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Chaitra Navratras - चैत्र नवरात्र : नौर्त- मां दुर्गा के नौ रुपों

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हलिया:
चैत्र नवरात्र

इस वर्ष चैत्र नवरात्र चार अप्रैल (सोमवार) को प्रारंभ होंगे और १२ मार्च को रामनवमी के दिन संपन्न होंगे। 

हलिया:
चैत्र नवरत्र

नवरात्र वर्ष में दो बार आता है पर शिवरात्रि के बाद पड़ने वाले चैत्र नवरात्र का महत्व अधिक माना गया है।  इस नवरात्र में मां दुर्गा पूर्ण शक्ति के रूप में प्रकट रहती हैं। इसी कारण इसमें साधना व पूजा अर्चना करना भी अधिक फ़लदायी होता है।  नवरात्र के नौ दिनों में हर दिन अलग-अलग अनुष्ठान करने से अलग-अलग अभीष्ट की पूर्ति होती है।

हेम पन्त:
राजु दा! हम अज्ञानी लोगों के ज्ञानचक्षु खोलने के लिये धन्यवाद. इस विषय पर कुछ और जानकारी देने की कृपा करें....

हलिया:
जय माता की







हलिया:
महाविद्याओं की आराधना पर्व "नवरात्र"


पर्व प्रसंग. अनेकता में एकता की परंपरा वैदिक दर्शन की देन है और इस सिद्धांत की स्थापना पुराणों एवं तंत्र ग्रंथों में दिखलाई देती है। मुंडमालातंत्र के अनुसार- ‘जो शिव है, वही दुर्गा है और जो दुर्गा है, वही विष्णु है - इनमें जो भेद मानता है, वह मनुष्य दुबरुद्धि एवं मूर्ख है। देवी, विष्णु एवं शिव आदि में एकत्व ही देखना चाहिए। जो इनमें भेद करता है, वह नरक में जाता है।

परम तत्व एवं पराशक्ति
देवी भागवत के अनुसार देवताओं ने एक बार भगवती पराम्बा से पूछा- ‘कातित्वं महादेवि’ - हे महादेवी, आप कौन हैं? तो भगवती ने उत्तर दिया- ‘अहं ब्रह्मस्वरूपिणी, मत्त: प्रकृति पुरुषात्मकं जगगदुत्पन्नम्’ - अर्थात मैं ब्रह्मरूपिणी हूं और प्रकृति पुरुषात्मक जगत मुझसे उत्पन्न हुआ है।

देवताओं की जिज्ञासा एवं शंकाओं को पूर्ण विराम देते हुए भगवती पराम्बा ने कहा- ‘मुझमें और ब्रह्म दोनों में सदैव एवं शाश्वत एकत्व है और किसी प्रकार का भेद नहीं है। जो वह है, सो मैं हूं और जो मैं हूं सो वह है।


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