Friends,
The Bitoli month is already going on. This is special month for women of Uttarakhand where their visit this month to her with some gifts. This is called Bitoli / bhitola.
=========================================
ओ सुवा मैं जै ऊनू मैता रे, भिटोली मैहण एगो छौ चैता रेMar 29, 01:48 am
अल्मोड़ा: नव संवत्सर के अवसर पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की शुरुआत मां शारदे की वंदना से हुई। गोष्ठी में मोहन लाल टम्टा ने नए वर्ष का स्वागत अपनी कुमाऊंनी कविता में कुछ इस प्रकार किया- नयी सालेकि तुमनकौ बधाई हो, तुम सबनौ घरों में सुख समृद्धि आई हो। काव्य गोष्ठी की आयोजक लीला खोलिया ने चैत्र मास की भिटोली को कुछ इस भाव में कहा - ओ सुवा मैं जै ऊनू मैता रे, भिटोली मैहण एगो छौ चैता रे। विपिन जोशी कोमल ने अपनी हिन्दी कविता में कुछ यूं कहा- कश्तियां उबर आती हैं भंवर से, गर तूफां से टकराने की ठान लें। विनोद जोशी ने कहा - संक्रांति मसांति के पुछ छा, साररै संवत्सर उननकैं पैट जैरौ। यो साल लै च्यूड़ उनर ख्वर पुज्यिल, हरयाव लै उननकै दैड़ जैरौ।
रमेश चंद्र मिश्र ने अपनी कविता कुछ इस अंदाज में पढ़ी- मजहब तो कल की चीज है, इंसान था पहले। इंसानियत से बढ़के नहीं है कोई धरम।