Author Topic: Articles By Parashar Gaur On Uttarakhand - पराशर गौर जी के उत्तराखंड पर लेख  (Read 54814 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
4 hrs

क्या हूद कबिता ?

कबिता हुन्द ....
स्वीली की पीड़ा
जू हुन्द , बचा थै , पैदा कन से पैली
जू बचा थै, भैर आणों बाटु बतोद !

कबिता हुन्द
धामी का डौर माँ लगाई कटाक
जैसे पैदा हुन्द नाद ( स्वर)
जू नाचाद घ्वाडा थै अपणी ताल माँ !

कबिता हुन्द
बाल जन जिदेर्ये हिगर
जू हिंगर डाली डाली अपणी बात मनोद
जब बात पूरी हवे जाद त खित हंसाद !

कबिता हुन्द
रुडियुमा बाजै जडियुम को ठंडो पाणी
जू बुझोद तिस्लियु की तीस
जै से निकल्द शब्द " जुगराज राया "!

कबिता हुन्द

धार मागे , कुंगुलू घाम सी
जू एहसाह दिलोद तपन की !

कबिता व हुन्द
जू बनू बच्याण की तमीज सिखांद
समझण अर संझानै बात बतोद
आपसमा प्यार प्रेम की भाषा सिखोंद !

`पराशर गौर
१९ जनबरी २०१०

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
 

गलती

अक्षर ऐसा होता आया है कि
आपका अपने ही दुशमन होने लगा
गज़ब तो तब हुवा जब मै स्वयँ
अपना ही दुशमन होने लगा !
वो क्यूँ ?
अपनों पर ज़ायदा ही भरोसा
करने लगा था यूँ
@ पराशर गौर दिनाक १३ मई २०१४ रात्री ८ ४४

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
17 hrs ·

किसी kavi/kaviyatri की पंगतियाँ आपके साथ बाटना चा रहा हूँ jo mujhe achee lagee देखे।

लड़कियो के जिंदगी " पर

गर्म तपती दोपहरी है
लड़कियों की जिन्दंगी
एक पथ रीली डगर है
लड़कियों की जिंदगी !

चाहिए हो अग्नी परीक्षा
या हो चौसर के बिसाद
हर शदी में दांव पर है
लड़कियों के जिंदगी !

हर घड़ी , हर पल सताए
पत्थरों का डर जिसे
वो चमकता कांच घर है
लड़कियों के जिनदगी !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
September 26 at 7:49pm ·

तेरि आँख्यूंमा आंसू देखी
हिया मेरु भरी ऐगे छो
टप टप चूँदा आँख्यु बिटि वो
तेरा मनै पीड़ा बतै गे छो !

कॉपी राइट @पराशरगौर
२६ सितमबर २०१४ सुबेर १०. १५

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
September 26 at 9:02am ·

गढ़वाली सेर - 2 देखे … साथ में दाद भी देना ना भूले।

फुकेगे होलु जिस्मत फुकेगे होलु दिल भी
अब खरवलणी रँगूँण, अब कवि फैदा नी ! ( ग़ालिब साहिब )

--- पाराशर गौर

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
September 26 at 12:33am ·

सों करार ( हास्य व्यंग )

मेरी श्रीमतील
मी पर गुस्सा ह्वेकि बोली
तुम थै यादच आगि अग्वाडि
फ्यारा फिरदा बचन सो को-करार
निभाणै याद च .......

मीन बोली ,
कैका बचन, कैका सो, कैका को-करार
फंडुफुक यु सब तै
इबरि तुई *निभी जई ई बोत च !

* निभ ना माने दुनियासे कुच करना याने मरना

पाराशर गौर

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
September 25 at 10:03pm ·

"सुरमई आँखों का जादू "

आपकी नजरों ने देखा है
जब से हमको प्यार से
अब क्या कहे सनम
जिंदगी बदल गई है तब से !

भीड़ से कट कर
अब तो रहने लगे
नीड से अब तो
आँखे चुराने लगे
जज्बातों पे अपने
अब तो रहा न असर
उठने लगे है वो ,
अबतो चुपके चुपके होल से !

आप के नाम से
अब तो हम जाने जाने लगे है
असर ये हुआ की अब हम
अपनों में हे बदनाम होने लगे है
धड़कने बे-काबू होती है मेरी
आता है जब जब जिक्र आपका
छुपते छुपाये छुपती नहीं बाते
बात राज के दबाने से ....... !
पराशर गौर

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Parashar Gaur
September 25 at 10:00pm ·

"सुरमई आँखों का जादू "

आपकी नजरों ने देखा है
जब से हमको प्यार से
अब क्या कहे सनम
जिंदगी गई है तब से !

भीड़ से कट कर
अब तो रहने लगे
नीड से अब तो
आँखे चुराने लगे
जज्बातों पे अपने
अब तो रहा न असर
उठने लगे है वो ,
अबतो चुपके चुपके होल से !

आप के नाम से
अब तो हम जाने जाने लगे है
असर ये हुआ की अब हम
अपनों में हे बदनाम होने लगे है
धड़कने बे-काबू होती है मेरी
आता है जब जब जिक्र आपका
छुपते छुपाये छुपती नहीं बाते
बात राज के दबाने से ....... !
पराशर गौर

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Parashar Gaur
September 25 at 8:55pm ·

गढ़वाली सेर देखे … साथ में दाद भी देना ना भूले।

न कैर न कैर नखरा, ये मेरी नखरयली
देखीले यूं नख्ररौन तू एक दिन बदनाम कनी !
--- पाराशर गौर

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
September 24 at 10:12pm ·

गीतों में तुम थी , धुन में थी तुम
थी शब्दौ मे तुम्हारी अनवार ( छबी )
एक बिम्ब सा खींचा था
खिचा था मेरे नैनों के आर- पार !
-- पराशर गौर

 

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