Author Topic: Articles By Parashar Gaur On Uttarakhand - पराशर गौर जी के उत्तराखंड पर लेख  (Read 55276 times)

धनेश कोठारी

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 232
  • Karma: +5/-0
अपणी दुदबोली का प्रति यदि इना लोखूं कि श्रद्धा "बिंगण" तक ही बणिं राली त्‌ निश्चित माणा कि भोळ यूं सणिं अपणा बूबा नौं गौं बि शैद ही याद रालु। भगवान तुमथैं ज्यूंद राखू मेरा गड़्वाळी दिदौं!!!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

पराशर सर

बहुत बढिया लिखा छा! 

quote author=parashargaur link=topic=532.msg61011#msg61011 date=1273373500]
द ब्वाला बल  ....   
 
एक कल्चर  प्रोग्रामम  में  किसी ने ,   एक  सज्जन   का मुझ से परिचय  कराते हुए कहा   .. "पाराशर   जी ,    ये भी आपके  इलाक से  है ..मिल , बड़ा गर्म जोशी से हाथ मिलै कि , बिना लंग लपोड़ कैकी  सीधा ,   उसै अपणी माँ बोली ,  याने गड्वाली माँ पूछी    .... "  आप गडवाली  छा  "
उन   बोली    '_------- जी ... हा...,    मै गड्वाली हूँ "
मिन बोली ... "   क्या आप गड्वाली  बोली लिंदा .."
उन  बोली ... " मै समझ सकता हूँ लेकिन बोल नहीं पाता "
मिन बोली   "  किलै ?.."
उन  बोली .. " कभी मौका ही नही मिला !"
मिन बोली ..."--- मिन बोली आप थै आपणा  बुडा  ददो नो याद छ ?
उबं बोली ..  " ये   क्या होता होता है ?"
मिन  बोली  ..... अभी अभी त आपन बोली कि मै बींग तो सकता हूँ पर बोल नहीं सकता हूँ ?   
मिन समझाई  . " बुडा कु मतलब बुडा  दादा ,  याने  को पीता ...का पिता !
उन बोली   ....." ओ,   ई सी  ........ /// "  शायद कोई.... ,  सिंह था  !  पका पता नहीं  ? "
मिन बोली  ..   " कवी चचा उचा  ... उकु नो ,   त , याद होलू  ?"
उन बोली  ...    " सबसे बड़े चाचा का नाम करामती सिह , सबसे छोटे का नाम   गुमनाम  और दो बीच वालो का नाम मुझे याद नहीं है ! "
मिन बोली ..  .उ कु नो किलै नि याद ? "
उन बोली ..... " वो गौ में रहते है  ना .....,  इसिलए .."
मिन बोली ... " वो,  ई सी....  पर क्या तुम कभी गौ न जांदा क्या ?"
उन बोली ... " गया था  एक बार ,  जब मै छोटा था !"
मिन बोली ... " एक बार क्यों ?'उन बोली   .....'उसके बाद मुझे मोका ही नहीं मिला !"
मिन बोली..  " मिन सवाल कई कि आप पद्या लिख्या त ह्वैल्या ही ?उन बोली ......  :' जी जी.. ,   पी  यच डी  इन हिस्ट्री  ? "
मिन बोली  ....   " अकबरो ददो नो क्या छो ? '
उन झट  से बोली  ... " बाबर ..?"
मिन बोली   _"   बाबरो  बेटा  कु ?/
उन बोली  .......  " हुमायु ..."
मिन बोली  ...... " त आप थै युका दादो  का नो याद छी पर अपण ना ! इन किलै ?/
उन बोली   ......   " दादा का नाम बहुत है क्या करना है उन्हें याद करके ? कौन से उन्होंने हमें रोटी देनी है !   इनको याद करके सरकार हमें इनाम देती है ! रोजगार देती है !
मिन बोली  ... "  आप के गडवाल का छा ?"  टेहरी, पोड़ी चमोली ....
उन बोली   ....    " माफ़ करे .. मै मुबई से हूँ ?  जहा एक ही नारा है आम छे मुबई ....///
 
पराशर गौर
मई ९ २०१० रात १०३९ पर
[/quote]

Parashar Gaur

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 265
  • Karma: +13/-0
एक ताजी कबिता ,   (बिजली  घपले पर जो आजतक में दिखाई दिया था )

ठ्य्का !
 
मिन बोली ... भुला.. फ्ज्युतु ..
आज  सिध्न्त ,  अर, कख छई  जाणू ?
वो बोली .. भैजी ,..  देहरादून !

 
सुणी वैकी  वेकि  बात ...... मिन बोली
क्या हवाई , कुछ ह्वे , या कुछ हुणू !

वो बोली ... न ना ..ना भैजी ,
ह्या ,  ठ्य्का छो,   लिणु जाणू ... !

 
मिन बोली ....    ठ्य्का ???

ठ्य्का ,,     केका .भै .?

बिजली का ,पाणीका`,  बिलदिंगा का , रोड़ा का
डामुका ..केका ....????????


वो बोली दीदा ,....
इत, सब, .. भैर वलो खुणी छिनी
इत, मुख्या मंत्री अर सरकारल सुच्युच पका
हमरा बाँठंम आल त आला
शरब्या का ठ्य्का !


ताकि , य्ख्का सबी बर्बाद   ह्वै  जै 
अर भैरका  यख एकी   राज  अर मौज  करै  !

 
पराशर गौर
मई ०९ २०१० स्याम ७.४८ पर
ब्राम्पटन ओंटारियो  कैनाडा !

Parashar Gaur

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 265
  • Karma: +13/-0
dhnybad meta sahib
sabdo ke liye
parashar

हेम पन्त

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 4,326
  • Karma: +44/-1
सर बहुत ही अच्छा observation किया है आपने.. ऐसे उदाहरण मिलते रहते हैं रोज... लेकिन मुझे लगता है अपने बच्चों को ’दुदबोली’ सिखाने की जिम्मेदारी उनके माँ-बाप की है...
 
जब अभिवावक अपन नान्तिनांन कें अपनि भाषा नि सिखाला, त नानतिन कसि सिखाला?

धनेश कोठारी

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 232
  • Karma: +5/-0
पन्त जी आजकल मां-बाप तो अंग्रेज बनाने की सोचते हैं। पहाड़ी ही रहेंगे तो उन्हें आधुनिक कौन कहेगा।

Parashar Gaur

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 265
  • Karma: +13/-0
प्रमाण दो ! उसने मुझ से कहा ..तुन्हें  अपने  बुधिजीबी होने का प्रमाण देना होगा  !मैंने कहा ..  ठीक है  , दूंगा  ..पर उससे पहले मै, मै तुमसे एक प्रश्न पूछुंगातुन्हें उसका उत्तर देना होगा ! मैंने प्रश्न किया .." क्या तुम इस नीली श्याही वाले पेन से लाल रंग में, लिख सकते हो ? "वो बोला.. नहीं , ये नहीं हो सकता , ये कैसे हो हायेगा ? मैंने फिर प्रशन  किया .." तुन्हारे पास दिमाग है ? "वो बोला .. " हां ..है  "मै बोला ... उसका इस्तेमाल करे आपको आपके प्रश्नों का हल मिल जाएगा !  पराशर गौर दिनाक १२ मई २०१०  दिन म३ ३,१२ पर 

Parashar Gaur

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 265
  • Karma: +13/-0
     सुधि सुधि ,मी ,   स्वीणा नि दिखावा   !     ( ये कबिता मेरी स्वर्गीय सासू माँ  जिनकी आज बार्षिक  है  उन्हें समर्पित  है )      बोडी,  अफ़ी अफुम छै बुनी ..  यखका सुचणा  छना  ..  कि, उन्दु  जौला ......  अर  तखुन्दा   (प्रवासी )  सुचणा  छन  कि उबू  जौला .....!     मिन बोली , बोडी...,      तू क्या  छै   सुचणी  ?     बोडिल ब्वाळ ...  ना यख वालों न  रुकुनु ?  अर , ना ताल वालो ल  आणु   गिचा  बाबू  ..    क्या   .... ???????  जू बुल्दन बुल्द जा   जू सुचणा छन  , सुचुद  जा ..     आणा छा, त आवा   जाणा छा , त जावा   पर सुधी सुधी , मी थै  स्वीणा त, नि दिखावा  !     पराशर गौर   १८ मई २०१०  रात १०२१ पर   कैनाडा

Parashar Gaur

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 265
  • Karma: +13/-0

     "  कच्ची   ( दारु  )  " 
(  सूर्य अस्त  /पहाड़ मस्त.. स्वर्गीय कबी गुरुदेब कन्हया लाल डंडरियाल जी की कबिता  " चा " से प्रेरित होकर  )

कच्ची   भवानी  इस्ट च मेरी
दिलम बस्दा,  बस  क़चि  वा
एक तुराक जख्मी मिलजा
मंदिर मिखुणि ब्ख्मै चा !
        सुधनी मीथै  अपणा   बिरण  की
        याद नि औंदी मी कै  की ...
        स्वीणम  बीणम रटना रैंदा
         दगड्ओ मीथै,   बस कचिकी

         बच्यु छो, मी कच्ची पीणाकु
          मुरुणच मिन,  कच्ची पेकी !


मुरुणु बैठ्लू मुगदानो की तब
बाछी नि लाणी खोजिकी
हथपर  दिया दगड्ओ  मेरा
बोतल बस एक कच्ची  की !
          गिचम म्यारो घी नि धुल्णु
          धुल्या , पैली तुराक भटी   का
          हबन कनी चितामा मेरी
          पैलू पैलू कनस्तर कची का  !
कफ़न कपड़ा कवी नि दीणा
डुरडा  ह्वी बस बबला का
लास पर मेरी चोछ्याड़ी बटी
लटकी  ह्वी  अध्य ,बोतल   कच्ची का !
        सटी लगया ना  छुरक्यु मेरी
         ख्ल्या रस्तोमा  बोतल   कच्ची की
        अर उकै कदमा रवा सांग मेरी
        ज़ोकी  दूकान ह्वी  कच्ची की  ! 
लास मेरी मडघट  माँ दगड्यो
ली जैया  ना तुम भूलीकी
फुक्या मीथै  कै  रोंला / गदाना
जख गंघ आणीहो   कच्ची की !
       चिताका चोछड़ी मडवे म्यारा
       बिठाली उ ,   क़चि    दीणा
        किरय्म मारू  वी  बैठला   
       बैठी  जैल,  दिनभर क़चि  पिणा !
एक द्शादीन कटुडया  आलू
कटुडम  वे थै भी  क़चि  देल्या
दवा दशाका दिन बमणू  थै भी
कची पीलोंण तस्लोला  !
       कची बणी ह्व़ा सुंदर सी
       अर गंध आणि हो जैमा
       एक गिलास म्यारा सिरोंदो
        धैरिदिया  तुम मीकु  खाँदै माँ    ! 


पराशर गौर
मई २९ दिन्म ३ ४५  पर २०१०

Parashar Gaur

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 265
  • Karma: +13/-0
पुरष्कार  कैल कैथी दे !       
 
    जनी दिलम उत्तराखंडी फ़िल्मी पुरष्कार की घोषणा हवे  तनी देराडून ,बोम्बे, कलकता ,मद्रास  यख तक की दुबई ,  बुनो मतलब की भुच्य्लू से  एगे ! जगह जगह एक का बाद एक पुरुष्कारो की आयुजनो की घोषणा सुणीण   बैठी  ! कवी रागिलो , कवी चबिलो !  त क्वी, अपणा बुबो नों से , तक्वी अपणा ददा का नॉ से पुरुष्कार दिणा बैठा ! अजीब सी पर्था चलण लगी ! ई पर्था माँ बडो से बडो आदिम को हूँण जरुरी हुन्द बिना एकी गति नि ! जनकी मुरद दा , मुक्दाना का वास्ता बाछी को हूँण  बहुत जरूरी च ! उनी यु बड़ा आदमयु कु हूँ भी जरुरी च  !  इन मने जंद की बिना बाछी का पूछ पर हत लगया बिना ,  वो आदिम ( जू मुनु च ) बैतरणी पार नि कैरी  सकद !  वेकि आत्मा भट कणी  रैद   !
       उनी बिना  पुरष्कारो   का ,  यु कलाकारों की आत्मा भी मंच का इर्द गिर्द व कार्यक्रमों का अग्वाडी पिछाड़ी    रैंद  रिटणी  !    अर देखिजा त , बिना  एका ,  युकी क्वी  औखात भी नि !      पुरष्कार  भी यु थै ,   कै ऐरा - गैरा  -नाथू खैराक हाथ से ना,   बल्कि,  क्वी नामी ग्रामी हस्ती का हाथों से चैद !  तभी त उकु भी तड़ी होली और औरियु पर रौब पोड्लू  अर बुनो भी हवे जालू की  ये देखा---,   मी थैत ,   फलण  का द्वारा यु  पुरुषाकार मिली   !    बाजा बाजा त, कखर्याली  ताल,  फोटो एल्बम थै रखी घुमण भी बैठी जदन !
        अगर  गलती से कैथी कै छुटा आदमी से यु पुरस्कार  मिलीगे ,  वेकि आत्मा कु शानित नि मिलदी !  वेकि आत्मा इन भटकद , जन क्वी डाल /भ्याल /गाडम -गदनमाँ  गिरी या बोगी कै  मुर्या मनिखा की आत्मा  भटकद !         
        एक आयोजन  माँ एक बड़ा नेतल एक संथा थै एक ना बल्कि कैदा यु एस्वासन  दे , की , मी टक लगे की औलू  !  जनी कलाकारों थै पता चली,  की वो, फलाणा नेता जी  आणा छन  !   इनु समझ की नि आण  चाणा  छा सी भी  कुतक कुतकी  पोछनै की कोशिश माँ लगीगी !  यु पुरुष्कारै  लालचै बला   हुन्दी इंच येमा  उंकू क्वी दोष नि !  स्यु तारीख एगी ! कलाकार भी पौंचा  कि तभी उकु सन्देश आई की माफ़ करया मी आणम  असमर्थ छो ! मेरा पास एक  से भी बडो  फंग शन एगे  !  जनी य खबर कलाकारों  माँ पहुंची  उकी मुखडी उदु ! क्या सोची छो क्या ह्वेगी ! उ आपसम बहस करण बैठा !  क्वी बुनू "यार मित, स्यालो ब्यो छोड़ी  आयु छो , कैल बोली " मिल बम्बई कु प्रोग्राम छोड़ी  नेट २ लाखो नुकशान ह्वेगी " मिन बोली किले छोड़ी आपल वो प्रोग्राम ! उन बोली .. सोची छो,   युका ह्थुल मी   पुरुष्कार मिली जादूत मै ..., वेथै अपणा घोरमा लगादु , वेथई अपनी वेब साइड माँ भी डल्दु ! पर  ईत,  इनु ह्वेगी जन " तिम्ला  का तिम्ला खत्या ...अर  नग्याक नगी दिखया ...! "        
      जनी कलाकर घर पौंचा टेलीबिजन माँ एक ब्रकिंग  न्यूज चै आणि   " एक बड़ा नेता   एक घपले में फस गए है  ये घपला इस  सदी  क सबसे बड़ा घपला है "  तभी फोन बजन  बैठा ! एक कलकार हैक से क्या बुन बैठा  ...." अजी दिखना छा क्या छ हुणु .."   अच्व्हू हवे जू हमन युका हथु से पुरुष्कार नि ले..  निथर हम भी   आंदा ये  लफडा !  .. इन करदा क्यों  ना सबी कलकार मिली भोल एक प्रेस कंफ्र्न्स करदा  जैम हम   वे पत्रकार थै  पुरुष्कार दयुला ,  जेल यु काण्ड उजागर करी !  स्यु साब  प्रेस कंफ्र्न्स माँ पुरुष्कार दियगे  ! कैल कैथे दिनु छो  कैल कै थै दे. !    यु हेड लाइन छाए,    आज का अखबार कि  जेथे  पोडी मी भी हैरान सी छो !   
 
पराशर गौड़ मई ३० दिन्म ४ बजे २०१०

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22