Author Topic: Articles By Famous Science Writer Sh. Devendra Mewari-देवेन्द्र मेवाड़ी जी के लेख  (Read 11469 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

Dosto,

 Articles By Famous Science Writer Sh. Devendra Mewari- देवेन्द्र मेवाड़ी जी के लेख
---------------------------------------------------------------------------------

अब मेरा पहाड़ और अपना उत्तराखंड  पोर्टल से जुड़ रहे है एक ऐसे व्यक्तित्व जिन्होंने विज्ञान साहित्य के क्षेत्र बहुत उत्कृष्ट कार्य किये है इनका नाम है श्री देवेन्द्र मेवाड़ी जी! जिनका कि परिचय निम्न लिखित है!

मेरापहाड़ व अपना उत्तराखंड देवेन्द्र मेवाड़ी जी को यहाँ पाकर धन्य होगा, उनके द्वारा लिखे गये हर लेख मे ज्ञान की बहुत सारे बातें होंगी जिसका की हमारे सदस्य और अतिथि जो ऑफ लाइन इस पोर्टल को देखे रहे है, वो श्री मेवाड़ी जी के लेखो का यहाँ पर फायदा उठाएंगे!

आशा है कि आपको श्री मेवाड़ी जी के लेख पसंद आयंगे !

आपका भुला (छोटा भाई)
___________
एम एस मेहता
___________
                                                       

                         
                                              
 ==============                                            
  देवेन्द्र मेवाड़ी जी के बारे में संक्षिप्त
  ===============
 

देवेन्द्र मेवाड़ी (Devendra Mewari)

जन्मः    7.3.1944
शिक्षा : एम.एस-सी., एम.ए.(हिंदी), पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, पीएच.डी. शोध छात्र।
अनुभवः
 विगत चार दशकों से हिंदी में लोकप्रिय विज्ञान लेखन। वैज्ञानिक विषयों पर देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन, 1500 से अधिक लेख तथा 11 पुस्तकें प्रकाशित।

मौलिक पुस्तकें :  

‘भविष्य’ तथा ‘कोख’ (विज्ञान कथा संग्रह), ‘विज्ञान प्रसंग’, ‘सूरज के आंगन में’, ‘फसलें कहें कहानी’, ‘विज्ञान जिनका ऋणी है’, ‘अनोखा सौरमंडल’, ‘पशुओं की प्यारी दुनिया’, ‘हॉरमोन और हम’ तथा ‘विज्ञान बारहमासा’ (लोकप्रिय विज्ञान पुस्तकें)।

संपादित पुस्तकें :

चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा, विज्ञान प्रसार, नोएडा, उत्तर प्रदेश
हर चीज कहती है अपनी कहानी (लेखक- जे बी एस हॉल्डेन),  विज्ञान प्रसार, नोएडा, उत्तर प्रदेश
आधुनिक हवाई अड्डे (लेखक-बिमल श्रीवास्तव), विज्ञान प्रसार, नोएडा, उत्तर प्रदेश
यशपाल-विज्ञान को समर्पित जीवन, (लेखक-बिमान बसु), विज्ञान प्रसार, नोएडा, उत्तर प्रदेश  

पत्रिका संपादनः

पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय की कृषि पत्रिका ‘किसान भारती’ का 13 वर्षों तक संपादन, विश्व हिंदी न्यास, न्यूयार्क की विज्ञान पत्रिका  ‘विज्ञान प्रकाश’ का स्थानीय संपादन (तीन अंक)

अनुवादः

‘कहानी रसायन विज्ञान की’ (अनिर्बान हाजरा), ‘हमारे पक्षी’ (डॉ. ए. आर. रहमानी), ‘जीन और जीवन’ (डॉ. बाला सुब्रमणियम), ‘एशियाई फसलों का प्रजनन’ (पोह्लमैन एवं बोरठाकुर)। ‘भारत की संपदा’ विश्वकोश, स्पैन (हिंदी) तथा विज्ञान पत्रिका ‘ड्रीम-2047’ के लिए वैज्ञानिक लेखों का अनुवाद।

आकाशवाणी/दूरदर्शनः

आकाशवाणी से 50 से अधिक वार्ताएं तथा विज्ञान-नाटक प्रसारित,दूरदर्शन पर कृषि तथा विज्ञान कार्यक्रमों की कंपीयरिंग, ‘कृषक मंच’ (कृषि धारावाहिक) की 26 कड़ियों के लिए पटकथा लेखन, प्रमुख विज्ञान धारावाहिक ‘मानव का विकास’, ‘छूमंतर’, ‘जीवन तेरे रूप अनेक’, ‘राही ये मतवाले’ (भारतीय भौतिक विज्ञानियों के जीवन पर आधारित), ‘आधुनिक विज्ञान का उदय’ (खोजें जिन्होंने दुनिया बदल दी’), आदि के लिए पटकथा लेखन। ‘धूमकेतु’ डॉक्यूमेंट्री फिल्म की संकल्पना और पटकथा लेखन। ‘जादुई वर्ष’ (अल्बर्ट आइंस्टाइन की जन्मशती पर), भौतिक विज्ञानी ‘पी सी वैद्य’ तथा ‘ए के रायचैधुरी’ पर वृत्तचित्रों की पटकथाओं का हिंदी रूपांतर।

व्याख्यानः

लोकप्रिय विज्ञान लेखन पर राष्ट्रीय बाल साहित्य गोष्ठी, बाल भवन (दिल्ली), नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा आयोजित राष्ट्रीय बाल साहित्य गोष्ठी (गाजियाबाद), भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (नई दिल्ली), राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् तथा भारतीय विज्ञान कथा लेखक समिति द्वारा आयोजित कार्यगोष्ठी ‘संचार माध्यमों में विज्ञान कथाएं’ (सारनाथ तथा मिर्जापुर), शब्दावली आयोग, दिल्ली और भावा विज्ञान शिक्षा केंद्र तथा विज्ञान परिषद प्रयाग द्वारा आयोजित कार्यगोष्ठियों में अनेक व्याख्यान।

सम्मानः

केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा द्वारा हिंदी में स्तरीय विज्ञान लेखन के लिए रू. 1,00,000 के प्रतिष्ठित ‘आत्माराम पुरस्कार’ से सम्मानित (2005), विज्ञान लोकप्रियकरण के लिए राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार) के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित, (वर्ष 2000), दो बार भारतेंदु हरिश्चंद्र राष्ट्रीय बाल साहित्य पुरस्कार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार (1994-99 तथा 2002), स्तरीय विज्ञान लेखन के लिए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ (वर्ष 1978-79) तथा ‘विज्ञान परिषद’, प्रयाग द्वारा सम्मानित (वर्ष 1986)। ‘विज्ञान’ मासिक, विज्ञान परिषद प्रयाग द्वारा ‘देवेंद्र मेवाड़ी सम्मान अंक’ (अक्टूबर 2006) प्रकाशित।  

जन्म स्थान : कालाआगर (चौगढ़)

पैतृक गाँव : कालाआगर जिला : नैनीताल


जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः शिक्षक बड़े भाई श्री दीवान सिंह मेवाड़ी द्वारा पांचवीं कक्षा के बाद आगे की पढ़ाई के लिए गाँव से ले जाना और माँ की इच्छा कि मैं उच्च शिक्षा प्राप्त करुँ।

युवाओं के नाम संदेशः जब मैं छात्र था तो एक बार शैलेश मटियानी जी ने मुझे लिखा था कि जीवन में पेड़ की तरह से बढ़ना जो अपनी ही जड़ों पर खड़ा होता है, बेल की तरह नहीं जिसे खड़े होने के लिए ठांगरे की जरूरत होती है। मेरे लिए यह मार्गदर्शक संदेश बन गया, आपके लिए भी बने यह शुभकामनाएं हैं।


कमल

  • Core Team
  • Jr. Member
  • *******
  • Posts: 90
  • Karma: +2/-0
यह हमारे लिये सौभाग्य की बात है कि अब हम मेवाड़ी जी के लेखों को अपना उत्तराखंड में पढ़ पायेंगे। जिन लोगों ने उनकी श्रंखला मेरा गांव मेरे लोग नहीं पढ़ी है वह उसे भी पढ़ सकते हैं। आपको लगेगा आप अपना बचपन फिर से जी रहे हैं।

स्वागत है श्री मेवाड़ी जी का।

हेम पन्त

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 4,326
  • Karma: +44/-1
देवेन्द्र मेवाड़ी जी जैसे वरिष्ट वैज्ञानिक को अपने फोरम और साइट में पाकर हम धन्य हुए हैं..  हार्दिक स्वागत है आपका...

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
मेरा पहाड़ के लिये सौभाग्य की बात है कि मेवाड़ी जी जैसे प्रबुद्ध एवं विज्ञान विषय के मर्मज्ञ हमारे बीच में हैं। हम उनके मार्गदर्शक लेखों की प्रतीक्षा करते हैं।

मेवाड़ी जी का मेरा पहाड़ परिवार में हार्दिक स्वागत है।

Uttarakhand Admin

  • Administrator
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 635
  • Karma: +6/-0
मेवाड़ी जी का आज का लेख

दोस्तो, चलो परियों की बातें करते हैं। हंसती, खिलखिलाती सुंदर परियों की। सोन परी, नील परी, लाल परी!

अच्छा बताओ, तुम्हें कहां मिलती थीं वे परियां? परी कथाओं में? हमने अपनी आंखों से उन्हें कभी नहीं देखा, लेकिन जब भी कोई परी कथा पढ़ी तो वे हमारे मन के ऊंचे आसमान में उड़ने लगीं। हमारे मन के आसमान में उड़ने के लिए इन्हें किसने भेजा?

मां ने, नानी ने या शायद दादी ने। और, परियों की कथा लिखने वाले हमारे प्रिय लेखकों ने। इन सबने परियों की मजेदार कहानियां गढ़ीं। हमारा मन बहलाने और हमें दया व करुणा का पाठ पढ़ाने के लिए परियों की नई-नई कहानियां सुनाईं। बोलने वाले पशु-पक्षियों, अप्सराओं, जादूगरनियों, देव और दानवों तथा मजेदार बौनों की कहानियां सुनाईं।

दो हजार वर्ष पहले पंडित विष्णु शर्मा ने ‘पंचतंत्र’ की कहानियां सुनाईं। लगभग ढाई हजार वर्ष पहले यूनान के विद्वान ईसप ने भी पशु-पक्षियों की कहानियां सुना कर नीति की शिक्षा दी। पंचतंत्र और ईसप की कहानियों से बच्चों को ज्ञान तो मिला ही, उन्होंने पशु-पक्षियों से प्यार करना भी सीखा

... आगे पढ़ें....

हेम पन्त

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 4,326
  • Karma: +44/-1
We have now made a seperate blog for Shree Mewari ji. You can read his all writeups here -

मेरी कलम - dmewari.merapahad.in

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0


Deven Mewariposted toBedupako.Com ‘मेरी यादों का पहाड़’...
 
 साथियों, आपके लिए एक अच्छी खबर। मेरी बहुप्रतीक्षित पुस्तक ‘मेरी यादों का पहाड़’ नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया से प्रकाशित हो गई है। इसमें है, पचास-साठ वर्ष पहले का “वह मेरा गांव, मेरे लोग, मेरा मकान, वह घर-आंगन, वे गाय-भैंसें, वे सीढ़ीदार खेत, वे ठंडे पानी के नौले-धारे, वे चहचहाती चिड़ियां, वनों में बोलते जानवर, अगाश (आकाश) में उमड़ते बादल, वह झमाझम बरसती बारिश, वे छ्वां-छ्वां बहते गाड़-गधेरे (नदी-नाले), वह घाटियों से उठता हौल (कोहरा), वे वन-वन खिले बुरोंज (बुरांश), वे सुरीले लोकगीत, हुड़के की वे थापें, वे ढोल के बोल, वे बांसुरी की धुनें, वे जागाएं, वे ब्या-काज, वे त्यों-त्यार (त्योहार), वे मेले, वे गाय-भैंसों की टुनटुनाती घंटियां, घोड़ों के खनकते खांकर (घुंघरु), वे नीले पहाड़, वह साफ-सुकीला हिमालय! माल-भाबर को उतरते वे गाय-भैंसों के बागुड़ (झुंड) और रह-रह कर बज उठता मयल (घंटा)...घन-मन...घन-मन...
 वह पाठशाला, वे संगी-साथी, लंफू-लालटेन के उजाले में पढ़ाई के वे दिन”...
 
 एक ऐसी पुस्तक, जो पढ़ते-पढ़ते आपको अनायास ही पहाड़ की गहरी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ देगी।
‘मेरी यादों का पहाड़’... साथियों, आपके लिए एक अच्छी खबर। मेरी बहुप्रतीक्षित पुस्तक ‘मेरी यादों का पहाड़’ नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया से प्रकाशित हो गई है। इसमें है, पचास-साठ वर्ष पहले का “वह मेरा गांव, मेरे लोग, मेरा मकान, वह घर-आंगन, वे गाय-भैंसें, वे सीढ़ीदार खेत, वे ठंडे पानी के नौले-धारे, वे चहचहाती चिड़ियां, वनों में बोलते जानवर, अगाश (आकाश) में उमड़ते बादल, वह झमाझम बरसती बारिश, वे छ्वां-छ्वां बहते गाड़-गधेरे (नदी-नाले), वह घाटियों से उठता हौल (कोहरा), वे वन-वन खिले बुरोंज (बुरांश), वे सुरीले लोकगीत, हुड़के की वे थापें, वे ढोल के बोल, वे बांसुरी की धुनें, वे जागाएं, वे ब्या-काज, वे त्यों-त्यार (त्योहार), वे मेले, वे गाय-भैंसों की टुनटुनाती घंटियां, घोड़ों के खनकते खांकर (घुंघरु), वे नीले पहाड़, वह साफ-सुकीला हिमालय! माल-भाबर को उतरते वे गाय-भैंसों के बागुड़ (झुंड) और रह-रह कर बज उठता मयल (घंटा)...घन-मन...घन-मन... वह पाठशाला, वे संगी-साथी, लंफू-लालटेन के उजाले में पढ़ाई के वे दिन”... एक ऐसी पुस्तक, जो पढ़ते-पढ़ते आपको अनायास ही पहाड़ की गहरी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ देगी। height=358

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
 हमारे देश के अंतरिक्ष वैज्ञानिक अगले माह महत्वाकांक्षी मंगल अभियान मंगल ग्रह की ओर रवाना करने की तैयारियों में जुटे हैं। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में हमारा मंगल यान मंगल ग्रह की ओर कूच कर जाएगा। इस अभियान के बारे में आपके लिए कुछ जानकारी नंदन, अक्टूबर 2013 अंक में प्रकाशित मेरे लेख ‘हमारा मंगल अभियान’ में, पढ़िएगा।Unlike ·  · Share · 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Deven Mewari September 13विज्ञान डायरी में....
 
 साथियो, आप सोच रहे होंगे ‘मेरी विज्ञान डायरी’, भाग-2 तो आ गई है लेकिन उसमें है क्या? उसमें किन विषयों पर चर्चा की गई है?
 विषय और घटनाएं तो बहुत हैं लेकिन संक्षेप में कहूं तो मेरी डायरी के इन पृष्ठों में धरती और आकाश से जुड़े तमाम विषयों पर बात की गई है जिसके कारण इसमें आपको विषयों की भरपूर विविधता मिलेगी। इसमें प्रकृति है, हम हैं, वन हैं। पशु-पक्षियों की अंतरंग कहानियां हैं। बढ़ते बाघों और चीते की वापसी की बातें की गई है। हरियल, गौरेया, कोयल और कव्वों के साथ ही प्रवासी पक्षियों के बारे में बताया गया है। बगुलों और कदंब के पेड़ की करुण कथा सुनाई गई है तो पेड़ों की आपबीती के साथ ही बेल और बोगेनविलिया की बहार की बात भी की गई है।
 मार्च 2011 में जापान में समुद्री भूकंप के कारण आई सुनामी लहरों ने भारी तबाही मचाई थी जिसके कारण परमाणु संयंत्रों को भी क्षति पहुंची और विकिरण का खतरा पैदा हो गया। इसलिए उस दौरान मैंने डायरी के पृष्ठों में सुनामी, भूकंप और विकिरण की बातें लिखीं। फिर अगस्त माह की शुरुआत में हिरोशिमा, नागासाकी पर गिराए गए विनाशकारी परमाणु बम विस्फोटों की दुखद याद आई। डायरी में तपती, गरमाती धरती की भी बात की गई है। इसके साथ ही बेतार, मोबाइल और इंटरनेट क्रांति के बारे में भी लिखा गया है।
 उधर अंतरिक्ष में धूमती वेधशालाओं के साथ ही सौरमंडल के चंद्रमाओं और अंतरिक्ष में बढ़ते कबाड़ की बात की गई है। इस बात पर भी विचार किया गया है कि हमारी धरती के अलावा क्या कहीं और भी जीवन है।
 टैगोर की 150 वीं जयंती पर टैगोर के विज्ञान के बारे में लिखा गया है। गणित वर्ष के अवसर पर भारत के महान गणितज्ञ रामतानुजन और लगे हाथ प्राचीन भारत के गणितज्ञों को याद किया गया है। याद प्रथम अंतरिक्ष यात्री यूरी गगारिन और चांद पर पहला कदम रखने वाले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग को भी किया गया है। प्रसिद्ध विज्ञान कथाकार आइजैक असिमोव और भारत में जन्मे और रहे नोबेल विजेता साहित्यकार रुडयार्ड किपलिंग की भी चर्चा की गई है। हिंदी के विज्ञान कथाकार कैलाश साह के कल्पनालोक में झांका गया है। इस दौरान विदा हुए वरिष्ठ विज्ञान लेखक डा. रमेश दत्त शर्मा और भारतीय कामिक्स का सपना साकार करने वाले अनंत पई को भी आदर के साथ याद किया गया है।
 इस बार ‘मेरी विज्ञान डायरी’ में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और अंधविश्वास के अंधकार पर भी प्रकाश डाला गया है। यानी, इतने विषय कि आपके मन को बांधे रहें और आप डायरी के पन्ने पढ़ते-पढ़ते विज्ञान का सच समझते रहें। Photo: विज्ञान डायरी में.... साथियो, आप सोच रहे होंगे ‘मेरी विज्ञान डायरी’, भाग-2 तो आ गई है लेकिन उसमें है क्या? उसमें किन विषयों पर चर्चा की गई है? विषय और घटनाएं तो बहुत हैं लेकिन संक्षेप में कहूं तो मेरी डायरी के इन पृष्ठों में धरती और आकाश से जुड़े तमाम विषयों पर बात की गई है जिसके कारण इसमें आपको विषयों की भरपूर विविधता मिलेगी। इसमें प्रकृति है, हम हैं, वन हैं। पशु-पक्षियों की अंतरंग कहानियां हैं। बढ़ते बाघों और चीते की वापसी की बातें की गई है। हरियल, गौरेया, कोयल और कव्वों के साथ ही प्रवासी पक्षियों के बारे में बताया गया है। बगुलों और कदंब के पेड़ की करुण कथा सुनाई गई है तो पेड़ों की आपबीती के साथ ही बेल और बोगेनविलिया की बहार की बात भी की गई है। मार्च 2011 में जापान में समुद्री भूकंप के कारण आई सुनामी लहरों ने भारी तबाही मचाई थी जिसके कारण परमाणु संयंत्रों को भी क्षति पहुंची और विकिरण का खतरा पैदा हो गया। इसलिए उस दौरान मैंने डायरी के पृष्ठों में सुनामी, भूकंप और विकिरण की बातें लिखीं। फिर अगस्त माह की शुरुआत में हिरोशिमा, नागासाकी पर गिराए गए विनाशकारी परमाणु बम विस्फोटों की दुखद याद आई। डायरी में तपती, गरमाती धरती की भी बात की गई है। इसके साथ ही बेतार, मोबाइल और इंटरनेट क्रांति के बारे में भी लिखा गया है। उधर अंतरिक्ष में धूमती वेधशालाओं के साथ ही सौरमंडल के चंद्रमाओं और अंतरिक्ष में बढ़ते कबाड़ की बात की गई है। इस बात पर भी विचार किया गया है कि हमारी धरती के अलावा क्या कहीं और भी जीवन है। टैगोर की 150 वीं जयंती पर टैगोर के विज्ञान के बारे में लिखा गया है। गणित वर्ष के अवसर पर भारत के महान गणितज्ञ रामतानुजन और लगे हाथ प्राचीन भारत के गणितज्ञों को याद किया गया है। याद प्रथम अंतरिक्ष यात्री यूरी गगारिन और चांद पर पहला कदम रखने वाले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग को भी किया गया है। प्रसिद्ध विज्ञान कथाकार आइजैक असिमोव और भारत में जन्मे और रहे नोबेल विजेता साहित्यकार रुडयार्ड किपलिंग की भी चर्चा की गई है। हिंदी के विज्ञान कथाकार कैलाश साह के कल्पनालोक में झांका गया है। इस दौरान विदा हुए वरिष्ठ विज्ञान लेखक डा. रमेश दत्त शर्मा और भारतीय कामिक्स का सपना साकार करने वाले अनंत पई को भी आदर के साथ याद किया गया है। इस बार ‘मेरी विज्ञान डायरी’ में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और अंधविश्वास के अंधकार पर भी प्रकाश डाला गया है। यानी, इतने विषय कि आपके मन को बांधे रहें और आप डायरी के पन्ने पढ़ते-पढ़ते विज्ञान का सच समझते रहें। height=269Like ·  · Share
  • Rajiv Nayan Bahuguna, Vinod Singh Gariya, प्रयाग पाण्डे and 21 others like this.
  • View 2 more comments
  • प्रयाग पाण्डे श्री मेवाड़ी जी ! नमस्कार । आज जबकि समाज में वैज्ञानिक चेतना फ़ैलाने के लिए संवैधानिक और  नैतिक रूप से जिम्मेदार सभी पक्षों में से ज्यादातर लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से समाज में रूढ़िवादिता और अन्धविश्वास फ़ैलाने में संलग्न हों ,अन्धविश्वास के  ऐसे...See MoreSeptember 13 at 11:38am · Like · 1
  • Pankaj Chaturvedi एक बात और देवेन्द्र जी की बहुप्रतीक्षित केलेंडर पर पुस्तक भे शीघ्र आ रही हेSeptember 13 at 12:04pm · Like · 2
  • Deven Mewari DrArvind Mishra प्रयाग पाण्डे Ganesh Joshi आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद।September 13 at 10:43pm · Like · 1
  • Deven Mewari Pankaj Chaturvedi पंकज भाई, काम जल्द ही पूरा होगा। आभार।September 13 at 10:46pm · Like

विनोद सिंह गढ़िया

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 1,676
  • Karma: +21/-0
यह हमारा सौभाग्य है कि मेवाड़ी जी जैसे वरिष्ठ वैज्ञानिक के लेख हमें मेरा पहाड़ फोरम और अपना उत्तराखण्ड पर पढ़ने को मिलेंगी।

अभिनन्दन है श्री देवेन्द्र मेवाड़ी जी का।

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22