये भाग म
आ - लेजी - अर्थात जब समय भौत हो वांकुन क्या भोजन हूंद की रेसिपीज छन ये खंड म।
इ - indulgent - प्यार खतण - जब खूब समय हो अर भोजन प्यार से पकाण हो तो उन भोजन रेसिपी छन ये खंड म।
ई - Celebraty - दोस्तुं कुण - जब दोस्त वगैरह आंदन तो वूं लाइक भोजन रेसिपी क विवरण च ये खंड म।
२- थाली पुस्तक
थाली भारत क क्षेत्रीय भोजन की रेसिपी छपीं छन।
मौलिका गोवर्धन की भाषा सरल च अर झट से बिंगण म आंद।
सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती
भारत में पाक शास्त्र / cookbooks ग्रंथ इतिहास; ब्रिटिश राज में भारत में पाक शास्त्र / cookbooks ग्रंथ इतिहास; ग्रंथ इतिहास; श्रृंखला जारी रहेगी , Cookbooks in British Period in India ; भारत म ब्रिटिश युग म पाक शास्त्र ग्रंथ प्रकाशन, भारत म स्वतन्त्रता बाद कुक बुक्स प्रकाशन , भारतीय महिलाऊं द्वारा कुकबुक प्रकाशन श्रृंखला जारी , भारतीय महिलाओं द्वारा प्रसिद्ध कुकबुक प्रकाशन , प्रसिद्ध महिला सेफ , भारत में महिलाओं का कुकबुक प्रकाशन में योगदान , स्वतंत्रता पश्चात महिलाओं द्वारा कुकबुक प्रकाशन , ब्लॉगर्स जु कुकबुक लेखिका बणिन
Bhishma Kukreti:
गढ़वाली भाषा /भोजन साहित्य /पाक कला / कुकिंग लिटरेचर तैं सरोज शर्माकु योगदान [/size][/color]
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आलेख - भीष्म कुकरेती
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ऑफलाइन (पारम्परिक ) माध्यमों म गढ़वाली म भोजन , भोजन पाक कला , गृह विज्ञान साहित्य नि प्रकाशित ह्वे। इंटरनेट माध्यम बि गढ़वाली म भीष्म कुकरेती न पाक कला , भोजन साहित्य , गृह विज्ञान संबंधी साहित्य की शुरुवात कार।
किन्तु गढ़वाली भाषा /भोजन साहित्य /पाक कला / कुकिंग लिटरेचर /गृह विज्ञान आदि साहित्य तै इंटरनेट म विकसित करणो श्रेय कुछ महिलाओं तै जांद जौंक काज सदा रालो। यूं महिलाओं मधे सरोज शर्मा , उषा बिजल्वाण , अनिता ढौंडियाल , प्रेमलता सजवाण , बिमला रावत , अंजना कंडवाल , अंजना कुकरेती को अधिक च। कुमाऊंनी म सुमीता परवीन को काज स्मरणीय च।
ये साहित्य मदे सरोज शर्मा को कार्य सर्वोपरि च।
सरोज शर्मा न गढ़वाली भाषा म निम्न साहित्य म अपण बहुमूल्य योगदान दे -
गढ़वाली मा भोजन पाक कला साहित्य - पारम्परिक भोजन पाक कला म ४९ लेख। उत्तराखंड व आधुनिक भोजन की रसीपी सरल समज म आण वळ गढ़वाली म लेख छन। दगड़म भोजन सजवट का साथ फोटो बि छन याने सरोज शर्मा न खुद भोजन पकाई अर तब रेसिपी /पाक विधि लेखी।
गढ़वाली भाषाम भारतै भिन्न भिन्न चटणी की पाक विधि साहित्य - सरोज शर्मा तै भोजन शोध म दिलचस्पी हूण से सरोज शर्मान भरत का भौं भौं क्षत्रों क चटणी बणाणै विधि पर समज म आण वळ गढ़वाली म ५३ लेख लिखिन जु सोशल मीडिया म चर्चित भौत ह्वेन ।
गढ़वाली म भोजन इतिहास साहित्य - सरोज शर्मा कु प्रत्येक कार्य चिर स्मरणीय च। सरोज शर्मान चाट , दही भल्ला , पानी पूरी , पुलाव , पररसर कुकर , हलवा , जलेबी , फ्रेंच फ्राई , वड़ा पाँव , चा , साम्बार नामकरण , बिरयानी पुलाव , फलूदा , खिचड़ी , समोसा , गुलाब जामुन , शिमला मिर्च , बटर चिकन , भारत म सेव कथा आदि भोजन इतिहास गढ़वाली म पोस्ट करिन। यु योगदान बड़ो योगदान च।
सरोज शर्मा की भाषा सरल गढ़वाली च व हिंदी व अंग्रेजी शब्दों क प्रयोग हुयुं च। भाषा पर बैजरों /वीरोंखाल क तरफ की पूरी छाप च।
सरोज शर्मा का लेखों से कई नया बँचनेर गढ़वाली तै मिलेन। सरोज शर्मा का कार्य देखि भौत सा अन्य महिला बि भोजन साहित्य लेखन म अगवाड़ी ऐन अर यु योगदान भौत बड़ो योगदान माने जालो।
हिंदी म पोस्ट ग्रेजुएट सरोज शर्माक जन्म कोलगाड गाँव म ह्वे अर ससुराल बस्यूड़ (चौंदकोट ) च। अबि सरोज शर्मा अपण पीटीआई पंडित भारत भूषण शर्मा क दगड़ सहरानपुर म रौंदी।
गढ़वाली साहित्य सदा सरोज शर्मा क भोजन पाक कला , भोजन निर्माण कला व भोजन इतिहास साहित्य लेखन का वास्ता ऋणी राल।
Bhishma Kukreti:
गढ़वाली लोक नाटकोंम् भाव प्रदर्शन करणों ब्यूंत
गढ़वाली लोक नाटकों में भाव प्रदर्शन तकनीक
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भीष्म कुकरेती
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भरत नाट्यम का रचनाकार भरत मुनि बुल्दन बल ‘नाट्यम भावनुकीर्तम’ अर्थात नाटक पुरी तरां भावुं पर निर्भर हूंदन I
कै बि औपचारिक या अनौपचारिक स्वांगौ /नाटकौ मुख्य उद्येश हूंद दिखंदेर याने दर्शकुं मनम ‘भाव जन्माण’ च I बगैर भाव उत्पन्न कर्यां नाटक ह्वे इ निसकुद I प्रत्येक भाव वास्तवम् असीमानन्द की ओर बढ़द I इख तक कि ‘घीण ’ या रौद्र भाव कु उद्येश्य बि असीमानन्द प्राप्ति इ हूंद I सब नाटकुं (औपचारिक या अनौपचारिक ) मा द्वी वर्ग तै असीमानंद प्राप्ति हूंद या असीमानंद प्राप्ति उद्येश्य हूंद- नाट्यकर्मी अर दिखंदेर (दर्शक ) I जु नाटक पाठ खिलंदेर (नाट्यकर्मी ) तै नाटक खिलण म आनन्द नि आवो या दर्शक तै आनन्द प्राप्ति नि ह्वावो त नाटक व्यर्थ इ मने जान्द I इले इ सफल नाटक का वास्ता नाट्यकर्मी क करतब अर दिखंदेरक मध्य एक अदृश्य सामंजस्य आवश्यक च I
भीष्म कुकरेतीन् २०१३ म शैलवाणी कोत्द्वारा म गढवाली लोक नाटकों के मुख्य तत्व एवं चरित्र ‘ शीर्षक म बताई बल गढ़वाली लोक नाटककार कै ड्रामा इंस्टीच्यूट म भले इ नि जान्दन किंतु वूं तै नाटक म भाव उत्पन्न करण उन्नी आंद जनकि नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा का स्नातक तै आंद I
आम गढ़वाली लोक नाटककार निम्न ब्यूंत (विधि ) से लोक नाटकुं म भाव पैदा करदन –
१-शरीर गति से भाव उत्पति – हथ घुमण, टंगड़ घुमण, घूमण –रिंगण, दौड़ण , लमडण, उठण, कूदीमरण, नचण, अंगूलि घुमाण/गति, लत्ति लगाण भिंट्याण , सांस म अंतर , आदि
या
सम्पुर्ण शरीर गति या कुछ भाग प्रयोग – आन्खों बडो उपयोग हूंद I
२- मुख से भाव अभिव्यक्ति ,ऊँठ, गिच्च , आँख आदि क प्रयोग, मुंड हलाण आदि
३- भाषाम परिवर्तन व बनि बनि भाषा प्रयोग
४- कहावत व पहेलियों प्रयोग
५- लोक संगीत /गीत आदि
६-स्मृति उघाड़ण अर्थात क्वी स्मृति विशेष आधार , आख्यान , घटना , जानवर आदि क प्रयोग
७- संवाद
८- दिखंदेर नाटक तै अफिक बींगी याने समज जावन
९- दर्शकों तै नाटक म भागीदार बणाण जनकि उत्सव या घड़ेलूं मा
गढ़वाली लोक नाट्य कर्मी यद्यपि कै ट्रेनिंग स्कूल म नि जान्दन किन्तु गढवाली लोक नाट्य कर्मी नाटक का मूल चरित्र समजण म सजग दिखेदन I
नाट्य कर्मी प्रत्येक नाट्य विधा तै खूब समजदन जनकि मांगळ लगाण , गोरम ग्वेरु नाटक आदि म सटीक भाव दिखाए जान्दन I
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