उत्तराखंड ,कितना अच्छा नाम है और लितने अच्छे लोग थे वो जिन्होंने इस धरती मैं जन्म लिया और जिह्नोने अपने प्राणों का बलिदान दिया इस उत्तराखंड के खातिर, अपने परिवार और बच्चों की प्रवाह न करते हुए अपनी कुर्बानी दी लेकिन अब देखो इस देवभूमि को कैसी हालत है इसकी ,उत्तराखंड को देवभूमि कहा जात है लेकिन अब ये देवभूमि नहीं रही है दानव भूमि बनकर रह गयी है !देवभूमि ये तब थी जब यहाँ देवताओं का वास था!
जब यहाँ वस्ति थी सुमित्रानंदन पन्त, गोरादेवी ,इंदर मणि बडोनी,श्री देव सुमन,और महान विभूतियाँ जो इस देवभूमि को दानवों के हवाले करके चले गए ! क्या सोचा हमने क्या ये द्व्भूमि हमेशा देवभूमि ही रहेगी,आज जब मैं गान जाता हूं तो तो लगत है की अभी भी हम वही हैं जो नौ साल पहले थे !
वही सड़कें वही पानी भरने के धारे ,वही लोग और वही गाँव जो की आज भी बिना बिजली के हैं और रात होते ही फिर वही अँधेरी रात और गाँव मैं रहने वाले लोगों को वही डर, की रात हो गयी है!
कहीं कोई बाघ या चिता न आ जाय, क्यों आजकल भी गांवों मैं लोग चीड के पेड से लकडी निकलती है उसे जलाकर उजाला करते हैं (गढ़वाली मैं उस लकडी को दली कहते है!
या तो लोग दली जलाकर रहते हैं ओत या भीमल के केडे जलाकर अपनी रात गुजारते है ), लेकिन किसी को क्या पड़ी है की पहाडों मैं रहने वाले लोग कैसे अपना जीवन ब्यतीत कर रहे हैं,चाहे वो कोई नेता हो या कोई मंत्री ,वो तो बस चुनाव के समय आयेंगें इस गांवों वोटों की भीक मांगने और गांवों मैं रहने वाले हम जैसे गरीबों एक सपना दिखाकर चले जायेंगे,
गांवों जब कभी भी लोग बीमार होते हैं तो पूरा गाँव एक दुसरे की मदद करने को दोड़ता है, कभी किसी ने सोचा की अगर रात को कभी किसी परिवार मैं अगर किसी का बच्चा बीमार हो जाय तो क्या करता होगा वो इंसान जिसके पास न तो आने जाने का साधन है और उन अँधेरी रातों मैं कहन जायेगा वो बीमार बच्चे को लेकर न ही गान मैं बिजली है और नहीं आने जाने के साधन हैं !
मेरा कहने का मतलब ये नहीं है कि उत्तराखंड सरकार कुछ विकास नहीं किया है ये सरासर गलत होगा लेकिन विकास सरकार ने वहीं किया जहाँ कि पहले से कुछ हद तक पहले से ही है !मैं या आप ल्प्ग क्यों ये वकवास कर रहे हैं,हम सब लोग बस लिका सकते है बोला सकते है ये ही नहीं बल्कि कुछ कर भी सकते हैं!
उत्तराखंड मैं इतने सारे संघठन है कि जिनकी कोई गिनती नहीं है लेकिन ये संघठन कुछ काम के नहीं हैं ,आज जो लोग गांवों को छोड़कर मैंदानों मैं बसकर रहने लगें हैं वो सायद ही जानते होंगें कि उनके उस गाँव मैं क्या हो रहा होगा जिसे वो छोड़कर आये है !
जय उत्तराखंड
देवभूमि