चिट्ठी पाती (Chitthi Pati)
मोहिनी बाज्यू - प्राणप्यारी मोहनी की ईजा! यां की कुशल भली छ्युं कनू, ताँ की कुशल चानू.
द्वि महन आजी रुकुनु , फिर घर हूँ आनू
अर्थात
मोहिनी के पिता का पत्र मोहनी की माता के नाम.
यहाँ की कुशल ठीक है, तहां की कुशल चाहिए .
दो महीने और रुकना पड़ रहा है, फिर घर आता हूँ.
मोहिनी की ईजा - स्वस्ति श्री सर्वोपमा योग्य प्राण प्रिय मोहिनी के बाज्यू!
यां की कुशल भली छ्यूं कनू , ताँ की कुशल चानू
द्वि महन आजी रुक्नू फिर दूसर घर जानू
अर्थात
मोहिनी की माँ ने मोहिनी के पिता को पत्र लिखा कि यहाँ की कुशल ठीक है, तहां की कुशल चाहिए
दो महीने तुम्हारा इन्तजार करूंगी, उसके बाद दुसरे घर बार चली जाउंगी (D.N.Barola)
