Author Topic: Articles By Parashar Gaur On Uttarakhand - पराशर गौर जी के उत्तराखंड पर लेख  (Read 54265 times)

Parashar Gaur

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क्या बुन तब  ?

        उछेदी गौ ----  ( जाथो नाम तथो गुणाः ) माँ , उन त कई उछेद छा ! एक से बड़कर एक ! आस पास अर तिख्डी , पट्टी यख तक की गढ़वाल माँ उकी हाम छै हाम ,  अर ख़ास कर घनतु अर सन्तु की बात त कुछ औरी है छै !   घन्तु ,  --- सन्तु  थै  भीतरी -भीतर एक हैंका थै काला बखरा बराबर दिखदा  छा  !  अर भैर उ  इना   लागुदु  छो  जन बुलंद एक दुसरा एक ही गाल पानी जाणु हो !  पर ..

   जनी संतुल बोली   __ "  आज हमने सिलकुंतु ( शौली   )  मारी ! वे थै मना का वास्ता हमन  पुरनी  तरकीब अपनाई "  बस या बात घन्तु थै चुभी गे !     पुराणी  कन पुराणी  ?  कनु  ???   कैथै मना का वास्ता तराकीब  .. कन तराकीब   पुराणी     ! "
          वेल  पंचैत  बिट्टाई  !  यु  कन क्वाई हुवै  सकद ?   अगर संतुल सचमा सिल्कन्तु ( शौली  )मारी ही च,  त  , वो   उदाहरण का द्वारा हम थै बतये की ,   १. आया ----,  उन  कुकर छुलैन या ना ?    २.---, अगर वो कई पोड का पेट घुस्सी त क्या आपन मुव्वार पर धुई  भी दे की ना ?  ३.  क्या अपन कुई जानकार बुजर्ग दगड भी रखी की ना  ?    आदि आदि !  अगर ये सब नि कारी त कन पुरनी तरकीब .. एकु मतलब ये ह्वै की आप थै सालू अर वे थै मना की तरकीब नि आंदी .. मी राही जी  जाऊं शोली  घररै घुर दगड्या  वालू  गीत गे  उ से बिनती करदू की उ बतैनी की मी   टीक छो बुनू या सन्तु  ?

नोट .. कृपया व्यकितगत ना ले .. ले भी तो हसी मजाक में ?

पराशर  १२ अगस्त ०९ रात ११.२३ पर     ! "

Parashar Gaur

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खाओ पीओ  प्रोग्राम

    गड्वाली की साहित्य बोली/भाषा थै सिख्ण का वास्ता वख की सरकारल एक इनो प्रोग्राम शुरू करी की ,जो भी गढ़वाली कै भी बिसय माँ परीक्षा थै पास कारलू  अर जू भी,   छुम्मा बौ पर ,  सोध या पी एच डी  कारलू
उथै अबोध जी की तीन नाटक दिए जाला !  दगडा दगडी  वेथै  " गढ़ वा गढ़वाली कु महाप्राण " की उपाधि दिए जाली ! अर साथ माँ  बिदाई समारोह का दिन चखल पखल जू जतका पे साक .. छ्मोटन , गिलासुल,  तोलोल  जैकू जू  छंद हो,   बिना रोक टोक का खाई पे सकालू  ! 

       हे भी, -----  जनी ये घोषणा  ह्युवे .. कालेजू का  दरवाजो  पर भीड़ पर कनी भीड़ आया ताबा की क्या बुन !  बाजा बाज त रात ही ऐगे छा की , न ह्यवा  कखी मेरु नंबर नि आयु  !

   सरकारल अपनों काम कदे अर अब स्कुल को उका अध्यापको कु छो .. झूट नि बुनू साब .. उन भी कुवी कसर नि छोडी गडवाल अर गड्वाली नौ पर रोटी सिक्णै अर खाणिपैणी    !      ग़  ड वा ल   नौ  की सर्तकता
उनकी नजर  में क्या छै,     वो  यु  रेगी  >>>>
 
ग़ से ......  गल घुली दे,  ये का वास्ता आई   ..  द्यली पैसी
ड ..से ..    डकार  तक नि ले  .. साब !
वा .से    वाह वाह  करद करद  नि थकीनी वो
ल ..से ..    ल्याचा नि लगा जब तक वे प्रोग्रामा का

साल समाप्त हुवे !  बिदाई समारोह माँ बिध्यारथियुं न छ्क्वे पे .. बाजा बाज चित .. बड़ी मुस्किल से खडा करए गीनी  टी बी वाल्लोने पूछी "   कैसा लग रहा है "

" है ,, क्या ???  .."

" मैंने कहा .. एसे  समारोह के बारे में आप क्या सोचते है  "

" रोज होने चहिये .. "

 कुछ सीखा / '

हां  ' --- खाओ  पीओ .., '      भाड़ में जाए उपाधी सिपाधी ...      मै तो कहता हूँ इस प्रोग्राम का नाम ही खाओ पीओ होना  चाहिए !    जनि बोली  ,  पतडम भुइम पोडिगे !

परासर गौड़  १३ अगस्त ६.५० बिखुन

Parashar Gaur

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 भ्रम !


एक मिहला
एक बाबा के पास जाकर बोली ..
बाबा ---
मेरा आदमी मुछे छोड़
जाने कहा चले गए
वो ,  स -कुशल वापस आये
येसा कुछ उपाए बताये  !

बाबा बोला .....बेटी देख रहा हूँ
तेरी माथे की लकीरे पड रहा हूँ
उसका कुछ नहीं बिगडेगा
वो स-कुशल है,  सुरक्षित है  
वो जहा भी रहेगा ठीक ठाक रहेगा
क्यूँकी वो पुरुष है  !

दुनिया आनी जानी है
कही दूध तो,  कही पानी है !

महिला  बोली ---
पर बाबा , मुझे ना दूध चाहिए , ना पानी
मुझको तो बस ,  चाहिए मुझे मेरा जानी !

बाबा  बोले -- एक काम कर
माँ  भुवनेश्वरी के रख १०१  बर्त
एक भी ना झूटे , ये है शर्त
देखना --- इसके  बाद ,
वो आयेगा , जरुर आयेगा
और साथ में तेरे लिए तोफा भी लायेगा !

बेचारी ने किये कई बर्त
बिना मागा बिना शर्त
दोनों हाथ जोड़ लगाया ध्यान
हे- माँ,    रखना मेरा मान  !

आखरी बर्त के रोज  
दरवाजे पर हुई आह्ट
देखा---,    पती था
साथ में एक औरत और एक बचा था  !

उनको देख उसे
बाबा की बात याद आई
वो आयेगा तोफा लेकर
बात वो समझ गई  
ये तोफा .. तोफा नहीं
ये आया है सोत को लेकर

तुरन्तु घर छोड़
चली बाबा की खेज
था जिसने उपाया बताया
मिले बाबा तो,    पकडू पाउँ
बाबा जी कोई और एक बर्त बताये
जिनको कर मै इस सोत से निजात पाउँ    !

 पराशर गौर १४ अगस्त ०९ रात १ ०.३० बजे

Parashar Gaur

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१५ अगस्त की उपलक्क्ष पर सबको बधाई ! एक ताजी कविता के माध्यम

तिरंगा       

तिरंगे ने सब धर्मो से पूछा --
क्या तुम मेरे अन्दर के  आकार ( अशोक चक्र )
को जानते हो / पिह्चानते हो
वे बोले -- नहीं तो  ?
हमतो केवल ,   चाँद या क्रॉस  या अन्य  चिनो  को
जानते है /पहिचानते
ये क्या है  ????

तिरंगा बोला ...
ये वो है जो तुम सबको सुरक्षित रखता है  !

पराशर गौर
१४ अगस्त रात ११.००  बजे

Devbhoomi,Uttarakhand

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बहुत अच्छा गौड़ साहब इसी के बहाने मेरा मतलब मेरा पहाड़ कि वजह से हमें आओ जैसे महान लोगों के दर्शन भी हो गए हैं!और आपकी लिखी कवितायें भी पड़ने को मिल रही है

Parashar Gaur

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 एक औरी आन्दोलन

   उत्तराखंड थै मिल्या अर यु पी से अलग हुया आज लग भाग ९ साल और ९ मैना हूँ वाला छन !  प्रगति का नौ पर यख मके ठुन्गी वाख्म नि सरकी ..  विका नै पर पैसा  खै   खै  को उंका त , ऊका ... !  उका पूरा परिवार का  लुखुका लद्द्वाडा गप्प .... भैर आया छन खिरबोजई तरह !

 ब्याली तक हम्ररा यख का बिधयक कै क्ज्याण मोल गाडी गाडी थक दी नि  छै  !  अर आज व  सरकारी   गाडीमच,  रोसा खनी !  मजाल जू खुटी भूईम धनि  हुवा !   मंत्र्रियु की त क्या बोनी बात !

    मी पिछ्ल्य हफ्ता गौ ग्यु !  क्या द्याख की लोग की भीड़ छै एक जगहम एकटा हुई !   सब्यु का हाथो माँ पोस्टर
अर नारा  छा काना  __  " भ्रस्ट नेताओं उत्तराखंड छोडो ..!!

  "  उत्तराखंड छोडो ..   उत्तराखंड छोडो  "      मीन एक नेतानुमा आदिम से पूछी    ------

"  मीन बोली,   भाई जी ,  यु सब क्या हुणु  छा ?

"    वो बोली  ----- दिख्णु नि छै    प्रदर्शन छा काना "

" -- पर,   कीलै ?   अर केका बान ?    "   मीन फिर पूछी ...

 तपाक से बोली .."  आप भी कतगा मुर्ख छ्या !  क्युओ करदी लोग हडताल/ जल्स्सा / जलूस !

 -- पर  कैका खिलाफ  .. छा आप नारा बाजी काना ?

" अपणा नेताओं का खिलाफ औरी कैका  खिलाफ ?    रै.  बात,    की किलै  छा काना  त ,  भारतल भी त अंग्रजो का खिलाफ भारत छोडो का नारा किलै लगे छाई ?   ----बोलो ?

मीन बोली  "  __ उ .... उत ,  हम पर अत्याच्यार छा कना  !!

हां ----  आँ  ,   बात आईगे ना समझ माँ ! .. हम भी त,  यु अपणा स्वादेसी नेताओं का तरह तरह का घोटालो से , किस्म क्सिमा का वादों से तंग ऐग्या !

मीन  डरद  डरद  पूछी  '-- पर इनु क्या कै दे  उन परा --  !"

 वेन त पैलि ,  खुरी देखि  .. फिर उत्तेर दे '  - अखबार नि पडदा !   टी बी नि दिखदा !  आये दिन त युकी काली   करतूतों का  चिटा बचैँ जदी !  फिर भी पुछ्णा छा की,   क्या कै दी उन ?     थोडा देर चुप्प रैना का बाद पास एकी पुछ्ण बैठी  " क्या तुम बिरोधी पार्टी क त नि छा ?    आपो नौ  ?

" जी ....  गरीब दास ! "       

अछा अछा  गरीब दस !!    अरे गरीबदास जी ,  हम आपकी बान त छा लण्ण !   देखा,   हम थै उत्तराखंड २०००  मिली !  मिल्य्सा,     तक़रीबन तक़रीबन   ९ साल से जायद हुई गीन !      है ना.....!!

  " जी जी  ..! "  मीन बोली !   

 यूँ ,   यु ,   नो सालम क्या कई अलग हूँन से हम थै कवी फैदा होई  , न --- न,   तुमी  बोला !  होई त यु नेताओं थै  जोन पैलित येथे अलग नि हूँदिणै छो ,   अर जब मिली गै,   त,  मुखु मंत्र्री ह्त्यानु सबसे अग्वाडि बी आई !  सरया लडाई उत्तरखंड का नो से लैडी !  अर जनि मिली नौ बदली दे....   मिटिगओ  माँ  राजधानी बणली त
" गैरीसैण माँ  "  इन बुल्दा बुल्दा थका नीं   !   देराडून त टम्परैली समझा ..  !  राज्य मिली,   त,  देराडून माँ इन बैठी नि की जन ` कुकुदी बैठद छुआप  !   अब आप ही बोल्ला...,   कन क्वे  कन यु पर भारुबंसू ! इनमा अब पर्दर्शन नि कन त क्या कन ?   

मीन बोली "  __ करा कारा .. पर म्यारा बहरासु त रया ना ! ..  मीन ये उत्तराखंड का बान अपणा द्वी नौ ना सहीद कै दिनी !  अब राजधानी का वास्ता मीम  कुछ बी बच्यु च ...  कुछ ना  !  राजधानी चा  देराडून हो , या गैरी सैन  म्यारा कै ल्याखाल !  अगर बनी जादी त ,  वे गदवाली अर यु गढ़वालियु की आतम थै शानी मिल जादी ! 

पराशर गौड़  रात ९ ५३ पर  २७ अगस्त ०९

Parashar Gaur

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                                                गड्वाली ( चंदरर्सिंह ) की हन्त्या

    देहरादून का राजनीतक गलियारों माँ आच्कालू जख देखा , जेमा सुणा एक बात  ! अरे  भाई ,  हमरा याखा
बिधायक / मंत्र्री / संतर्री  सबका सबी भतरी भीतर छन कम्प्णा आर नच्णा !  अलग अलग पार्टियु का सचेतक
अपणा अपणा अनुसार जनता माँ अपणी अपणी पुकार ले की गिनी की यु क्या हुनु च !  पर कुछ पता नि चलू !
उकी सम्झ्मा इनी आई की  आज ९ साल ९ मैना से उपार हुण्वाला छन  पर ,  हम पर ..., या रोल बोल कैकी अर कैकी च !  हमारी,   हमरी  ना !  -- हमरी बिरोधी पार्टी की  भी ई शिकैत च की , यु क्या हूँनु च !
     चंदरसिंह गड्वाली जी पैल त भारत का वास्ता लडी !  काला पाणी ताके सजा भी हुई !  फिर ता उम्र  उत्तराखंड बाना ... मुर्द मुर्द तक गैरी सैन राजधानी की रटना रट्द रट्द बिचारा ई दुन्या से चलीगी !  सरया लडाई उकी , वो बिना खंया पीया चली गी अर,   राज्य मिली त खाणु कुवी ओरी  ....   अब...,    आपीबोला ,  उकी हन्त्य ल नि आणु छो त , कैकी हन्त्यल आनु छो ?
      राज्य की लडाई उत्तराखंड  का तहत लडैगे अर जनि मिली नै बदली दे !   .. हे भै .. ,  वेकी आत्माल दुखी नि हूँ छो .. उत्तराखंड से उत्तरंचल ..   वा साब वा ... !    बुठ्याल,    देखो अपनों छल  .. पहलु मुख्या मंत्री पहाड़ से ना बल्कि बिदेशी .. जों  पहाडीयु की टक लगी राइ होली वी कुर्शी पर वा त गई ना उका हाथ से !  वेल भी अपना राज भी पुरो नि कई सकी  अध् मई चली गे !  फिर आई  हाथे सरकार  .. जू बुल्दा छाई की मेरी लाश पर बण्लु
यु राज्या वी मुख्या मंत्र्री  .////   . गढ़वाली जी की खाठमाँ आगी भपकरा जी भपकरा ... इनो छल कैरी की नो  छम्मी नारैण की बुध हरी दे .. वे थाई इनु जापी की वेल अपना अपना लुखो थै इतका लाल बाती बाटीनी की जों थै देखि देखि जनता का आंखा लाल हुवे गीनी !   उ भी गे !  फिर आईनी कमल .. अपणो आदिम  समझी  सब्युन  वेकी भूखी पै ! आँखियु माँ बिठाई .  "  ए भै  ,   जै बो को बल बडू भारवासू छो .. वी ,  दादा बुन बैठी गे  " सियु  नाची बुठ्या फिर ... २ साल का अंदर ही अन्दर वो भी गे ....  अब देखा ई न्यु कब टिकत  ! अगर जू  राजधानी कु  मामलू सभाली देलू यु ,   त , हुए  सकड़ रै भी जा !    निथर ... जांदा मै समझा !

     जब तक गढ़वालिजी की आत्मा थै शान्ति नि मिलाली त भरै ... इनी समझा  ...... 

पराशर गौड़  २७ अगुस्त ०९ समय ४.३० बजे दिन में !

पंकज सिंह महर

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गौड़ साहब,
आपके इन लेखों को वे लोग भी जरुर पढ़े, जो अपनी खीझ उतारने के लिये निकृष्टता की हद को भी पार करने में नहीं हिचकिचा रहे।
आपका मार्गदर्शन हमारे लिये उन मोतियों की तरह है, जो गहरे समुन्दर से कोई कुशल गोताखोर ही निकाल सकता है।

समन्या।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Poem by Gaur ji.

[youtube]TwwpSw9dMtI

Parashar Gaur

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ससुराल मेरे पार्लियामेन्ट  !

      बगत बगत चुनाओम हैरी   , मेरी घरवाली मी से तंग ऐगी !  जनि पार्लियामेंट का चुनाव  की घोषणा होई , त , मेरा   पेटा जुनका फिर खडा हूँ बैठा ! मेरी पत्निल जनी देखि की , कि , मी हरकत म आन बैठी गेउ  . वा बोली ...
" वी निर्भगी पार्लियामेंटो कु मोह अभी तक नि गे है ...,  मेरी ख्याल से मुरूद मुरूद थाई की जालू स्यु किडू ... "

  मिन भी सोची , काश...,  मुरूद मुरूद सिर्फ एक दाऊ .. एक दौ  वख पहुँच सकदु त , मी सम्झुदु की मी बैतरणी पार होईग्यु ,  पर हे राम .. कख छो बल जोगी हुना भाग  !


     स्यु साब ..., वख त की जायालू  पर , हम भी पका छा पका ... ३६ ना सै ,कम से कम  १५ २० नेता जी का गुण त छाई छी हम पर  !  आखिर हम भी ,  नेता ह्या ना  नेता !   हम  थै ,    यु   ख़याल  आई  ,  अर  सोची ...,  कि पार्लियामेंट ना .. त .. ना सै ,    अब अर  आज बिटि हमरी पार्लियामेंट हमरी ससुराल होली .. जख हम  अपणा  मन कि हीक  निकाल सकदा !` सासुराल रूपी ई संसद माँ वो सब कुछ च,  जू वी,  संसद म च .... . मान सन्मान ,रॉब रुतबा , आवा भगत एक आलवा बनी बनी का बिभाग छन !  कुल मिली की ये सब हमरा रहमो कर्मो पर टिक्या छन !  हमरा इशारों पर जिंदा छन !    बन बनी का बिभाग छन !` कुलमिलैकी ई सब हमरा नाज-नखरो पर जिदा छी ! हम ई संसद का नीर बिरोध अध्यक्ष/ प्रधान मंत्री जो बोलो उ छा !  मजाल कुवी ना नुकर या टी टा कै दया !  हमरी आवा भगतं २४ घंटा सब एक खुटा पर खडा रंदी !  जन संसद म ७५० एम् पी अपणा पार्टी का मुख्या प्रधान मंत्री का अग्वादी पिछाडी रंडी रिट्णा बस उनी  मेरा ससुराल का हर एक प्राणी चाहिए वो सास -ससुर , स्याला - सयाली ,अर  गौं का रिश्तेदार हो सबी रैन्द म्यारा अग्वादी पिछाडी रिट्णा  !   न हवा कखी जवाई जी की अवा भागतं कमी रैजा , अर वो , नाराज  होई जावन !  हमल भी नाड पकडी च  !  ससुराल वालो  से  सुधी सुधी मालकी जाणु , ख्माखा नाराज हवाई जाणु ताकि ईयू पर प्रभाऊ बणियु रा !


        ससुराल की ई पार्लियामेंट माँ ,  उन त  कई महत्वा पूर्ण बिभाग छन ,  पर , रक्षा अर बित बिभाग का इंचार्ज ससुरा जी छन !  साल भरै या पञ्च बर्षीय जानी योजना का अलावा बीच बीचम राहत जन कार्यो पर खर्चो का वास्ता धन भी यु से ही मिल्द !  एक अलावा रोज मरा की खर्चे की सूची यूके अग्वादी पडी रैन्द !  मजाल च जू यूँ कभी  असमर्थता प्रकट कै होली उलटा ये बडी सूझ बुझ का दगड  हर झटको थै झेली भी मुस्कराणा  रंदिनी  जन हवाई जहाज की एयर होस्टेज तरह चाहिए बुखार हो या पेट दर्द पर यात्री का अग्वादी बस चेहरे पर हसी हूँ चैद उनी बिचारा मेरा ससुरा जी भी रंदीन !  उकु ये अदम्य साहस सूझ बुझ थै देखी मी बहुत ही प्रभावित हुई गियु !   


         अब देखा ना , जब भी मिन अपनी पत्नी से थोडा शिकैत कारी नि ,   की वा बात ,  एक डम ससुरा जी का पास पहुँची जांद मर्द का बच्चा अपनी गैणी तकीद  गिरबी रखी भी मेरी फरमाइश पूरा कर दी  जन की मुख्या मंत्री  व वेका चमचा करोंदीन  वेका  जन्म दिन पर पिस एकटा ! मयारू बुनो मतलब च बाना बस बाना कैकी,  कै भी तरह से अपणी इछा  थै  पूरी काना रंदीन !  खुशी ई बात की च की मिन कभी उनका मुख पर उदासी की कुई लकीर देखी हो !  ख्वाला गिच्ल सदान  हैस्णै लगया रदीन !  वो ई पार्लियमिन्ट का सबसे मजबूत, अडिग सख्त  खम्बा छन ! पत नी मेरी  ई बार बार की मांगो से वो हिला भी छी य ना यु मी थै पत नी !
 

        दुसरा महत्वा पूर्ण बिभाग मेरी सासू जी का पास छन जनकी होम बाणिज्य सुचना ,रख रखाव ,  आदि आदि !   कै थै क्या दीण ?   कैसे क्या  लीण ?  कखम क्या कन,  क्या बुन याने पुरी पुरी दखल च युकी !  अपणी प्यारी बेटी याने हमरी धर्मपत्नी पर युकी ज्यादै कृपा रैन्द  याने मोह बोला मोह..  बस मीथै जनी पत लगी या उकी कमजोरी च मिन वेकु पुरु पुरु फैदा उठाणु शुरू कैदी ! संसद माँ प्रश्न का दौओरान बिना रोक टोका जन एक एम् पी अपणा इलाका बारमा बताद की उख यु च इथा पैस्सा चिंदन ताकि वो लोग दो जून की  रुवाटी खै सकला..  उनी मी भी अपणी श्रीमती थै अग्वादी कैकी अपणी डिमांड की एक लम्बी चौडी चठी ससस जी की समणी रख देदु  अगर बात नि बण्दि दिखेद त श्रीमती थै झट अग्वादी कैकी अपणी फरमायश थै पुरी करवा देदु !  ये खुला अधिवेशन माँ सासू जी की जुबान अर मेरी फर्माशो की ताल मेल दिखन लेक रैन्द ! मेरा दोरों की रूप  रेखा  अर  आवश्कताओं की लम्बी सूची सासू जी का दिल्लो दिमाग म २४ घंटा फिट बैठी रंदन ! मजाल की कोई युकी बात काट दया !  जवाई आया छन त ये बैर क्या दीण  !  कलेउ या लठु या दूण कंडी या बक्र्री, कलोड ये सब निर्णय स्सासु जी का ऊपर निर्भर रैन्द !  चोरी छिपी मिसे कोइ औरी डिमांड पूच्णी,  ये हमरी गुप्त बिभाग की एक बडी खशियत च ! उन देखी जा त , मी कभी कभी अपणी अंडर टबेल वल्ली दिमान्डो थै ,  यूँकै माध्यम से पूरा करदू !


      प्लानिग कमिशन की चाबी दद्या स्सासु जी के हाथ में है वो मेरे और अपणी नातनी की कोइ भी इछा पर बेझिझक अपणी मोहर लगान माँ कैकी इजाजत नि जरुरी समझादन ना ससुरा जी की और नहीं स्सासु जी की !  स्याल और सयलु थै चता मुता बिभाग छन दिया  अआवा भगत का मंत्रयालया युमा छन !


   मेरी य पार्लियामेंट जब बिटि शुरू होए ,  ई माँ चुनौ कु त कुई प्र्बिधान नि !  ई संसदम्,  आज तक  न त,  कुई  लडाई - झगडा होए ,  ना  कुई जुत पत्रम्,   ना कुई हो-  हला !  द्वी बिभाग मिल जान बुझी अपणी श्रीमती  थै दिया ना   १- रुनु  २ -..गंग्जाणु ,    ताकि वो अपणा माँ बापू पर एकु असर ड़ाल साक ! ये दुवी बिभाग बहुत छन ई पार्लियामेंट थै हिलाना वास्ता !

 

पराशर गौड़ 
स्याम ७.५० पर  ९ अगस्त ०९

 

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