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Articles By Esteemed Guests of Uttarakhand - विशेष आमंत्रित अतिथियों के लेख
(Moderator:
हुक्का बू
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Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Topic: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख (Read 75105 times)
dramanainital
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #60 on:
September 22, 2010, 09:39:26 AM »
navin jee jaankaariyo ke saath saath khoobsoorat photos post karne hetu dhanyawaad.
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नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #61 on:
September 23, 2010, 09:25:34 PM »
धूप खिली तो मनुष्यों के साथ वन्य जीव भी लगे सीलन भगाने
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नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #62 on:
September 24, 2010, 03:51:26 PM »
खिली धूप
संग मुस्कुराई सरोवरनगरी
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नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #63 on:
September 26, 2010, 07:09:28 PM »
18 सितम्बर की तबाही: इसी तारीख (18 सितम्बर), इसी दिन (काले शनिवार) को 1880 में नैनीताल में महा विनाशकारी भू स्खलन आया था. जिसने नगर का भूगोल बदलने के साथ ही 151 लोगों को जिन्दा दफ़न कर दिया था. इस वर्ष यह दिन नैनीताल ही नहीं पूरे उत्तराखंड के लिए काला शनिवार साबित हुआ है.
View Some exclusive Photos at:
http://www.facebook.com/album.php?aid=36832&id=100000067377967
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नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #64 on:
September 30, 2010, 08:00:11 AM »
तबाही से भी खुशखबरी: `लेक डिस्ट्रिक्ट´ में 10 झीलें पुर्नजीवित
[/b]
(Sukhatal, Nainital)
(भवाली-भीमताल के बीच पुर्नजीवित हुई `डोब ताल´)
(
तोड़ ताल, खुर्पाताल (पीछे वाली)
नैनीताल। आसमान से बरसी जिस तबाही से प्रदेश वासी त्रस्त हैं, उसी तबाही से प्रकृति ने स्वयं को पुनर्जीवित करने का कार्य भी किया है। झीलों के जनपद व कभी `छखाता´ यानी 60 छीलों के स्थान कहे जाने वाले कहे जाने वाले नैनीताल को इस तबाही ने 10 नई झीलों का तोहफा दिया है। यह झीलें पूर्व में पूरी तरह सूख चुकी थीं, किन्तु इस वर्ष आई सदी की सबसे बड़ी बरसात ने इन झीलों को पुनर्जीवित कर दिया है।
पुनर्जीवित हुई नई झीलों नैनीताल की सूखाताल एवं खुरपाताल की तोड़ताल झीलों के साथ ही भवाली और भीमताल के बीच नई बनी डोब ताल का नजारा भी बेहद रोमांचित करने वाला है। सातताल रोड से कुछ दूरी पर पुर्नजीवित हुई इस ताल का नजारा भवाली भीमताल रोड से नींचे देखते हुऐ आसानी से लिया जा सकता है। इसके अलावा भी हालिया वर्षा से जिले में सातताल के करीब हनुमान ताल, बियोनताल, भीमताल के पास कुवान्ताल, मलुवाताल, भौंराताल, भवाली भीमताल के बीच तिरछाताल एवं गेठियाताल पुनर्जीवित हो गऐ हैं। इसके अलावा जिले में नैनीताल, सातताल, गरुडताल, राम लक्ष्मण ताल, नल दमयन्ती ताल, भीमताल, कमलताल, सरिताताल, खुर्पाताल, नौकुचियाताल, हरीशताल, लोखामताल आदि 12 ताल पहले से मौजूद हैं, अब नऐ पुर्नजीवित तालों को मिलाकर जनपद में झीलों की संख्या 22 हो गई है। कहा जा रहा है कि बीते तीन दशकों में पहली बार झीलों की संख्या इतनी पहुंची है। अब प्रशासन पर है कि वह नई पुर्नजीवित हुई झीलों के संरक्षण के लिए कुछ करता भी है या नहीं। उल्लेखनीय है कि खुर्पाताल झील में बसे लोगों को बचाने के लिए मुख्य मंत्री नगर में आ चुके हैं, और जिला प्रशासन झील से पानी हटाने के कार्य में जुटा हुआ है।
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dramanainital
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #65 on:
September 30, 2010, 08:31:11 AM »
navin da bahut badhiyaa khabar dee.dekhiye inkaa wazood kab tak rehataa hai.
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नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #66 on:
September 30, 2010, 10:55:50 PM »
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नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #67 on:
September 30, 2010, 10:57:12 PM »
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नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #68 on:
September 30, 2010, 10:59:16 PM »
Kosi River Bank:
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नवीन जोशी
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Re: Journalist and famous Photographer Naveen Joshi's Articles- नवीन जोशी जी के लेख
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Reply #69 on:
October 01, 2010, 06:58:05 PM »
`कोसी के कोप´ से खो गईं खुशियां
[/b]
कोसी नदी घाटी सभ्यता में आपदा से मची उथल-पुथल देकर केन्द्रीय दल भी हुआ व्यथित
[/b]
नवीन जोशी, नैनीताल। हालिया वर्षों में लगातार सूखती जा रही कोसी नदी ने प्रदेश के दिवंगत जनकवि गिरीश तिवारी `गिर्दा´ को `मेरि कोसि हरै गे.....´ गीत लिखने पर विवश कर दिया था। उन्होंने लिखा था, `गदगदानी ऊंछी... क्या रोपै लगूं छी... घट कुला रिंगू छी....का्स मांछा खऊंछी....जतकाला नऊंछी...पितर तरूंछी... पिनाथ बै ऊंछी...रामनगर पुजूंछी...मेरि कोसि हरै गे´। स्थानीय अखबार भी कोसी के लगातार सूखने से व्यथित थे। अल्मोड़ा जिला प्रशासन कोसी नदी के जल को पुनर्जीवित करने के प्रयासों में लगा था। लेकिन इधर आसमानी बारिश से आऐ सैलाब ने कोसी नदी को इस कदर उफान पर ला दिया कि उसके फैलाव से हुआ नुकसान कमोबेश आंखों से निकले सैलाब से छोटा पड़ गया, और इस नुकसान पर जरूर दिवंगत गिर्दा की दिवंगत आत्मा को और अधिक दु:खी कर दिया होगा।
आज कोसी नदी घाटी के क्षेत्रों में बसे लोगों की आंखों से सूखे रहने वाले पहाड़ों से गिरते झरनों की तरह बरबस आंसू झर रहे हैं। 81 वर्षीय खैरनी गांव के पूर्व प्रधान गंगा सिंह का कहना था कि अपनी जिन्दगी में उन्होंने कोसी को इतने रौद्र रूप में कभी नहीं देखा। वह बताते हैं, क्षेत्र में थापली, वर्धों, सोनगांव, बसगांव, रतौड़ा, घंघरेटी व ढाव के अति उपजाऊ `सेरे´ पूरी तरह तबाह हो गऐ हैं। खैरनी के वर्तमान प्रधान जीवन सिंह का कहना था कि `सेरों´ में इस कदर रेत भर गई है, कि यहां खेतों को फिर से उपजाऊ बनाने में आधी सदी से अधिक समय लग जाऐगा। धारी के प्रधान राजेन्द्र सिंह भी नुकसान से भारी व्यथित थे। उधर जौरासी के नारायण राम व लीलाराम ने बताया कि उनके घर व कृषि भूमि कोसी नदी ने लील लिऐ हैं। छड़ा के तीन भाइयों पूरन सिंह नेगी, राजेन्द्र सिंह नेगी व हरीश सिंह नेगी का 27 कमरों का घर भी कोसी की भेंट चढ़ गया। कभी मालदार कहे जाने वाले नेगी परिवार को अन्यत्र शरण लेनी पड़ी है। यहां तक कि घर के सदस्यों के हाईस्कूल, इंटर सहित समस्त शैक्षिक प्रमाण पत्र भी कोसी नदी की धारा में बह गऐ हैं। छड़ा व काकड़ीघाट के बीच करीब नौ किमी क्षेत्र में राश्ट्रीय राजमार्ग का करीब छह किमी हिस्सा कोसी नदी में समा गया है। पास ही भवाली में दो और निगलाट के पुल भी बह गऐ। खैरना के अंग्रेजों के समय के बने विशाल लौह पुल पर भी खतरा मण्डरा गया। इस हिस्से में घटना के एक पखवाड़े बाद भी 100 से अधिक गाड़ियां बदस्तूर फंसी हुई है। मझेड़ा कृषिफार्म को भी भारी नुकसान हुआ है। यहां पंप हाउस, खेती की नहरें, शहीद बलवन्त सिंह मार्ग, गांवों के पेयजल की पंपिंग योजनाऐं भी पूरी तरह ध्वस्त हो गई हैं। वहीं भुजान के पास और धनियाकोट के पास बढ़ेरी गांव का चाय बागान भी कोसी के कोप की भेंट चढ़ गया है। क्षेत्रीय विधायक खड़क सिंह बोहरा का इस पर मानना है कि नैनीताल जनपद में प्रमुख रूप से चार कोसी, कलसा, गौला व लदिया नदी घाटी सभ्यताऐं हमेशा से रही हैं। दैवीय आपदा ने इन चारों नदी घाटी सभ्यताओं को बुरी तरह प्रभावित किया है। पास ही स्थित छोड़ी धूरा गांव में चनर राम का पांच सदस्यों का पूरा परिवार कोसी ने निगल लिया। स्वयं चनर राम, बेटा, बहू और दो पोते-पोती घर के मलवे में दबकर जान गंवा बैठे। सरकारी मुआवजा लेने को केवल चनर राम की बूढ़ी पत्नी बची है। हालत यह थी कि मदद के लिए जिला प्रशासन के रास्ते भी कोसी ने बन्द कर दिऐ थे।
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