Author Topic: Articles By Parashar Gaur On Uttarakhand - पराशर गौर जी के उत्तराखंड पर लेख  (Read 54846 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
September 24 at 7:39pm ·

आओ दूर कहीं , दूर चले
जहाँ कोलाहल ना हो
निस्तब्ध्ता हो चारो और
केवल मौन ही मौन हो !

झिँगारो का सुरमई स्वर हो
पत्तों से टप टप टपकता पानी का स्वर हो
दूर छितिज पर दूर कहीं सिंदूरी सा रंग हो
आत्मईसा अपना पन भू -ताल में हो
आओ चलो चले एक नये पथ पर
बन पथिक अनजाने हो !
--- कापी राइट @ पराशर गौर
२४ सितम्बर २०१४ समय सुबह १०,०७ पर

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
6 hrs · Edited ·

आखरी इछा !

हमारी गौ की एक दादी जावा 100 साल का आस् पास रै होली, वा सगत बीमार चलणी छै ऊ दिनु मि कनाडा बिटि घोर छो ज्यूँ ! मीन सोची दददी की आखरी मुखजात्रा देखी ऐजौ ! उका घोर पउच्यु द्द्दी थे सेवा लगाई अर पूछी ------

" दादी ,क्याच तेरु ज्यू बुनु , क़ेपर जईच तेरी टक ! "

दादी बोली -- - " ब बा. मेंरी आखरी इछा च मिथे " गढयाल्यु कु" रस पलै दे त, मि चैन से मोरि जोलु ! "
- पा रा शर गौड़

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
9 hrs · Edited ·

GADWALEE ME JOKE DEKHE......

एक आदिम मुनो छो ! मुरद टैम वेल अपनी घरवाली से बोली --

" म्यारा मुना बाद तू भजनलाल से शादी कैदे हो '

घरवाली बोली .." पर वोत तुमारू जानी दुश्मन छो "

आदिम ... " हन तबित नुनु छो ,वे से मी बला लीं चांदू "

-----------

एक द्फा एक सैण-मैसम झगड़ा हुणु छो

मैस .. ह्या ज्यादा न बोल , न बोल ! न ह्वा तेरी स्यूँ बतूल सुणी

म्यारा बितरो जानबर जागे जा !

सैण - आणि दे आणि दे वी मूस ( चूहा ) तै बैर , कु डरदा वी देखीकी !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur

" चिठ्ठी " --- पाराशर गौर !

आज के इस चुनावी माहोल में नेताओं के चुनाव के वादों व गौउ के उस नौजवान जो रोजी रोटी के तलास में बहार जाता है और फिर कभी वापस लौट कर नही आता ( मै भी उन मेसे एक हूँ जो सात समंदर पार बस गया हूँ ) वो और माँ के बीच का सम्बाद देखी और पड़े …
मेंरी एक रचना " चिठ्ठी " --- पाराशर गौर !

"चिठ्ठी "

चिठी आया , आई चिठी
गाउँ बिटी ---------
आई चिठी , चिठी आया
सात समंदर पार बिटी ( भारत से )
पैली लिखीं छै सेवा सौली
फिर , लिखीं छै आप बीती ! ....... चिठ्ठी ……

पोर परारा देबुल ( नाम / लड़का}
कौलेज बिटि ले छै डिग्र्री
ब्येल पैड़ै छौ बेचिकी
नथुली -धुगुली अर गगरी
काम कनुकु गे छौ तखुन्दा
लौटी आनि वो तब बिटी …… चिट्टी ....

चनोंकु अयुंच बुखार
दौणी छिन गाडिम गाड़ी
डंडा झडों की बात न पुछा
झगड़ा की बांण हुईंच खड़ी
झणी कबरि चलदिन धैं गोली
कतकोंकी मांगोंकी सिंदूर पुछेलु
कतकै माउँकी खुचली होली रीती .... चिट्टी .......

डाँडी काँठी ह्वेगी नांगी
सुखी गैनी पुंगड़ि - पटुली
तखुन्दाका लोग भी ह्वेगीनि निरसा
अबता लगदी नींन भदुली/बाडुली
मर्दनमानत चलिगैनी तखुन्दा
रैग्या हम ब्यठुला यख याखुली
कब तक रौला जग्वालना यूँ डाँडो
छौं जगवलना झणि कब बिटि ....... चिट्टी …।

हमरि करयाना चिंता फ़िकर
अपणु रख्याँ तुम ख्याल
लौटिकी एला , एैलात सै
आज़नि एैला , एैलात भ्वाल
कुछ तुम लगैल्या , कुछ मै सुणोलु
छुयूंकी गेड बंधीं छन मेरी
सुणाणु तुम थै झणी , कब बिटि .... चिट्टी
कॉपीराइट @ पराशर गौर

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
October 6 at 10:57pm ·

कहते है की दिल की बात
हर किसी को बताई नही जाती
पर दोस्त तो आएना होते है
और आएना से कोई बात छुपाई नहीं जाती !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
October 6 at 7:25am ·

मत रोको मुझे

मुझे नही छूना - ए ब रेस्ट को
नहीं , छूना चाँद और अंतरिक्ष को
कृपया --, थोड़ी जगह दो .......
ताकि
छूलू अपने अन्तर्मम को !

जिसमे ----
तह दर तह बंद है
ममता , करुना उल्लाहस और मौन
जाने दो मुझे ..
इसके आगॊश में
लाने दो मुठी-भर आश्मान को
अपने लिए नहीं , औरो के लिए
देख कर इसे ....
मेरे और उनके आँखों से जो
आश्रू धारा बहे ---- वो ,
प्यार के लिए बहे !
----parashar gaur

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Parashar Gaur
October 6 at 6:51am ·

पीड़ा

सब ऋतु आई बरी बरी
पर मैंने मधुमॉस न देखा
कर्म का बंधन समझू इसे
या समझु , भाग्य की रेखा !

आरण्यो में अटखेली करती
मादक चंचल पवन को देखा
खुशीयों ने घेरा बन था
हर्षित बताबरण को देखा
थामे थामे थाम सका ना
अँजुरी से फिसलते छण को देखा !

अम्बर से धरती तक
उल्लासो का फेरा था
खुशीयों में झूम रहे थे सब
मुझे एकाकी ने घेरा था
चेहरे पर मेरे मौखटे पहना २ कर
मैंने वख्त को आते जाते देखा !

खुशीयों के आगोश में जग था
बाताबरण में थी तरुणाई
फिज्जाओ में थी मधूहोशी
पर मुझको घेरे थी तन्हाई
रोके रोके, रोक सका ना मन
मन को तिल तिल मरते देखा !

लघु सरीता का झरता
झर झर झरता नीर भी देखा
पलकों को पल के पल में
पल- पल, पल, मरते देखा
ढूंढे ढूंढे ढूंड सका ना ओ पल
उस पल को होते जुदा
मैंने उसे अपने पल से देखा !

copy right @... पराशर गौर

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Parashar Gaur
October 3 at 12:10am · Edited ·

"आप के लिये "

मानी जीत को हार अपनी

आप के लिये

हम तो जीत कर भी हार गये

मीत आप के लिये !

प्रशन पूछता कोई तो

टालते रहे

भेद खुल न जाये

आंख चुराते रहे

कब तलक छिपाते हम

हो गई ख्बर थी जो आम के लिये !

लोगोने जो कहना था

सो कह दिया

चर्चा है की अपना नाम

तुम से जुड़ गया

दो कदम तुम चलो

दो कदम हम चले

दुनिया देख ले

लोग तो चडे है शूली पे

प्यार के लिये !

कॉपी राइट @ पराशर गौर

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Parashar Gaur
7 hrs ·

" शिकवे / शिकायत "

मत रखे उन रगों पे हाथ

जो दर्दओं को उगलती है

ब्यान करती दास्ता ओ उन पलों की

जो जुड़ी उन लम्हो से होती है !

सुन सकोगे क्या तुम ?

उन दर्दो को जो तुमने दे दिए

क्या कभी बिता पल लौटा है कभी ?

रहने दे , अबतो जाने भी दीजिये

मि टेगी कैसे वो यादें , वो पल

वो तो अपनी धरोहर जो होती है !

रुकिये न छेड़िये -- वो बात

फिर से कहते है हम

एक उब्बाल है दबा , उब्बल गया तो

रोके रोके रोक ना सकेंगे हम

मौन है तो मौन को मौन ही रहने दो

ना कुरेदो वो बात , बस रहने दो -रहने दो

लगे घाव तो रिस भी जायेंगे

पर लगी चोट तो चोट होती है !

इतने दिनों के बाद जो तूमने पूछा हाल

सुनके मई अतीत मे समा गई

प्रीत थी जहां , नीड थी वहाँ

रस्समे कस्मे वादे थे , वादो में खो गई

धुर्री पे टिका समय घूम जो गया

बीते पलो का सिल-सिला फिर गया

छोड़ कैसे दे, तोड़ कैसे दे

नाते तो नाते होते है !

खुशियाँ तो हमारे रहो पे

कांटे बो गई ----

वो तो हमसे , हमारे सपनो को

हमसे जुदा कर गई ---

बीते इन अंतरालों के बाद

अचानक हमदर्दी कहाँ से आ गई

शुक्रया आपका हम कैसे करें

कहानी हमारे दर्दो की

आपसे ही तो शुरू होती है !

दे रहा समय द्स्तके हमे

बंट गये है रास्ते अबतो चले

दोस्ती को लगे ना दाग

हमने रास्ता बदला दिया

तुम पे उंगुलियाँ ना उठे

हमने मौन ले लिया

प्रश्न ना करो, चुप्प रहो

जो हो गया, सो हो गया

ये समझिये हमारी मुठीयूं से

था समय फिसल गया

टूटना फिसलना, फिसलके बिखरना

अब तो बन गई अपनी नियती है !

------कापी राइट @ पराशर गौर

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Parashar Gaur
 

गड़वलिम एक सेरे देखा---

गर मी बदनाम हुलु त , इननि सोची की तु बची जैली
अरे,,,, लिपटाण वलत , लप्टैकि लपटाल त्वै भी !

-- parashar

 

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