Uttarakhand Updates > Articles By Esteemed Guests of Uttarakhand - विशेष आमंत्रित अतिथियों के लेख
Articles by Writer, Lyrist & Uttarakhand State Activitvist Dhanesh Kohari
धनेश कोठारी:
सौदेर
माया का सौदेर छां हम
इन्कलाब जिन्दाबाद
बैर्यों बग्तौ चेति जावा
निथर होण मुर्दाबाद
कथगै अंधेरू होलु
हम उज्याळु कैद्योंला
भाना कि बिंदुलि मा
गैणौं तैं सजै द्योंला
हम सणि अळ्झाण कु
कत्तै करा न घेरबाड़
हत्तकड़ी मा जकड़ि पकड़ी
जेल भेजा चा डरा
बणिगेन हथगुळी मुट्ट
इंतजार अब जरा
लांकि मा च प्रण प्रण
लौटा छोड़ा हमरी धद्द
क्रांतिकारी भौंण गुंजणी
हिमाला कु सजायुं ताज
मौळ्यार कि टक्क धरिं च
घाम बि जग्वाळ् आज
हम सणिं बिराण कु
जम्मै न कर्यान् उछ्याद
Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
Copyright@ Dhanesh Kothari
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
This is the song sung by Dhanesh ji
http://www.4shared.com/mp3/5D43gXkv/CHUP_CHA_YUN_GAUN.html
धनेश कोठारी:
this song sung by my friend hemu
http://www.4shared.com/mp3/ljZy9hWc/DUTY_CHA_PYARI.html [/size]]http://www.4shared.com/mp3/ljZy9hWc/DUTY_CHA_PYARI.html
धनेश कोठारी:
लोकल 'पप्पू' भी सांसत में
वर्षों से कोई 'पप्पू' पुकारता रहा, तो बुरा नहीं लगा। मगर अब उन्हीं लोगों को 'पप्पू' का अखरना, समझ नहीं आ रहा। भई क्या हुआ कि 'पप्पू' अभी तक फेल हो रहा है। यह कुंभ का मेला तो है नहीं कि बारह साल में एक बार आएगा। हर साल कहीं न कहीं यह परीक्षा (विधानसभा, पंचायत, निकाय चुनाव) तो होगी ही, तब राष्ट्रीय न सही लोकल 'पप्पू' तो पास हो जाएगा। रही बात हाल में 'पप्पू' के पास न होने की, तो इससे मैं भी आहत हूं। एक राष्ट्रीय पप्पू ने लोकल पप्पूओं की वाट जो लगा दी है। अब देखो, सब हर फील्ड में पप्पू होने का मतलब नाकामी से जोड़ रहे हैं। ऑक्सफोर्ड वाले भी सोच रहे हैं कि 'पप्पू' को फेल का पर्यायवाची बना दिया जाए। देश में अब मां-दे लाडलों को भी दुत्कार में 'पप्पू' नहीं कहा जा रहा। मांएं भी जाने क्यूं इस नाम से खौफजदा हैं। शायद उन्हें भी लग रहा है, कि कहीं प्यार-दुलार के चक्कर में बेटे की नियति भी 'पप्पू' न हो जाए।
'बाजार' हर साल कैडबरी बेचते हुए इसी उम्मीद में जीता है, आस लगाए रहता है कि 'पप्पू' पास होगा, तो मुहं मीठा जरूर कराएगा, और वह भी निश्चित ही कैडबरी से.। एड में अपने बड़े एबीसीडी भी तो हमेशा पप्पू के पास होने का भरोसा देते हैं। दें भी क्यों न, इस बहाने से उनका भी तो कुछ न कुछ जेब खर्च जो निकलना है। एड एजेंसी से लेकर चैनल तक सबकी दाल रोटी चलेगी। मगर, अफसोस अपने 'पप्पू' को पास होने में शर्म आ रही है। कह रहा है कि अभी 'आप-से' सीखना है।
कहते हैं कि उम्र ए दराज मांग कर लाए थे चार दिन, दो आरजू में कट गए दो इंतजार में। कहीं सीखने पर ऐसा ही हलंत न लग जाए, कि आरजू और इंतजार सीखने में ही गुजर जाएं। दूसरा अब इन मत- दाताओं को कोसूं नहीं तो क्या करुं, जिनका दिल पत्थर हो गया है। 128 साल का इतिहास भी नजर नहीं आ रहा उन्हें। अब तो मेरे दर्द का दिल दरिया भी थम नहीं रहा। 'पप्पू' के पास होने के लिए की गई मेरी सब दुआएं, मंदिरों में टेका मत्था, घोषणापत्रों की तरह भगवान को दिया गया प्रलोभन भी बेकार हो रहा है।
..और रही सही कसर अपना वॉलीवुड भी बार-बार तानें मारकर पूरी कर रहा है, कि 'पप्पू कान्ट डांस साला..'। कभी नहीं सोचा था कि 'पप्पू' इतना निकम्मा निकलेगा। यही सब सुनना बाकी रह गया था हमारे लिए। हमने फेल होना सहा, मगर वह तो 'डांस' में भी अनाड़ी निकला। चुनावों में अनुत्तीर्ण होना तो उसका शगल बन गया। बाप-दादा की 'टोपी' की भी फिक्र नहीं। जबकि दूसरे टोपी पहनकर उछल रहे हैं।
भई अपुन तो सफाई दे देकर उकता गया, आलोचकों के तानों से कहते हैं, नया रास्ता निकलता है। मगर क्रिटिक्स हमरी बॉडी में यही बाण मार रहे कि काहे इतना 'पप्पू' हुए जा रहे हो। क्या बताऊं उन्हें कि 'पप्पू' के पासिंग- आउट का कोई 'विश्वास' करे न करे, मुझे तो है। हां, ये मत पूछना कि किस पप्पू से उम्मीद है, राष्ट्रीय, बाजार वाले या लोकल, क्योंकि सुबह पड़ोसी 'मलंग बाबू' गुरुमंत्र दे गए, कि 'आप' और 'नमो' मंत्र का जाप करो। 'पप्पू' न सही तुम जरूर पास हो जाओगे। अब करूं क्या, कैसे अपने 'पप्पूपन' को तिलांजली दूं। आपको मालूम हो तो बताएं..।
धनेश कोठारी
धनेश कोठारी:
बसंत
लो फिर आ गया बसंत
अपनी मुखड़ी में मौल्यालर लेकर
चाहता था मैं भी
अन्वा र बदले मेरी
मेरे ढहते पाखों में
जम जाएं कुछ पेड़
पलायन पर कस दे
अपनी जड़ों की अंग्वा ळ
बुढ़ी झूर्रियों से छंट जाए उदासी
दूर धार तक कहीं न दिखे
बादल फटने के बाद का मंजर
मगर
बसंत को मेरी आशाओं से क्या
उसे तो आना है
कुछ प्रेमियों की खातिर
दो- चार फूल देकर
सराहना पाने के लिए
इसलिए मत आओ बसंत
मैं तो उदास हूं
धनेश कोठारी
कापीराइट सुरक्षित @2013
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