Author Topic: Articles By Shri Pooran Chandra Kandpal :श्री पूरन चन्द कांडपाल जी के लेख  (Read 60487 times)

Pooran Chandra Kandpal

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                        गैरसैण ही  बने उत्तराखंड की राजधानी

                मित्रो,  राज्य आन्दोलन में गैरसैण राजधानी बनाने की बात सब जानते हैं. उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र का विकास केवल राजधानी गैरसैण बनाने से ही हो सकता है.  राज्य के अधिकांश लोग गैरसैण ही चाहते हैं. दीक्षित आयोग की रिपोर्ट से पहले जो लोगों से सुझाव मांगे गए थे वे सब गैरसैण के पक्ष में थे. बाबा उत्तराखंडी का ३८ दिन के उपवाश के बाद स्वयं का बलिदान केवल गैरसैण के लिए था.
                    अतः किसी के भ्रम या बहकावे में नहीं आयें.  पहाड़ की बात करें और गैरसैण की बात   करें.

                        "आज नहीं तो कल, होगी राजधानी गैरसैण चल."
                                                                                              धन्यबाद .
                                                                                                                                                                                                             पूरन चन्द्र कांडपाल

Pooran Chandra Kandpal

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                      कुमाउनी और गढ़वाली सिखोनक भल प्रयास छ

       मेहता ज्यूँ यो कुमाउनी और गढ़वाली सिखोनक भौत भल प्रयास छ.  यसिके हम द्विये बोली भाषा सीखी सकनू.  मी त भौत कोशिस करदू और प्रत्येक मंच बटी लै गढ़वाली बुलानक प्रयास लै करदू. उत्तराखंड कें यू द्विये भाषाओँ की  जरवत छ.  अगर हम यस करी सकुला त  उत्तराखंड में हमरी भाषा अकादमी लै बनी सकिछ.  आपुकें या प्रयासा लिजी भौत धन्यवाद.                   

                                                                                          पूरन चन्द्र कांडपाल.

jagmohan singh jayara

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आदरणीय कांडपाल जी सिमन्या...
उत्तराखंड की भाषा सी प्रेम...भौत सुन्दर भावना छ आपकी.  मेरी भी इच्छा होन्दि छ कुमाऊनी शब्दों कू प्रयोग करौं, पहाड़ फर लिखीं अपणी कविताओं मा.  आशा कार्दौं मैं भी कुमाऊनी सिखिक प्रयोग कन्न कू प्रयास कर्लु.  गोपाल बाबू गोस्वामी जी का कुमाऊनी गीतु सुणिक मेरा कवि मन मा कसक पैदा होन्दि छ.

जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"

Pooran Chandra Kandpal

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                                                     मी कोशिश करदू
               
                 आदरणीय जयारा ज्यूँ , मी कोशिश करदू कि मी लै अपणी द्विये बोली भाषा सीखू.
                        हम सब उत्तराखंडी छ्यु.  हमरी अपनि पछ्याण छू.  गढ़वाली सिखनम क्वे विशेष मेहनत
                 कर्नेकि जर्वत नहाती. अगर हम द्विये बोली बुलानेकी प्रयास कार्ला ता हमर आपसी प्यार
                 लै बधलौ.  यका वास्ता हमुले कोशिश करना चेंछ. धन्यवाद
               
                                                         

Pooran Chandra Kandpal

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मित्रो बाबा उत्तराखंडी को कौन भूल सकता है. इस वीर पुरुष ने उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण बनाने की लिए ३८ दिन के आमरण अनशन के बाद अपना जीवन बलिदान क़र दिया. आज गैरसैण के लिए आवाज गूँज रही है. यह आवाज बंद कानो तक अवश्य पहुचेगी. जरुरत है मिलकर आवाज उठाने की.

Pooran Chandra Kandpal

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                         उत्तराखंड दिवस ,९ नवम्बर २००९
   
         उत्तरांचल पत्रिका अंक नवम्बर २००९ में मेरा लेख है 'गैरसैण ही बने राजधानी'.
  उसमें से एक वाक्य लिख रहा हूँ.     "अपने हे देश में अपना राज्य पाने के लिए स्वतंत्र भारत के इतिहास
  में पहली बार अहिंसक आन्दोलनकारियों को शहीद होना पड़ा.  वर्ष १९९४ में एक एक करके साडे तीन दर्जन
  आन्दोलनकारियों के सीने में गोली उतार दी प्रजातंत्र के कातिलों ने "

                "गैरसैण तो पहले हे प्रसिद्ध हो गया है.  राजधानी गैरसैण बनाने के लिए विभिन्न संगठनों द्वारा
  आन्दोलन जारी है. लेख , परिचर्चा , विचार खूब छप रहें हैं.,  जलूस . प्रदर्शन, धरने, यात्रा, बहश खूब हो
  रहे हैं .आन्दोलन गति पकरने के शंख बज चुकी है.  " यह लेख राज्य आन्दोलन के शहीदों को समर्पित है.

                  इस सप्ताह देश की राजधानी में कई जगह उत्तराखंडी संगठनों ने सभाएं की और राजधानी
  गैरसैण बनाने के सरकार से अपील की गयी.  इसी तरह एक सभा में उत्तराखंडी भाषा कुमाउनी और
  गढ़वाली  को मान्यता देने और सविधान की ८वी सूचि में शामिल करने की अपील की गयी.

                                                          पूरन चन्द्र कांडपाल 

Pooran Chandra Kandpal

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    उत्तराखंड दिवस ,९ नवम्बर २००९
   
         उत्तरांचल पत्रिका अंक नवम्बर २००९ में मेरा लेख है 'गैरसैण ही बने राजधानी'.
  उसमें से एक वाक्य लिख रहा हूँ.     "अपने हे देश में अपना राज्य पाने के लिए स्वतंत्र भारत के इतिहास
  में पहली बार अहिंसक आन्दोलनकारियों को शहीद होना पड़ा.  वर्ष १९९४ में एक एक करके साडे तीन दर्जन
  आन्दोलनकारियों के सीने में गोली उतार दी प्रजातंत्र के कातिलों ने "

                "गैरसैण तो पहले हे प्रसिद्ध हो गया है.  राजधानी गैरसैण बनाने के लिए विभिन्न संगठनों द्वारा
  आन्दोलन जारी है. लेख , परिचर्चा , विचार खूब छप रहें हैं.,  जलूस . प्रदर्शन, धरने, यात्रा, बहश खूब हो
  रहे हैं .आन्दोलन गति पकरने के शंख बज चुकी है.  " यह लेख राज्य आन्दोलन के शहीदों को समर्पित है.

                  इस सप्ताह देश की राजधानी में कई जगह उत्तराखंडी संगठनों ने सभाएं की और राजधानी
  गैरसैण बनाने के सरकार से अपील की गयी.  इसी तरह एक सभा में उत्तराखंडी भाषा कुमाउनी और
  गढ़वाली  को मान्यता देने और सविधान की ८वी सूचि में शामिल करने की अपील की गयी.

                                                          पूरन चन्द्र कांडपाल 

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    उत्तराखंड दिवस ,९ नवम्बर २००९
   
         उत्तरांचल पत्रिका अंक नवम्बर २००९ में मेरा लेख है 'गैरसैण ही बने राजधानी'.
  उसमें से एक वाक्य लिख रहा हूँ.     "अपने हे देश में अपना राज्य पाने के लिए स्वतंत्र भारत के इतिहास
  में पहली बार अहिंसक आन्दोलनकारियों को शहीद होना पड़ा.  वर्ष १९९४ में एक एक करके साडे तीन दर्जन
  आन्दोलनकारियों के सीने में गोली उतार दी प्रजातंत्र के कातिलों ने "

                "गैरसैण तो पहले हे प्रसिद्ध हो गया है.  राजधानी गैरसैण बनाने के लिए विभिन्न संगठनों द्वारा
  आन्दोलन जारी है. लेख , परिचर्चा , विचार खूब छप रहें हैं.,  जलूस . प्रदर्शन, धरने, यात्रा, बहश खूब हो
  रहे हैं .आन्दोलन गति पकरने के शंख बज चुकी है.  " यह लेख राज्य आन्दोलन के शहीदों को समर्पित है.

                  इस सप्ताह देश की राजधानी में कई जगह उत्तराखंडी संगठनों ने सभाएं की और राजधानी
  गैरसैण बनाने के सरकार से अपील की गयी.  इसी तरह एक सभा में उत्तराखंडी भाषा कुमाउनी और
  गढ़वाली  को मान्यता देने और सविधान की ८वी सूचि में शामिल करने की अपील की गयी.

                                                          पूरन चन्द्र कांडपाल 

Pooran Chandra Kandpal

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०७.२.०९  को म्यर पहाड़ उत्तराखंड क्रिएटिव द्वारा आयोजित विचारगोष्ठी "गैरसैण राजधानी"
राजधानी मुद्दे की मसाल को आगे ले जाने का एक सफल प्रयास था.  इस संगठन से जुड़े सभी
युवा uttrakhandiyon को मेरी शुभकामनायें  और बधाई .  विचारगोष्ठी में खुलकर चर्चा हुयी और
एक ही निष्कर्ष निकला कि गैरसैण राजधानी होने पर ही उत्तराखंड का विकास संभव है.
इस विचारगोष्ठी में उठी गूँज अवश्य ही देहरादून तक पहुंचेगी.  हमारे आठ सांसद और ७०
विधायक जिस दिन इस गूँज में सामिल होंगे उस दिन राजधानी देहरादून से गैरसैण
कूच कर जाएगी. ये मत कहो कि जो निर्माण देहरादून में हो गया है उसका क्या होगा.
उन जगहों में कई विभाग या  संस्थान खोले जा सकते हैं.  जीत होगी और अवश्य होगी .
"तू जिन्दा है तो जिन्दगी में जीत की यकीन कर". पूरन चन्द्र कांडपाल. ०८.०२.२०१०

Pooran Chandra Kandpal

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०७.२.०९  को म्यर पहाड़ उत्तराखंड क्रिएटिव द्वारा आयोजित विचारगोष्ठी "गैरसैण राजधानी"
राजधानी मुद्दे की मसाल को आगे ले जाने का एक सफल प्रयास था.  इस संगठन से जुड़े सभी
युवा uttrakhandiyon को मेरी शुभकामनायें  और बधाई .  विचारगोष्ठी में खुलकर चर्चा हुयी और
एक ही निष्कर्ष निकला कि गैरसैण राजधानी होने पर ही उत्तराखंड का विकास संभव है.
इस विचारगोष्ठी में उठी गूँज अवश्य ही देहरादून तक पहुंचेगी.  हमारे आठ सांसद और ७०
विधायक जिस दिन इस गूँज में सामिल होंगे उस दिन राजधानी देहरादून से गैरसैण
कूच कर जाएगी. ये मत कहो कि जो निर्माण देहरादून में हो गया है उसका क्या होगा.
उन जगहों में कई विभाग या  संस्थान खोले जा सकते हैं.  जीत होगी और अवश्य होगी .
"तू जिन्दा है तो जिन्दगी में जीत की यकीन कर". पूरन चन्द्र कांडपाल. ०८.०२.२०१०

 

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