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Children Lori in Uttarahkandi Language - बच्चो की लोरिया पहाड़ी में ?

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पंकज सिंह महर:
श्री नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने एक मार्मिक लोरी लिखी और गाई है-

मेरे आख्यों का रतनबाआ स्ये जांदि....
निम्न लिंक पर

http://www.apnauttarakhand.com/meri-aankhon-ka-ratan-bala-se-jadi-narendra-singh-negi/

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


I used to listen this Lori from my cousin grand mother. Shue used to sing a Jhoda in the form of Lori :-


जस पाल की कैजा (मैसी)
तू जस पाल हुला (हिला दे)


यानी जसपाल  की मौसी जसपाल को गोदी में रखकर हिला दे ताकि जसपाल जो सो जाए!

dayal pandey/ दयाल पाण्डे:
में ली आजकल रोज ९ बजे से १० बजे तक अपने बच्चे सुलाने के लिए लोरी गाता हू जो इस प्रकार है -
१ - आ नीनू जा भूखा
आ नीनू जा भूखा
आ नीनू आ जा
भोव को सुला जा
भोव की इजा आली
भोव हू टॉफी ल्याली
भोव को चचा आला
भोव हू मीठे ल्याला
भोव का पापा आला
भोव हू बोल ल्याला
आ नीनू जा भूखा.................

२ - आ होली आ होली
भोव का मामा ढोली
मामा ढोल बजालो
भोव से जालो
आजा मामा आ जा
ढोली ढोल बजाजा
भोव को सुलाजा
आ होली जा भूखा..................

dayal pandey/ दयाल पाण्डे:
3 - आ नीनू भववा आ नीनू आ नीनू
भोव की इसा आली, आ नीनू आ नीनू
भोव का बाबू आला, आ नीनू आ नीनू
भोव का अम्मा आली, आ नीनू आ नीनू
भोव का बुबू आला,आ नीनू आ नीनू
आ नीनू भववा आ नीनू आ नीनू ............

Meena Rawat:
wah bahut hi badhiya :)

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