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Articles By Esteemed Guests of Uttarakhand - विशेष आमंत्रित अतिथियों के लेख
(Moderator:
हुक्का बू
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Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Topic: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख (Read 74933 times)
नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #50 on:
September 11, 2010, 08:04:22 PM »
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नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #51 on:
September 12, 2010, 07:38:05 AM »
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नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #52 on:
September 12, 2010, 07:59:31 PM »
बदलाओं से भी लगातार समृद्ध होता जा रहा नैनीताल का नन्दा महोत्सव
पर्यावरण मित्र, लोक संस्कृतियों के संरक्षण के साथ वेबसाइट के जरिए देश दुनिया से जुड़ा महोत्सव
नवीन जोशी, नैनीताल। सामान्यतया भूतकाल को समृद्ध परंपरा के लिए याद करने, वर्तमान को बुरा मानने एवं भविष्य के प्रति चिन्तित होने का जैसे चलन है। लेकिन इस चलन को सरोवरनगरी का ऐतिहासिक नन्दा महोत्सव साल दर साल नई परंपराओं को आत्मसात करता, स्वयं में लगातार समृद्ध होता हुआ झुठलाता चला आ रहा है। पिछली शताब्दी और खासकर इधर तेजी से आ रहे सांस्कृतिक शून्यता की ओर जाते दौर में भी यह महोत्सव न केवल अपनी पहचान कायम रखने में सफल रहा है, वरन इसने सर्वधर्म संभाव की मिशाल भी पेश की है। पर्यावरण संरक्षण का सन्देश भी यह देता है, और उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊं व गढ़वाल अंचलों को भी एकाकार करता है। यहीं से प्रेरणा लेकर कुमाऊं के विभिन्न अंचलों में फैले मां नन्दा के इस महापर्व ने देश के साथ विदेश में भी अपनी पहचान स्थापित कर है। शायद इसी लिए यहां का महोत्सव जहां प्रदेश के अन्य नगरों के लिए प्रेरणादायी साबित हुआ है, वहीं आज स्वयं को `ईको फ्रेण्डली´, लोक संस्कृतियों के संरक्षण का वाहक बनता हुआ अन्तर्राष्ट्रीय पहचान बना चुका है।
सरोवरनगरी में नन्दा महोत्सव की शुरुआत नगर के संस्थापकों में शुमार मोती राम शाह ने 1903 में अल्मोड़ा से लाकर की थी। शुरुआत में यह आयोजन मन्दिर समिति द्वारा ही आयोजित होता था, 1926 से यह आयोजन नगर की सबसे पुरानी धार्मिक सामाजिक संस्था श्रीराम सेवक सभा को दे दिया गया, जो तभी से लगातार दो विश्व युद्धों के दौरान भी बिना रुके सफलता से और नए आयाम स्थापित करते हुए यह आयोजन कर रही है। कहा जाता है कि 1955-56 तक मूर्तियों का निर्माण चांदी से होता था, बाद में स्थानीय कलाकारों ने मूर्तियों को सजीव रूप देकर व लगातार सुधार किया, जिसके परिणाम स्वरूप नैनीताल की नन्दा सुनन्दा की मूर्तियां, महाराष्ट्र के 'गणपति बप्पा' जैसी ही जीवन्त व सुन्दर बनती हैं। खास बात यह भी कि मूर्तियों के निर्माण में पूरी तरह कदली वृक्ष के तने, पाती, कपड़ा, रुई व प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग किया जाता है। बीते तीन वर्षों से थर्मोकोल का सीमित प्रयोग भी बन्द कर दिया गया है। साथ ही कदली वृक्षों के बदले 21 फलदार वृक्ष रोपने की परंपरा वर्ष 1998 से शुरू की गई। वर्ष 2007 से तल्लीताल दर्शन घर पार्क से मां नन्दा के साथ नैनी सरोवर की आरती की एक नई परंपरा भी जुड़ी है, जो प्रकृति से मेले के जुड़ाव का एक और आयाम है। मेला आयोजक संस्था ने मेले में परंपरागत होने वाली बलि प्रथा को अपनी ओर से सीमित करने की अनुकरणीय पहल भी की है। वर्ष 2005 से मेले में फोल्डर स्वरूप से स्मारिका छपने लगी, जिसका आकार इस वर्ष 165 पृष्ठों तक फैल चुका है। इस वर्ष मेले की अपनी वेबसाइट के जरिऐ देश दुनिया तक सीधी पहुंच भी बन गई है। मेला स्थानीय लोक कला के विविध आयामों, लोक गीतों, नृत्यों, संगीत की समृद्ध परंपरा का संवाहक बनने के साथ संरक्षण व विकास में भी योगदान दे रहा है।
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नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #53 on:
September 20, 2010, 10:54:11 PM »
Aastha ke mahakumbh main Shraddha ka indrdhanush : Ma Nanda-Sunanda kee Shobhayatra ke intejaar main moosaladhaar baarish kee parwaah kiye bina khade shraddhaalu
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नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #54 on:
September 20, 2010, 10:56:57 PM »
Nainital main astitwa main aayee ek nayee jheel: Bhareetal banee Sukhatal
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नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #55 on:
September 20, 2010, 10:58:07 PM »
Mela, Jindagi ka mela....
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नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #56 on:
September 21, 2010, 07:55:11 PM »
पढ़े- लिखे नहीं तो एक्टर या क्रिकेटर बनकर पायी जा सकती है प्रसिद्धि: लिलीपुट
[/b]
एक बौने की जिन्दगी पर फिल्म बनाना चाहते हैं चरित्र कलाकार
नवीन जोशी, नैनीताल। कहते हैं चेहरा यानी मनुश्य का बाहरी स्वरूप उसका पूरा व्यक्तित्व उजागर कर देता है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता। एक छोटे से व्यक्ति में विराटता देखनी हो तो सिने कलाकार लिलिपुट फारुखी उत्कृष्ट उदाहरण हो सकते हैं। जिन्होंने दुनिया के उन कम ही लोगों में अपना नाम शुमार किया है, जो अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत बना लेते हैं, और दूसरों के लिए मिसाल खड़ी कर देते हैं।
हिन्दी फिल्मी दुनिया में एक चरित्रा अभिनेता और हास्य कलाकार के रूप में जाना पहचाना नाम लिलिपुट असल जिन्दगी में भी बाहर से उतने ही मजाकिया हैं, जितने वह पर्दे पर नज़र आते हैं। अभिनय की दुनिया में कैसे आऐ, इस सवाल पर उनका जवाब होता है `गया बिहार से हूं, पढ़ाई में `लड्डू´ था, मर-खप कर ग्रेजुऐशन कर ली, तो पता लगा कि जो कुछ न कर सके, एक्टिंग कर ले। बिना पढ़े- लिखे आप एक्टर या क्रिकेटर बन कर ही प्रसिद्धि पा सकते हैं।´ लेकिन तुरन्त ही वह गम्भीर हो जाते हैं। बताते हैं, उनके छोटे कद ने उन्हें ऊंचा उठने की प्रेरणा दी। बचपन में साथियों ने तो कभी यह अहसास नहीं होने दिया, परन्तु रिश्तेदार उनका जिक्र आने पर `अपमानित´ महसूस करते थे। वह स्वीकार करते हैं कि जीवन में आगे भी लोग किसी न किसी प्रकार यह अहसास दिलाते रहते हैं कि आप `सामान्य´ नहीं हो। इससे प्रेरणा मिलती है कि आप ऐसा कुछ करो, कि यही लोग आपको सम्मान दें। वह बताते हैं कि एक `बौने´ के जीवन के अनुभवों, भावनाओं व मनोविज्ञान जैसे भावनात्मक विशय पर उन्होंने एक फिल्म लिखी है, जिस पर फिल्म बनाने की उनकी योजना है। 1982 में धर्मेन्द्र व रति अग्निहोत्री स्टारर फिल्म हुकूमत की शूटिंग के लिए पहले भी नैनीताल आ चुके लिलिपुट हरियाली के जंगल में कंक्रीट का जंगल उग आने से चिन्तित हैं। उनके अनुसार मनुष्य ने चिकित्सा और विद्युत क्षेत्रा में प्रगति के अलावा अन्य हर क्षेत्रों में वास्तव में ऋणात्मक प्रगति की है।
धर्म नहीं `ईगो´ का है झगड़ा
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नैनीताल। गत दिनों राज पिछले जन्म का नाम के चर्चित टीवी सीरियल में `सच का सामना´ करने वाले चरित्र अभिनेता लिलिपुट फारुखी धर्म के नाम पर चल रहे धंधे से बेहद खफा नज़र आते हैं। वह कहते हैं आज कोई भी अपने धर्म पर नहीं चल रहा। लोगों में झगड़ा भी धर्म नहीं `झूठी आत्म प्रतिश्ठा´ का है। वास्तव में दुनिया में धर्म जैसी कोई चीज नहीं है। ईश्वर ने अपनी बनाई चीजों में कभी विभेद नहीं किया। मनुष्य ने सामाजिकता के लिए बाद में धर्म बनाऐ होंगे, पर लोग आज इसके नाम पर दुकानें चला रहे हैं।
न छापने की शर्त पर...
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लिलिपुट ने न छापने की शर्त पर खुलासा किया कि "सच का सामना" करने का दावा करने वाला 'राज पिछले जन्म का' नाम का चर्चित टीवी सीरियल पूरी तरह 'फ्राड' था. इस सीरियल के एक एपिसोड में लिलिपुट भी शामिल हुए थे. इस सीरियल में यह बताने की कोशिश की गयी थी कि पिछले दो जन्मों में बुरे कर्मों और दोनों जन्मों में उनके पाँव काट जाने के कारण इस जन्म में वह छोटे कद के रह गए. लिलिपुट ने खुलाशा किया कि इस सीरियल में जो डाक्टर दिखाई गयी थी, वह किसी कलाकार की पत्नी थी. जब उन्हें कथित तौर पर 'हिप्नोटाइज ' कर के पूछा जा रहा था, वह मंगदंत कहानी बना रहे थे. वह बताते हैं, मैंने "कहानी" में "लूप" छोड़ते हुए 1807 के पूर्व जन्म में उनकी टांगें ट्रेन से कटीं. जबकि सब जानते हैं कि भारत में ट्रेन सर्वप्रथम 1837 में आयी.
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नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #57 on:
September 21, 2010, 08:16:41 PM »
खुर्पाताल में एक नईं झील "तोड़ा ताल" : यहाँ प्रशाशन ने इस नई बन रही कालोनी को कैसे इजाजत दी, भगवान जाने. आगे कोलोनी में रहने वालों का क्या होगा भगवान जाने...(यह दूसरी झील अक्सर बरसात में भरती है, इस वर्ष तो मानो दोनों झीलें एक दूसरे से मिलने को आतुर हैं )
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #58 on:
September 21, 2010, 08:18:56 PM »
जोशी जी,
आपके द्वारा यहाँ पर दी जा रही जानकारी अति महतवपूर्ण है! मुझे उम्मीद है हमारे सदस्यों को बहुत पसंद आ रहा होगा.
हमारा सौभाग्य कि आपके द्वारा लिखे पोस्ट एव फोटो हमें इस पोर्टल में पड़ने और देखने को मिल रहे है!
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नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #59 on:
September 22, 2010, 08:14:50 AM »
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