जागर 
रात्रि जागरण करके देवी देवता की मनौती या प्रेत बाधा निवारण हेतु जगरिये द्वारा गाई जाने वाली गाथायें जिनके गाने से देव या प्रेत चेतन होता है जागर कहा जाता है. जागर दो किस्म के होते हैं. एक जो कुल देवता जैसे नर सिंह या गोलू देवता का होता है और दूसरा जागर पितरों की शांति के लिए किया जाता है, जिसमे पितर किसी भी परिवार के सदस्य के शरीर मैं आते हैं जागर मैं एक मुख्य कथा गायक होता है जिसे जगरिया कहा जाता है. जगरिया के साथ दो या दो से अधिक सहायक होते हैं जिन्हें भगार या हेबार कहते हैं जो की कथा गायन के मध्य मैं हेव या भाग लगाते हैं. जिसके शरीर मैं भूत अवतरित होता है उसे डंगरिया (कांपने वाला) कहा जाता है. सह्गायाकोँ मै एक या ज्यादा आदमी सहवाद्य यंत्रों को बजाते हैं जागरों मैं ढोल, भुर्यो (मुरज), नगाड़ा, ढोलक, हुडुक, थाली, परात, मिजुरा आदि वाद्य यन्त्र बजाये जाते हैं.

गायक जगरिया मुख्य वाद्य यन्त्र के साथ संज्यवाली, ईशवंदना, सृष्टी वर्णन आदि के पश्चात् मुख्य कथा आरम्भ करता है. कथा का मुख्य उद्देश्य श्रो़ताओं का मनोरंजन करना एवं कथा के प्रति श्रो़ताओं की आस्था उत्पन्न करना होता है देव या भूत से से सम्बन्ध कथाओं मैं वीरता , संघर्ष , युद्ध , करुणा , अन्याय आदि प्रसंगों पर गायक भूत विशेष को ललकार कर आवाहन करता है . साथ ही गायन वाद्य यंत्रों मैं एकाएक द्रुतलय आ जाती है .गायन वादन की इसी मिश्रित झंकार के मध्य स्त्री अथवा पुरुष घर देव का भूत अवतरित हो आता है तथा वह नृत्य करने लग जाता है अवतरित ब्यक्ति से नाराजगी या अपमृत्यु का कारण अपने कष्टों, इच्छा पूर्ति आदि के बारे मैं पूछा जाता है. तथा इन सबका निवारण तथा निराकरण के बाते मैं भी पूछा जाता है. देव इच्छा पूर्ति के बाद आशीर्वचन देता है.और भूत अपनी अपमृत्यु के बारे मैं बताता है उस भटकती आत्मा की शान्ति के लिए उसे वस्त्र, खाद्य आदि, बलि आदि देने का वचन दिया जाता है और गुरु (जगरिया) द्बारा जाल काटकर उस भटकती आत्मा को शांत कर उसके पुरखों के साथ भेज दिया जाता है. जाल लकडी या ग्लास के बर्तन पर बनाया
जाता है और पहले भूत, फिर सभी परिवारिजनोँ द्वारा उसके तागे काटे जाते हैं इस क्रिया को जाल काटना कहते हैं. स्थानीय देवी-देवताओं के अवतरण पर उसे छेप्रछा (छेम्रक्षा ) करने को कहा जाता है और बीमारी के निवारण का उपाय पूछा जाता है. देवता के आशीर्वचन देने अवं उपाय बतलाने के बाद उसके पूजा कर जगरिया उसे कैलास या अपने घर जाने को कहते हैं.(D.N.Barola))

Jagar ki Dhuni