Uttarakhand Updates > Articles By Esteemed Guests of Uttarakhand - विशेष आमंत्रित अतिथियों के लेख

Articles By Shri Pooran Chandra Kandpal :श्री पूरन चन्द कांडपाल जी के लेख

<< < (4/86) > >>

Pooran Chandra Kandpal:
                         उत्तराखंड दिवस ,९ नवम्बर २००९
   
         उत्तरांचल पत्रिका अंक नवम्बर २००९ में मेरा लेख है 'गैरसैण ही बने राजधानी'.
  उसमें से एक वाक्य लिख रहा हूँ.     "अपने हे देश में अपना राज्य पाने के लिए स्वतंत्र भारत के इतिहास
  में पहली बार अहिंसक आन्दोलनकारियों को शहीद होना पड़ा.  वर्ष १९९४ में एक एक करके साडे तीन दर्जन
  आन्दोलनकारियों के सीने में गोली उतार दी प्रजातंत्र के कातिलों ने "

                "गैरसैण तो पहले हे प्रसिद्ध हो गया है.  राजधानी गैरसैण बनाने के लिए विभिन्न संगठनों द्वारा
  आन्दोलन जारी है. लेख , परिचर्चा , विचार खूब छप रहें हैं.,  जलूस . प्रदर्शन, धरने, यात्रा, बहश खूब हो
  रहे हैं .आन्दोलन गति पकरने के शंख बज चुकी है.  " यह लेख राज्य आन्दोलन के शहीदों को समर्पित है.

                  इस सप्ताह देश की राजधानी में कई जगह उत्तराखंडी संगठनों ने सभाएं की और राजधानी
  गैरसैण बनाने के सरकार से अपील की गयी.  इसी तरह एक सभा में उत्तराखंडी भाषा कुमाउनी और
  गढ़वाली  को मान्यता देने और सविधान की ८वी सूचि में शामिल करने की अपील की गयी.

                                                          पूरन चन्द्र कांडपाल 

Pooran Chandra Kandpal:
    उत्तराखंड दिवस ,९ नवम्बर २००९
   
         उत्तरांचल पत्रिका अंक नवम्बर २००९ में मेरा लेख है 'गैरसैण ही बने राजधानी'.
  उसमें से एक वाक्य लिख रहा हूँ.     "अपने हे देश में अपना राज्य पाने के लिए स्वतंत्र भारत के इतिहास
  में पहली बार अहिंसक आन्दोलनकारियों को शहीद होना पड़ा.  वर्ष १९९४ में एक एक करके साडे तीन दर्जन
  आन्दोलनकारियों के सीने में गोली उतार दी प्रजातंत्र के कातिलों ने "

                "गैरसैण तो पहले हे प्रसिद्ध हो गया है.  राजधानी गैरसैण बनाने के लिए विभिन्न संगठनों द्वारा
  आन्दोलन जारी है. लेख , परिचर्चा , विचार खूब छप रहें हैं.,  जलूस . प्रदर्शन, धरने, यात्रा, बहश खूब हो
  रहे हैं .आन्दोलन गति पकरने के शंख बज चुकी है.  " यह लेख राज्य आन्दोलन के शहीदों को समर्पित है.

                  इस सप्ताह देश की राजधानी में कई जगह उत्तराखंडी संगठनों ने सभाएं की और राजधानी
  गैरसैण बनाने के सरकार से अपील की गयी.  इसी तरह एक सभा में उत्तराखंडी भाषा कुमाउनी और
  गढ़वाली  को मान्यता देने और सविधान की ८वी सूचि में शामिल करने की अपील की गयी.

                                                          पूरन चन्द्र कांडपाल 

Pooran Chandra Kandpal:
    उत्तराखंड दिवस ,९ नवम्बर २००९
   
         उत्तरांचल पत्रिका अंक नवम्बर २००९ में मेरा लेख है 'गैरसैण ही बने राजधानी'.
  उसमें से एक वाक्य लिख रहा हूँ.     "अपने हे देश में अपना राज्य पाने के लिए स्वतंत्र भारत के इतिहास
  में पहली बार अहिंसक आन्दोलनकारियों को शहीद होना पड़ा.  वर्ष १९९४ में एक एक करके साडे तीन दर्जन
  आन्दोलनकारियों के सीने में गोली उतार दी प्रजातंत्र के कातिलों ने "

                "गैरसैण तो पहले हे प्रसिद्ध हो गया है.  राजधानी गैरसैण बनाने के लिए विभिन्न संगठनों द्वारा
  आन्दोलन जारी है. लेख , परिचर्चा , विचार खूब छप रहें हैं.,  जलूस . प्रदर्शन, धरने, यात्रा, बहश खूब हो
  रहे हैं .आन्दोलन गति पकरने के शंख बज चुकी है.  " यह लेख राज्य आन्दोलन के शहीदों को समर्पित है.

                  इस सप्ताह देश की राजधानी में कई जगह उत्तराखंडी संगठनों ने सभाएं की और राजधानी
  गैरसैण बनाने के सरकार से अपील की गयी.  इसी तरह एक सभा में उत्तराखंडी भाषा कुमाउनी और
  गढ़वाली  को मान्यता देने और सविधान की ८वी सूचि में शामिल करने की अपील की गयी.

                                                          पूरन चन्द्र कांडपाल 

Pooran Chandra Kandpal:
०७.२.०९  को म्यर पहाड़ उत्तराखंड क्रिएटिव द्वारा आयोजित विचारगोष्ठी "गैरसैण राजधानी"
राजधानी मुद्दे की मसाल को आगे ले जाने का एक सफल प्रयास था.  इस संगठन से जुड़े सभी
युवा uttrakhandiyon को मेरी शुभकामनायें  और बधाई .  विचारगोष्ठी में खुलकर चर्चा हुयी और
एक ही निष्कर्ष निकला कि गैरसैण राजधानी होने पर ही उत्तराखंड का विकास संभव है.
इस विचारगोष्ठी में उठी गूँज अवश्य ही देहरादून तक पहुंचेगी.  हमारे आठ सांसद और ७०
विधायक जिस दिन इस गूँज में सामिल होंगे उस दिन राजधानी देहरादून से गैरसैण
कूच कर जाएगी. ये मत कहो कि जो निर्माण देहरादून में हो गया है उसका क्या होगा.
उन जगहों में कई विभाग या  संस्थान खोले जा सकते हैं.  जीत होगी और अवश्य होगी .
"तू जिन्दा है तो जिन्दगी में जीत की यकीन कर". पूरन चन्द्र कांडपाल. ०८.०२.२०१०

Pooran Chandra Kandpal:
०७.२.०९  को म्यर पहाड़ उत्तराखंड क्रिएटिव द्वारा आयोजित विचारगोष्ठी "गैरसैण राजधानी"
राजधानी मुद्दे की मसाल को आगे ले जाने का एक सफल प्रयास था.  इस संगठन से जुड़े सभी
युवा uttrakhandiyon को मेरी शुभकामनायें  और बधाई .  विचारगोष्ठी में खुलकर चर्चा हुयी और
एक ही निष्कर्ष निकला कि गैरसैण राजधानी होने पर ही उत्तराखंड का विकास संभव है.
इस विचारगोष्ठी में उठी गूँज अवश्य ही देहरादून तक पहुंचेगी.  हमारे आठ सांसद और ७०
विधायक जिस दिन इस गूँज में सामिल होंगे उस दिन राजधानी देहरादून से गैरसैण
कूच कर जाएगी. ये मत कहो कि जो निर्माण देहरादून में हो गया है उसका क्या होगा.
उन जगहों में कई विभाग या  संस्थान खोले जा सकते हैं.  जीत होगी और अवश्य होगी .
"तू जिन्दा है तो जिन्दगी में जीत की यकीन कर". पूरन चन्द्र कांडपाल. ०८.०२.२०१०

Navigation

[0] Message Index

[#] Next page

[*] Previous page

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 
Go to full version