From - Hemant Bisht ji
बाबेकि अर्जी च्यलाक नाम
म्यर पोथा, उम्मीद छ
समझलै हमार बुढाप कैं
म्यर बबा ,उम्मीद छ,
मान दयलै,इज बाब कैं
जब कभै,
बुड कामणी हाथों बै
छुट जाल भान,
फोकी जाल खाण
बात समझलै.
नाराज नि व्हलै।
सुण ,जब तू नान छियै
त्यार नानू नान हाथों बै
बेलि जाँछि छुटि...
पै त्यार नानू नान हाथोंकि
हम लिछि भुकि
निहारैल कुछी....
नान नान हाती,ताकत आलि
य हाथैल भव्वा दुद भाति खालि‘‘
न्न्न्न् न्न्न् न्न्न् न्न्न् न्न्न् न्न्न्
जब लै कमजोर घुनाक कारण
घुरी जू ँहम
’’चुप चाप भ्ैाटी रओ,‘‘
कै दिये झन
जाण छै नान छना तू लैत जब
उठ छियै... घुरी छियै.....
पै हम कुछी...
’’थारे बुढि थारे थारे
हिटि बेर म्यार मुख्यि थैं,
आरे आरे......‘‘
पोथा, नान छना घुरीण है,
तुकैं हम रोक दिनों
बिना घुरीणेै हमर भौ,
क्ये हिटण सिख जानौ
न्न्न् न्न्न् न्न्न् न्न्न् न्न्न् न्न्न् न्न्न्
बबा
म्यर बार बार बुलाण
क्वे बातेकि रट लगूण
कचकचाट छन समझिये
‘‘मचमचाट नि लगाओ ’’
मैंथ्ैंा झन कै दियें
तू लै त लगूछियै रट
खिलौण माँगण हूँ
दूद, दइ,मक्खन,
नौणि चाखण हूँ
रट तब तक लगूछियै
जब तक मिल नि जो
न्न्न्
बबा अगर साफ नि रै सकूँ
रोज नि नै सकूँ
तो छि घीण झन करिये
याद छ
जब (हयून)जाडों में,
त्यर नाक बगछी,
न्न्न्न्
न्न्न्न्