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Articles By Shri Pooran Chandra Kandpal :श्री पूरन चन्द कांडपाल जी के लेख

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Pooran Chandra Kandpal:
दिल्ली बै चिठ्ठी ऐ रै

फ्री फंड क चक्कर, १२.०१.२०१७

     समाज में व्याप्त समस्याओं पर नजर धरणी चनरदा जब लै भी मिलनी, पुछण पर आपण विचार प्रकट करि दिनी | हमार समाज में कुछ लै मुफ्त में मिलूं तो लोग उ तरब हैं दौड़ि पड़नी | यौ फ्री प्राप्ति कि दौड़ पर चनरदा बलाय, “समाज में जब कुछ लै खैरात बांटी जैंछ तो लोग उकैं पाण क लिजी दौड़ि पड़नी चाहे य डिटरजेंट क सैम्पल हो, साबण हो, चहा हो या टूथपेस्ट या भुष क्यलै नि हो | यौ फ्री क चक्कर में मनखी य नि सोचन कि य अनजान मैंस हमुकैं फ्री में चीज- बस्त क्यलै बांटें रौ ?

     चनरदा बतूनै गाय, “फ्री क प्रसाद दि बेर कुख्यात अपराधी चार्ल्स शोभराज कुछ वर्ष पैली तिहाड़ जेल बै भाजि गो | उ जाणछी कि गेट पर भैटी पुलिस वाल लै प्रसाद खाण में देर नि करा | वील प्रसाद में बेहोश हुण क  नुस्ख मिलै बेर पुलिस कैं खवै दे और चकम दी बेर भाजि गो जो बाद में नेपाल में पकड़ी गो | न्यूतेर (ब्या क पैल ब्याव में फ्री दारू स्वागत ) में फ्री कि शराब प्येवायी जैंछ | रिसेप्शन में लै फ्री प्येवूण क रिवाज चलि गो आब | फ्री मिलै रइ तो बिन ब्रैंड पुछिये लोग औकात है लै ज्यादै गटिकि ल्हीनी  और डिनर हुण तक उनरि भाव- भंगिमा और चाल क कचूमर है जांछ | बाद में उ मुफ्त- गटकू कैं वीक कुछ लंगोठि यार वीकि ठौर तक घुरै औनी | “

     “नवरात्रों में मिलणी फ्री क पुरि लै कंचक बनी नानतिन पार्कों- सड़कों में ख्येड़ि जानी फैंक | क्वे लै हमुकैं फ्री में क्वे धार्मिक यात्रा या दर्शन क लिजी हिटो कई चैंछ हाम खुशि हुनै बिना पुछिये बाट लागि जानूं | ‘जातुरि नाण गाय हुमण दगाड़ लाग |’ फ्री कि मौज- मस्ती क्वे नि छोड़न भलेही बाद में पछताण पड़ो | सड़क दुर्घटना में पेट्रोल क टेंकर पलटि जांछ | देखन- देखनै लोग भान ल्ही बेर वां पुजि जानी और मुणि फना पोखर बदी पेट्रोल कैं आपण भना में भरण फै जानी | यौ ई बीच क्वे बिड़ि सुलगौ और आग लै जांछ | कएक लोग झुलसि जानी | यौ घटना कुछै दिन पैलिक कि छ | मुफ्तियों ल पेट्रोला क पिछाड़ि आपणी ज्यान कि परवा नि करि |”

     चनरदा ल उत्तराखंड में फ्री फंड कि बस यात्रा क बार में लै बता | ऊँ बलाय, “उत्तराखंड सरकार ल वरिष्ठ नागरिकों कैं जीरो टिकट पर फ्री यात्रा सुलभ करि रैछ | सबै सीनियर सिटिजन यैक फैद उठूं रईं | इनूमें ऊँ लै छीं जनरि पेंशन हजारों में छ | ऊँ किराय दीण में सक्षम लै छीं पर फ्री राइड क्यलै छोड़ी जो ? म्यर एक परिचित पिथौरगढ़ बै हल्द्वाणि औं रौछी | लगभग तीन सौ रुपै क टिकट हय और पांच घंट कि यात्रा | उ वरिष्ठ नागरिक नि छी | वील बता, “सबै सीनियर सिटिजन ठाड़- ठाड़े चार-पांच घंट कि फ्री यात्रा जीरो टिकट पर करै राय | पिछाड़ि बै के एम् ओ कि बस खाली औं रइ | टिकट ल्हीण पड़ल कै उमें क्वे नि जान |”

       “सरकारि बस लै कम छीं और इक्का- दुक्का ई चलनी | यात्रा में टिकट नि लागण ल कुछ सीनियर सिटिजन बिन जरवतै (गैर- आवश्यकीय) यात्रा लै करनी जैक वजैल बस में भीड़ है जींछ | ज्यादैतर सीनियर सिटिजन बस में टिकटधारी यात्रियों हैं बै सीट खालि करण कि उम्मीद धरनी | टिकटधारी आपणि सीट यैक वजैल नि छोड़न क्यलै कि टिकट ल्ही बेर ऊँ पांछ घंट ठाड़ नि रौण चान जबकि ऊँ जां बटि बस लागीं वै बै टिकट ल्ही बेर बस में भै रईं |”

     चनरदा बलानै गाय, “अब सवाल उठूँछ कि भलेही उम्र क आदर हुण चैंछ पर यात्री पांच घंट ठाड़- ठाड़े यात्रा करण में परेशान त है ई जाल | यैक वजैल उ जां बटि बस चलीं वै बै सीट हुण पर टिकट ल्युंछ | रेलवे में सीनियर सिटिजन कैं साठ प्रतिशत किराय दीण पडूं | सरकार कि आपणी सोच छ | सरकार कैं त उई करण छ जो वीक हित में हो | फ्री में भौत कुछ दी बेर देशा क एक हिस्स में मरण बाद लै ‘अम्मा- अम्मा’ है रै | एक उ गांधी छी जो आपातकाल क अलावा क्वे लै किस्मे कि मुफ्त खैरात क पक्ष में नि छी | उनर कौण छी कि ‘जो लोग बिना काम करिए खानी या ल्हीनी ऊँ क्वे चोर है कम न्हैति |’ मुफ्त में खैरात बांटण क बजाय काम दियी जाण चैंछ |’ हम ‘मुफ्त का चन्दन, घिस मेरे नंदन’ क मन्त्र ल्ही बेर घूमें रयूं और मुफ्त कि ताक में टकि- टकि लगै बेर भै रयूं |

पूरन चन्द्र काण्डपाल, १२.०१.२०१७

     

Pooran Chandra Kandpal:
दिल्ली बै चिठ्ठी ऐ रै

शोर लै एक खतरनाक प्रदूषण छ, १९.०१.२०१७

     ध्वनि प्रदूषण अर्थात शोर (जोर कि आवाज) समाज में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या छ | कुछ वर्ष पैली सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता मनोज कुमार ल यौ समस्या पर ‘शोर’ नामक कि फिल्म लै बनै जमें लोगों क ध्यान यौ समस्या क प्रति आकर्षित करिगो और जनजागृति करण क प्रयास करिगो | शोर ल हाम काल त है ई सकनूं, यैल याददाश्त में कमी, सद्म, ख्वार पीड़ और तंत्रिका तंत्र में खलबली लै मचि सकीं | शोर क प्रदूषण ल मनखी नपुंसकता और कैंसर क शिकार लै है सकूं | डाक्टरों क मानण छ कि शोर क प्रदूषण ल स्वास्थ्य कैं उ नुकसान है सकूं जैकि भरपाइ कभैं लै नि है सकनि |

     समाज में शोर करणी अर्थात ध्वनि प्रदूषण क कएक कारक छीं | आये दिन हमार इर्द- गिर्द कएक धार्मिक कार्यक्रम हुनी जस कि जगराता या जागरण, अखंड पाठ या क्वे धर्म संबंधी आयोजन | दिवाइ में पटाखों क शोर और रासायनिक प्रदूषण क साथ ब्या क सीजन में बरयातघरों क पास पटाखों क शोर | बरयातघर अक्सर आवासीय कालोनियों क पास हुनी और बरयात क्वे न क्वे कारण ल हमेशा देर रात तक पुजीं | बरयात पुजते ही पटाखों क बक्स धड़ाधड़ खालि हुण फै जांछ | शहरों में य एक आम समस्या छ | जागरण- जगरातों में त पुरि रात भौत जोर क शोर सहन करण पडूं | उ रात उ इलाक क आस-पास क्वे आपण घर में स्ये लै नि सकन |

    वाहनों क हौर्न क शोर लै लोग भौत दुखी छीं | रात कै हौर्न बजूण मना छ पर अक्सर लोग रात कै भौत जोर ल हौर्न बजूनी | द्विपईय वाहनों पर  लोगों ल ट्रकों- बसों क हौर्न लगै रईं ताकि लोग उ हौर्न क शोर ल कम्पित है बेर सड़क छोड़ि दीण | पुलिस कैं य सब देखियूं लै और सुणियूं लै पर उ अणदेखी करि दीं | जागरण क जोर और बरयातघर में बाजणी डी जे – पटाखों क शोर क बार में पुलिस हैं शिकैत करण पर परिणाम क्ये लै नि निकउन | पैली त पुलिस औनी ना और ऐ लै ग्येई तो शोर मचुणियां दगै समझौत करि बेर न्है जींछ | यस अक्सर देखण में औंछ | यैक अलावा रिहायसी इलाकों में कल- कारखानों क शोर लै लोगों कैं भौत दुखी करूं |

     कानून क हिसाब ल शहरों में रात दस बजी बाद पटाखा चलूंण मना छ | रात दस बजी बटि रत्ते छै बजी तली ७५ डेसिबल (अर्थात एक कम्र में साधारण आवाज ) ( कान में खुसू- खुशु बलाण कि आवाज १५ डेसिबल हिंछ ) है ज्यादै क शोर गैर कानूनी छ | य क़ानून क उल्लंघन करण पर एक लाख रुपै क जुर्मान या पांच साल तक कि जेल या द्विये सजा एक साथ है सकनी | यैक लिजी पुलिस में रपोट करण पड़लि और मुकरदम दर्ज करण पड़ल |

     अगर पुलिस में रपोट करी जो तो जागरण, डी जे, हौर्न और कल-कारखानों क शोर है मुक्ति मिल सकीं | समस्या य छ कि लोग पुलिस क सहयोग नि मिलण और कानूनी पेचदगी क डर ल रपोट करण कि हिम्मत नि करन जैकि वजैल शोर प्रदूषण निरोध कानून कि खुलेआम अवहेलना हिंछ | पहल को करल ? हम सब त मसमसाते रौनू | घर में भैटि बेर आपणी बेचैनी बढूंण क बजाय यैक विरोध में पुलिस कैं खबर करण क प्रयास त हम करी सकनूं |

पूरन चन्द्र काण्डपाल, १९.०१.२०१७


Pooran Chandra Kandpal:
दिल्ली बै चिठ्ठी ऐ रै, २६.०१.२०१७

लौंड नपुंसक लै है सकनी मोबाइल फौन ल 

     शुक्राणुओं (नर में पायी जाणी प्रजनन जीवाणु ) पर असर डाउणी मोबाइल फौन क बार में सचेत करणी यौ चिठ्ठी अणब्यवाई लौंडों कैं समर्पित छ | मोबाइल फौन क अविष्कार वर्ष १९७३ में अमेरिका क मार्टिन कूपर ल करौ | हमार देश में यैक प्रचलन १९९५ में हौछ | वर्तमान में हमार देश में मोबाइल फौनों कि अंदाजन संख्या करीब द्वि सौ करोड़ बताई जैंछ जो दिनोंदिन बढ़ते जा रै | मोबाइल क फैद त हम सबै जाणनूं | आज मोबाइल फौन एक भौत जरूरी चीज बनिगो | हम आपण देश में एक साधारण आय वाल मनखिया क पास लै मोबाइल फौन देखैं रयूं | अब त मोबाइल ल कएकों काम करि जां रईं, यां तक कि ‘मेरा बटुवा मेरा बैंक’ लै मोबाइल फौन कैं बताई जांरौ |

     क्वे लै काम औणी चीज क अगर दुरुपयोग है गोयौ तो उ नुकसान दिणी लै है सकीं | ‘अति सर्वत्र वर्जेत’ लै कै गयीं लोग | बताई जारौ कि मोबाइल फौन ज्यादै इस्तेमाल करण ल स्पोंडिलाइटिस सहित कएक बीमारी लै है सकनी | नना क अखां पर लै यैक भौत कुप्रभाव पडूं बतायी जारौ | वदिल स्यैणियां कैं लै ज्यादै मोबाइल इस्तेमाल करण पर नुकसान है सकूं | प्रजनन चिकित्सा विशेषज्ञों ल मोबाइल फौन क सबू है लै ठुल नुकसान पुरुषों में नपुंसकता (इन्फरटिलिटी) क खतर बताई जांरौ |

      एक समाचार क अनुसार डेड़ सौ है ज्यादै चिकित्सा विशेषज्ञों ल यै  पर भौत ठुलि चर्चा करि बेर यौ तथ्य क पत्त लगा | विदेश में करी एक सर्वे और शोध क आधार पर उनूल बता कि रोजाना चार घंट है ज्यादै मोबाइल फौन क इस्तेमाल करणी पुरुषों में शुक्राणुओं कि संख्या और उनरि गतिशीलता सामान्य है लै कम पायी ग्ये | यौ बात क समर्थन ‘फर्टिलिटी एंड स्टर्लिटी’ में प्रकाशित एक अध्ययन ल लै करौ | उनूल स्पष्ट करौ कि मोबाइल फौन क वजैल सेमिनल फ्लूड (बीर्य) कि गुणवता में लै कमी ऐछ | 

     ब्रिटेन में एक्सेटर विश्वविद्यालय में लै एक अध्ययन करिगो जां एक शोध में पाई गो कि सुरयाव (पतलून) कि की जेब में मोबाइल धरण पर शुक्राणुओं कि गुणवता में कमी ऐ जींछ | भारत में यैक वजैल चालीस प्रतिशत मामलों में दम्पतियों कैं गर्भधारण में कठिनाई हैछ जैकैं कएक डाक्टरी उपायों ल ठीक करिगो |

     एक स्वस्थ युवा में शुक्राणुओं (स्पर्म) कि संख्या चार करोड़ बटि तीस करोड़ प्रति मिली लीटर सेमिनल फ्लूड हुण चैंछ | यै है तली कि संख्या कम अर्थात अस्वस्थ मानी जालि | सेमिनल फ्लूड क वौल्यूम लै ढाई मिलीलीटर हुण चैंछ | अगर यूं द्विये कम छीं तो लौंडों कैं बाप बनण क लिजी डाक्टरी  परामर्श ल्हींण भौत जरूरी छ | बचाव क बतौर कई जै सकूं कि अणब्यवाई लौंडों कैं मोबाइल फौन सुरयाव क जेब में नि धरण चैन और खुद कैं स्वस्थ वैवाहिक जीवन में गुजरण दींण चैंछ | कै लै रौछ (‘prevention is better than cure’ ) इलाज करण है बचाव करण उत्तम छ |

पूरन चन्द्र काण्डपाल, २६.०१.२०१७ 



Pooran Chandra Kandpal:
बिरखांत -१४४ : देश के बहादुर बच्चे

     देश के बहादुर बच्चों को ‘राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार’ भारतीय बाल कल्याण परिषद द्वारा वर्ष १९५७ से प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस पर प्रधान मंत्री द्वारा प्रदान किये जाते हैं | प्रत्येक राज्य में परिषद् की शाखा है | प्रतिवर्ष ०१ जुलाई से ३० जून के बीच छै वर्ष से बड़े और अठारह वर्ष से छोटी उम्र के वे बच्चे ग्राम पंचायत, जिला परिषद्, प्रधानाचार्य, पुलिस प्रमुख एवं जिलाधिकारी की संस्तुति के बाद परिषद् की राज्य शाखा को आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने स्वयं को खतरे में डाल कर अपनी जान की परवाह नहीं करते हए दूसरों की जान बचाई हो |

     इस पुरस्कार हेतु पुलिस रिपोर्ट एवं अखबार की कतरन प्रमाण के बतौर होनी चाहिए | वर्ष १९५७ से २०१६ तक ९४५ बच्चों को यह सम्मान मिल चुका है जिसमें ६६९ लड़के और २७६ लड़कियां शामिल हैं | इस पुरस्कार में चांदी का पदक, नकद राशि और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है | सर्वोच्च बहादुरी के लिए स्वर्ण पदक और विशेष बहादुरी के लिए भारत पुरस्कार, संजय चोपड़ा, गीता चोपड़ा और बापू गयाधानी पुरस्कार प्रदान किया जाता है | ये बच्चे गणतंत्र दिवस परेड में विशिष्ट वाहन में बैठकर राजपथ परेड स्थल से गुजरते हैं और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से भी मिलते हैं |

     वर्ष २०१६ के लिए यह पुरस्कार २५ बच्चों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा २३ जनवरी २०१७ को दिया गया जिनमें १३ लड़के और १२ लड़कियां हैं | इनमें से ४ बच्चों को यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया जिसे उनके अभिभावकों ने ग्रहण किया | इस वर्ष २०१६ का संजय चोपड़ा पुरस्कार उत्तराखंड के रहने वाले सुमित ममगई को प्रदान किया गया | १५ वर्ष के सुमित ने अपने से बड़े चचेरे भाई रितेश को तेंदुवे के ग्रास होने से बचाया | जब तेंदुवा रितेश को घसीटते हुए ले जा रहा था तो रितेश ने सुमित को अपनी जान बचाकर भागने को कहा परन्तु सुमित ने तेंदुवे की पूंछ जोर से पकड़ ली और उसे हंसुवे से तब तक पीटता रहा जब तक वह रितेश को छोड़कर भाग नहीं गया और रितेश के जान बच गयी | हमें उत्तराखंड के इस बच्चे पर गर्व है जिसने अपनी जान पर खेलकर अपने बड़े भाई को बचाते हुए उत्तराखंड के नाम भी बहादुर बच्चों की सूची में जोड़ दिया |

     इस वर्ष के बहादुर बच्चों की सूची में असम, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, केरल, पश्चिम बंगाल, छतीसगढ़, दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान, ओड़िसा, कर्नाटक, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर और  उत्तरप्रदेश राज्यों से हैं |

     हमें इन बच्चों की चर्चा अपने परिवार में और अन्य बच्चों से अवश्य करनी चाहिए ताकि उनमें बहादुरी का जज्बा उपजे और वे भी वक्त की मांग पर दूसरों की जान बचाने में पीछे न रहें | देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलने का यह सुनहरा अवसर इन्हीं बच्चों को मिलता  है | अगली बिरखांत में कुछ और ...

पूरन चन्द्र काण्डपाल
०२.०२.२०१७

Pooran Chandra Kandpal:
दिल्ली बै चिठ्ठी ऐ रै

देशा क बहादुर नान

     देशा क बहादुर नना कैं ‘राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार’ भारतीय बाल कल्याण परिषद द्वारा वर्ष १९५७ बटि हर साल गणतंत्र दिवस क मौक पर प्रधान मंत्री द्वारा प्रदान करी जानी | हरेक राज्य में परिषद् कि शाखा छ | हर साल ०१ जुलाई बटि ३० जून क बीच छै वर्ष है ठुल और अठारह वर्ष है कम उम्रा क ऊँ नान ग्राम पंचायत, जिला परिषद्, प्रधानाचार्य, पुलिस प्रमुख और जिलाधिकारी कि संस्तुति क बाद परिषद् कि राज्य शाखा कैं आवेदन करि   सकनी जनूल आपणि जिन्दगी कि परवा नि करि बेर औरों कि ज्यान  बचै |

     यौ पुरस्कार क लिजि पुलिस रिपोर्ट और अखबार की कतरन प्रमाण क बतौर हुण चैंछ | वर्ष १९५७ बटि २०१६ तक ९४५ नना कैं यौ सम्मान मिल चुकि गो जमें ६६९ च्याल और २७६ च्येलिय शामिल छीं | यौ पुरस्कार में चांदी क पदक, नकद राशि और प्रशस्ति पत्र दिई जांछ | सर्वोच्च बहादुरी क लिजि सुन क पदक और विशेष बहादुरी क लिजि भारत पुरस्कार, संजय चोपड़ा, गीता चोपड़ा और बापू गयाधानी पुरस्कार प्रदान करी जांछ | यूं नान  गणतंत्र दिवस परेड में विशिष्ट वाहन में भैटि बेर राजपथ परेड स्थल बटि  गुजरनी और राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री दगै मिलनी |

     वर्ष २०१६ क लिजि यौ पुरस्कार २५ नना कैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ज्यू  द्वारा २३ जनवरी २०१७ हुणि दिई गो जमें १३ च्याल और १२ च्येलिय छी | इनुमें बै ४ नना कैं यौ सम्मान मरणोपरांत दिई गो जैकैं उनार इज-बौज्यू ल ग्रहण करौ | यौ साल २०१६ क संजय चोपड़ा पुरस्कार उत्तराखंड क रौणी  सुमित ममगई कैं दिई गो | १५ वर्ष क सुमित ल आपू है ठुल आपण काक क च्यल (दाद) रितेश कैं गुल्दाड़ क खबाड़ है बचा | जब गुल्दाड़ रितेश कैं घसोड़ि ल्ही जां रौछी तो रितेश ल सुमित हैं आपणि ज्यान बचै बेर भाजण क लिजि कौ पर सुमित ल गुल्दाड़ क पुछड़ जोर ल पकड़ि बेर उकैं दातुलि तब तक मारनै रौ जब तक वील रितेश कैं छोड़ ना | आखिर में गुल्दाड़ रितेश कैं छोड़ि बेर भाजि गो और रितेश कि ज्यान बचि ग्ये | हमुकैं उत्तराखंड क यौ बहादुर नान पर गर्व छ जैल आपणि ज्यान पर खेलि बेर आपण काक क च्यल कैं बचूनै उत्तराखंड क नाम लै बहादुर नना कि सूची में जोड़ि दे |

     यौ साल क बहादुर नना कि सूची में असम, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, केरल, पश्चिम बंगाल, छतीसगढ़, दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान, ओड़िसा, कर्नाटक, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर और  उत्तरप्रदेश राज्यों बटि छीं |

     हमुकैं यूं बहादुर नना कि जिगर आपण घर- परिवार में और दुसार नना दगै जरूर करण चैंछ ताकि उनुमें लै बहादुरी क जज्ब पैद हो और ऊँ लै बखत कि मांग पर औरों कि ज्यान बचूण में पिछाड़ि नि रौण | देशा क राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्गै मिलण क जो यौ सुनहरी मौक यूं नना कैं मिलूं छ उ सबू कैं नि मिल सकन | कुर्मांचल अखबार कि पुरि टीम और पाठक यूं बहादुर नना कैं भौत- भौत बधै दीण में फक्र महसूस करैं रईं |

पूरन चन्द्र काण्डपाल
०२.०२.२०१७

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