Author Topic: Articles By Parashar Gaur On Uttarakhand - पराशर गौर जी के उत्तराखंड पर लेख  (Read 54896 times)

Parashar Gaur

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 1  अँधा
एक अंधा सडक में भीख मांगते हुए
कह रहा था
" .. ये बाबू , एक रुपया दे दो
भगवान् तुम्हारा भला करेगा
एसा मेरा मन  कह रहा है "
जैसे ही बाबू ने पैसे डाले
तपाक से भिखारी बोला  ...
' ---  ये बाबू अपने पैसे उठा ?
रूपये के बदलव चवनी दे रहा  है  !  "

२ वो बोला

रजनीश ने कहा ..
" पहड़ी दारु पीकर हुडदंग करते है "
एसा क्यूँ होता है ..!
एक ने जबाब दिया ..
 रजनीश   , दारु बनी है इसीके लिए
इसलिए येसा होता है !

३. सवाल -जबाब

भीष्म जी ने  डाक्टर उनियाल जी से कहा
उनियाल जी एक बात बताये ..
 ' --- हमारे समाज में हम एक दुसरे की टांग क्यों खींचते है
इसके बारे में थोड़ा रौशनी डालियेगा "
उनियाल जी बोले .. रोशनी क्या डालू  ..
पहले , आप , अपने से ही , देख लीजिएगा "

४ कबिता क्या होती है

मन मोहन जी ने गौड़ से कहा
एक बात बताये " कबिता क्या होती है ?"
 गौड़ बोले ..  " कबिता वो होती है  जो
मन मोहन के पास जाते ही रोती है  "

५ सांत्वना

 एक गंजे ने अपने सर पर हाथ फेरते हुए कहा
" अम्मा , मई तो गंजा हो रहा हूँ ,
ये क्या हो रहा है ....."
फिर अपने को सांत्वना देते हुए उसने कहा
' -- अरे नही नही,  ये तो , मेरे हाथ का कमाल है ,
  जो सरपे फिसल रहा है  ! "

@ कापी राईट  पराशर गौर
अप्रैल ११ २०१०

Parashar Gaur

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  भूल !

प्रभा नैथानी जी  ने
न्यू डीटी के खिलाफ
एक निर्देशक को  १२ सलवारे  भेजकर
वो , बेफिक्र हो गई ....
कुछ दिनों के बाद निर्देशक ने
 प्रभा जी को किया ...
बहिनजी , सलवारे तो मिल गई
परन्तु, आप ,  नाडे देने तो भूल गई !
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अछु ह्वै

मिन बोली पंडत जी ..
जरा ई जन्म पत्री  दिखया
कनी दशा लगी होली जू इन  ह्वै गे
अछु भलु   पड्यु    लिखू नोनू छो
 मती मरेगी एकी  जू , पुलिसम भर्ती ह्वै गे  !
पं डित्ल   बोली ...
हून त येल नेता छो , पर चला
अछु ह्वै जू पुलिसम चलिगे
अरे जजमान नेता से पुलिस भलो
वो त पाच साल रालू  , पर युत 
ता जिन्दगी भर घूसत खालो !
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 पारगरामी

बिदेश जाते समय , यात्री से
धरती माँ ने ... पूछा    ...
"----लोटोगे.. ? "
वो बोला...
तुम  तो  ऐसा पूछ रही हो की जैसे  ,
मै बिदेश नही  किसी जंग  में जा रहा हूँ
कि लौटके  वापस नहीं आउंगा ??
तुमने ऐसा क्यों सोचा है !
माँ बोली ....
वो तो मरने के बाद  भी
अपनी माँ के पास  आता  है
तुमारा क्या भरोसा   तुम  तो
जिन्दे में आ नही सकते ?
मरने के बाद   क्या आवोगे
यही सोच रही हूँ .....
इसीलिए पूछा है ??????
_____________

उत्तराखंडी सनेमे की नियति

पहले बनी  'जग्वाल'
फिर आई 'घरजवै'
वो कमाल; कर गया
सच मनो तो तब से  वो सनेमा
वही का होकर रह गया  !

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 ऐलान 

जैसे ही ....
उत्तराखंड सनेमे के अवार्ड  की
घोषणा हुई ,  ऐलान हुआ
कितनो को तो खुशी हुई
और कितनो को सांप  सूंघ गया !

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अवार्ड क्या हू न्द   ?

वा बोली .
हेजी , यु अवार्ड क्या हू न्द   ?
मिन बोली....,
लुखु समणी अपणु तमशु दिखै  दिखै 
जू ईजात , अर,  बेजती  हू न्द
वो अवार्ड हुन्द  औरी कपाल  हू न्द ! 

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अग्नि परीक्षा

किसी ने मुझे से कहा ...
अग्नि परीक्षा क्या होती है
कृपया ,  Daamअपने विचार दे
मैंने कहा ...
क्यूँ  धर्म संकट में डाल रहे हो 
क्यों ,  गड़े मुर्दे उखाड़  रहे हो
अछा होगा .. आप  अपना  ये सवाल  बदल दे
अगर मैंने अपना मुह खोला तो
गजब हो जाएगा , जाने दीजिये
सुनकर मेरा उत्तर  बाद में पता लगा
की आप  ही   इस परीक्षा से गुजर गए !

________________

डाम


 पाडुमा   डाम  बणदै 
माछा , बों कटण  भुलिगी
पाणिल बगुणु छोड़ी दे 
हम तिसला ...,
हमरा धारा  पंदेरा सुखीगे  !
अगर आप येथे ...
तरक्की  बुल्दा, त अफ़सोस च ?
यु डाम , युखुणी अर  हमखुणि
" डाम " नीच त क्या च ल्याच लगिगे
 तरक्की  की  जगह ,   अबत हम थै
अपणु ज्यू  बच्याणु मुस्किल   ह्वै  गे !!

 कापी राईट @  पराशर गौर
अप्रैल ८ २०१० न्यू मार्केट
_________---

धनेश कोठारी

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लो करलो  बात  !
                           
 
                  "  गिनीज वल्र्ड रिकार्ड को भेजेंगे महाकुंभ का नाम "
                     
 
       मुझे अभी अभी  खबर मिली  है की महा कुम्भ  ठीक ठाक  हो गया है ..  भले इसमें कई जाने  गई   और   अभी तक कितने ही लापता है !  सरकार  का  कहना भी ठीक है भला जहा हजारो में नहीं बल्कि करोडो में आबादी हो  और वो श्रधा  और मंत्याये के नाम पर  जो वहा आते   है   उन मेसे  अगर हजार दो हजार मर भी गए तो तो क्या !    %   की हिसाब से तो ये    पॉइंट के हिसाब से जीरो २२२२२२२  %  ही होगा  ना ?  फिर भला सरकारी मशीन व आफिसर अपनी पीठ क्यों नहीं  थप  थापयेंगे ?
     सर का सर दर्द ख़त्म   हुआ ! फिर भला क्यों कोई नहीं  चाहिएगा  की,  वो , आराम से अपनी इस  सफलता  पर बड चड़कर    बात करे !  अपनी पार्टी , अपने मुल्क लोगो से , यहाँ तक की अगर कोई वी ई पी  इस दौरान वहा आता है तो उसके सामने अपनी सफलता के झंडे  गाड़े ! अपना मिया अपना मुह मीठा करे की देखिये इस कुम्भ में पहली बारइ i यसा    हुआ , वेसा हुआ .. !  कोई महान  घटना  नहीं हुई  नहीं जान माल का नुक्सान हुआ (  नेट में जबकि फोटो  इस बात की गवा है )
   इतफाक देखिये  .. गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज के चकर में जब वहा के प्रथम   नागरिक या उसके गुको ने  ने जब १०८ का एक सगुफा छोड़ा या दिखाया   उसी नागरिक ने  इस कुभ की समाप्ति    की बात   केंद्र से आई एक बड़े अधिकारी ( कैबनेट सचिब)  के समक्ष ये प्रस्ताव भी रखने में कोई संकोच नहीं किया की आप कृपया इसे नोबल पुरस्कार के लिए भेजे ? अब खुद ही सोचे गिनीज या और जो भी रिकार्ड रखती है उनमे इनका नाम आजे तो हमें कोई अपती नहीं   !  और नहीं,  अगर इने इस कार्यक्रम में इन्हें  नोबल पुरष्कार मिले तो भी हमें कोई आपति नहीं , लेकिन आपति इसमें है की बार बार  अपने को इस तरह की पुरष्कारो  की दौड़ की ( जो संभव नहीं है )   की बजह अगर ये अपने राज्य पर धयान और जनता की बात सुने ,  तो जनता इन्हें की पुरस्कार से नवाजेगे जी नोबल या गिनीज बुक से भी अहम् और बढकर होंगे ! लो कर लो बात ..अगर मेरी बात नहीं सुनते तो ?
 
पराशर गौर
april 18 2010 raat 11.02 baje

 
     


Barthwal

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पाराशर जी सादर नमस्कार्!
अच्छू लगदू आपे की लेखनी बटै निकल्या शब्दो ते पढीकन। क्षणिकाओ ते पढीकन भी मन मा कुतकली सी लगदि पर सच्चै आजे की भी साफ झल्किद।
धन्यवाद!!! ये मंच पर हमते आप ते पढकुण मिलणु चा
जय हो!
प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल

Parashar Gaur

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manyber barthwalji..
Sadar!   apka Sabdo se,  jo ,  urj maithai mild ,  wethai me Shbdo maa bayaan ni kari sakdU ..
parashar

Parashar Gaur

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" पध्मा श्री "

 कटैत जी ल  , बिषम जी से बोली ..
अजी , सुणम आणिच की आप थै
पधामा  श्री मिलाण  वलिच च बल
अबत मुह मिठु करै दया ....,
भीष्मजील बोली ...
यार कटैतजी i  .. श्री थै तुम रखा
मी थै बस..,  पधामा दिलाई दया !

पराशर गौर

Parashar Gaur

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जी आपल सुणी ... बिचरी/रु  ....  ///
( सरकार कि अनदेखी पर  )

        बोडी छेई   छजजम  बैठी  !   आंदा जन्दरो थै ,  छेई  पु छ  णी .. "   हे भाई लुखो  ..! " . तैलया ख्वाल  बची ब्वारी कु ,   क्या हवाई होलू !  जतका तै पूछी,   सी बुना छा  !  बुन क्या च बोडी ,  व त स्वील की पिडमा  च बिचरी   यैडाणी !   कनु म्वार वे बची कु  ?     जू जम्पत हुयुच !    ..,  दौड़ी  दौड़ी  माथि जाऊ . !  . पैलत ,  कै डाक्टर थै लादू ..!  निथर,    उ क्या ब्लुक्दन .. द, भाई कन कापली फूटी  ...    समणी वाली से बुन बैठी   " बब़ा, क्या बुन,   चुक्पट ह्वैगी मतिकू !  "     
         तबरी कैल बोली  ..., बोडी...,     तू बुन क्या   च णी  चै ?   
बोडी बोली अरे बिटा .. " मी   बुनू छो,  की  पिछला साल वे मुख्या मंत्रील जब बोली,   की,    मी,      प्रसब व इमर्जन्सी का वास्ता   १०८    गाडी  छो  लागाणु !   उ गाडियों  थै क्यों   फोन कैकी   क्वी नि  बुलाद्य  बची....      परा  आआआआआआआआ .. ??????????. !"
      कैल बोली .. गे छो .. गे छो !  फोन भी करी छो!  , पर,    लैन ही नि मिलदी !    बोडी जब लैन ही नि  मिलदी  ,  त उथै कन कवाई पता चलालू की फलना  गोमा, क्वी स्वीली च पीड माँ !
बोड़ी गुस्स्म फिगरेकी  बोली ..      "  १०८ बान त उ,   गिनीज बुक माँ  अपणु नों,   अपना बाई-बुबा अर दादों नो.....,  च , लिखाणु  !       अरे उत मोरिगी तैरिगी !   पर जू अभी जन्म्यु नि विका बारमा कुछ ना ?   अरे यु नेताओं थै कु समझा उ ...!
      जू पैदा ह्वै की,     ये राज्य  मा वोट देणवलु ह्वालू,     जू ,   युथै कुर्सियु  पर  बैठादिनी या बैठाला !     विका बारमा कुछ ना ..!   अरे,   जब वेल ,  १०८ गाडी लगैनी,  त ,  वेथै  पता नि छो कि,    लैनेकि  जरूरत भी उतके जरुरी च ज्त्क्गा की या गाडी !  आगरा बची ईई   .....  ब्वारी थै,     कुछ ह्वै जालू ना आआआआअ  ,  त , मिन पट नारसिगम जैकी घात घन  ! वे १०८ गाडियों का वास्ता अर लैनवालो  का वास्ता !   अर जू ,   युथै दिख्ननीं  सकदा ..    ,  उका वास्ता .. !
    जनि बोडी .. चुप ह्वै चै कि एक आदिम ताल बीती आई बुन बैठी .. "   बोडी,   बची  कि नौनी ह्वैगी पर ब्वारी जड़ी रै ..! "   बोदी थै काटो त खून ना !

परशार्गौर
२६ अप्रैल २३०१० रात ८.५१  पर

Parashar Gaur

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द ब्वाला बल  ....   
 
एक कल्चर  प्रोग्रामम  में  किसी ने ,   एक  सज्जन   का मुझ से परिचय  कराते हुए कहा   .. "पाराशर   जी ,    ये भी आपके  इलाक से  है ..मिल , बड़ा गर्म जोशी से हाथ मिलै कि , बिना लंग लपोड़ कैकी  सीधा ,   उसै अपणी माँ बोली ,  याने गड्वाली माँ पूछी    .... "  आप गडवाली  छा  "
उन   बोली    '_------- जी ... हा...,    मै गड्वाली हूँ "
मिन बोली ... "   क्या आप गड्वाली  बोली लिंदा .."
उन  बोली ... " मै समझ सकता हूँ लेकिन बोल नहीं पाता "
मिन बोली   "  किलै ?.."
उन  बोली .. " कभी मौका ही नही मिला !"
मिन बोली ..."--- मिन बोली आप थै आपणा  बुडा  ददो नो याद छ ?
उबं बोली ..  " ये   क्या होता होता है ?"
मिन  बोली  ..... अभी अभी त आपन बोली कि मै बींग तो सकता हूँ पर बोल नहीं सकता हूँ ?   
मिन समझाई  . " बुडा कु मतलब बुडा  दादा ,  याने  को पीता ...का पिता !
उन बोली   ....." ओ,   ई सी  ........ /// "  शायद कोई.... ,  सिंह था  !  पका पता नहीं  ? "
मिन बोली  ..   " कवी चचा उचा  ... उकु नो ,   त , याद होलू  ?"
उन बोली  ...    " सबसे बड़े चाचा का नाम करामती सिह , सबसे छोटे का नाम   गुमनाम  और दो बीच वालो का नाम मुझे याद नहीं है ! "
मिन बोली ..  .उ कु नो किलै नि याद ? "
उन बोली ..... " वो गौ में रहते है  ना .....,  इसिलए .."
मिन बोली ... " वो,  ई सी....  पर क्या तुम कभी गौ न जांदा क्या ?"
उन बोली ... " गया था  एक बार ,  जब मै छोटा था !"
मिन बोली ... " एक बार क्यों ?'उन बोली   .....'उसके बाद मुझे मोका ही नहीं मिला !"
मिन बोली..  " मिन सवाल कई कि आप पद्या लिख्या त ह्वैल्या ही ?उन बोली ......  :' जी जी.. ,   पी  यच डी  इन हिस्ट्री  ? "
मिन बोली  ....   " अकबरो ददो नो क्या छो ? '
उन झट  से बोली  ... " बाबर ..?"
मिन बोली   _"   बाबरो  बेटा  कु ?/
उन बोली  .......  " हुमायु ..."
मिन बोली  ...... " त आप थै युका दादो  का नो याद छी पर अपण ना ! इन किलै ?/
उन बोली   ......   " दादा का नाम बहुत है क्या करना है उन्हें याद करके ? कौन से उन्होंने हमें रोटी देनी है !   इनको याद करके सरकार हमें इनाम देती है ! रोजगार देती है !
मिन बोली  ... "  आप के गडवाल का छा ?"  टेहरी, पोड़ी चमोली ....
उन बोली   ....    " माफ़ करे .. मै मुबई से हूँ ?  जहा एक ही नारा है आम छे मुबई ....///
 
पराशर गौर
मई ९ २०१० रात १०३९ पर

 

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