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Articles By Mera Pahad Members - मेरापहाड़ के सदस्यों के द्वारा लिखे लेख

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

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                               ARTICLES BY MERAPAHAD MEMBERS    
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मेरापहाड़ के सदस्यों के लिए भी एक मौका कि वे उत्तराखंड कि विकास, सांस्कृतिक, भौगोलिक और अन्य मुद्दों पर यहाँ पर अपना लेख लिख सकते है !

लेख उक्त के अलावा उत्तराखंड से सम्भंदित किस मुद्दे पर हो सकता है और लेखक को ज्यादा से ज्यादा शब्दों में मुद्दे को विस्तार से लिखे ! लेख मे विशेष सुजाव होने चाहिए जो कि रचनात्मक हो !

हिन्दी एव अंग्रेजी दोनों भाषाओ में लेख लिखे जा सकते है !

We are sure you will write any articles in detail here !

एम् एस मेहता [/color]

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

चलो मे थोड़ा सा कोशिश करता हूँ

 उत्तराखंड के ८ आठ साल
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दोस्तों,

जैसे कि आपको ज्ञात है बहुत से बलिदानों के बाद हमने उत्तराखंड राज्य को पाया ! इसके पीछे का मुख्या उद्देश्य के उत्तराखंड राज्य के विकास और उन्नती ही है ! आज उत्तराखंड को बने आठ साल से ज्यादे का समय हो गया है उत्तराखंड कितना बदला है इसका उत्तर जनता के पास है!

जनता कि उम्मीदे

१..  जनता ने सोचा चारो और नौकरी ही नौकरी होगी ! रोजगार के बहुत सारे अवसर होंगे लोगो को नौकरी के लिए मुंबई, दिल्ली और अन्य महानगरो मई नही जाना पड़ेगा !

२)  जनता ने सोचा कि - उनको पहाडो के लम्बी लम्बी पैदल यात्रा नही करनी होगी

३)  जनता ने सोचा कि - उनके घर तक सड़क होगी चारो और विकास ही विकास होगा

४)  जनता ने सोचा कि -  उपचार के लिए उनके घर से नज्दीग से नज्दीग अस्पताल होंगे !

५)  जनता ने सोचा कि -  उनके इलाकों मे पर्यटन को बडवा मिलेगा

६)  जनता ने सोचा कि -   हर गाव में विकास के कई संसाधन होंगे !

७) जनता ने सोचा कि -   शिक्षा ने कई नए -२ संस्थाए होंगे जिससे कि पड़े लिखे लोगो को नौकरी मिल सके

८)  जनता ने सोच कि -    सारा पहाड़ में सडको का जाल होगा

९)  जनता ने सोचा    -    लघु उधियोगो का विकास होगा

१०)  जनता ने सोचा   -    उत्तराखंड खुशहाल होगा चारो और विकास ही विकास होगा

११) क्या हुवा उत्तराखंड के फ़िल्म उधियोग का
 

आख़िर क्या बदला -
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  १)   पहला धोखा -     राजधानी का ( गैरसैण के लिए लोगो ने अपनी जाने दी) लेकिन राजधानी अभी तक नही बन पायी !

 २)    क्या हुवा मुज़फर नगर ने आरोपियों का

 3)   क्या बदला -  उत्तराखंड के बेरोजगारी का

 ४)  क्या बदला -  उत्तराखंड के पर्यटन का
 
 ५)  क्या बदला -  उत्तराखंड के पलायन की दर में

 ६)   क्या बदला - कई जन समस्याओ का -

आखिर क्या बदला -               दो सरकार  -        समय -    ८ साल
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जनता के सपने सपने ही सपने
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आठ साल का समय किसी भी राज्य के निर्माण के लिए हम नही होता ! लेकिन वही बेरोजगारी, वह्ही पलायन, वही समस्याए !

उत्तराखंड सरकार को चाहिए कि
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अ) लोगो उधियोगो को बढावा दे
२)  पहाडो में विकास के लिए सड़क accessibility होना अवश्य है ! इसके लिए उत्तराखंड के पहाडी भागो को सड़क मार्ग से जोड़ना चाहिए

३)  पर्यटन उत्तराखंड के लिए बहुत बड़ी सोर्स ऑफ़ income हो सकता है जिसको बढावा देना चाहिए !

४)  प्रतिष्ठित पहाडियों को सरकार पहाड़ से जोड़े और उन्हें समय -२ पर समानित करे

भ्रस्ताचार का उन्मूलन के लिए कठोर कदम उठाये जाय !

अरुण/Sajwan:
Thanx Mehta Ji ... Ye topic start karne ke liye
Sir I wants to share my thoughts to you. Please apni rai jarur den.

(1)Aaj uttarakhand rajy ko bane 7 sal se jyada ho gaye hain. Lekin mujhe bahut dukh hota hai ki aaj ki nayi generation aur yahna tak ki meri age tak ke bhi kai log uttarakhand ke bare me na ke barabar jante hain. Aaj bhi jyadatar logon ko Uttarakhand ke itihas , Sanskriti, Sahitya aadi ke bare me uchit jankari nhi hai Aur  main samajhta hun ki jab tak log uttarakhand ko samajhenge nahi to uske vikas ke bare me soch kaise sakte hain.
   
   Isliye main sochta hun ki Uttarakhand ke shaikshik pathykram me Uttarakhand sambandhi koi Subject hona chahiye. Jisme Uttarakhand ke Itihas, Aandolan, Sahitya, Sanskriti etc. ke bare me bachon ko pahle se hi jankari di jani chahiye. Taki har koi bachpan se hi Uttarakhand ko samajh sake.Aur uttarakhand ke vikas ke bare me soch saken.

                                                                                 (Continue)

अरुण/Sajwan:
(2) Aaj computer aur Internet ki upyogita kisi se chhupi nahi hai.lekin main dekhta hun ki aaj bhi mere pahad me ye suvidhayen pahuch nahi payi hain. I think ki yadi pahad ke log Internet jaisi suvidhaon se jud jayen to unhe pahad ke vikas ke sambandh me naye naye vichar mil payenge.
        Ye bat ham sabhi jante hain ki Uttarakhand me Pratibhaon ki kami nahi hai, Kintu Jankari ke abhav me pahad ke yuva ya to galat rah par chale jate hain ya phir maidano me. Internet jaisi suvidhaon se judne par yuvaon ko vibhinn kshetron ke bare me jankari milegi aur vo aage aa payenge.

हेम पन्त:
अरुण भाई, अपने विचार हमारे साथ बांटने के लिये धन्यवाद. आपके विचारों से मैं भी सहमत हूं. इन्टरनेट का प्रयोग अभी पहाङी शहरों के Cyber cafe तक ही सीमित है.

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