कुमाऊँ में है महर्षि मार्कंडेय का आश्रम
जी हाँ, युग-युग के अधिष्ठाता कहे जाने वाले भगवान महर्षि मार्कंडेय का आश्रम उत्तराखंड प्रदेश के कुमाऊँ अंचल में अवस्थित है. कुमाऊँ में काठगोदाम से नैनीताल के राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या ८७ पर स्थित करीब ६ किमी दूर भुजियाघाट नामक स्थान से एक पैदल पगडंडीनुमा मार्ग मोरा गाँव के लिए निकलता है. इस मार्ग पर आगे जाकर करीब ढाई घंटे के बेहद कठिन चढ़ाई युक्त मार्ग से बलौनधूरा नाम के चीड़ के घने जंगल में लोक आस्था के अनुसार महर्षि मार्कंडेय का यह आश्रम स्थित है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि महर्षि मार्कंडेय ने यहाँ लम्बे समय तक तपस्या की थी. आश्रम ऐसे निर्जन स्थान पर है कि यह कहीं से भी दृश्यमान नहीं है. आश्रम तक कोई सीधा भी नहीं है. यहाँ पर जंगल के बीच एक बड़े पत्थर के नींचे छोटा सा अनपेक्षित जल कुंड है. पास में ही कुछ झंडे लगे हुए हैं, जिनसे घने जंगल में इस महान स्थान की पहचान बमुश्किल हो पाती है. पास में गधेरे के ऊपर एक पत्थरनुमा पुल भी ध्यानाकर्षित करता है. कहा जाता है कि पूर्व में यहाँ पर कुछ साधू-सन्यासी धूनी रमने के लिए पहुंचे थे, लेकिन अब यहाँ कोई नहीं रहता. संभवतया आज के सुविधानुरागी साधु-सन्यासियों के लिए भी यहाँ रहना आसान न हो. बलौनधूरा मोरा गाँव का ही एक तोक है. इसके पास ही पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का नैनिहाल 'बल्यूटी' गाँव स्थित है, महर्षि मार्कंडेय के बारे में कहा जाता है कि उन्हें श्रृष्टि के सृजनकर्ता ब्रह्मा जी की तरह ही अनंत आयु प्राप्त थे. वह त्रिकालदर्शी और अन्तर्यामी भी कहे जाते हैं.