पुरष्कार कैल कैथी दे !
जनी दिलम उत्तराखंडी फ़िल्मी पुरष्कार की घोषणा हवे तनी देराडून ,बोम्बे, कलकता ,मद्रास यख तक की दुबई , बुनो मतलब की भुच्य्लू से एगे ! जगह जगह एक का बाद एक पुरुष्कारो की आयुजनो की घोषणा सुणीण बैठी ! कवी रागिलो , कवी चबिलो ! त क्वी, अपणा बुबो नों से , तक्वी अपणा ददा का नॉ से पुरुष्कार दिणा बैठा ! अजीब सी पर्था चलण लगी ! ई पर्था माँ बडो से बडो आदिम को हूँण जरुरी हुन्द बिना एकी गति नि ! जनकी मुरद दा , मुक्दाना का वास्ता बाछी को हूँण बहुत जरूरी च ! उनी यु बड़ा आदमयु कु हूँ भी जरुरी च ! इन मने जंद की बिना बाछी का पूछ पर हत लगया बिना , वो आदिम ( जू मुनु च ) बैतरणी पार नि कैरी सकद ! वेकि आत्मा भट कणी रैद !
उनी बिना पुरष्कारो का , यु कलाकारों की आत्मा भी मंच का इर्द गिर्द व कार्यक्रमों का अग्वाडी पिछाड़ी रैंद रिटणी ! अर देखिजा त , बिना एका , युकी क्वी औखात भी नि ! पुरष्कार भी यु थै , कै ऐरा - गैरा -नाथू खैराक हाथ से ना, बल्कि, क्वी नामी ग्रामी हस्ती का हाथों से चैद ! तभी त उकु भी तड़ी होली और औरियु पर रौब पोड्लू अर बुनो भी हवे जालू की ये देखा---, मी थैत , फलण का द्वारा यु पुरुषाकार मिली ! बाजा बाजा त, कखर्याली ताल, फोटो एल्बम थै रखी घुमण भी बैठी जदन !
अगर गलती से कैथी कै छुटा आदमी से यु पुरस्कार मिलीगे , वेकि आत्मा कु शानित नि मिलदी ! वेकि आत्मा इन भटकद , जन क्वी डाल /भ्याल /गाडम -गदनमाँ गिरी या बोगी कै मुर्या मनिखा की आत्मा भटकद !
एक आयोजन माँ एक बड़ा नेतल एक संथा थै एक ना बल्कि कैदा यु एस्वासन दे , की , मी टक लगे की औलू ! जनी कलाकारों थै पता चली, की वो, फलाणा नेता जी आणा छन ! इनु समझ की नि आण चाणा छा सी भी कुतक कुतकी पोछनै की कोशिश माँ लगीगी ! यु पुरुष्कारै लालचै बला हुन्दी इंच येमा उंकू क्वी दोष नि ! स्यु तारीख एगी ! कलाकार भी पौंचा कि तभी उकु सन्देश आई की माफ़ करया मी आणम असमर्थ छो ! मेरा पास एक से भी बडो फंग शन एगे ! जनी य खबर कलाकारों माँ पहुंची उकी मुखडी उदु ! क्या सोची छो क्या ह्वेगी ! उ आपसम बहस करण बैठा ! क्वी बुनू "यार मित, स्यालो ब्यो छोड़ी आयु छो , कैल बोली " मिल बम्बई कु प्रोग्राम छोड़ी नेट २ लाखो नुकशान ह्वेगी " मिन बोली किले छोड़ी आपल वो प्रोग्राम ! उन बोली .. सोची छो, युका ह्थुल मी पुरुष्कार मिली जादूत मै ..., वेथै अपणा घोरमा लगादु , वेथई अपनी वेब साइड माँ भी डल्दु ! पर ईत, इनु ह्वेगी जन " तिम्ला का तिम्ला खत्या ...अर नग्याक नगी दिखया ...! "
जनी कलाकर घर पौंचा टेलीबिजन माँ एक ब्रकिंग न्यूज चै आणि " एक बड़ा नेता एक घपले में फस गए है ये घपला इस सदी क सबसे बड़ा घपला है " तभी फोन बजन बैठा ! एक कलकार हैक से क्या बुन बैठा ...." अजी दिखना छा क्या छ हुणु .." अच्व्हू हवे जू हमन युका हथु से पुरुष्कार नि ले.. निथर हम भी आंदा ये लफडा ! .. इन करदा क्यों ना सबी कलकार मिली भोल एक प्रेस कंफ्र्न्स करदा जैम हम वे पत्रकार थै पुरुष्कार दयुला , जेल यु काण्ड उजागर करी ! स्यु साब प्रेस कंफ्र्न्स माँ पुरुष्कार दियगे ! कैल कैथे दिनु छो कैल कै थै दे. ! यु हेड लाइन छाए, आज का अखबार कि जेथे पोडी मी भी हैरान सी छो !
पराशर गौड़ मई ३० दिन्म ४ बजे २०१०