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Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख

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Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा:

Joshi Ji. Very good articles and photographs about Nainital.

Many -2 congratulations on your Award Winning Photographs.. Hope in coming post, we will get many more such articles where.

God blesss u sir.

नवीन जोशी:

पृथक उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन में सक्रिय भूमिका रही नैनीताल की
पृथक उत्तराखण्ड राज्य का आन्दोलन पहली बार एक सितम्बर 1994 को तब हिंसक हो उठा था, जब खटीमा में स्थानीय लोग राज्य की मांग पर शांतिपूर्वक जुलूस निकाल रहे थे। जलियांवाला बाग की घटना से भी अधिक वीभत्स कृत्य करते हुए तत्कालीन यूपी की अपनी सरकार ने केवल घंटे भर के जुलूस के दौरान जल्दबाजी और गैरजिम्मेदाराना तरीके से जुलूस पर गोलियां चला दीं, जिसमें सर्वधर्म के प्रतीक प्रताप सिंह, भुवन सिंह, सलीम और परमजीत सिंह शहीद हो गए। यहीं नहीं उनकी लाशें भी सम्भवतया इतिहास में पहली बार परिजनों को सौंपने की बजाय पुलिस ने `बुक´ कर दीं। यह राज्य आन्दोलन का पहला शहीदी दिवस था। इसके ठीक एक दिन बाद मसूरी में यही कहानी दोहराई गई, जिसमें महिला आन्दोलनकारियों हंसा धनाई व बेलमती चौहान के अलावा अन्य चार लोग राम सिंह बंगारी, धनपत सिंह, मदन मोहन ममंगई तथा बलबीर सिंह शहीद हुए। एक पुलिस अधिकारी उमा शंकर त्रिपाठी को भी जान गंवानी पड़ी। इससे यहां नैनीताल में भी आन्दोलन उग्र हो उठा। यहां प्रतिदिन शाम को आन्दोलनात्मक गतिविधियों को `नैनीताल बुलेटिन´ जारी होने लगा। रैपिड एक्शन फोर्स बुला ली गई और कर्फ्यू लगा दिया गया। इसी दौरान यहां एक होटल कर्मी प्रताप सिंह आरपीएफ की गोली से शहीद हो गया। इसकी अगली कड़ी में दो अक्टूबर को दिल्ली कूच रहे राज्य आन्दोलनकारियों के साथ मुरादाबाद और मुजफ्फरनगर में ज्यादतियां की गईं, जिसमें कई लोगों को जान और महिलाओं को अस्मत गंवानी पड़ी।

नैनीताल से पढ़ा था बांग्लादेश के नायक ने अनुशासन का पाठ
1971 में पूर्वी पाकिस्तान से बांग्लादेश को अलग राज्य की मान्यता दिलाने के लिए लड़ी गई लड़ाई के नायक फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने नैनीताल से अनुशासन का पाठ पढ़ा था। यह वह जगह है, जहां के शेरवुड कालेज से सैम नाम का यह बालक पांचवी से सीनियर कैंब्रिज (11वीं) तक पढ़ा। अपने मृत्यु से पूर्व शायद वही सबसे बुजुर्ग शेरवुडियन भी थे। उनका नैनीताल से हमेशा गहरा रिश्ता रहा। नैनीताल भी हमेशा उनके लिए शुभ रहा। सैम नैनीताल के शेरवुड कालेज में वर्ष 1921 में पांचवी कक्षा में भर्ती हुए थे। शुरू से पढ़ाई में मेधावी होने के साथ खेल कूद एवं अन्य शिक्षणेत्तर गतिविधियों में भी वह अव्वल रहते थे, जिसकी तारीफ स्कूल के तत्कालीन प्रधानाचार्य सीएच डिक्कन द्वारा हर मौके पर खूब की जाती थी। वर्ष 1928 में सीनियर कैंब्रिज कर वह लौट गए थे, लेकिन इस नगर और स्कूल को नहीं भूले। बताते हैं कि यहां से जाने के तुरन्त बाद उनका आईएमए में चयन हो गया था। स्कूल से जाने के बाद मानेकशॉ 1969 में एक बार पुन: शेरवुड के ऐतिहासिक स्थापना की स्वर्ण जयन्ती पर मनाए गए विशेष वार्षिकोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि वापस लौटे। इस दौरान वह यहां के बच्चों से खुलकर मिले, और उन्हें अनुशासन व मेहनत के बल पर जीवन में सदैव आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। इसे संयोग कहें या कुछ और लेकिन नैनीताल ने इसी दौरान उन्हें एक बार फिर उनके साथ सुखद समाचार दिलाया। वह समाचार था उनके देश का थल सेनाध्यक्ष बनने का। इसके बाद ही पाकिस्तान से हुए 1971 के युद्ध में वह भारत की जीत के नायक बने और विश्व मानचित्र पर बाग्लादेश के नाम से एक नए देश का प्रादुर्भाव हुआ। उनके जीवन में आए चरमोत्कर्ष में नैनीताल और यहां के शेरवुड कालेज की महत्ता को भी निसन्देह स्वीकार किया जाता है। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन भी इसी स्कूल के छात्र रहे। इधर अपने ब्लॉग में  अमिताभ ने स्वीकार किया कि नैनीताल के शेरवुड में प्राचार्य की 'स्टिक' से पडी मार से ही अनुशासन  सीख वह इस मुकाम पर पहुंचे।

यहीं का था `एजे कार्बेट फ्रॉम नैनीताल´
जिम कार्बेट का जन्म 25 जुलाई को नैनीताल में हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन नैनीताल के अयारपाटा स्थित गर्नी हाउस और कालाढुंगी स्थित `छोटी हल्द्वानी´ में बिताया। कहते हैं कि नैनीताल एवं उत्तराखण्ड से गहरा रिश्ता रखने वाले जिम ने 1947 में देश विभाजन की पीड़ा से आहत होकर एवं अपनी अविवाहित बहन मैगी की चिन्ता के कारण देश छोड़ा, और कीनिया के तत्कालीन गांव और वर्तमान में बड़े शहर नियरी में अपने भतीजे टॉम कार्बेट के माध्यम से इसलिए बसे कि वहां का माहौल व परंपराएं भी भारत और विशेशकर इस भूभाग से मिलती जुलती थी। जिम वहां विश्व स्काउट के जन्मदाता लार्ड बेडेन पावेल के घर के पास `पैक्सटू´ नाम के घर में अपनी बहन के साथ रहे, और वहीं 19 अप्रैल 1975 को उन्होंने आखरी सांस ली। घर के पास में ही स्थित कब्र में उन्हें पावेल की आलीशान कब्र के पास ही दफनाया गया, खास बात यह थी कि उनकी कब्र पर परंपरा से हटकर उनके मातृभूमि भारत व नैनीताल प्रेम को देखते हुए कब्र पर नैनीताल का नाम भी खोदा गया। उनके नैनीताल प्रेम को इस तरह और बेहतर तरीके से समझा जा सकता है कि नियरी के पास ही स्थित वन्य जीवन दर्शन के लिहाज से विश्व के सर्वश्रेष्ठ  व अद्भुत `ट्री टॉप होटल´ में उन्होंने सात पुस्तकें पूर्णागिरि मन्दिर पर `टेम्पल टाइगर एण्ड मोर मैन ईटर्स ऑफ कुमाऊं´, `माई इण्डिया´, `जंगल लोर´, `मैन ईटिंग लैपर्ड आफ रुद्रप्रयाग´ तथा `ट्री टॉप´ पुस्तकें लिखीं। इस होटल में जिम जब भी जाते थे, आवश्यक रूप से होटल के रिसेप्सन पर अपना परिचय `एजे कार्बेट फ्रॉम नैनीताल´ लिखा करते थे, जिसे आज भी वहां देखा जा सकता है। गत वर्ष कीनिया में जिम कार्बेट के आखिरी दिनों की पड़ताल कर लौटे नैनीताल निवासी भारतीय सांस्कृतिक निधि `इंटेक´ की राज्य शाखा के सहालकार परिषद अध्यक्ष पद्मश्री रंजीत भार्गव इसकी पुष्टि करते हैं। वह बताते हैं जिस प्रकार नैनीताल में जिम का पैतृक घर गर्नी हाउस और छोटी हल्द्वानी सरकार की ओर से उपेक्षित हैं, उसी तरह नियरी में उनकी कब्र भी धूल धूसरित स्थिति में है।

नवीन जोशी:

--- Quote from: एम.एस. मेहता /M S Mehta on July 27, 2010, 10:12:57 PM ---
Dosto,

In meraphad forum, we have many distinguished personalities who are writing articles in their specialized field. We are getting a very positive feedback from the readers about the articles posted our Esteemed Guests.

In this serious, today Mr Navin Joshi, a Senior Journalist and famous Photographer from Nainital is joining merapahad forum.

He will write articles here and also post some exclusive photographs from his collection.

We are sure you will like the articles and photos of Mr Navin Joshi Ji.

Regards,

M S Mehta

--- End quote ---

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

जोशी जी बहुत-२ धन्यवाद, बहुत ही विशिष्ठ जानकारी आपने नैनीताल के बारे में मेरापहाड़ पोर्टल में शेयर किया है! आशा है हमारे सदस्यों को ये सारी जानकारीया पसंद आ रही होंगी !

नवीन जोशी:

*    
                             मेरे बारे में
*                              

 
नामः नवीन जोशी
 
माता-पिता: स्व. श्रीमती हेमलता जोशी (शिक्षिका), श्री दामोदर जोशी ‘देवांशु’ (कुमाउंनी एवं हिंदी के सुप्रसिद्ध  कवि, लेखक एवं  संपादक), सेवानिवृत्त  प्रधानाचार्य।
 
घरः वर्तमान में ‘देवांशु कुंज’, पश्चिमी खेड़ा, पोस्ट काठगोदाम, ग्रेटर हल्द्वानी (गौलापार), नैनीताल।          जन्म स्थान :  तोली (कपकोट), जनपदः बागेश्वर (उत्तराखंड)।
 
स्वयं के बारे में: जन्म 26 नवंबर, 1972
 
परिवारिक स्थितिः पत्नी शिक्षिका, एक पुत्र वैभव एवं एक पुत्री काव्या।
 
कार्य व्यवसायः मार्च 2008 से राष्ट्रीय सहारा नैनीताल में ब्यूरो प्रभारी के पद पर कार्यरत,  इससे पूर्व दैनिक जागरण,  उत्तर उजाला एवं विश्व मानव आदि समाचार पत्रों में कार्य किया।
 
एक फोटोग्राफर के रूप में: पंचाचूली चोटी के चित्र ‘हिमालया ग्लिटरिंग लाइक गोल्ड अर्ली इन द मॉर्निंग’ http://www.panoramio.com/photo/30531547 को अंतर्राष्ट्रीय वेबसाइट ‘पेनोरॉमियो’ से जनवरी 2010 की ‘जियोटैग्ड फोटो प्रतियोगिता’  के ‘अनयूजुअल वर्ग’ में ‘आनरेबल मैन्सन’ पुरस्कार मिला। इसकी पुष्टि  http://www.panoramio.com/winners/?date=1-2010 पर की जा सकती है।
 
फोटोग्राफी मेरे लिऐः दुनियां की खूबसूरती को अपनी ओर से चिरस्थाई बनाने का बहुत  छोटा सा प्रयास। उसे नऐ कोणों से और अधिक सुंदर देखने तथा दूसरों को भी दिखाने की कोशिश।
 
लेखन में:  कुमाउनीं व हिंदी कविताऐं, गद्य निबंध, कहानियां, नाटक व व्यंग्य लेख, संपादन में भी सहयोग। दो कुमाउनीं  कविता संग्रह उघड़ी आंखोंक स्वींड़ (खुली आंखों के सपने) एवं च्याड़ (आक्रोश) प्रकाशनाधीन।
 
विभिन्न पत्रिकाओं यथा आंखर, गद्यांजलि, अन्वार, आपणि पन्यार, दुदबोलि, धाद, नेता दर्शन आदि में प्रकाशित। कई कुमाउनीं लेख वरिष्ठ साहित्यकारों द्वारा हिंदी एवं अन्य भाषाओं में अनूदित। वेबसाइट http://navinideas.blogspot.com पर कुमाउनीं कविताओं के हिंदी अनुवाद एवं http://newideass.blogspot.com/ पर ब्लाग लेखन भी।
 
लेखन मेरे लिऐः मेरा कुछ भी नहीं, कुछ यहां-कुछ वहां से मन के भीतर गई छटपटाहट को स्वतः बाहर आने पर अपने-दूसरों के शब्दों से खूबसूरती से पेश करने की कोशिष। इसमें अपनी दुदबोली कुमाउनीं एवं मातृभाषा हिन्दी के साहित्य में कुछ श्रीवृद्धि हो जाऐ तो अहोभाग्य।
 
संपर्क :  saharanavinjoshi@rediffmail.com,  saharanavinjoshi@gmail.com 

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