फ़ाग अथवा मंगल गीत:
हमारे यहां कोई भी शुभ कार्य हो, फ़ाग गाना अनिवार्य है। शादी - ब्याह हो, जनेऊ संस्कार हो, नामकरण अथवा पूजा हर अवसर पर फ़ाग गाये जाते हैं और हर अवसर के लिये फ़ाग के बोल अलग-२ होते हैं। फ़ाग महिलाओं द्वारा कोरस में गाये जाते है। फ़गारियौं (फ़ाग गाने वाली महिलायें) का समाज में खूब सम्मान होता है। पंडित जी के मंत्रोच्चार के साथ-२ फ़ाग की ध्वनि कर्णप्रिय लगती है। आजकल यह प्रथा धीरे-२ कम होती जा रही है। आधुनिक युग में फ़ाग क स्थान अब फ़िल्मी गीत लेने लगे हैं जो कि बहुत ही दुखद बात है।
चूंकि फ़ाग गाने वाली सभी महिलायें अपने-२ कार्यौं में ब्यस्त थी, मैने अपने गांव के बूबू जी (उम्र लगभग ८२-८३ वर्ष) से बिशेष आग्रह किया और उन से फ़ाग के बोल सुने जो आप के लिये उपर प्रस्तुत किये हैं। इसे सुनकर कृपया आपनी प्रतिक्रिया जरूर दें और किसी के पास फ़ाग के बोल/रिकार्डिग हो तो महाराज जरूर शेयर करें।
धन्यबाद महाराह। जै हो आप सबकी।