कभी-कभी जो कुछ चीज़ें बड़ी-बड़ी किताबें नहीं समझा सकती, वो चीज़ें, बातों-बातों में जीवन के अनुभव आसानी से समझा जाते हैं.... एक बार एक मित्र से काफी देर तक सपनों को लेकर बातें हुई....उसने कहा :-
आदमी के जीवन में हम अब तक की सारी व्यवस्थाओं को देख सकते हैं....
०१- आदिम युग में इंसान नग्न घूमता था, उसे चीज़ों की समझ और जानकारी कम थी, वो मिट्टी, पत्थर, घास, कीड़े-मकौड़े हर चीज़ को खाकर देखता था, पत्थरों से चिंगारी पैदा हुई, आग का आविष्कार हुआ, आदिमानव आग से भी नहीं डरा, आग देखकर वो अक्सर जिज्ञासावश या फिर अनजाने में अपना हाथ जला दिया करता था- यह आदमी का बचपन है....(आदिम युग है)
०२- उसके बाद कबीलों का दौर आया, लड़ाई-झगड़ा, तेरा-मेरा, संसाधनों पर कब्ज़ा जमाने की होड़ शुरू हो गयी- किशोरावस्था से लेकर युवावस्था तक आदमी अपने दोस्त बनाता है, अलग-अलग किशोरों के अलग-अलग गुट बनते हैं, कभी-कभी छोटी-छोटी बातों को लेकर गुटों में लड़ाईयां भी हो जाती हैं, जो ताकतवर होता है, उस किशोर से सभी किशोर डरते हैं.....- (यह कबीलाई दौर है, इसे हम राजशाही से लेकर सामंतवादी दौर और उसके बाद अंग्रेजों के उपनिवेशिक काल तक देख सकते हैं)
०३- फिर दौर शुरू होता है- पूंजीवादी व्यवस्था का, हर चीज़ पूँजी की गिरफ्त में है, रिश्ते-नाते, संस्कृति, भाषा, यहाँ तक कि सारा जीवन पूंजीवादी व्यवस्था का गुलाम है, यह जवानी का दौर है, जहाँ आदमी अपनी उम्र पैसा कमाने के लिए दौड़ता-भागता है, आर्थिक संसाधनों को जुटाने की जुगत में वो बहुत हद तक अपने परिवार और पड़ोस से दूर होता जाता है, यह दौर एक उम्र तक ही चलता है......(यह पूंजीवादी व्यवस्था है)
०४- उसके बाद आने वाला दौर है, समाजवाद + साम्यवाद- यह आदमी की अंतिम जरुरत है.....उम्र के आखिरी पड़ाव में पहुँचने के बाद आदमी को जिस चीज़ की कमी सबसे ज्यादा खलती है, वो है अपनों का साथ, परिवार, पड़ोस.....उम्र के इस पड़ाव में वह चाहता है कि कोई न कोई हर वक्त उसके साथ बैठा रहे....जिससे वो अपने दिल की बातें कह सके.........उसे सबका साथ चाहिए.......वो अपने जीवन की तमाम छोटी-बड़ी लड़ाईयों को भूलना चाहता है, सारी उम्र उसके जितने भी दुश्मन बने, वो उन सबको गले लगाना चाहता है, वो हर किसी से प्यार से पेश आने की सोचता है......यही सुकून उसे चाहिए......(यह दौर है समाजवादी व्यवस्था का दौर, साम्यवादी व्यवस्था का दौर)
आपको कैसा लगा मेरे मित्र का यह चिंतन/विश्लेषण, अपनी राय दीजियेगा....