Author Topic: Articles By Dinesh Dhyani(Poet & Writer) - कवि एव लेखक श्री दिनेश ध्यानी के लेख  (Read 29351 times)

dinesh dhyani

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मुझे मत मारो




मुझे भी देखने दो

स्वपनिल आकाश

खुली धरती

उगता सूरज

छिटकी चांदनी

ऋतु परिवर्तन

वसंत बहार

मुझे भी जग में आने दो।



होने दो मुझे परिचित

जगत की आबोहवा से

जिन्दगी की धूप छांव से

जीने के अहसास से।



लेना चाहती हूं सांस

मै भी खुली हवा में,

पंछियों की चहचहाट

और हवा की सनसनाहट में।



देना चाहती हूं आकार

मैं अधबुने सपनों को,

ख्वाबों और खयालों को

उड़ना चाहती हूं

अनन्त आकाश में

पंछियों की मानिंद

बहना चाहती हूं

हवा की भांति।



मुझे मत मारो

मांं, बाबू जी

दादा जी, दादी जी

आने दो

मुझे इस संसार में

जी लेने दो

मेरा जीवन।



गिड़गिड़ा रही थी

एक लड़की

जब की जा रही थी

उसकी भूzण हत्या

अपनों के द्वारा।

dinesh dhyani

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गंगा है जीवन की सरिता
संस्कारों की थाती है
सबके पाप ये धोती रहती
जीवन सबको देती हैं.
मर्यादा अरु बिस्वासों की
सरिता भी ये गंगा है
इसकी लहरों में तुम देखो
जीवन रस भी बहता है.
गंगा का उद्गम है जहाँ पर
वह धरती स्वर्ग कहाती है
ऋषि मुनियों कि धरती है वो
शिव का वास वहीँ पर है.
राम और पांडव भी आकर
पुण्य जहां पर पाते हैं
ये वो धरती है जहाँ पर
पापी भी तार जाते हैं.
अनुपम गाथा इस धरती की
कण कण में ईस्वर का वास
आकर देखो इसकी महिमा
तब होगा तुमको बिस्वास...ध्यानी

dramanainital

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bhroon hatyaa par bahut hee maarmik rachnaa likhi dajyu.dhanyawaad.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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     Dinesh Dhyani अचानक विचारों में प्रवाह बढ़ गया
जैसे सावन भादों में नदी का उफान
गर्मियों में हिमनदों का वेग बढ़ जाता है
उसी तरह मेरे अन्तस में एक विचार
कौंध गया, मैं सोये से जाग गया।
बहुत हो गईं अब बेकार बातें
बहुत कुछ जाया किया इन सबमें
खोया अधिक और, पाया शून्य।
इसलिए मैं आज से बल्कि अभी से
अवनि! अपने विचारों को, सोच को
अपने आवेग को नई धारा और
अपने स्वपनों को नई जमीन
देने की सोच रहा हूं।
जानती हो ये सब क्यों हो रहा है?
तुम्हारे कोमल भावों का स्पदन,
तुम्हारे पवित्र मन का और
तुम्हारी सोहबत का असर है
कि अनगढ़ आदमी बन रहा है।
बस गुजारिश है कि तुम यों ही
मुझे जगाती रहना,
मेरे सत्व का याद दिलाती रहना
मैं अनगढ़ तुम्हारे सहारे के बिना
न जाने कब फिर से राग, द्वेष और
बेकार की उलझन में न फंस आउूं
ये तुम्हारी जिम्मेदारी है अब क्यों कि
मैंने सर्व समर्पण किया है तुम्हारे आगे
इसलिए अवनि!अब तुम जानो
और तुम्हारा काम जाने।।... ध्यानी. 30 मई, 2011


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गंडेळ
गंडेळ ड्यारादूण गै
मुख्यमंत्री थैं मीलिकि वैन
आरजू कै,
माराज! राज्य का बान
वर्षों तक मिन बि आन्दोलन काई,
भूख-तीस सै अर
अपणि ज्वानि खपाई,
पण अमणि आन्दोलनकार्यों कि लिस्ट म
म्यारू नौ किलै नि आई?
मुख्यमत्री न बोलि,
बल! भै जिलौं बिटेकि जौं-जौं कु
नौ हमरू पास आई,
तौं थैं हमुन झट से
आन्दोलनकारि घोषित काई,
त्यरू नौ जब कैन नि ल्याई
त त्वी बथौं, त्वैथैं हमुन
आन्दोलनकारी कनम मनणु छाई?
मुख्यमत्री बात सूणी
गंडेळ सन्न रैग्याई,
वै कु बरमण्ड चकरै ग्याई,
खैरि खयांकु सी परिणाम ह्वाई?
वो सोचम पोड्ग्यिाई,
राज्य क बान खैरि हमुन खै
ज्यान अपणि वों शहीदौं न खपै
अर
अमणि न त शहीदौं का
सुपिन्या पूरा ह्वाई,
न हम जनौं कु क्वी पुछदरू राई।
गंडैळ समझि ग्याई,
कि, ये राज्य म बि भाई-भतीजावाद अर
भ्रष्टाचार नेतौं अर अफसरौं कि
नस-नस म भ्वरे ग्याई,
सैद च, तौं कु ल्वै कु पाणि बणि ग्याई
तबी त, कैकु त्याग अर बलिदान
तौं थैं दिखेण नि मराई।
वो सोचम पोडि़गे कि
हे! भगवान
जब राज्य बणणा का बाद
बि तन्नि भाई -भतीजावाद अर
भ्रष्टाचार ही होणु छाई
त,हमुन उत्तराखण्ड क्यां खुणि बणाई?
दिनेश ध्यानी। कवि/ साहित्यकार.16, फरवरी, 2016।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dinesh Dhyani
February 21 at 5:49pm
अंतराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस की सब्यों तैं हार्दिक बधाई.
अपणी बोली, अपनी भाषा
लिखा पढ़ा, अग्नै बढ़ा।
बोली को विकास करा
गढ़वाली -कुमाँऊनी अर जौनसारी तैं
संविधान की ८ वीं
अनुसूची म सम्मान दिलावा।
आवां सभी मिल जुलिकी
भाषा को मान बढ़ावा।
दिनेश ध्यानी। २१/२/१६।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dinesh Dhyani
February 23 at 5:34pm
को गालो फागुण की होरी
गीत वंसत का कख बिटि सुणणी
थड्या झुमैला, बौ अर लाली
औण वळौं न क्या जी जणणीं।
रीत बचैकी रखण म्यारौ
गीत बचैकी रखण
तीज त्यौहरा खौला मेळौं
थाती बचैकी रखणा।
ब्गत का अगनै अटगणां हम
दौका फौक्यों म भटकणां
रीत रिवाज, सान संस्कृति
घडि़ म अपणीं छ्वडणां।
यीं थाती की समाळ कारा
भौळ कनक्वैकी ह्यरणां,
सख्यों की रीत पुरख्यों की
हम्हरि थाती पछ्याण या च।
अपणां जलडौं कबी नि छ्वडणौं
अपणी माटी समाळ कारणां
रीत बचैकी रखण म्यारौं
गीत समाळी रखणा।।
दिनेश ध्यानी. 23 फरवरी. 2016

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dinesh Dhyani
February 24 at 10:26am
क्य बुन्न?
वो देशा बान
अपणि ज्यान खूणा छन
अर
सि देश का
टुकड़ा-टुकड़ा कनौं बान
एक हूणा छन।
दिनेश ध्यानी 24/2/16

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Dinesh Dhyani
February 25 at 3:31pm
पळौण्या
ब्याळि रात स्वीणम पळ्यौंण्य एै
बल
क्या च रै!
तुम त सब्बि बौहड प्वड्यां छां।
मुजफ्फर नगर अर
रामपुर तिराहा कांड का बाद
तुम्हरा जो रमठा अर
दथडा पळ्ययां छाया
वों को क्य ह्वै?
शहीदौं कु ल्वै की सौं
खयीं छै तुमरि
वौं थैं बिसरि किलै ग्यां?
अगर नि बिसरा ता फेर
निचंत ह्वै कि बौंहड
किलै छां सियां?
मिन बोलि
न्यायालय म केस च चलणू
निसाब कु जग्वाळ सब्यों थै च
बल
न्यायालय?केस अर निसाप हैं.....!
कनि छ्वीं कनौं छै तु?
य त तु अपणि कमजोरि
थैं छुपाणौं छै,
य यीं व्यवस्था थैं
नि समझणौं छै।
निरसा कैन कन्न
मुजफ्फर नगरौं निसाब?
कैन दीण तुमथैं रामपुर तिराहौं
इनसाफ?
द्यखणौं नि छै
शहीदौं की ल्वै की सिचीं
राजगद्दी परैं बैठ्यां
अर रामपुर तिराहा अर
मुजफ्फर नगरा कांड करवोण वळा
सफेदपोश एक सि हि भाषा
तु बनां छन।
एक जना लगणां छन।
अगर नि छन सि एकसन्नि त
त्वी बथौ, पन्द्र सालौ राज म
रामपुर तिराहा अर
मुजफ्फर नगरा कांड का
दोषियों थैं सजा दिलौणा खातिर
यों हम्हरा कर्णाधारौं न क्य कै?
इनी सूणी!
अज्यों बग्त चा
सोचि ल्या
समझि ल्या
यां से पैलि कि सि
पळ्यां दथुड़ा-रमठौं परैं
जंक लगि जौ
अपणु न्याय, निसाप अर
हिसाब कनौं खातिर एक दौं
फिर से सब्बि गौं-गौं बिटि
धारौं-धारौं बिटि
नगरौं-सैरौं बिटि
कट्ठा ह्वावा अर
इतिहास म अपणि गवै द्यावा
एक ह्वैकि
अपणु निसाब कारा
अपणु निसाब कारा।।
दिनेश ध्यानी, 25, फरवरी, 2016।

 

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